नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल को
लांछित और अपमानित करने के उद्देश्य से उन पर जो सबसे बड़ा हमला हुआ है, उस
हमले को पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर शेखर मेहता की शह और समर्थन की चर्चाओं
ने खासा गंभीर बना दिया है । यूँ तो शेखर मेहता के विनोद बंसल के साथ
भी बहुत नजदीक और भरोसे के संबंध हैं, जिसके कारण किसी के लिए भी यह
विश्वास कर पाना सहज नहीं होगा कि विनोद बंसल को पूरी तरह धराशाही करने के
उद्देश्य से किये गए हमले में उनका कोई हाथ होगा; लेकिन परिस्थितिजन्य तथ्य
चूँकि इस ओर इशारा कर रहे हैं इसलिए लोगों का शक शेखर मेहता पर जा रहा है ।
विनोद बंसल के खिलाफ करीब दो पेज का जो मेल अभी अवतरित हुआ है, उस पर
हालाँकि नाम तो किसी का नहीं है - लेकिन यह किन लोगों का कारनामा है, इसका संकेत खुद इसी मेल में मौजूद है । इस
मेल के तीसरे पैरा में कहा गया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव
के संबंध में मुकेश अरनेजा, विनय कुमार अग्रवाल और रमेश अग्रवाल ने कई कई
मेल विनोद बंसल को लिखी हैं । इन्होंने विनोद बंसल को कई कई मेल लिखी हैं - यह बात इनके अलावा और कौन जानता होगा ? इसी से लोगों को शक है कि विनोद बंसल को निशाना बनाने वाली बेनामी मेल के पीछे यही लोग हैं । यह शक इसलिए भी और पुख्ता होता है क्योंकि इस खेल के ये लोग बड़े बदनाम और मशहूर खिलाड़ी हैं । इनके इस बार के
'खेल' को शेखर मेहता की शह और समर्थन के साथ इसलिए जोड़ कर देखा जा रहा है
क्योंकि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को भी शेखर मेहता के यहाँ बहुत तवज्जो है ।
शेखर मेहता के यहाँ - जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि - तवज्जो विनोद बंसल को भी है । ऐसे में लोगों को आश्चर्य इस बात का है कि शेखर मेहता की कोर टीम में डिस्ट्रिक्ट 3010
के जो तीन लोग हैं उनके बीच आपस में इतनी मारकाट क्यों मची है - और यदि मची
है तो शेखर मेहता इनके बीच की इस मारकाट को ख़त्म करवाने का प्रयास क्यों
नहीं करते ? इस आश्चर्य की परतें खोलने का काम विनोद बंसल के खिलाफ
लिखी गई बेनामी मेल भी करती है । बेनामी मेल का पहला पैरा विस्तार से विनोद
बंसल की 'अति महत्वाकांक्षा' को रेखांकित करते हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर के साथ उनकी नजदीकी को निशाना बनाता है । पीटी प्रभाकर से विनोद बंसल की नजदीकी डिस्ट्रिक्ट के लोगों की बजाये डिस्ट्रिक्ट से ऊपर के लोगों के लिए ही चिढ़ का कारण हो सकती है ! विनोद बंसल को
शेखर मेहता के 'काम' आकर उतना फायदा नहीं मिला, जितना फायदा उन्हें पीटी
प्रभाकर के काम आकर मिला है - यह तथ्य शेखर मेहता को ही 'चोट' पहुँचा सकता
है । एक तो इस चोट के चलते, और दूसरे पीटी प्रभाकर से नजदीकी बना कर
विनोद बंसल कहीं ज्यादा आगे न बढ़ जाएँ - इसलिए उन्हें पीछे खींचना शेखर
मेहता की भी जरूरत हो जाती है । यह जरूरत इसलिए भी हो जाती है ताकि पीटी
प्रभाकर के कार्यक्रमों को विनोद बंसल से मिलने वाले 'सहयोग' को रोका जा सके । विनोद बंसल के लिए अनुभवी लोगों की एक सलाहियत रही ही है कि रोटरी के हर 'बड़े जहाज' पर लंगर डालने की उनकी 'रणनीति' अंततः उन्हें नुकसान ही पहुँचायेंगी । पीटी प्रभाकर के साथ उनकी नजदीकी शेखर मेहता को उनके घोर विरोधियों की तरफ धकेलने का काम कर रही हो - तो इसमें कोई बहुत हैरानी की बात नहीं है ।
विनोद बंसल के खिलाफ इस बेनामी मेल को अब तक के सबसे बड़े हमले के रूप में इसलिए देखा जा रहा है क्योंकि इसमें सिर्फ विनोद बंसल को ही नहीं, बल्कि उनकी पत्नी संगीता बंसल को भी निशाना बनाया गया है ।
मेल के तीसरे पैरा में कहा गया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनोद
बंसल के कई फैसले उनकी पत्नी संगीता बंसल लेती हैं, जो खुद भी डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर बनने की इच्छुक हैं । रोटरी ने और डिस्ट्रिक्ट 3010 ने बड़ी बड़ी
लड़ाइयाँ देखी हैं, लेकिन किसी भी लड़ाई में मर्यादा का ऐसा उल्लंघन प्रायः
नहीं देखा/सुना गया कि महिलाओं को निशाना बनाया गया हो । रोटरी को और
डिस्ट्रिक्ट को यह निर्लज्ज किस्म की सौगात मुकेश अरनेजा की एंट्री के बाद
मिली है । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने आशीष घोष के खिलाफ इस 'हथियार'
का खूब इस्तेमाल किया था । उस समय लेकिन यह सब आपसी बातचीतों और गपशपों
में हुआ था । विनोद बंसल के मामले में संगीता बंसल का नाम तो ये लोग अब
'रिकॉर्ड' पर भी ले आये हैं । अपने इस 'काम' को और अच्छे से पूरा करने
के लिए इन्होंने विनय कुमार अग्रवाल को अपने साथ और जोड़ लिया है, जिनका कोई
भी वाक्य माँ/बहनों से जुड़ी गालियों के बिना पूरा ही नहीं होता है ।
शेखर मेहता के विनोद बंसल के साथ जैसे संबंध 'दिखते' हैं, वैसे सचमुच में
यदि 'हैं' भी तो उनकी 'कोर टीम' के दो सदस्य मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल आपस में मिल कर तीसरे सदस्य विनोद बंसल के खिलाफ बिलो-द-बेल्ट हमला करने का साहस
भला कैसे कर सकते हैं ?
विनोद बंसल के खिलाफ उक्त बेनामी मेल में एक मुख्य
आरोप यह लगाया गया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनोद बंसल
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के एक उम्मीदवार सुधीर मंगला के खिलाफ
व्यक्तिगत रंजिश के कारण नकारात्मक अभियान चलाये हुए हैं । सचमुच में यदि ऐसा है तो मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और विनय अग्रवाल को इस बारे में खुली और औपचारिक शिकायत करने से भला कौन रोक रहा है ?
बेनामी मेल में इस तरह का आरोप लगाने का मतलब ही यह है कि आरोप झूठा है ।
सच बात यह है कि इन्हीं लोगों ने रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय से अनुमति लेने
के बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संबंध में विनोद बंसल द्धारा अपनाई जा रही उस व्यवस्था को लागू नहीं होने दिया, जिसके तहत नॉमिनेटिंग कमेटी के सदस्य रोटरी के प्रति उम्मीदवारों की संलग्नता और प्रतिबद्धता की पहचान कर पाते । नॉमिनेटिंग कमेटी के सदस्यों
के सामने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार रोटरी को लेकर
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपनी सोच, अपना उद्देश्य और अपना लक्ष्य
प्रस्तुत करते - जिससे नॉमिनेटिंग कमेटी के सदस्यों को उनका मूल्यांकन करने में सुविधा होती और डिस्ट्रिक्ट को वास्तव में एक जेनुइन गवर्नर मिलता - इससे अच्छी बात भला क्या हो सकती थी ? लेकिन तरह-तरह की बहानेबाजी करके उस व्यवस्था को लागू नहीं होने दिया गया ।
लोगों को लगता है कि मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल, विनय कुमार अग्रवाल ने उस व्यवस्था को इसीलिए लागू नहीं होने दिया क्योंकि उन्हें डर हुआ कि उसके चलते सुधीर मंगला नॉमिनेटिंग कमेटी के सदस्यों के सामने बाकी उम्मीदवारों से कमजोर साबित हो जायेंगे । दरअसल उस व्यवस्था को लागू करने को सुधीर मंगला को नुकसान पहुँचाने वाली कार्रवाई के रूप में देखा/पहचाना गया । माना गया कि वह व्यवस्था रोटरी और डिस्ट्रिक्ट का भले ही भला करती, लेकिन सुधीर मंगला की उम्मीदवारी का तो कबाड़ा ही कर देती । अरनेजा गिरोह ने उस व्यवस्था को लागू होने से रोक कर सुधीर मंगला को फ़िलहाल तो राहत दिलवा दी है, लेकिन उन्हें यह डर बराबर बना हुआ है कि विनोद बंसल ने यदि निष्पक्ष होकर काम किया और रोटरी व डिस्ट्रिक्ट के हितों को तवज्जो दी तो कहीं सुधीर मंगला की उम्मीदवारी का मामला गड़बड़ा न जाये । इसीलिये उन्होंने विनोद बंसल को दबाव में लेने के लिए बेनामी मेल के जरिये उन पर तगड़ा हमला बोला है ।
लोगों को लगता है कि मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल, विनय कुमार अग्रवाल ने उस व्यवस्था को इसीलिए लागू नहीं होने दिया क्योंकि उन्हें डर हुआ कि उसके चलते सुधीर मंगला नॉमिनेटिंग कमेटी के सदस्यों के सामने बाकी उम्मीदवारों से कमजोर साबित हो जायेंगे । दरअसल उस व्यवस्था को लागू करने को सुधीर मंगला को नुकसान पहुँचाने वाली कार्रवाई के रूप में देखा/पहचाना गया । माना गया कि वह व्यवस्था रोटरी और डिस्ट्रिक्ट का भले ही भला करती, लेकिन सुधीर मंगला की उम्मीदवारी का तो कबाड़ा ही कर देती । अरनेजा गिरोह ने उस व्यवस्था को लागू होने से रोक कर सुधीर मंगला को फ़िलहाल तो राहत दिलवा दी है, लेकिन उन्हें यह डर बराबर बना हुआ है कि विनोद बंसल ने यदि निष्पक्ष होकर काम किया और रोटरी व डिस्ट्रिक्ट के हितों को तवज्जो दी तो कहीं सुधीर मंगला की उम्मीदवारी का मामला गड़बड़ा न जाये । इसीलिये उन्होंने विनोद बंसल को दबाव में लेने के लिए बेनामी मेल के जरिये उन पर तगड़ा हमला बोला है ।
शेखर मेहता की शह - या चुपचाप तमाशा देखने की उनकी 'तरकीब' ने अरनेजा गिरोह को यह हौंसला भी दे दिया कि वह विनोद बंसल को ही नहीं, उनकी पत्नी को भी निशाना बना लें ।