नई दिल्ली । सुशील गुप्ता रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी का पद प्राप्त करने में अंततः कामयाब हो गए हैं और
जैसे ही उन्हें यह पद मिलना कंफर्म हुआ वैसे ही रवि प्रकाश लांगेर ने
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए मनोज देसाई की अधिकृत उम्मीदवारी को चेलैंज करने की
तैयारी से अपने आप को अलग कर लिया । इस तरह 'अंत भला, तो सब भला' वाले फलसफे की तर्ज पर पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता भी खुश हुए और भावी इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की भी चुनाव लड़ने से जान बची ।
यूँ तो ये दो मामले हैं - एक मामला रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी पद का है और दूसरा मामला रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का है - और इनमें सिर्फ एक ही चीज कॉमन है और वह है रोटरी; इसके अलावा इन दोनों मामलों का आपस में कोई संबंध नहीं है; किंतु रोटरी की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को लगता है कि इस बार इन दोनों मामलों में एक चीज और कॉमन हो गई और वह है पद पाने की तिकड़म का खेल ।
यूँ तो ये दो मामले हैं - एक मामला रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी पद का है और दूसरा मामला रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का है - और इनमें सिर्फ एक ही चीज कॉमन है और वह है रोटरी; इसके अलावा इन दोनों मामलों का आपस में कोई संबंध नहीं है; किंतु रोटरी की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को लगता है कि इस बार इन दोनों मामलों में एक चीज और कॉमन हो गई और वह है पद पाने की तिकड़म का खेल ।
उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए मनोज देसाई के
अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने के बाद जब डिस्ट्रिक्ट 3040 के पूर्व
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि प्रकाश लांगेर द्धारा उन्हें चेलैंज करने की
तैयारी करने की ख़बरें सुनी गईं तो सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ । यह आश्चर्य
एक तो इस कारण हुआ कि रवि प्रकाश लांगेर को रोटरी की चुनावी राजनीति में
कभी भी इतना सक्रिय नहीं देखा/पाया गया कि उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर पद
के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाये । दूसरा कारण लेकिन ज्यादा
'गंभीर' था और वह यह कि रवि प्रकाश लांगेर को रोटरी की दुनिया में पूर्व
इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के आदमी के रूप में देखा'पहचाना जाता है ।
रोटरी में यह सहज विश्वास किया जाता है कि रवि प्रकाश लांगेर रोटरी में जो
कुछ भी करते हैं वह सुशील गुप्ता से पूछ कर करते हैं । इसी बिना पर
माना गया कि रवि प्रकाश लांगेर यदि मनोज देसाई की उम्मीदवारी को चेलैंज
करने की तैयारी कर रहे हैं तो यह निश्चित ही सुशील गुप्ता का कोई खेल है ।
इस 'खेल' को लेकर रोटरी नेताओं के बीच में आश्चर्य इसी वजह से था कि सुशील
गुप्ता जब एक तरफ मनोज देसाई की उम्मीदवारी के समर्थन में भी रहे दिखे हैं
तो दूसरी तरफ रवि प्रकाश लांगेर के जरिये उनके चुने जाने में बाधा
पहुँचाने का प्रयास क्यों कर रहे हैं ?
सुशील गुप्ता के इस 'खेल' को देख कर हैरान हुए लोगों ने पड़ताल
की तो उन्होंने पाया कि रवि प्रकाश लांगेर के जरिये उन्होंने दरअसल रोटरी
फाउंडेशन में ट्रस्टी पद की अपनी कुर्सी पक्की करने का दाँव चला है । उल्लेखनीय
है कि रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी पद की कुर्सी पर सुशील गुप्ता की नज़र
बहुत समय से है । उन्हें उम्मीद थी कि कल्याण बनर्जी जब इंटरनेशनल
प्रेसीडेंट पद की लाइन में होंगे तब वह किसी वर्ष उन्हें उक्त कुर्सी पर
बैठा देंगे, लेकिन कल्याण बनर्जी ने उनकी उम्मीद पूरी नहीं की । कल्याण
बनर्जी ने उन्हें जिस तरह इग्नोर किया, उससे उन्हें तगड़ा झटका लगा । सुशील
गुप्ता को यह देख/जान कर तो और भी करेंट लगा कि कल्याण बनर्जी उनकी बजाये
शेखर मेहता को तवज्जो दे रहे हैं और आगे बढ़ा रहे हैं । रोटरी और रोटरी की
राजनीति में अभी हाल तक शेखर मेहता हर काम के लिए सुशील गुप्ता पर निर्भर
रहा करते थे, लेकिन अब शेखर मेहता उन्हें पीछे छोड़ कर उनसे आगे बढ़ते हुए
दिख रहे हैं । कई लोगों का मानना और कहना है कि शेखर मेहता चूँकि सुशील
गुप्ता से ज्यादा 'विज़नरी' और सक्रिय हैं इसलिए वह सुशील गुप्ता से आगे
निकल रहे हैं; लेकिन सुशील गुप्ता को लगता है कि शेखर मेहता के उनसे आगे
होने का कारण कल्याण बनर्जी का उनकी बजाये शेखर मेहता पर ज्यादा ध्यान देना है । सुशील गुप्ता ने पाया/समझा कि कल्याण बनर्जी सिर्फ शेखर मेहता को आगे बढ़ाने का ही काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि शेखर मेहता को आगे बढ़ने में कोई दिक्कत न हो इसके लिए सुशील गुप्ता के रास्ते में रोड़े डालने का भी काम कर रहे हैं ।
इसी
कारण से सुशील गुप्ता को डर हुआ कि इस बार ट्रस्टी पद की कुर्सी पाने के
लिए उन्होंने जो जुगाड़ किया है कहीं कल्याण बनर्जी और शेखर मेहता की जोड़ी
उसमें अपनी टाँग न अड़ा दे । सुशील गुप्ता ने ट्रस्टी पद के लिए अपना नाम
प्रस्तावित करने के लिए इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट गैरी सीके हुआँग को
तैयार कर लिया था । दरअसल गैरी सीके हुआँग को चुनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी
में सुशील गुप्ता थे और लगता है कि उन्होंने पहले ही उनका समर्थन करने के
बदले में ट्रस्टी पद का सौदा कर लिया था । इसी कारण से यह चर्चा पहले
से ही थी कि गैरी सीके हुआँग रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की
मीटिंग में ट्रस्टी पद के लिए सुशील गुप्ता का नाम प्रस्तावित करेंगे । सुशील
गुप्ता को डर बस कल्याण बनर्जी और शेखर मेहता की जोड़ी से था कि कहीं ये
लोग गैरी सीके हुआँग को कुछ उल्टी-सीधी पट्टी न पढ़ा दें । मिलते दिख
रहे ट्रस्टी पद में ये दोनों किसी तरह से अपनी टाँग न अड़ा दें - इसके लिए
सुशील गुप्ता ने रवि प्रकाश लांगेर के जरिये मनोज देसाई की टाँग पकड़ ली ।
मनोज देसाई और उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर बनवाने के अभियान में लगे कल्याण
बनर्जी और शेखर मेहता को अशोक महाजन की तरफ से तो खतरा था, लेकिन यह खतरा
सुशील गुप्ता की तरफ से खड़ा हो जायेगा - इसकी उन्होंने तो क्या, अन्य किसी
ने भी कल्पना तक नहीं की थी । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए मनोज देसाई को सुशील गुप्ता
का सहयोग और समर्थन भी था ही और उस समर्थन को देखा भी जा रहा था । लेकिन
फिर भी सुशील गुप्ता ने रवि प्रकाश लांगेर के जरिये मनोज देसाई के लिए बखेड़ा खड़ा कर दिया । पर्दे के पीछे जो खेल चल रहा था, उसकी भनक/खबर
रखने वाले लोगों का कहना रहा कि सुशील गुप्ता को रोटरी फाउंडेशन में
ट्रस्टी का पद यदि इस बार नहीं मिला तो मनोज देसाई को रवि प्रकाश लांगेर से
चुनाव लड़ना ही पड़ेगा । रवि प्रकाश लांगेर के जरिये सुशील गुप्ता ने
दरअसल मनोज देसाई के सामने नहीं, कल्याण बनर्जी और शेखर मेहता के सामने
चुनौती पेश की थी । मनोज देसाई को तो सिर्फ बलि का बकरा बनना था ।
सुशील गुप्ता की ट्रिक काम कर गई । हालात की नजाकत समझ कर कल्याण बनर्जी और
शेखर मेहता ने या तो प्रयास ही नहीं किया और या उनकी चली नहीं - गैरी सीके
हुआँग का पलड़ा भारी रहा और ट्रस्टी पद की कुर्सी पर बैठने के लिए हरी झंडी पाने का सुशील गुप्ता का इंतज़ार ख़त्म हुआ तथा इसकी आधिकारिक घोषणा होते ही रवि प्रकाश लांगेर ने भी मनोज देसाई को चेलैंज करने की अपनी तैयारी को समेट लिया ।
स्वाभाविक
रूप से सुशील गुप्ता भी खुश हैं और मनोज देसाई भी खुश हैं । खुशी मनवांछित
पद पाने की तो है ही, इस बात की भी है कि 'घर का झगड़ा' घर में ही सुलट गया
है ।