Tuesday, November 12, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में दिवाकर अग्रवाल के नामांकन को निरस्त कराने के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर को 'सेट' कर लेने का दावा किया

मुरादाबाद । दिवाकर अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी होड़ से बाहर करने की तिकड़म को इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर का समर्थन मिल जाने का दावा करके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल ने दीपक बाबू और उनके समर्थकों को खासा खुश कर दिया है । दीपक बाबू और उनके समर्थकों को विश्वास हो चला है कि राकेश सिंघल ने अब जब पीटी प्रभाकर को सेट कर लिया है तो दिवाकर अग्रवाल का नामांकन रद्द होना पक्का ही है और फिर दीपक बाबू डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बन ही जायेंगे । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रतिद्धन्द्धी उम्मीदवार दिवाकर अग्रवाल की सक्रियता तथा डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उनकी स्वीकार्यता को देख/भाँप पर दीपक बाबू और उनके समर्थकों को जब अपनी पराजय सुनिश्चित जान पड़ी तो वह तीन-तिकड़मपूर्ण षड़यंत्र की जुगाड़ में लग गए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की इच्छा रखने वाले दीपक बाबू के साथ समस्या दरअसल यह हुई है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तो उन्हें बनना है, लेकिन उसके लिए लोगों का समर्थन जुटाने वास्ते आवश्यक सक्रियता दिखाना उनके लिए संभव नहीं हो पाया । दीपक बाबू ने पिछले रोटरी वर्ष में भी अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की थी किंतु चुनाव का दिन नजदीक आते-आते उन्हें आभास हो गया कि चुनाव जीतना उनके लिए संभव नहीं होगा, लिहाजा चुनाव से ठीक पहले वह मैदान छोड़ भागे ।

दीपक बाबू ने इस वर्ष जब एक बार फिर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों को लगा कि पिछले वर्ष की अपनी कमियों/कमजोरियों से सबक सीख कर वह इस बार उन्हें नहीं दोहरायेंगे । लेकिन इस बार तो उनका 'प्रदर्शन' और भी ख़राब रहा । एक उम्मीदवार के रूप में डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच सक्रिय होने को लेकर दीपक बाबू ने कभी भी कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखाई । डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न क्लब्स के आयोजनों को तो छोड़िये, डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख कार्यक्रमों तक में उपस्थित होने/रहने की उन्होंने कोई जरूरत नहीं समझी । बीच में कई ऐसे मौके आये जबकि लगातार कई-कई दिनों तक रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में दीपक बाबू की शक्ल तक लोगों को नजर नहीं आई । इसी के चलते कई बार इस तरह की घोषणाएँ सामने आईं कि दीपक बाबू ने उम्मीदवार बनने का इरादा छोड़ दिया है । दीपक बाबू के नजदीकियों ने ही लोगों को बताया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की प्रक्रिया को अपना पाना दीपक बाबू के बस की बात नहीं है और इसीलिए दीपक बाबू ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने का इरादा छोड़ दिया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के दूसरे उम्मीदवार के रूप में दिवाकर अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच जिस तरह की सक्रियता दिखाई और अपनी उम्मीदवारी के प्रति स्वीकार्यता और समर्थन को जुटाया, उसके चलते दीपक बाबू के लिए मामला और भी गंभीर व नाउम्मीदभरा हो गया ।
दीपक बाबू ने भले ही उम्मीद छोड़ दी हो - लेकिन दीपक बाबू के कुछेक समर्थक लोगों ने उम्मीद नहीं छोड़ी । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल की डिस्ट्रिक्ट टीम में प्रमुख हैसियत रखने वाले दीपक बाबू के समर्थकों ने उन्हें समझाया कि राकेश सिंघल थोड़े लालची किस्म के व्यक्ति हैं, इसलिए यदि उन्हें डिस्ट्रिक्ट कॉन्फरेंस के लिए खर्चे करने का आश्वासन दे दिया जाये, तो फिर उनसे कुछ भी करवाया जा सकता है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल के निकटवर्तियों ने दीपक बाबू को पूरा हिसाब समझाया कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों से समर्थन जुटाने के लिए समय, एनर्जी और पैसा खर्च करना पड़ेगा; जबकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का समर्थन 'जुटाने' के लिए सिर्फ पैसा खर्च करना होगा । दीपक बाबू चूँकि चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं इसलिए उन्हें 'फर्जी एंट्रीज' के जरिये मुनाफा कमाने की तरकीबें पता ही हैं और इसीलिये उन्हें अपने समर्थकों द्धारा सुझाया गया फार्मूला समझ में भी आ गया और पसंद भी आया । इसके बाद ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई से भागते दिख रहे दीपक बाबू चुनावी मैदान में पुनः आ पहुँचे । पर्दे के पीछे यह जो खेल हुआ, उसमें दीपक बाबू को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने के लिए दिवाकर अग्रवाल को रास्ते से हटाने का विकल्प अपनाने का फैसला हुआ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल और उनकी टीम में मौज़ूद दीपक बाबू के समर्थकों ने जान/समझ लिया कि दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी के रहते हुए दीपक बाबू को चुनाव जितवाना असंभव ही होगा और इसलिए एकमात्र रास्ता दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त करना/करवाना ही होगा ।
दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त करने/करवाने के लिए डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में उनके नाम/पते सहित प्रकाशित उनकी तस्वीर को बहाना बनाया गया; जबकि तथ्य यह है कि उसी डायरेक्टरी में नाम/पते सहित दीपक बाबू की भी तस्वीर छपी है । फर्क यह है कि दिवाकर अग्रवाल का नाम/पता/फोटो डिस्ट्रिक्ट टीम के एक पदाधिकारी के रूप में छपा है और दीपक बाबू का नाम/पता/फोटो एक विज्ञापन के रूप में है । डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में दिवाकर अग्रवाल को जिस पद पर बताया गया है, उस पद से दिवाकर अग्रवाल ने मौजूदा रोटरी वर्ष शुरू होने से पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था । तथ्यों के और नियमों के संदर्भ में यदि देखें तो नामांकन दिवाकर अग्रवाल की बजाये दीपक बाबू का रद्द होना चाहिए - क्योंकि रोटरी इंटरनेशनल का कोई भी नियम किसी भी उम्मीदवार को अपना प्रचार करने के लिए विज्ञापन देने का अधिकार नहीं देता है ।
इस सारे झमेले की पड़ताल करें तो देखेंगे कि दिवाकर अग्रवाल से तो सिर्फ राजनीतिक लापरवाही हुई है : उन्हें जब इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करनी थी और उन्हें पता था - और यदि नहीं पता था तो पता होना चाहिए था - कि डिस्ट्रिक्ट टीम में कोई पद लेकर वह उम्मीदवार नहीं हो सकेंगे, तो उन्हें पद का ऑफर स्वीकार नहीं करना चाहिए था । दिवाकर अग्रवाल को लेकिन जैसे ही अपनी इस लापरवाही का ज्ञान हुआ, उन्होंने तुरंत पद छोड़ दिया । पद छोड़ने का काम भी उन्होंने नियमों में तय की गई समय-सीमा में कर दिया । इस तरह तकनीकी रूप से दिवाकर अग्रवाल ने नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया है । जबकि दूसरी तरफ, दीपक बाबू ने अपना विज्ञापन देकर नियमों का घोर उल्लंघन किया है । संदेह का लाभ देकर यदि यह मान भी लिया जाये कि उन्हें - और विज्ञापन लेने और छापने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को - नियम का नहीं पता होगा, तो भी अब जब बातें उठ रही हैं तब तो दीपक बाबू और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को अपनी इस हरकत पर सार्वजानिक रूप से खेद प्रगट करना चाहिए । इन दोनों ने अभी तक भी ऐसा नहीं किया है । 'चोरी और सीनाजोरी' वाले अंदाज़ में ये दोनों उलटे दिवाकर अग्रवाल का नामांकन निरस्त करवाने में लग गए हैं - जबकि रोटरी इंटरनेशनल के नियमों का पालन करने का संदर्भ यदि लिया जाये तो नामांकन तो दीपक बाबू का रद्द होना चाहिए ।
मजे की बात यह है कि दिवाकर अग्रवाल और या उनके समर्थकों की तरफ से दीपक बाबू का नामांकन रद्द कराने की कोई मांग नहीं सुनी गई है । इस संदर्भ में उनकी तरफ से प्रायः यही सुनने को मिला है कि रोटरी में इस तरह की टुच्ची कोशिशों से आगे बढ़ने का रास्ता बनाने का उदाहरण प्रस्तुत नहीं करना चाहिए और चुनाव को साफ-सुथरे और ईमानदार तरीके से ही लड़ा जाना चाहिए । दिवाकर अग्रवाल के समर्थकों का यही कहना है कि अब जब दो उम्मीदवारों के नामांकन आ गए हैं तो उनके बीच चुनाव होने देना चाहिए और डिस्ट्रिक्ट के लोगों को अपनी पसंद का डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनने का मौका देना चाहिए ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल ने लेकिन 'डिस्ट्रिक्ट कॉन्फरेंस के लिए खर्चे करने का आश्वासन' मिलने के बाद दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त करने का जो खेल शुरू किया है, उसके चलते डिस्ट्रिक्ट में सरगर्मी तो खासी बढ़ ही गई है - साथ ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की गरिमा और डिस्ट्रिक्ट 3100 की साख भी दाँव पर लग गई है । लोगों का कहना है कि राकेश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फरेंस के लिए खर्चे का जुगाड़ करने के लालच में इस तरह का षड्यंत्र नहीं करना चाहिए । राकेश सिंघल ने लेकिन न सिर्फ यह षड्यंत्र किया, बल्कि रोटरी साउथ एशिया लिटरेसी समिट 2013 की तैयारी के सिलसिले में 7 और 8 नबंवर को गुड़गॉव में संपन्न हुई साउथ एशियन रोटरी डिस्ट्रिक्ट्स के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की मीटिंग्स से लौटने के बाद से तो वह पूरी तरह आश्वस्त हैं कि उनका यह षड्यंत्र सफल भी होगा । राकेश सिंघल ने उक्त मीटिंग से लौटने के बाद डिस्ट्रिक्ट के लोगों को बताया है कि वहाँ उन्होंने इस विषय में इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर से बात की है और पीटी प्रभाकर ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जैसा फैसला चाहोगे, वैसा फैसला हो जायेगा । राकेश सिंघल के हवाले से उनके नजदीकियों ने लोगों को बताया है कि डिस्ट्रिक्ट में जिस तरह गवर्नर को कॉन्फरेंस को अच्छे से करने की चिंता होती है, इसी तरह से इंटरनेशनल डायरेक्टर को रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसे जुटाने की चिंता होती है । ऐसे में जिस फार्मूले से दीपक बाबू के समर्थकों ने राकेश सिंघल को 'सेट' किया है, उसी फार्मूले से राकेश सिंघल ने पीटी प्रभाकर को 'सेट' कर लेने का दावा किया है ।
राकेश सिंघल ने लोगों को बताया है कि उनके कार्यकाल में अभी तक करीब साठ हज़ार डॉलर की जो रकम रोटरी फाउंडेशन के लिए जुटाई गई है, उससे पीटी प्रभाकर काफी खुश हैं । राकेश सिंघल ने उन्हें पूरे वर्ष में करीब एक लाख डॉलर की रकम जुटाने का आश्वासन देकर और खुश कर दिया है । पीटी प्रभाकर पीछे कई मौकों पर अपने फैसलों को लेकर 'खरीदने/बेचने' की बातें कर चुके हैं - इसलिए भी राकेश सिंघल आश्वस्त हैं कि उन्होंने दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त करवाने का जो षड्यंत्र रचा है, उसे पीटी प्रभाकर की तरफ से हरी झंडी अवश्य ही मिल जायेगी । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद पर रह चुके कुछेक रोटरी के जिन बड़े नेताओं से इन पंक्तियों के लेखक की बात हो सकी है, उनका हालाँकि साफ कहना है कि जो तथ्य हैं उनके आधार पर दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी का नामांकन निरस्त नहीं किया जा सकता है । राकेश सिंघल लेकिन पीटी प्रभाकर से मिले आश्वासन के बाद अपने षड्यंत्र के सफल होने को लेकर जिस तरह से आश्वस्त हैं, उसके कारण दीपक बाबू के समर्थकों ने तो जीत का जश्न मनाना भी शुरू कर दिया है ।