Saturday, January 21, 2012

रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3100 में संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर ने जो किया, उसके पीछे सुधीर खन्ना का हाथ होने की बातों ने मामले को गंभीर बनाया

मुरादाबाद | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज कुमार अग्रवाल इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए होने वाले चुनाव में अकेले रह गए उम्मीदवार संजीव रस्तोगी और उनके नज़दीकियों के सीधे निशाने पर आ गए हैं | संजीव रस्तोगी और उनके समर्थकों व शुभचिंतकों का स्पष्ट आरोप है कि उनके और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दूसरे उम्मीदवार वीके भटनागर के बीच दोस्ताना समझौता हो जाने को नीरज कुमार अग्रवाल ने पसंद नहीं किया है और इस समझौते को अपने गवर्नर-काल की डिस्ट्रिक्ट कांफ्रेंस को नुकसान पहुँचाने की कोशिश के रूप में देखा/पहचाना है, इसलिए वह संजीव रस्तोगी को सबक सिखाना चाहते हैं और कोशिश करना चाहते हैं कि संजीव रस्तोगी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर न चुने जाएँ | नीरज कुमार अग्रवाल इन आरोपों से साफ इंकार करते हैं | उनका कहना है कि संजीव रस्तोगी की उम्मीदवारी यदि खतरे में पड़ी दिख रही है, तो इसके लिए वह खुद ही जिम्मेदार हैं | नीरज कुमार अग्रवाल का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में संजीव रस्तोगी ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों को और क्लब्स के पदाधिकारियों को जिस तरह अपमानित और लांछित किया है और उससे रोटेरियंस के बीच जो नाराजगी है और जिस नाराजगी के कारण संजीव रस्तोगी को 'मिलता' हुआ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद 'छिनता' हुआ दिख रहा है - वह सब संजीव रस्तोगी के खुद के किए-धरे का नतीजा है | नीरज कुमार अग्रवाल का साफ कहना है कि अपने किए-धरे का जो नतीजा संजीव रस्तोगी के सामने आ रहा है, उससे बौखला कर संजीव रस्तोगी उन्हें नाहक ही निशाना बना रहे हैं |
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में अचानक से उस समय गर्मी आ गई, जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दोनों उम्मीदवारों - संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर ने एक संयुक्त पत्र के जरिये लोगों को बताया कि चूंकि उन्होंने पाया है कि डिस्ट्रिक्ट में गवर्नर पद का चुनाव लूट-खसोट का जरिया बन गया है; क्लब के पदाधिकारी और डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ रोटेरियंस तरह-तरह से उम्मीदवारों से पैसा बसूलने का प्रयास करते हैं और क्लब के वोट खुलेआम बिकते हैं इसलिए वह आपस में मिलबैठ कर यह फैसला करेंगे कि उनमें से कोई एक ही उम्मीदवार होगा और इस तरह वह चुनाव की नौबत को टालेंगे ताकि चुनाव के नाम पर धंधा करने वाले लोगों को अपनी जेबें भरने का मौका ही न मिले | इंटरनेशनल प्रेसीडेंट कल्याण बनर्जी को लिखे इस पत्र को डिस्ट्रिक्ट के लोगों को भेजने के साथ-साथ रोटरी इंटरनेशनल के वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी भेजा गया | इस पत्र के सामने आने के कुछ दिन बाद ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के एक उम्मीदवार वीके भटनागर ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और संजीव रस्तोगी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अकेले उम्मीदवार रह गए | लेकिन इससे पहले डिस्ट्रिक्ट में बबाल मच गया था |
डिस्ट्रिक्ट में वरिष्ठ रोटेरियंस से लेकर क्लब्स के पदाधिकारियों तक ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज कुमार अग्रवाल से संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर द्धारा लिखे और भेजे गए पत्र में कहीं गई बातों का संज्ञान लेने की मांग की | इस मांग के आधार पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने दोनों उम्मीदवारों को पत्र लिख कर उनसे पूछा कि उनसे किन-किन लोगों ने पैसा बसूलने का प्रयास किया और किन-किन लोगों ने उन्हें अपना-अपना वोट बेचने का प्रस्ताव दिया | अपने पत्र में वोट के बदले पैसा बसूले जाने का खुला आरोप लगाने वाले संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के इस पत्र का कोई जबाव नहीं दिया | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज कुमार अग्रवाल ने दोनों उम्मीदवारों से इस बात का भी जबाव मांगा था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में उक्त पत्र लिख कर उन्होंने चुनावी आचार संहिता का तथा डिस्ट्रिक्ट के नियमों का जो उल्लंघन किया है, उसके कारण उनका नामांकन रद्द क्यों न कर दिया जाए | दोनों उम्मीदवारों ने इसके जबाव में सिर्फ यह कहा कि उन्होंने चुनावी आचार संहिता का तथा किसी नियम का कोई उल्लंघन नहीं किया है |
संजीव रस्तोगी ने (और वीके भटनागर ने भी, हालाँकि उम्मीदवारी वापस ले लेने के बाद उनका कोई ज्यादा मतलब नहीं रह गया है) एक मामले में चुप्पी साध कर और एक मामले में यह जबाव देकर कि उन्होंने चुनावी आचार संहिता का तथा किसी नियम का कोई उल्लंघन नहीं किया है, अपने आप को बचाने की कोशिश तो की है लेकिन वह भी जान/समझ रहे हैं कि गुनाह तो उन्होंने किया ही है | चुनावी आचार संहिता का तथा डिस्ट्रिक्ट के नियमों का तो उन्होंने स्पष्ट उल्लंघन किया ही है, डिस्ट्रिक्ट के छोटे-बड़े सभी रोटेरियंस को भी उन्होंने 'तगड़ी' गाली दी है और सभी को वोट के बदले पैसा बसूलने वाला घोषित कर दिया है | संजीव रस्तोगी के इस आरोप पर रोटेरियंस बिफरे पड़े हैं और बाकायदा प्रस्ताव पास करके या डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को पत्र लिख कर अपना रोष और विरोध प्रकट कर रहे हैं | डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज कुमार अग्रवाल का दावा है कि डिस्ट्रिक्ट के नब्बे प्रतिशत से भी अधिक क्लब्स ने संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर के खिलाफ कार्यवाई करने और उनकी रोटरी सदस्यता समाप्त करने तक की मांग की है | यह मांग करने वालों का तर्क है कि इन दोनों ने डिस्ट्रिक्ट को, डिस्ट्रिक्ट के लोगों को और रोटरी को बदनाम किया है | यह मांग करने वालों का कहना है कि संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर को जब यह लगता है कि उनके साथ के रोटेरियंस के लिए रोटरी एक धंधा है और वह किसी भी तरह से पैसा बसूलने की तिकड़म में रहते हैं तो उन्हें ऐसे रोटेरियंस के साथ रहने, ऐसे रोटेरियंस वाले डिस्ट्रिक्ट का गवर्नर बनने की जरूरत क्या है और क्यों है ?
संजीव रस्तोगी ने अपने आप को चारों तरफ से घिरा देख/पा कर ही नीरज कुमार अग्रवाल को सीधा निशाना बना लिया है | दरअसल नीरज कुमार अग्रवाल को सीधा निशाना बनाने की प्रेरणा यह देख/जान कर मिली कि कुछेक लोगों का मानना/कहना रहा कि संजीव रस्तोगी ने जो किया है वह गलत तो है लेकिन यह कोई इतनी बड़ी गलती नहीं है कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने से रोका जाए | कुछेक लोगों के यह मानने/कहने से संजीव रस्तोगी को बल मिला और उन्होंने समझ लिया है कि यदि वह नीरज कुमार अग्रवाल को निशाना बनाते हैं, तो एक तो उन्हें लोगों की सहानुभूति मिल जाएगी और दूसरे उन्हें नीरज कुमार अग्रवाल से खार खाने वालों का समर्थन मिल जाएगा | 'आक्रमण बचाव का अच्छा तरीका है' वाले लोकप्रिय फार्मूले को अपनाते हुए, संजीव रस्तोगी ने अपने आप को बचाने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नीरज कुमार अग्रवाल को सीधे निशाने पर लेने की जो कोशिश की, उसने लेकिन मामले को और पेचीदा बना दिया है |
संजीव रस्तोगी (और वीके भटनागर) का 'अपराध' दरअसल उतना सीधा है नहीं, जितना सीधा वह नज़र आ रहा है | किसी के लिए भी इस बात को समझ पाना मुश्किल बना हुआ है कि जो 'बात' इन्होंने की है चूंकि उससे यह बहुत अच्छे से परिचित रहे हैं - संजीव रस्तोगी पर तो पिछले रोटरी वर्ष में राकेश सिंघल की तरफ से लोगों को पैसे बाँटने का आरोप तक लगा था; इस वर्ष अपनी-अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करते हुए भी संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर दावा कर रहे थे कि उन्हें अच्छी तरह पता है कि चुनाव जीतने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपनाने पड़ते हैं और वह कुछ भी करने से पीछे नहीं हटेंगे - तब फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि यह दोनों साधुओं की सी भाषा बोलने लगे | हर कोई यह मानता और कहता है कि संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर को यदि कुछ गलत नहीं भी करना था और लोगों के हाथों अपना शोषण नहीं भी कराना था तो चुपचाप से वह यह कर सकते थे जो उन्होंने किया | जो शोर उन्होंने अब किया, उस शोर को उन्हें तब करना चाहिए था जब लूट-खसोट की घटनाएँ हो रही थीं या जब उन्हें उनके बारे में पता चला था | चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडा अपनाने की बात करते-करते अचानक से उन्होंने जो यू-टर्न लिया, उसमें कई लोगों को 'दूसरी' राजनीति की गंध आती है | लोगों को लगता है कि 'कुछ लोगों' ने नीरज कुमार अग्रवाल के गवर्नर-काल की डिस्ट्रिक्ट कांफ्रेंस को खराब और बदनाम करने के उद्देश्य से संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर को इस्तेमाल किया है तथा उनसे उक्त पत्र लिखवाया | ऐसा मानने वालों में अधिकतर का इशारा सुधीर खन्ना की तरफ है | नीरज कुमार अग्रवाल और सुधीर खन्ना के बीच 'शीतयुद्ध' की खबरें चूँकि आम हैं, इसलिए सुधीर खन्ना का हाथ होने की बातों पर लोगों का सहज विश्वास भी हो गया है | संजीव रस्तोगी के प्रति सहानुभूति का रवैया अपनाने/दिखाने वालों में चूँकि अधिकतर लोग सुधीर खन्ना के नजदीकी हैं, इसलिए भी इस प्रकरण में सुधीर खन्ना का हाथ होने की बात को बल मिला | सुधीर खन्ना और उनके नज़दीकियों ने इस प्रकरण में किसी भी तरह की भूमिका से लेकिन साफ इंकार किया है | उनका यही कहना है कि इससे उन्हें क्या हासिल होने वाला है ?
सच क्या है, यह तो करने वाले जानें - लेकिन एक बात पर अधिकतर लोग सहमत हैं कि संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर ने जो किया है उससे डिस्ट्रिक्ट की बदनामी तो हुई ही है, डिस्ट्रिक्ट के लोगों और पदाधिकारियों के लिए भी लज्जा और अपमान की स्थिति बनी है | लोगों का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार अपनी कमजोरियों को छिपाने तथा लोगों का समर्थन पाने के लिए खुद ही तो पैसे खर्च करते हैं, और फिर लोगों को बदनाम करते हैं | पिछले वर्षों में कुछेक ऐसे लोग भी उम्मीदवार बने जिनमें काबिलियत तो दो पैसे की नहीं थी, लेकिन अपने पैसे के बल पर वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन बैठे | यह देख/जान कर ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में पैसे का बोलबाला हो गया | लोगों को संजीव रस्तोगी के रवैये पर इसीलिए गुस्सा है कि पिछले वर्ष संजीव रस्तोगी ने खुद ही तो राकेश सिंघल के लिए वोट जुटाने की खातिर पैसे का इस्तेमाल किया और अब वह रोटेरियंस को बदनाम और लांछित कर रहे हैं | कुछ संजीव रस्तोगी के प्रति इस गुस्से के कारण और कुछ लोगों के इस विश्वास के कारण कि इस झमेले के पीछे सुधीर खन्ना का हाथ है जिन्होंने नीरज कुमार अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट कांफ्रेंस को खराब करने के उद्देश्य से यह षड्यंत्र रचा - यह मामला गंभीर हो उठा है और विश्वास किया जा रहा है कि नीरज कुमार अग्रवाल को नीचा दिखाने की यह जो कोशिश हुई है उसे नीरज कुमार अग्रवाल आसानी से पूरा नहीं होने देंगे | नीरज कुमार अग्रवाल को इस मामले में चूंकि क्लब्स के पदाधिकारियों तथा डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ रोटेरियंस का भी समर्थन मिल रहा है - इसलिए समझा जा रहा है कि संजीव रस्तोगी और वीके भटनागर को अपने किए-धरे का भुगतान तो करना ही होगा |