Thursday, November 7, 2013

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के दिल्ली दीपाली जैसे फर्जी किस्म के क्लब के कार्यक्रम में शामिल होने से राकेश त्रेहन, चंद्रशेखर मेहता, सुरेश बिंदल, नरेश गुप्ता का मान/सम्मान बढ़ेगा कि घटेगा ?

नई दिल्ली । हर्ष बंसल ने लायंस क्लब दिल्ली दीपाली के चार्टर प्रेजेंटेशन व इंस्टॉलेशन कार्यक्रम के बहाने तैयारी तो की थी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वीके हंस को नीचा दिखाने की - लेकिन उनकी हरकत से फजीहत हो रही है राकेश त्रेहन, चंद्रशेखर मेहता, सुरेश बिंदल और नरेश गुप्ता की । राकेश त्रेहन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं और उन्हें ही चार्टर प्रेजेंट करना है । चंद्रशेखर मेहता कीनोट स्पीकर हैं और सुरेश बिंदल इंस्टॉलेशन ऑफीसर हैं । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता इंडक्शन ऑफीसर हैं । किसी भी क्लब के कार्यक्रम में 'इन' रूपों में आमंत्रित किये जाने पर किसी का भी मान/सम्मान बढ़ता है - लेकिन मुख्य अतिथि, कीनोट स्पीकर, इंस्टॉलेशन ऑफीसर, इंडक्शन ऑफीसर के रूप में आमंत्रित किये जाने के बावजूद  डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच राकेश त्रेहन, चंद्रशेखर मेहता, सुरेश बिंदल, नरेश गुप्ता की किरकिरी हो रही है तो इसलिए क्योंकि लायंस क्लब दिल्ली दीपाली एक फर्जी किस्म का क्लब है जिसे कहीं से ईंट और कहीं से रोड़ा लेकर बनाया गया है । डिस्ट्रिक्ट में लोग चटखारे लेकर बातें कर रहे हैं कि इन बड़े बड़े नेताओं की स्थिति/हैसियत अब यही रह गई है क्या कि ये फर्जी किस्म के क्लब में अपना स्वागत करवाएँ ?
लायंस क्लब दिल्ली दीपाली हर्ष बंसल का जेबी क्लब है; जिसे उन्होंने पिछले वर्ष तब बनाया था जब उन्हें लायंस क्लब दिल्ली एरिस्टोक्रेट से निकाल दिया गया था । उल्लेखनीय है कि हर्ष बंसल उन 'विलक्षण' नेताओं में हैं, जिन्होंने कई क्लब बनाये - जो या तो बंद हो गए और या जिनमें से उन्हें जलील करके निकल दिया गया । जैसा कि हर्ष बंसल के नजदीकियों का कहना है कि हर्ष बंसल की नसों में खून नहीं, बल्कि लॉयनिज्म बहता है; इसीलिये भले ही क्लब उनसे न चले और बंद हो जाये या उन्हें क्लब से निकाल दिया जाये लेकिन लायनिज्म उनसे नहीं छूटती - वह एक नया क्लब बना कर लायनिज्म करते रहने का जुगाड़ बना ही लेते हैं । हर्ष बंसल अपने आप को बड़ा भारी नेता बनते हैं, लेकिन उनकी औकात ऐसी है कि पिछले वर्ष उन्हें जब लायंस क्लब दिल्ली एरिस्टोक्रेट से निकाला गया तो उनके साथ क्लब से एक भी सदस्य उनके साथ बाहर नहीं आया । डिस्ट्रिक्ट में उनकी ऐसी बदनामी है कि कोई दूसरा क्लब उन्हें अपने यहाँ लेता नहीं । लिहाजा एक नया क्लब बनाना उनकी मजबूरी थी - आखिर उन्हें लायनिज्म भी तो करनी है । ऐसे में उन्होंने तरकीब यह लगाई कि दिल्ली मधुबन नाम से उनके पास पहले से जो एक फर्जी किस्म का क्लब है उसके कुछेक सदस्य लेकर और कुछ यहाँ-वहाँ से जुटा कर उन्होंने दिल्ली दीपाली का गठन कर लिया । जो सदस्य बेचारे दिल्ली मधुबन में कुछ नहीं कर रहे थे, वह दिल्ली दीपाली में क्या करेंगे ? हर्ष बंसल उन्हें उठा कर कभी दिल्ली मधुबन में रख देते हैं और कभी वहाँ से उठा कर दिल्ली दीपाली नाम से एक और फर्जी किस्म का क्लब बना लेते हैं ।
लायंस क्लब दिल्ली दीपाली में दिल्ली मधुबन के सदस्यों के आ जाने से दिल्ली मधुबन की सदस्य संख्या नाम मात्र की रह गई है - हर्ष बंसल को लेकिन इससे कोई मतलब नहीं है; उन्हें सिर्फ इस बात से मतलब है कि उनका एक नया क्लब बन गया । इसी फर्जी किस्म के नए क्लब के तथाकथित पदाधिकारियों के इंस्टॉलेशन कार्यक्रम में राकेश त्रेहन को मुख्य अतिथि, चंद्रशेखर मेहता को कीनोट स्पीकर, सुरेश बिंदल को इंस्टॉलेशन ऑफीसर और नरेश गुप्ता को इंडक्शन ऑफीसर का रोल अदा करना है । डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच जो चर्चा है उसमें कहा/सुना यही जा रहा है कि इन लोगों को क्या पता नहीं होगा कि लायंस क्लब दिल्ली दीपाली कैसा क्लब है ? ऐसे फर्जी किस्म के क्लब के कार्यक्रम में बड़े बड़े नाम वाली तथाकथित जिम्मेदारियों को निर्वाह करने का तमाशा बनाने/करने को फिर ये लोग क्यों राजी हो गए ? डिस्ट्रिक्ट में लोग खुद ही ऐसे सवाल करते हैं और फिर स्वयं ही उसका जबाव भी देते हैं कि इन बेचारों की समस्या यह है कि अपनी नेतागिरी और अहमियत दिखाने का काम फिर ये कहाँ करें ? अपनी नेतागिरी और अहमियत दिखाने के लिए इन्हें यदि फर्जी किस्म के क्लब में ही मौका मिल रहा है तो ये उसे चूकना नहीं चाहते हैं । डिस्ट्रिक्ट में लोगों का कहना है कि हर्ष बंसल चूँकि इनकी यह कमजोरी जानते/पहचानते हैं, इसलिए उन्हें पक्का भरोसा है कि वह इन्हें अपने फर्जी किस्म के क्लब के कार्यक्रम में बुलायेंगे तो यह दौड़े चले आयेंगे । इस तरह हर्ष बंसल की यह हरकत राकेश त्रेहन, चंद्रशेखर मेहता, सुरेश बिंदल, नरेश गुप्ता की किरकिरी कराने का काम ही कर रही है ।
मजे की बात यह है कि दिल्ली दीपाली के इस कार्यक्रम के जरिये हर्ष बंसल ने चाल तो दरअसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वीके हंस को नीचा दिखाने की चली थी । उन्होंने सोचा यह था कि इस कार्यक्रम में जब इन दोनों को न बुलाये जाने की बात लोगों के सामने आयेगी तो इनकी किरकिरी होगी - क्योंकि लोग कहेंगे कि डिस्ट्रिक्ट के एक क्लब के कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र पर इनका नाम तक नहीं है । हुआ लेकिन उल्टा । लोगों के बीच चर्चा यह चल निकली कि यह अच्छा ही हुआ कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वीके हंस का नाम एक फर्जी किस्म के क्लब के कार्यक्रम के साथ नहीं जुड़ा । हर्ष बंसल ने जो किया, उस पर किसी को भी आश्चर्य नहीं है; क्योंकि सभी जानते हैं कि हर्ष बंसल घटिया सोच का व्यक्ति है जो घटिया काम ही करता है, कर सकता है - लेकिन लोगों को राकेश त्रेहन, चंद्रशेखर मेहता, सुरेश बिंदल, नरेश गुप्ता के रवैये पर जरूर हैरानी है । किसी के लिए भी यह समझना लेकिन मुश्किल हो रहा है कि इनके सामने ऐसी क्या मजबूरी है जो इन्हें एक फर्जी किस्म के क्लब के कार्यक्रम में शामिल होने की स्वीकृति देने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं हुई और ऐसे क्लब में सम्मान कराने के लिए झटपट तैयार हो गए । डिस्ट्रिक्ट में लोगों का मानना और कहना है कि दिल्ली दीपाली जैसे फर्जी किस्म के क्लब के कार्यक्रम में शामिल होना इनके लिए मान/सम्मान की नहीं, बल्कि अपमान और जलालत की बात ही होगी ।