गाजियाबाद । शिव कुमार चौधरी यह
देख कर खासे हैरान और परेशान हैं कि कभी जो 'खेल' वह दूसरे उम्मीदवारों के
साथ खेला करते थे, वही खेल अब दूसरे लोग उनके साथ खेल रहे हैं । उल्लेखनीय
है कि अभी हाल ही में हरिद्धार में संपन्न हुई दूसरी कैबिनेट मीटिंग में
पहुँचे लोगों के लिए फैलोशिप की व्यवस्था करने वाले शिव कुमार चौधरी को
शराब कम पड़ जाने की शिकायत एक बार फिर सुनने को मिली । इससे पहले,
रुद्रपुर में आयोजित हुई स्कूलिंग में भी शिव कुमार चौधरी को शराब के कूपन
कम देने के आरोप सुनने पड़े थे । उस समय शिव कुमार चौधरी ने इस तरह की
शिकायत करने वालों को बुरी तरह हड़काया भी था । मजे की बात यह थी कि
मनमानी संख्या में कूपन लेने वाले भी कूपन कम मिलने की शिकायत कर रहे थे ।
शिव कुमार चौधरी ने जब यह सुना तो उन लोगों को 'पकड़' कर उनसे पूछा कि तुमने
जितने कूपन माँगे, उतने तुम्हें दिए - फिर कूपन कम मिलने की शिकायत क्यों
कर रहे हो । लेकिन शिकायत करने वालों के मुँह बंद नहीं किये जा सके ।
हरिद्धार
में फिर यही तमाशा हुआ । मिड वे रिसोर्ट में शिव कुमार चौधरी द्धारा की गई
'व्यवस्था' का लुत्फ़ उठाते उठाते भी लोगों की शिकायत यह रही कि - मजा
नहीं आया । लोगों ने बीयर की मांग की और उन्हें जब बीयर नहीं मिली तो उन्होंने जुमले कसे कि शिव कुमार चौधरी कैसे चुनाव लड़ेंगे ?
दरअसल एक उम्मीदवार के रूप में शिव कुमार चौधरी की 'क्षमताओं' को लेकर
लोगों के बीच लगातार संदेह बना हुआ है; उनके समर्थन में दिख रहे लोगों तक
को यह विश्वास नहीं है कि वह सचमुच में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद
का चुनाव अफोर्ड कर पायेंगे । हालाँकि उनके चुनाव की बागडोर सँभालने
वाले नेता लगातार लोगों को आश्वस्त करते रहते हैं कि उन्होंने सारा गणित
जोड़/समझ लिया है - और शिव कुमार चौधरी के लिए चुनाव 'लड़ना' कतई मुश्किल
नहीं होगा । किंतु लोगों के बीच फिर भी संदेह बना ही हुआ है ।
हरिद्धार में बीयर न पा सके लोगों ने इस बात को और हवा दी । लोगों का कहना था कि वह दिन में शराब की बजाये बीयर पीना चाहते हैं, इसलिए बीयर की व्यवस्था होनी चाहिए थी । शिव कुमार चौधरी के नजदीकियों का ही लोगों के बीच कहना रहा कि बीयर की व्यवस्था इसलिए नहीं की गई क्योंकि उससे खर्चा बढ़ जाता । यही सोच कर बीयर की व्यवस्था नहीं की गई क्योंकि लोगों को जब बीयर दिख जाती है तो वह बीयर ज्यादा पी जाते हैं और फिर शराब भी पीते ही हैं । लोगों के बीच यही निष्कर्ष निकला कि खर्चा बचाने के उद्देश्य से ही शिव कुमार चौधरी ने बीयर की व्यवस्था नहीं की ।
हरिद्धार में बीयर न पा सके लोगों ने इस बात को और हवा दी । लोगों का कहना था कि वह दिन में शराब की बजाये बीयर पीना चाहते हैं, इसलिए बीयर की व्यवस्था होनी चाहिए थी । शिव कुमार चौधरी के नजदीकियों का ही लोगों के बीच कहना रहा कि बीयर की व्यवस्था इसलिए नहीं की गई क्योंकि उससे खर्चा बढ़ जाता । यही सोच कर बीयर की व्यवस्था नहीं की गई क्योंकि लोगों को जब बीयर दिख जाती है तो वह बीयर ज्यादा पी जाते हैं और फिर शराब भी पीते ही हैं । लोगों के बीच यही निष्कर्ष निकला कि खर्चा बचाने के उद्देश्य से ही शिव कुमार चौधरी ने बीयर की व्यवस्था नहीं की ।
इस
निष्कर्ष ने शिव कुमार चौधरी को बुरी तरह हताश किया । उनके लिए यह समझना
मुश्किल रहा कि लोग बेतहाशा पीते हैं तो फिर शिकायत क्यों करते हैं ?
शिव कुमार चौधरी के लिए इससे भी बुरी बात यह रही कि कई लोगों ने याद किया कि खुद शिव कुमार चौधरी भी ऐसा ही करते थे । खास तौर से सुनील निगम के साथ किये गए उनके व्यवहार को लोगों ने याद किया । उल्लेखनीय है कि सुनील निगम जब उम्मीदवार थे, तब कई बार उनके द्धारा की गई 'व्यवस्था' में शराब के कम पड़ जाने को लेकर हुड़दंग हुआ था । लोगों ने याद किया कि अधिकतर बार हुड़दंगियों का नेतृत्व करते हुए शिव कुमार चौधरी को ही देखा गया था । यानि शिव कुमार चौधरी के लिए 'सीन' वही है - फर्क सिर्फ इतना है कि पहले सीन में वह शिकार करते थे, और अभी के सीन में वह शिकार हो रहे हैं ।
तो क्या शिव कुमार चौधरी से नियति बदला ले रही है ?
हमारे यहाँ कहा/माना भी जाता है कि जो जैसा बोता है, उसे काटने को भी वैसा ही मिलता है ।
कल तक शिव कुमार चौधरी शराब कम पड़ने की शिकायत करते हुए उम्मीदवारों की फजीहत किया करते थे, आज उन्हें लोगों से सुनने को मजबूर होना पड़ रहा है कि शराब पिलाने में वह यदि कंजूसी करेंगे तो फिर चुनाव में लोगों का समर्थन कैसे पायेंगे ? हमारे यहाँ कहा/माना भी जाता है कि जो जैसा बोता है, उसे काटने को भी वैसा ही मिलता है ।