Sunday, January 29, 2012

संजय खन्ना को मिल रहे व्यापक समर्थन को देख कर रवि चौधरी के समर्थक गवर्नर डर गए हैं क्या

नई दिल्ली/गाजियाबाद | संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों द्धारा की जा रही मीटिंग में लोगों को शामिल होने से रोकने के लिए सत्ताधारी गवर्नर्स ने जो षड्यंत्र रचा है, उससे उन्होंने अपनी कमजोरी की पोल खुद ही खोल ली है | उल्लेखनीय है की तीस जनवरी को जिस समय संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों ने अपनी एकजुटता को दिखाने के लिए मीटिंग का आयोजन किया है, ठीक उसी समय मुकेश अरनेजा, असित मित्तल, रमेश अग्रवाल, विनोद बंसल गिरोह ने डिस्ट्रिक्ट कान्फ्रेंस की तैयारी को लेकर एक फर्जी किस्म की मीटिंग का आयोजन कर लिया है | इस तरह की मीटिंग की रोटरी की 'व्यवस्था' में न तो कोई जरूरत है और न इस तरह की कोई मीटिंग इससे पहले डिस्ट्रिक्ट में कभी हुई है | डिस्ट्रिक्ट कान्फ्रेंस की तैयारी को लेकर रोटरी 'व्यवस्था' में कर्टन रेजर नाम से एक कार्यक्रम शिड्यूल में होता है - जो पहले ही हो चुका है | सत्ताधारी गवर्नर्स गिरोह ने तीस जनवरी को जो फर्जी किस्म की मीटिंग बुलाई है उसके बारे में आनन-फानन में तब फ़ैसला लिया गया, जब इस गिरोह के सभी गवर्नर्स ने पाया/देखा कि उनकी हर तिकड़म के बावजूद संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों की मीटिंग को गाजियाबाद के और उत्तरप्रदेश के दूसरे शहरों/कस्बों के क्लब्स का ही नहीं, बल्कि आसपास के दिल्ली के क्लब्स का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है | मुकेश अरनेजा ने, असित मित्तल ने, रमेश अग्रवाल ने और विनोद बंसल ने अपने-अपने तरीके से क्लब्स के अध्यक्षों व अन्य प्रमुख रोटेरियंस को संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों द्धारा की जा रही मीटिंग्स से दूर रहने/रखने की कोशिश की - लेकिन संजय खन्ना के समर्थकों ने उन्हें टका सा जवाब दे दिया |
रवि चौधरी की उम्मीदवारी का खुल कर समर्थन कर रहे मुकेश अरनेजा, असित मित्तल, रमेश अग्रवाल तथा विनोद बंसल को पहले तो यह देख/जान कर तगड़ा झटका लगा की रवि चौधरी की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से आयोजित हुई मीटिंग उपस्थितों के बीच मार-पिटाई हो जाने के कारण बदनामी और गांभीर आरोपों में फंस गई | उल्लेखनीय है कि कुछेक लोगों ने रवि चौधरी की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने हेतु पच्चीस जनवरी को आयोजित हुई मीटिंग में मार-पिटाई की घटना को शराबबाजी और लड़कीबाजी के कारण हुआ झगड़ा बताया | मीटिंग के आयोजकों के रूप में जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल ने हालांकि इससे इंकार किया | उनके इंकार पर लेकिन किसी ने भरोसा नहीं किया | भरोसा न करने का कारण यह रहा कि कुछ ही दिन पहले जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल ने अपने क्लब की मीटिंग में भी लड़कियों के अश्लील व भौडे किस्म के डांस करवाए थे | कई एक लोगों का आरोप है कि जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल जो भी कार्यक्रम करवाते हैं, उसमें लड़कियों के अश्लील व भौडे डांस जरूर ही करवाते हैं | जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल के इंकार के बावजूद जब मार-पिटाई की घटना के कारण उक्त मीटिंग की बदनामी होना नहीं रुकी तो बचाव में मुकेश अरनेजा, असित मित्तल, रमेश अग्रवाल और विनोद बंसल ने भी शराबबाजी और लड्कीबाजी की बात से इंकार करना शुरू किया | लोगों ने इस पर घटना की जांच करने की मांग की | जांच कराने की मांग सुन कर इन सब की हवा सरक गई |
इस प्रकरण में विनोद बंसल के रवैये से लोगों को ज्यादा निराशा हुई है | अधिकतर लोगों का मानना रहा है और उनका विश्वास रहा है, उन्हें उम्मीद रही है कि विनोद बंसल डिस्ट्रिक्ट में मुकेश अरनेजा, असित मित्तल और रमेश अग्रवाल जैसी टुच्ची व ओछी हरकतें न करेंगे और न उनका बचाव करेंगे | लेकिन रवि चौधरी की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के लिए हुई मीटिंग में घटी मार-पिटाई की घटना की जांच की मांग को उन्होंने भी जिस तरह से खारिज किया उससे उनसे बेहतरी की उम्मीद रखने वालों को गहरी निराशा हुई है | जांच की मांग को सत्ताधारी गवर्नर्स ने जिस एकतरफ़ा तरीके से खारिज किया, उससे लोगों के बीच आरोपों को सच माना गया | जाहिर तौर पर यह रवि चौधरी की उम्मीदवारी के लिए और उनकी उम्मीदवारी के समर्थकों के लिए बड़ा झटका बना | इस झटके से सँभलने का वह कोई उपाय सोचते, इससे पहले ही रवि चौधरी की उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे गवर्नर्स यह देख/जान का भौंचक रह गए कि संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों का काफिला बढ़ता ही जा रहा है और संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों द्धारा आयोजित की जा रही मीटिंग को जोरदार समर्थन मिल रहा है | संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों द्धारा की जा रही मीटिंग को फेल करने के लिए मुकेश अरनेजा, असित मित्तल, रमेश अग्रवाल और विनोद बंसल ने पहले तो तरह-तरह के लालच देकर मीटिंग के आयोजकों को तोड़ने की कोशिश की | इसमें कामयाब नहीं हुए तो उन्होंने कोशिश की कि इस मीटिंग में ज्यादा लोग न जाएँ | लेकिन जल्दी ही उन्हें पता चल गया कि इस मीटिंग में जाने के लिए वह लोग भी तैयार हैं, जिनके समर्थन को लेकर वह बहुत आश्वस्त हैं | इसके बाद ही मुकेश अरनेजा, असित मित्तल, रमेश अग्रवाल और विनोद बंसल गिरोह को डिस्ट्रिक्ट कान्फ्रेंस की तैयारी के नाम पर फर्जी किस्म की मीटिंग करने का उपाय सूझा |
मुकेश अरनेजा, असित मित्तल, रमेश अग्रवाल और विनोद बंसल को लगता है कि यह मीटिंग करके वह लोगों को संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों द्धारा की जा रही मीटिंग में जाने से रोक लेंगे | किन्तु रवि चौधरी के ही कुछेक अन्य समर्थकों का मानना और कहना है कि यह मीटिंग करके इन्होंने अपनी कमजोरी को ही साबित और घोषित कर दिया है | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए हो रहे चुनाव पर नज़र रख रहे अनुभवी लोगों का मानना और कहना है कि सत्ताधारी गवर्नर्स द्धारा रवि चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थन में खुल कर काम करने और हर तरह का 'हथकंडा' आजमाने के बावजूद संजय खन्ना को मिल रहे समर्थन को जब नहीं रोका जा सका है, तो इस एक मीटिंग से ही क्या किया जा सकेगा ? रवि चौधरी की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से गाजियाबाद में दो-दो बार बड़ी मीटिंग हो चुकी हैं; इसके बाद भी संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों द्धारा आयोजित की जा रही मीटिंग में रवि चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थक खतरा देख रहे हैं - तो यह उनके द्धारा अपनी कमजोरी को स्वीकार करना ही है | संजय खन्ना की उम्मीदवारी को मिल रहा व्यापक समर्थन देख कर मुकेश अरनेजा, असित मित्तल, रमेश अग्रवाल और विनोद बंसल लगता है कि वास्तव में बुरी तरह डर गए हैं और इसीलिए उन्होंने तीस जनवरी को ठीक उसी समय एक फर्जी किस्म की मीटिंग बुला ली है, जबकि संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों ने भी मीटिंग का आयोजन किया है | रवि चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थक रहे लोग ही यह कह रहे हैं कि इस तरह की हरकतों से संजय खन्ना की उम्मीदवारी को मिल रहे समर्थन में और इजाफा ही होगा, क्योंकि सत्ताधारी गवर्नर्स की इस तरह की बचकानी हरकतों से संजय खन्ना के प्रति लोगों में हमदर्दी ही पैदा होगी |

Monday, January 23, 2012

श्रीकांत जोशी के खिलाफ अशोक अग्रवाल की अभद्र व अशालीन बातों को सुनकर लोगों ने उनके जेके गौड़ की उम्मीदवारी के खिलाफ होने का अनुमान लगाया है

गाजियाबाद | जेके गौड़ ने श्रीकांत जोशी के बारे में अशोक अग्रवाल द्धारा की गई अभद्र व अशालीन किस्म की बातों को अशोक अग्रवाल के ज्यादा पी कर बहक जाने का नतीजा बताया है | जेके गौड़ ने लोगों को सफाई दी है कि राजीव वशिष्ठ के बेटे की शादी के समारोह में अशोक अग्रवाल ने श्रीकांत जोशी के बारे में जो कुछ भी कहा है वह उन पर चढ़े नशे का असर भर था और उसके कोई अन्य अर्थ नहीं निकाले जाने चाहिए | जेके गौड़ को यह सफाई देने की जरूरत दरअसल इसलिए पड़ी क्योंकि उक्त समारोह में जिन्होंने अशोक अग्रवाल को श्रीकांत जोशी के खिलाफ अभद्र व अशालीन किस्म की बातें करते हुए सुना उन्होंने अशोक अग्रवाल के रवैये को जेके गौड़ की अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत होने वाली उम्मीदवारी की जड़ में मट्ठा डालने की कोशिश के रूप में ही देखा और बताया | अशोक अग्रवाल यूं तो जेके गौड़ के बहुत नजदीक और बहुत खास दिखते हैं लेकिन कई लोगों को लगता है कि जेके गौड़ का डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करना अशोक अग्रवाल को पसंद नहीं आ रहा है और वह नहीं चाहते हैं कि जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जायें | इसीलिए वह ऐसा कुछ करने के चक्कर में रहते हैं और मौका मिले तो करते हैं जिससे कि जेके गौड़ की उम्मीदवारी को नुकसान पहुंचे | श्रीकांत जोशी के बारे में अशोक अग्रवाल ने जो बकवासपूर्ण बातें कीं, उनके पीछे भी अशोक अग्रवाल के इसी उद्देश्य को देखा/ पहचाना गया |
उल्लेखनीय है कि श्रीकांत जोशी अगले रोटरी वर्ष में अपने क्लब के अध्यक्ष हैं, और इस नाते से अगले वर्ष होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी |अशोक अग्रवाल यह बात न समझते हों, इस पर कोई भी विश्वास नहीं करेगा | जेके गौड़ और या उनका कोई भी नजदीकी या समर्थक या शुभचिंतक ऐसा कोई काम नहीं करेगा या करना चाहेगा जिससे कोई भी क्लब अध्यक्ष जेके गौड़ के खिलाफ अभी से हो जाये | अब अगर अशोक अग्रवाल सचमुच में जेके गौड़ की उम्मीदवारी के समर्थक हैं तो श्रीकांत जोशी के खिलाफ अभद्र तथा अशालीन तरीके से बात करने का क्या कारण हो सकता है - और वह भी तब जबकि उनके लिए यह करना किसी भी कारण से जरूरी नहीं था | इसी कारण से जिन लोगों ने अशोक अग्रवाल को श्रीकांत जोशी के खिलाफ अभद्र व अशालीन तरीके से बात करते हुए सुना, उन्होंने यही माना और समझा कि अशोक अग्रवाल ने जेके गौड़ की उम्मीदवारी में मट्ठा डालने का काम शुरू कर दिया है | अशोक अग्रवाल ने जिन लोगों के सामने श्रीकांत जोशी के खिलाफ अभद्र व अशालीन बातें कीं उन लोगों का कहना है कि जेके गौड़ ने अशोक अग्रवाल को चुप करने की बहुत कोशिश की और यह तर्क भी दिया कि श्रीकांत जोशी से तुम्हारा क्या झगड़ा है और इस तरह की बातों से क्यों मेरी उम्मीदवारी के लिए समस्या पैदा कर रहे हो | जेके गौड़ की कोशिश का और उनके तर्कों का लेकिन अशोक अग्रवाल पर कोई असर नहीं हुआ; बल्कि उन्होंने और जोर-शोर से श्रीकांत जोशी के खिलाफ अपनी बातें जारी रखीं |
जेके गौड़ के लिए अशोक अग्रवाल को चुप करना मुश्किल हुआ, लेकिन इससे भी बड़ी समस्या का सामना उन्हें यह देख /जान कर करना पड़ा कि अशोक अग्रवाल की श्रीकांत जोशी के खिलाफ कही गई बातों को इस बात के संकेत और सुबूत के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है कि अशोक अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत की जाने वाली उनकी उम्मीदवारी के खिलाफ हैं | आखिर तब जेके गौड़ को लोगों को अशोक अग्रवाल के बारे में सच बात बतानी ही पड़ी | जेके गौड़ ने लोगों को आश्वस्त किया की अशोक अग्रवाल उनकी उम्मीदवारी के साथ पूरी तरह से हैं और हर तरह से उनकी उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे हैं | जेके गौड़ ने लोगों को बताया है कि श्रीकांत जोशी के बारे में अशोक अग्रवाल ने जो कुछ कहा है, वह नशे में होने के कारण कहा है तथा उनके कहे हुए के कोई अन्य अर्थ नहीं लगाए या निकाले जाने चाहिए | जेके गौड़ ने लोगों को बताया है कि अशोक अग्रवाल ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जब तक वह उम्मीदवार हैं तब तक अशोक अग्रवाल ज्यादा नहीं पिया करेंगे, ताकि वह किसी के बारे में ऐसा कुछ न कह बैठें जिससे कि जेके गौड़ की उम्मीदवारी के लिए मुसीबत पैदा हो |

Saturday, January 21, 2012

रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3100 में संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर ने जो किया, उसके पीछे सुधीर खन्ना का हाथ होने की बातों ने मामले को गंभीर बनाया

मुरादाबाद | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज कुमार अग्रवाल इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए होने वाले चुनाव में अकेले रह गए उम्मीदवार संजीव रस्तोगी और उनके नज़दीकियों के सीधे निशाने पर आ गए हैं | संजीव रस्तोगी और उनके समर्थकों व शुभचिंतकों का स्पष्ट आरोप है कि उनके और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दूसरे उम्मीदवार वीके भटनागर के बीच दोस्ताना समझौता हो जाने को नीरज कुमार अग्रवाल ने पसंद नहीं किया है और इस समझौते को अपने गवर्नर-काल की डिस्ट्रिक्ट कांफ्रेंस को नुकसान पहुँचाने की कोशिश के रूप में देखा/पहचाना है, इसलिए वह संजीव रस्तोगी को सबक सिखाना चाहते हैं और कोशिश करना चाहते हैं कि संजीव रस्तोगी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर न चुने जाएँ | नीरज कुमार अग्रवाल इन आरोपों से साफ इंकार करते हैं | उनका कहना है कि संजीव रस्तोगी की उम्मीदवारी यदि खतरे में पड़ी दिख रही है, तो इसके लिए वह खुद ही जिम्मेदार हैं | नीरज कुमार अग्रवाल का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में संजीव रस्तोगी ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों को और क्लब्स के पदाधिकारियों को जिस तरह अपमानित और लांछित किया है और उससे रोटेरियंस के बीच जो नाराजगी है और जिस नाराजगी के कारण संजीव रस्तोगी को 'मिलता' हुआ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद 'छिनता' हुआ दिख रहा है - वह सब संजीव रस्तोगी के खुद के किए-धरे का नतीजा है | नीरज कुमार अग्रवाल का साफ कहना है कि अपने किए-धरे का जो नतीजा संजीव रस्तोगी के सामने आ रहा है, उससे बौखला कर संजीव रस्तोगी उन्हें नाहक ही निशाना बना रहे हैं |
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में अचानक से उस समय गर्मी आ गई, जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दोनों उम्मीदवारों - संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर ने एक संयुक्त पत्र के जरिये लोगों को बताया कि चूंकि उन्होंने पाया है कि डिस्ट्रिक्ट में गवर्नर पद का चुनाव लूट-खसोट का जरिया बन गया है; क्लब के पदाधिकारी और डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ रोटेरियंस तरह-तरह से उम्मीदवारों से पैसा बसूलने का प्रयास करते हैं और क्लब के वोट खुलेआम बिकते हैं इसलिए वह आपस में मिलबैठ कर यह फैसला करेंगे कि उनमें से कोई एक ही उम्मीदवार होगा और इस तरह वह चुनाव की नौबत को टालेंगे ताकि चुनाव के नाम पर धंधा करने वाले लोगों को अपनी जेबें भरने का मौका ही न मिले | इंटरनेशनल प्रेसीडेंट कल्याण बनर्जी को लिखे इस पत्र को डिस्ट्रिक्ट के लोगों को भेजने के साथ-साथ रोटरी इंटरनेशनल के वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी भेजा गया | इस पत्र के सामने आने के कुछ दिन बाद ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के एक उम्मीदवार वीके भटनागर ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और संजीव रस्तोगी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अकेले उम्मीदवार रह गए | लेकिन इससे पहले डिस्ट्रिक्ट में बबाल मच गया था |
डिस्ट्रिक्ट में वरिष्ठ रोटेरियंस से लेकर क्लब्स के पदाधिकारियों तक ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज कुमार अग्रवाल से संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर द्धारा लिखे और भेजे गए पत्र में कहीं गई बातों का संज्ञान लेने की मांग की | इस मांग के आधार पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने दोनों उम्मीदवारों को पत्र लिख कर उनसे पूछा कि उनसे किन-किन लोगों ने पैसा बसूलने का प्रयास किया और किन-किन लोगों ने उन्हें अपना-अपना वोट बेचने का प्रस्ताव दिया | अपने पत्र में वोट के बदले पैसा बसूले जाने का खुला आरोप लगाने वाले संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के इस पत्र का कोई जबाव नहीं दिया | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज कुमार अग्रवाल ने दोनों उम्मीदवारों से इस बात का भी जबाव मांगा था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में उक्त पत्र लिख कर उन्होंने चुनावी आचार संहिता का तथा डिस्ट्रिक्ट के नियमों का जो उल्लंघन किया है, उसके कारण उनका नामांकन रद्द क्यों न कर दिया जाए | दोनों उम्मीदवारों ने इसके जबाव में सिर्फ यह कहा कि उन्होंने चुनावी आचार संहिता का तथा किसी नियम का कोई उल्लंघन नहीं किया है |
संजीव रस्तोगी ने (और वीके भटनागर ने भी, हालाँकि उम्मीदवारी वापस ले लेने के बाद उनका कोई ज्यादा मतलब नहीं रह गया है) एक मामले में चुप्पी साध कर और एक मामले में यह जबाव देकर कि उन्होंने चुनावी आचार संहिता का तथा किसी नियम का कोई उल्लंघन नहीं किया है, अपने आप को बचाने की कोशिश तो की है लेकिन वह भी जान/समझ रहे हैं कि गुनाह तो उन्होंने किया ही है | चुनावी आचार संहिता का तथा डिस्ट्रिक्ट के नियमों का तो उन्होंने स्पष्ट उल्लंघन किया ही है, डिस्ट्रिक्ट के छोटे-बड़े सभी रोटेरियंस को भी उन्होंने 'तगड़ी' गाली दी है और सभी को वोट के बदले पैसा बसूलने वाला घोषित कर दिया है | संजीव रस्तोगी के इस आरोप पर रोटेरियंस बिफरे पड़े हैं और बाकायदा प्रस्ताव पास करके या डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को पत्र लिख कर अपना रोष और विरोध प्रकट कर रहे हैं | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज कुमार अग्रवाल का दावा है कि डिस्ट्रिक्ट के नब्बे प्रतिशत से भी अधिक क्लब्स ने संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर के खिलाफ कार्यवाई करने और उनकी रोटरी सदस्यता समाप्त करने तक की मांग की है | यह मांग करने वालों का तर्क है कि इन दोनों ने डिस्ट्रिक्ट को, डिस्ट्रिक्ट के लोगों को और रोटरी को बदनाम किया है | यह मांग करने वालों का कहना है कि संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर को जब यह लगता है कि उनके साथ के रोटेरियंस के लिए रोटरी एक धंधा है और वह किसी भी तरह से पैसा बसूलने की तिकड़म में रहते हैं तो उन्हें ऐसे रोटेरियंस के साथ रहने, ऐसे रोटेरियंस वाले डिस्ट्रिक्ट का गवर्नर बनने की जरूरत क्या है और क्यों है ?
संजीव रस्तोगी ने अपने आप को चारों तरफ से घिरा देख/पा कर ही नीरज कुमार अग्रवाल को सीधा निशाना बना लिया है | दरअसल नीरज कुमार अग्रवाल को सीधा निशाना बनाने की प्रेरणा यह देख/जान कर मिली कि कुछेक लोगों का मानना/कहना रहा कि संजीव रस्तोगी ने जो किया है वह गलत तो है लेकिन यह कोई इतनी बड़ी गलती नहीं है कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने से रोका जाए | कुछेक लोगों के यह मानने/कहने से संजीव रस्तोगी को बल मिला और उन्होंने समझ लिया है कि यदि वह नीरज कुमार अग्रवाल को निशाना बनाते हैं, तो एक तो उन्हें लोगों की सहानुभूति मिल जाएगी और दूसरे उन्हें नीरज कुमार अग्रवाल से खार खाने वालों का समर्थन मिल जाएगा | 'आक्रमण बचाव का अच्छा तरीका है' वाले लोकप्रिय फार्मूले को अपनाते हुए, संजीव रस्तोगी ने अपने आप को बचाने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज कुमार अग्रवाल को सीधे निशाने पर लेने की जो कोशिश की, उसने लेकिन मामले को और पेचीदा बना दिया है |
संजीव रस्तोगी (और वीके भटनागर) का 'अपराध' दरअसल उतना सीधा है नहीं, जितना सीधा वह नज़र आ रहा है | किसी के लिए भी इस बात को समझ पाना मुश्किल बना हुआ है कि जो 'बात' इन्होंने की है चूंकि उससे यह बहुत अच्छे से परिचित रहे हैं - संजीव रस्तोगी पर तो पिछले रोटरी वर्ष में राकेश सिंघल की तरफ से लोगों को पैसे बाँटने का आरोप तक लगा था; इस वर्ष अपनी-अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करते हुए भी संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर दावा कर रहे थे कि उन्हें अच्छी तरह पता है कि चुनाव जीतने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपनाने पड़ते हैं और वह कुछ भी करने से पीछे नहीं हटेंगे - तब फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि यह दोनों साधुओं की सी भाषा बोलने लगे | हर कोई यह मानता और कहता है कि संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर को यदि कुछ गलत नहीं भी करना था और लोगों के हाथों अपना शोषण नहीं भी कराना था तो चुपचाप से वह यह कर सकते थे जो उन्होंने किया | जो शोर उन्होंने अब किया, उस शोर को उन्हें तब करना चाहिए था जब लूट-खसोट की घटनाएँ हो रही थीं या जब उन्हें उनके बारे में पता चला था | चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडा अपनाने की बात करते-करते अचानक से उन्होंने जो यू-टर्न लिया, उसमें कई लोगों को 'दूसरी' राजनीति की गंध आती है | लोगों को लगता है कि 'कुछ लोगों' ने नीरज कुमार अग्रवाल के गवर्नर-काल की डिस्ट्रिक्ट कांफ्रेंस को खराब और बदनाम करने के उद्देश्य से संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर को इस्तेमाल किया है तथा उनसे उक्त पत्र लिखवाया | ऐसा मानने वालों में अधिकतर का इशारा सुधीर खन्ना की तरफ है | नीरज कुमार अग्रवाल और सुधीर खन्ना के बीच 'शीतयुद्ध' की खबरें चूँकि आम हैं, इसलिए सुधीर खन्ना का हाथ होने की बातों पर लोगों का सहज विश्वास भी हो गया है | संजीव रस्तोगी के प्रति सहानुभूति का रवैया अपनाने/दिखाने वालों में चूँकि अधिकतर लोग सुधीर खन्ना के नजदीकी हैं, इसलिए भी इस प्रकरण में सुधीर खन्ना का हाथ होने की बात को बल मिला | सुधीर खन्ना और उनके नज़दीकियों ने इस प्रकरण में किसी भी तरह की भूमिका से लेकिन साफ इंकार किया है | उनका यही कहना है कि इससे उन्हें क्या हासिल होने वाला है ?
सच क्या है, यह तो करने वाले जानें - लेकिन एक बात पर अधिकतर लोग सहमत हैं कि संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर ने जो किया है उससे डिस्ट्रिक्ट की बदनामी तो हुई ही है, डिस्ट्रिक्ट के लोगों और पदाधिकारियों के लिए भी लज्जा और अपमान की स्थिति बनी है | लोगों का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार अपनी कमजोरियों को छिपाने तथा लोगों का समर्थन पाने के लिए खुद ही तो पैसे खर्च करते हैं, और फिर लोगों को बदनाम करते हैं | पिछले वर्षों में कुछेक ऐसे लोग भी उम्मीदवार बने जिनमें काबिलियत तो दो पैसे की नहीं थी, लेकिन अपने पैसे के बल पर वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन बैठे | यह देख/जान कर ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में पैसे का बोलबाला हो गया | लोगों को संजीव रस्तोगी के रवैये पर इसीलिए गुस्सा है कि पिछले वर्ष संजीव रस्तोगी ने खुद ही तो राकेश सिंघल के लिए वोट जुटाने की खातिर पैसे का इस्तेमाल किया और अब वह रोटेरियंस को बदनाम और लांछित कर रहे हैं | कुछ संजीव रस्तोगी के प्रति इस गुस्से के कारण और कुछ लोगों के इस विश्वास के कारण कि इस झमेले के पीछे सुधीर खन्ना का हाथ है जिन्होंने नीरज कुमार अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट कांफ्रेंस को खराब करने के उद्देश्य से यह षड्यंत्र रचा - यह मामला गंभीर हो उठा है और विश्वास किया जा रहा है कि नीरज कुमार अग्रवाल को नीचा दिखाने की यह जो कोशिश हुई है उसे नीरज कुमार अग्रवाल आसानी से पूरा नहीं होने देंगे | नीरज कुमार अग्रवाल को इस मामले में चूंकि क्लब्स के पदाधिकारियों तथा डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ रोटेरियंस का भी समर्थन मिल रहा है - इसलिए समझा जा रहा है कि संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर को अपने किए-धरे का भुगतान तो करना ही होगा |

Wednesday, January 18, 2012

मुकेश अरनेजा को 'तड़ीपार' किया गया, ताकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में गंदगी न फैले

मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव से संबंधित किसी भी कमेटी में न रखने तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी प्रक्रिया से पूरी तरह दूर रखने का फैसला किया गया है | पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स सुदर्शन अग्रवाल और सुशील गुप्ता ने इस वर्ष हो रहे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में मुकेश अरनेजा की भूमिका को लेकर मिली गंभीर शिकायतों पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर असित मित्तल और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी विनोद बंसल के साथ विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया | मुकेश अरनेजा पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, सीओएल के सदस्य हैं और अगले रोटरी वर्ष के लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर हैं - लेकिन रोटेरियंस के बीच वह इन वजहों से नहीं बल्कि रोटेरियंस के साथ और उनके प्रति की जाने वाली अपनी बदतमीजियों, अपनी बदजुबानी, अपनी अवसरवादिता और पक्षपातपूर्ण गुंडागर्दी के लिए जाने/पहचाने जाते हैं | वह खुद भी अपने को 'डिस्ट्रिक्ट का गुंडा' कहते हैं और चाहते हैं कि रोटेरियंस उन्हें इसी रूप में जाने/पहचाने | नगरनिगमों के, विधानसभाओं के, लोकसभाओं के चुनाव के दौरान - पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार - सामाजिक अपराध और गुंडागर्दी कम हो जाती है | पुलिस अधिकारियों का अनुभव और अध्ययन है कि चुनाव के दौरान गुंडे राजनीतिक कार्यकर्त्ता बन जाते हैं और इसलिए सामाजिक अपराध कम हो जाते हैं - राजनीतिक अपराध बढ़ जाते हैं, लेकिन वह पुलिस का सरदर्द नहीं होते; वह चुनाव की देखरेख की जिम्मेदारी निभा रहे लोगों का सरदर्द होते हैं | इसी तर्ज़ पर रोटरी में जब भी चुनाव होते हैं, मुकेश अरनेजा की 'गुंडागर्दी' बढ़ जाती है |
इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के जो चुनाव हो रहे हैं उसमें भी उनकी 'गुंडागर्दी' की ख़बरें सुनने को मिल रही हैं | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के एक उम्मीदवार सतीश गुप्ता ने मुकेश अरनेजा की हरकतों की शिकायत सुदर्शन अग्रवाल और सुशील गुप्ता से की | यह दोनों पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स चुनावी तैयारियों का जायेजा लेने के लिए हुई एक मीटिंग में पञ्च की भूमिका में थे | मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर असित मित्तल को इस बात का अंदाज़ा था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव के संदर्भ में उनकी और मुकेश अरनेजा की भूमिका की शिकायत होगी, इसलिए वह इस मीटिंग को लगातार टालते आ रहे थे और इस कोशिश में थे कि यह मीटिंग न हो | लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के एक उम्मीदवार संजय खन्ना ने बार-बार इस मीटिंग को करने की मांग करके असित मित्तल को मजबूर किया कि वह इस मीटिंग को करें | इस मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के सभी उम्मीदवारों को आमंत्रित किया गया था और तीनों पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स को पञ्च की भूमिका निभानी थी | ओ पी वैश्य बाहर होने के कारण इस मीटिंग में शामिल नहीं हो सके | पञ्च की भूमिका निभा रहे सुदर्शन अग्रवाल और सुशील गुप्ता के सामने सबसे गंभीर शिकायत सतीश गुप्ता ने की | सतीश गुप्ता का कहना रहा कि मुकेश अरनेजा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में खुलेआम पक्षपातपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और न सिर्फ उनके बारे में झूठा प्रचार कर रहे हैं, बल्कि एक उम्मीदवार के समर्थन में क्लब्स के अध्यक्षों के घर-घर जा रहे हैं | सतीश गुप्ता की शिकायत रही कि अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने का फायदा उठाते हुए वह अगले रोटरी वर्ष में पदों का लालच देते हुए वोटरों को एक उम्मीदवार के पक्ष में करने का अभियान छेड़े हुए हैं | मुकेश अरनेजा की कारस्तानियों की शिकायत करते हुए सतीश गुप्ता ने मुकेश अरनेजा को चुनावी प्रक्रिया से पूरी तरफ बाहर रखने और दूर करने की मांग की | सतीश गुप्ता का कहना रहा कि यह इसलिए जरूरी है ताकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव निष्पक्ष तरीके से हो सके और चुनाव में गंदगी व बदमजगी न फैले |
सुदर्शन अग्रवाल और सुशील गुप्ता ने सतीश गुप्ता की शिकायतों को और उनकी मांग को गंभीरता से लिया तथा असित मित्तल और विनोद बंसल से विचार-विमर्श किया | असित मित्तल और विनोद बंसल को सतीश गुप्ता की शिकायतें और उनकी मांग अच्छी तो नहीं लगीं, लेकिन मुकेश अरनेजा की कारस्तानियों को सुन कर सुदर्शन अग्रवाल और सुशील गुप्ता का जो मूड उन्होंने देखा तो फिर मुकेश अरनेजा को बचाने की उन्होंने भी कोई कोशिश नहीं की | कोई कोशिश उन्होंने इसलिए भी नहीं की, क्योंकि सतीश गुप्ता ने जो शिकायत और जो मांग मुकेश अरनेजा के संदर्भ में की थी वह असित मित्तल के संदर्भ में भी की थी | असित मित्तल ने लेकिन कलाकारी दिखाते हुए पहले ही अपने आप चुनावी प्रक्रिया से दूर रहने की बात कह दी थी, और उनकी इस चालाकी से सारा फोकस मुकेश अरनेजा पर ही आ टिका था | असित मित्तल को लगा कि मुकेश अरनेजा को उन्होंने बचाने की कोशिश की तो कहीं बात न बिगड़ जाये और अभी वह खुद जो बचते हुए दिख रहे हैं कहीं दोबारा न फँस जाये ? असित मित्तल को इसी में अपनी भलाई नज़र आई कि मुकेश अरनेजा को फँसा दो और अपने को बचा लो | असित मित्तल ने यही किया | असित मित्तल और विनोद बंसल की संस्तुति मिलते ही सुदर्शन अग्रवाल और सुशील गुप्ता ने मुकेश अरनेजा को तड़ीपार करने का आदेश सुना दिया | दोनों पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स के आदेश के अनुसार मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव से संबंधित किसी भी कमेटी में शामिल नहीं किया जायेगा और ऐसी व्यवस्था की जायेगी कि मुकेश अरनेजा चुनाव के दौरान मतदाताओं को किसी भी तरह प्रभावित न कर सकें |
मुकेश अरनेजा के कारण रोटरी और डिस्ट्रिक्ट को इस तरह एक बार फिर लज्जित होना पड़ा है | उल्लेखनीय है कि नगरनिगमों के, विधानसभाओं के, लोकसभाओं के चुनाव के दौरान तो इस तरह की कार्यवाईयाँ होती सुनी गईं हैं कि चुनाव को शांतिपूर्ण व निष्पक्ष तरीके से संपन्न करने के लिए अपराधी व गुंडा तत्वों को जिलाबदर या तड़ीपार कर दिया जाता है - लेकिन रोटरी में यह इस तरह की पहली घटना ही है | मुकेश अरनेजा के लिए भी यह बहुत ही शर्मनाक फैसला है | पर किसी को भी यह विश्वास नहीं है कि मुकेश अरनेजा को पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी द्धारा उनके खिलाफ लिए गए इस फैसले पर कोई शर्म महसूस होगी | मुकेश अरनेजा के नजदीकियों के अनुसार, मुकेश अरनेजा ने इस फैसले पर अभी - इन पंक्तियों को लिखे जाते समय उक्त फैसला हुए करीब बयालीस घंटे हो रहे हैं - कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है; लेकिन इस फैसले के लिए उन्होंने संजय खन्ना को जिम्मेदार ठहराया है | उन्होंने कहा है कि संजय खन्ना हालाँकि उनके और असित मित्तल के खिलाफ शिकायत करने की तैयारी करते सुने गए थे, लेकिन ऐन मौके पर उन्होंने होशियारी दिखाई और सतीश गुप्ता को भड़का कर सतीश गुप्ता से उनके खिलाफ शिकायत करवा दी | मुकेश अरनेजा के अनुसार, संजय खन्ना को उनके समर्थकों ने समझाया होगा कि यदि वह असित मित्तल और मुकेश अरनेजा की शिकायत करेंगे तो उन दोनों के साथ उनका सीधा टकराव होगा, जिसे उन्हें टालना चाहिए | इसके बाद ही संजय खन्ना ने खुद शिकायत न करवा कर सतीश गुप्ता से शिकायत करवाई | सतीश गुप्ता से शिकायत करवा कर संजय खन्ना ने लोगों को यह दिखाने/जताने की चतुराई भी प्रकट की कि असित मित्तल और मुकेश अरनेजा से एक अकेले उन्हीं को शिकायत नहीं है, बल्कि दूसरे उम्मीदवारों को भी शिकायत है | मुकेश अरनेजा को दरअसल सतीश गुप्ता से यह उम्मीद नहीं थी कि वह उनके खिलाफ इस हद तक आक्रामक रवैया अपनाएंगे | मुकेश अरनेजा ने कोलकाता में हुए रोटरी इंस्टीट्यूट में सतीश गुप्ता को नीचा दिखाने की बहुत कोशिश की थी और उनके खिलाफ अनाप-शनाप बयानबाजी की थी, लेकिन सतीश गुप्ता ने उसपर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की थी | इससे मुकेश अरनेजा को लगा कि वह सतीश गुप्ता के साथ जैसा चाहें व्यवहार कर सकते हैं | मुकेश अरनेजा के लिए यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा है कि सतीश गुप्ता पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स के सामने उनकी शिकायत करते हुए उन्हें तड़ीपार कराने की मांग कर सकते हैं | सतीश गुप्ता ने लेकिन बता/दिखा दिया है कि उन्हें हलके में न लिया जाये | असित मित्तल और मुकेश अरनेजा की शिकायत के पीछे चाहें संजय खन्ना की प्रेरणा हो या उनकी स्वयं की रणनीति हो - सतीश गुप्ता ने यह तो जता ही दिया है कि जरूरत पड़ने पर वह सीधे टकराने का हौंसला भी रखते हैं | मुकेश अरनेजा को तड़ी पार करवाकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव को उन्होंने रोचक तो बना ही दिया है |

Thursday, January 5, 2012

राजेश बत्रा के खिलाफ की गई गाली-गलौचपूर्ण बातों को लेकर मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से हटाने की मांग

नई दिल्ली | मुकेश अरनेजा ने राजेश बत्रा के खिलाफ गाली-गलौचपूर्ण बातें करके अपने लिए मुसीबत ही पैदा कर ली है | उनकी बातों को सुनने वाले रोटेरियंस ने इस बात पर अफ़सोस ही प्रकट किया है कि मुकेश अरनेजा जिस तरह की घटिया बातें करते हैं और अपने साथी रोटेरियंस को ही नहीं, अपने साथी और अपने से वरिष्ठ गवर्नर्स को भी अपनानित करते रहते हैं, उसके बावजूद वह कैसे रोटरी में महत्व पा रहे हैं; और कैसे डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर तक का पद पा लेते हैं ? जिस डिस्ट्रिक्ट का ट्रेनर एक घटिया सोच का व्यक्ति होगा, उस डिस्ट्रिक्ट का क्या हाल होगा - इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है | मुकेश अरनेजा ने डिस्ट्रिक्ट के एक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर राजेश बत्रा के खिलाफ जिस तरह की गाली-गलौचपूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया - जिस भाषा को और उनके शब्दों को यहाँ लिखा जाना भी अशिष्टता होगी - उसे सुनकर कई रोटेरियंस यह मांग करने लगे हैं कि रोटरी के और डिस्ट्रिक्ट के भले के लिए मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से तुरंत हटाये जाने की जरूरत है | यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि पिछले रोटरी वर्ष में मुकेश अरनेजा अपनी इसी तरह की टुच्ची हरकतों और ओछी बातों के कारण डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से हटाये गए थे |
राजेश बत्रा जैसे वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के खिलाफ मुकेश अरनेजा को गाली-गलौचपूर्ण भाषा में बात करने की जरूरत आखिर पड़ी क्यों ? मुकेश अरनेजा दरअसल राजेश बत्रा से इसलिए नाराज़ हुए हैं क्योंकि राजेश बत्रा इस वर्ष हो रहे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में संजय खन्ना का समर्थन कर रहे हैं | मुकेश अरनेजा को लगता है कि डिस्ट्रिक्ट में गवर्नर चुनवाने का ठेका सिर्फ उनके पास है | इसलिए उन्हें यह बात बिलकुल पसंद नहीं आई कि राजेश बत्रा भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने की राजनीति करने लगे हैं | मुकेश अरनेजा को जब कोई बात पसंद नहीं आती तो फिर वह सीधे 'गुंडई' पर उतर आते हैं - फिर वह इस बात का भी लिहाज नहीं करते कि उनके सामने कौन है ? सामने फिर भले ही वरिष्ठ रोटेरियन राजेश बत्रा ही क्यों न हों, मुकेश अरनेजा को गाली-गलौच करने से कोई नहीं रोक सकता | रोटरी क्लब गाजियाबाद ग्रेटर के कार्यक्रम में जब राजेश बत्रा के कुछेक नज़दीकी और समर्थक मुकेश अरनेजा के सामने पड़ गए तो राजेश बत्रा के खिलाफ उनके मन में जमा गुस्सा एकदम से फूट पड़ा और वह राजेश बत्रा के बारे अनाप-शनाप बकने लगे | तमाम बकवास और गाली-गलौच करते हुए मुकेश अरनेजा ने राजेश बत्रा के नजदीकियों से चुनौतीपूर्ण शब्दों में कहा कि वह देखेंगे कि राजेश बत्रा कैसे संजय खन्ना को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का चुनाव जितवाते हैं ? रोटरी क्लब गाजियाबाद ग्रेटर के कार्यक्रम के बाद पेम थर्ड में भी जब कभी मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव की चर्चा करने का मौका मिला, तो उस चर्चा में मुकेश अरनेजा ने ज्यादा समय राजेश बत्रा को निशाना बनाने और उनके खिलाफ बदजुबानी करने पर ही खर्च किया |
राजेश बत्रा के खिलाफ मुकेश अरनेजा की इन मौकों पर सामने आई गाली-गलौच को कुछ लोगों ने राजेश बत्रा के प्रति उनकी निजी खुन्नस के रूप में देखा, तो कुछेक लोगों ने उनकी स्वाभाविक आदत के रूप में पहचाना | मुकेश अरनेजा की यह आदत है कि वह दूसरों को तरह-तरह से अपमानित करने का और नीचा दिखाने का प्रयास करेंगे; किसी के भी बारे में अपशब्दों का तथा अशालीन व अश्लील भाषा का प्रयोग करेंगे; और किसी पर भी रौब ज़माने/दिखाने का काम करेंगे | कई एक क्लब के अध्यक्षों का कहना कि वह किसी को भी पकड़ लेंगे और उससे पूछेंगे कि 'तू मुझे जानता नहीं है |' इस तरह की हरकतों के कारण मुकेश अरनेजा कई बार गंभीर किस्म के संकटों में भी फँसे हैं - पर संकट में फँसने पर वह खुशामद करने और माफी मांगने में भी देर नहीं लगाते | मुकेश अरनेजा में यह बला की शातिराना खूबी है कि जिस तेजी के साथ वह किसी को अपमानित करने की कोशिश करते हैं, दांव उल्टा पड़ने पर वह उतनी ही तेजी के साथ उसके हाथ-पैर भी जोड़ लेते हैं | अपना काम निकालने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं | सी ओ एल के चुनाव में रमेश अग्रवाल को धोखा देने के बाद, डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के लिए रमेश अग्रवाल की खुशामद करने में भी मुकेश अरनेजा ने देर नहीं लगाई | दरअसल यही कारण है कि तमाम 'राजनीतिक' कामयाबियों के बावजूद मुकेश अरनेजा की डिस्ट्रिक्ट में और रोटेरियंस के बीच कोई साख और सम्मान नहीं है |
मुकेश अरनेजा ने इस स्थिति को भांप/पहचान कर ही पिछले दिनों गंभीर होने और 'दिखने' की कोशिश की थी | लोगों को विश्वास होने लगा था कि मुकेश अरनेजा सुधरने की कोशिश कर रहे हैं | मुकेश अरनेजा ने खुद भी कहना/बताना शुरू किया था कि अब वह फालतू के झमेलों में नहीं पड़ेंगे, क्योंकि उन्होंने जान/समझ लिया है कि उनसे सिर्फ बदनामी ही मिलती है | पिछले कुछ दिनों में इन पंक्तियों के लेखक से भी उन्होंने कई बार कहा कि अब वह दूसरों के झमेलों में पड़ कर अपनी फजीहत नहीं कराएँगे | मुकेश अरनेजा को जानने/पहचानने वालों का हालाँकि हमेशा यही कहना रहा है कि जैसे कुत्ते की पूँछ को आप चाहें जितना प्रयास कर लें, सीधा नहीं कर सकते; वैसे ही मुकेश अरनेजा भी सुधर नहीं सकते हैं | राजेश बत्रा के खिलाफ बदमिजाजी भारी गाली-गलौच करके मुकेश अरनेजा ने इस बात को सही ही साबित कर दिया है | लोगों को लगता है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के बाद मुकेश अरनेजा का दिमाग पुनः ख़राब हो गया है और वह फिर से अपनी पुरानी फार्म में लौट आये हैं | एक वरिष्ठ पूर्व गवर्नर राजेश बत्रा के खिलाफ मुकेश अरनेजा के रवैये को देखते हुए कई एक लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया है कि मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से तुरंत हटाया जाना चाहिए | उनका तर्क है कि मुकेश अरनेजा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रहेंगे तो क्लब अध्यक्षों के बीच रोटरी तथा रोटरी के बड़े नेताओं की बुरी छवि ही बनेगी; और डिस्ट्रिक्ट की और रोटरी की बदनामी ही होगी |

Monday, January 2, 2012

गुरनाम सिंह हर तरह की चालबाजियों के बावजूद, एमएस भटनागर के मुकाबले छोटे ही साबित होते जा रहे हैं

लखनऊ | गुरनाम सिंह ने पहले तो पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना को पटा-पटू कर मल्टीपल काउंसिल में फैसला करवाया और फिर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रमोद चंद्र सेठ को दबाव में लेकर उस फैसले पर अमल करवाया और इस तरह एमएस भटनागर को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में किनारे लगाने का षड्यंत्र सफल बनाया | उल्लेखनीय है कि लायंस क्लब्स इंटरनेशनल की तर्ज़ पर गठित एलियंस क्लब्स इंटरनेशनल में पिछले कुछेक वर्षों में कई लायंस सदस्य सक्रिय हुए हैं | उनकी सक्रियता से दोहरी सदस्यता का विवाद भी खड़ा हुआ, लेकिन लायंस इंटरनेशनल की तरफ से इस विवाद पर यह घोषणा करके रोक लगा दी गई कि कोई भी लायंस किसी दूसरे स्वयंसेवी संगठन का सदस्य हो सकता है |
लायंस इंटरनेशनल की इस घोषणा के बाद उक्त विवाद स्वतः ही थम गया | लेकिन डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन के कुछेक लायंस सदस्यों के एलियंस क्लब्स इंटरनेशनल में सक्रिय होते ही यह विवाद फिर उठ खड़ा हुआ | उठ खड़ा नहीं हुआ, यह कहना ज्यादा सही होगा कि उसे जबर्दस्ती और मनमाने तरीके से खड़ा कर दिया गया | दरअसल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एमएस भटनागर को एलियंस क्लब्स इंटरनेशनल में सक्रिय होता देख दूसरे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर गुरनाम सिंह को एमएस भटनागर से निपटने के लिए षड्यंत्र रचने का मौका नज़र आया |
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गुरनाम सिंह की चौधराहट को चुनौती देने का काम एक अकेले एमएस भटनागर ही करते रहे हैं | मजे की बात यह रही है कि एमएस भटनागर के पास या उनके साथ कोई बड़ा राजनीतिक आधार नहीं है, लेकिन फिर भी वह लगातार गुरनाम सिंह के लिए चुनौती बने रहे हैं | महत्वपूर्ण बात यह भी है कि एमएस भटनागर कभी भी गुरनाम सिंह को राजनीतिक पटखनी नहीं दे सके हैं, लेकिन फिर भी गुरनाम सिंह के लिए वह लगातार मुसीबत बने रहे हैं | गुरनाम सिंह और उनके लोगों के बीच एमएस भटनागर का ऐसा खौफ़ रहा है कि डिस्ट्रिक्ट में गुरनाम सिंह को अपनी इच्छा के खिलाफ जब कभी एक पत्ता भी हिलता हुआ दिखा है, तो उन्होंने उसके पीछे एमएस भटनागर का हाथ होने का ही ऐलान किया है |
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में जिस किसी ने भी गुरनाम सिंह के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दिखाई - गुरनाम सिंह से मात खाने के बाद वह चुप बैठ गया; लेकिन एमएस भटनागर एक अकेले ऐसे निकले जो गुरनाम सिंह से मात खाने के बावजूद चुप नहीं बैठे और निरंतर गुरनाम सिंह की नाक में दम किए रहे हैं | एमएस भटनागर ने दरअसल गुरनाम सिंह के साथ किसी तरह की कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं की - उन्होंने तो लगातार बस यही कोशिश की कि गुरनाम सिंह लायनिज्म को और डिस्ट्रिक्ट को अपनी निजी मिल्कियत न समझें और लायन सदस्यों व पदाधिकारियों पर धौंस न जमायें | गुरनाम सिंह ने तो एमएस भटनागर के साथ कई बार गाली-गलौचपूर्ण बदतमीजी की, लेकिन एमएस भटनागर ने कभी उनकी पीठ पीछे भी उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं किया |
एमएस भटनागर हमेशा यही कहते रहे हैं कि गुरनाम सिंह के साथ उनका कोई व्यक्तिगत झगड़ा थोड़े ही है, वह तो चूँकि लायनिज्म को लायनिज्म की भावना और उसके मानदंडों के साथ चलाने की बात कहते हैं जो गुरनाम सिंह को बुरी लगती है | एमएस भटनागर का लगातार यह कहना रहा है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में किसी को भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर या किसी दूसरे पदाधिकारी के काम में दखल नहीं देना चाहिए और उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक काम करने देना चाहिए | एमएस भटनागर का स्पष्ट मत रहा है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में कोई पक्ष नहीं बनना चाहिए और किसी उम्मीदवार का सक्रिय समर्थन या सक्रिय विरोध नहीं करना चाहिए और डिस्ट्रिक्ट के लोगों को अपने विवेक व अपनी समझ के भरोसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का चुनाव करने देना चाहिए | लायनिज्म में और डिस्ट्रिक्ट में एमएस भटनागर की जो भी सक्रियता रही है, वह चूँकि वास्तव में लायनिज्म को लेकर रही है; और एमएस भटनागर ने लायनिज्म में अपनी सक्रियता को किन्हीं टुच्ची महत्वाकांक्षा(ओं) को प्राप्त करने का साधन नहीं बनाया - इसलिए लोगों की नज़र में उनका नैतिक कद गुरनाम सिंह से हमेशा ऊँचा ही रहा |
गुरनाम सिंह चुनावी तिकड़मबाजी में हमेशा एमएस भटनागर पर भारी साबित हुए, लेकिन बात जब लायनिज्म की होती या लोगों को मान-सम्मान देने की होती तो गुरनाम सिंह के मुकाबले पलड़ा हमेशा एमएस भटनागर का भारी निकलता/दिखता | गुरनाम सिंह के लिए इस बात को - इस सच्चाई को - हज़म कर पाना लगातार मुसीबत बना रहा |
गुरनाम सिंह को यह स्वीकार करने - और बार-बार स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि डिस्ट्रिक्ट में चौधराहट उनकी चलती है, नेतागिरी उनकी है, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के लिए लोग खुशामद उनकी करते हैं, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उनके यहाँ 'पानी भरता' है - लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट में और मल्टीपल में और लायन सदस्यों में कद एमएस भटनागर का ऊँचा है |
लोग यह फर्क खूब समझते हैं कि गुरनाम सिंह लायनिज्म की आड़ में दादागिरी करते हैं, लोगों के साथ गाली-गलौच करते हुए उन्हें अपमानित करते हैं, और यह सब अपनी मनमानी चलाने/थोपने के लिए करते हैं - लेकिन एमएस भटनागर सचमुच लायनिज्म करते हैं, दूसरों के मान-सम्मान का ख्याल रखते हैं, और सभी को बराबर का दर्ज़ा देते हुए सभी के लिए समान अवसर की वकालत करते हैं | यही कारण है कि एमएस भटनागर के मुकाबले लगातार 'जीतते' हुए भी गुरनाम सिंह 'हारे' हुए दिखते हैं | दूसरों की तो छोड़िये, अपनी खुद की नज़रों में गुरनाम सिंह अपने आप को एमएस भटनागर से पिछड़ता हुआ पाते हैं |
एमएस भटनागर की 'कामयाबी' गुरनाम सिंह को किस कदर 'डराती' रही है - इसे समझने के लिए इस बात पर गौर करना काफी होगा कि इस वर्ष मधु कुमार की उम्मीदवारी को समर्थन देने से गुरनाम सिंह के साफ इंकार कर देने के बाद भी मधु कुमार जब अपनी उम्मीदवारी को लेकर डटी रहीं तो गुरनाम सिंह के गुस्से का शिकार एमएस भटनागर को होना पड़ा | गुरनाम सिंह ने यही माना और प्रचारित किया कि मधु कुमार की उम्मीदवारी को एमएस भटनागर की शह है | एक तरफ तो गुरनाम सिंह यह दावा करते हैं कि जिस उम्मीदवार को उनका समर्थन होगा, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वही चुना जायेगा - उनका यह दावा सही भी साबित होता रहा है - लेकिन दूसरी तरफ उनकी रातों की नींद और दिन का चैन इस बात से उड़ता रहा है कि एमएस भटनागर क्या कर रहे हैं ?
गुरनाम सिंह और उनकी 'कंपनी' के लोग जब-तब यह भी उड़ाते रहते हैं कि एमएस भटनागर इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की दौड़ में हैं और लायनिज्म में उनकी सारी सक्रियता वास्तव में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए तैयारी करने के संदर्भ में है | अब अगर यह सच भी है, तो इसमें आरोप वाली भला क्या बात है और इसके चलते गुरनाम सिंह और उनकी कंपनी के लोगों को नाराज़ क्यों होना चाहिए ? हो सकता है कि एमएस भटनागर की लायनिज्म में कोई महत्वाकांक्षा हो; हो सकता है कि वह सचमुच इंटरनेशनल डायरेक्टर बनना चाहते हों और अपने तरीके से उसकी तैयारी कर रहे हों - तो यह बहुत स्वाभाविक ही है; लेकिन उन्होंने इसे अभी तक किसी के सामने जाहिर नहीं किया है |
एमएस भटनागर के नजदीकियों का कहना है कि उनका काम करने का तरीका दूसरे लायन नेताओं से बिल्कुल ही अलग है - एमएस भटनागर काम करने में विश्वास रखते हैं और अपनी महत्वाकांक्षाओं को हर समय ही प्रकट नहीं करते रहते हैं; वह उचित समय का इंतजार करते हैं और उचित समय पर ही अपनी महत्वाकांक्षा को जाहिर करते हैं |
गुरनाम सिंह को इसमें भी अपने लिए चुनौती नज़र आती है | उन्हें यह बात बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती कि उनके डिस्ट्रिक्ट में कोई कुछ होना चाहता है, लेकिन उनसे मदद ही नहीं मांग रहा है |
मौजूदा लायन वर्ष शुरू होने से पहले, गुरनाम सिंह ने षड्यंत्रपूर्ण तरीके से एमएस भटनागर को उनके पद से हटवा कर उनका पद लज्जा कौल को दिलवा दिया था | गुरनाम सिंह की इच्छा थी और कोशिश थी कि पद बचाने के लिए एमएस भटनागर उनकी खुशामद में जुटेंगे; एमएस भटनागर ने गुरनाम सिंह की इस हरकत का प्रचार तो खूब किया लेकिन अपना पद बचाने के लिए उन्होंने गुरनाम सिंह से कोई गुहार नहीं लगे | एमएस भटनागर के इस रवैये पर गुरनाम सिंह के लिए फड़फड़ाना स्वाभाविक ही था | उन्होंने अपने आप को एमएस भटनागर के सामने बहुत 'छोटा' पाया |
इस तरह, एमएस भटनागर को तरह-तरह से अपमानित करने और अलग-थलग करने के लिए गुरनाम सिंह जो भी हथकंडा आजमाते, उससे एमएस भटनागर का कद और ऊँचा ही होता जाता तथा गुरनाम सिंह अपने आप को एमएस भटनागर के मुकाबले और छोटा होता हुआ पाते/देखते |
एमएस भटनागर से लगातार मिल रही इस चुनौती ने गुरनाम सिंह को परेशान करके रखा हुआ था | इसीलिए जैसे ही उन्हें खबर मिली कि एमएस भटनागर ने एलियंस क्लब्स इंटरनेशनल ज्वाइन कर लिया है, उन्हें एमएस भटनागर को किनारे लगा देने का मौका नज़र आया | गुरनाम सिंह ने फर्जी तरीकों का इस्तेमाल करके ऐलान करवा दिया है कि डिस्ट्रिक्ट का कोई क्लब एमएस भटनागर को अपने कार्यक्रमों में आमंत्रित न करे और प्रोटोकॉल के चलते एमएस भटनागर किसी भी कार्यक्रम में जिस सम्मान के हक़दार हैं, उन्हें वह सम्मान न दें |
गुरनाम सिंह को लगता है कि इस तरह की तिकड़मों से वह एमएस भटनागर के मुकाबले अपने आप को ऊँचा दिखा सकेंगे; पर हो यह रहा है कि इस तरह की चालबाजियों से वह एमएस भटनागर के मुकाबले अपने आप को और छोटा करते-बनाते-दिखाते तथा साबित करते जा रहे हैं |