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अशोक महाजन ने जिस चतुराई से मधु रूघवानी का 'शिकार' किया है, उसे देख कर एक दूसरे पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता ने मुकेश अरनेजा को अपने हाथ से निकल गया समझ लिया है । सुशील गुप्ता दरअसल जानते हैं कि मुकेश अरनेजा चूँकि बहुत ही लालची और स्वार्थी किस्म के रोटेरियन हैं इसलिए अशोक महाजन उन्हें किसी भी पद का लालच देकर बहुत ही आसानी से अपना शिकार बना लेंगे । उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार चुनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में मुकेश अरनेजा भी एक सदस्य हैं, और उम्मीद की जाती है कि मुकेश अरनेजा नोमीनेटिंग कमेटी में सुशील गुप्ता के फैसले को ही दर्ज करेंगे । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए यूँ तो कई उम्मीदवार हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला डिस्ट्रिक्ट 3140 के भरत पांड्या तथा डिस्ट्रिक्ट 3060 के मनोज देसाई के बीच ही देखा/पहचाना जा रहा है । लोगों के बीच की चर्चाओं के अनुसार, भरत पांड्या की उम्मीदवारी की कमान अशोक महाजन के हाथ में तथा मनोज देसाई की उम्मीदवारी की कमान सुशील गुप्ता के हाथ में है । अशोक महाजन और सुशील गुप्ता अपने-अपने तरीके से क्रमशः भरत पांड्या और मनोज देसाई के लिए समर्थन जुटाने की तरकीबें लगा रहे हैं । अशोक महाजन की सक्रियता से जोन 4 बी के डिस्ट्रिक्ट्स में भरत पांड्या का पलड़ा भारी दिख रहा है, तो सुशील गुप्ता की सक्रियता के चलते जोन 4 ए के डिस्ट्रिक्ट्स में मनोज देसाई की उम्मीदवारी को अच्छा समर्थन देखा/समझा जा रहा है ।
सभी जानते हैं कि रोटरी की राजनीति में अशोक महाजन और सुशील गुप्ता सिर्फ दो नाम नहीं हैं, बल्कि यह दो ग्रुप्स का प्रतिनिधित्व करते हैं । अशोक महाजन को राजेंद्र उर्फ राजा साबू खेमे का और सुशील गुप्ता को कल्याण बनर्जी खेमे के प्रतिनिधि के रूप में देखा/पहचाना जाता है । कल्याण बनर्जी पद दिलवाने वाली राजनीति तो कर लेते हैं, लेकिन ‘सड़क’ की राजनीति में कमजोर पड़ते हैं; राजा साबू दोनों तरह की राजनीति के उस्ताद हैं । राजा साबू इस मामले में भी खुशकिस्मत हैं कि उन्हें अपने ही जैसा उस्ताद अशोक महाजन के रूप में मिल गया है - और इसीलिए उन्होंने अपने खेमे की कमान अशोक महाजन को सौंप दी है । कल्याण बनर्जी खेमा अराजकता का शिकार है । वहाँ वही जाता है, जिसे राजा साबू खेमे में जगह नहीं मिलती - और फिर उसे अपने तरीके से लड़ाई लड़नी पड़ती है । सुशील गुप्ता जब इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवार थे, तब राजा साबू ने उनकी राह में काँटे तो बहुत बिछाये थे, लेकिन सुशील गुप्ता ने अपने भरोसे अपना चुनाव ‘मैनेज’ किया था - कल्याण बनर्जी से तो उन्हें सिर्फ भावनात्मक सहारा मिला था । यही हाल शेखर मेहता का हुआ था । शेखर मेहता का बनता-बनता काम खराब करने के लिए उनके डिस्ट्रिक्ट में से ही उनके लिए चुनौती पैदा करवा दी गई थी, और शेखर मेहता ने अपने दम पर ही उस चुनौती का मुकाबला किया था । पिछले दिनों संपन्न हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में पीटी प्रभाकर का खेल बिगाड़ने की भी राजा साबू खेमे ने हर संभव कोशिश की, जिससे पीटी प्रभाकर को खुद ही निपटना पड़ा और उन्हें कल्याण बनर्जी से कोई मदद नहीं मिली । दोनों खेमों के बीच सबसे संगीन लड़ाई - अशोक महाजन और मनोज देसाई के बीच हुए चुनाव में हुई थी । मनोज देसाई ने अशोक महाजन को नाको चने तो चबवा दिए थे, लेकिन राजा साबू खेमे की संगठित ताकत के सामने अंततः उन्हें हार का सामना ही करना पड़ा था । उस समय भी यह कहने/मानने वालों की कमी नहीं थी कि कल्याण बनर्जी यदि सक्रियता दिखाते तो अशोक महाजन की जगह मनोज देसाई इंटरनेशनल डायरेक्टर बनते । कल्याण बनर्जी लेकिन अपने स्वार्थ में राजा साबू से सीधे टकराने को तैयार नहीं हुए । कल्याण बनर्जी को इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनना था, जिसमें राजा साबू लगातार रोड़े अटका रहे थे । कल्याण बनर्जी ने समझ लिया था कि उन्हें यदि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनना है तो राजा साबू से पंगा लेने से बचना होगा - और इसीलिए उन्होंने मनोज देसाई की उम्मीदवारी की बलि ले ली थी ।
मनोज देसाई अब की बार फिर से उसी चक्रव्यूह में फंसे हैं - कल्याण बनर्जी के नजदीक समझे जाने के बावजूद उन्हें कल्याण बनर्जी का समर्थन तो नहीं ही मिल रहा है, शेखर मेहता ने भी हाथ उँचे कर दिए हैं । शेखर मेहता को रोटरी में अभी और ‘यात्रा’ करनी है, और इसलिए वह राजा साबू और उनके सिपहसालारों से बिगाड़ना नहीं चाहते हैं । रोटरी में आगे की यात्रा सुशील गुप्ता को भी करनी है, लेकिन सुशील गुप्ता ने जान/समझ लिया है कि राजा साबू और उनके सिपहसालारों का उन्हें कभी भी समर्थन नहीं मिलेगा और उन्हें उनसे लड़ कर ही यहाँ कुछ पाना है । सो, एक वही मनोज देसाई के लिए कुछ करते हुए दिख रहे हैं । लेकिन मनोज देसाई के लिए सुशील गुप्ता जो कर रहे हैं, वह भरत पांड्या के लिए अशोक महाजन के किए.धरे के सामने कुछ भी नहीं है । अशोक महाजन ने मधु रूघवानी को जिस तरह से रास्ते से हटाया है, वह तो सिर्फ एक बानगी है । चुनावी चर्चाओं के अनुसार, अशोक महाजन का अगला निशाना मुकेश अरनेजा हैं । रोटरी में मुकेश अरनेजा को पदों के मामले में एक लालची व्यक्ति के रूप में जाना/पहचाना जाता है । उन्हें हरेक पद चाहिए होता है, और पद पाने के लिए वह किसी की भी खुशामद करने के लिए और किसी के साथ भी धोखाधड़ी करने को तैयार रहते हैं । उनकी इसी फितरत को देख कर सुशील गुप्ता को डर हुआ है कि अशोक महाजन कभी भी उनका शिकार कर सकते हैं । मुकेश अरनेजा को सुशील गुप्ता अभी अपने कहे में मान/समझ रहे हैं और विश्वास करते हैं कि नोमीनेटिंग कमेटी में वह मनोज देसाई को वोट देंगे । लेकिन अशोक महाजन जिस तरह से शिकारी बने घूम रहे हैं, उसे देख/जान कर सुशील गुप्ता को लगने लगा है कि मुकेश अरनेजा का शिकार तो वह पक्का कर ही लेंगे । नोमीनेटिंग कमेटी में समर्थन जुटाने के लिए मनोज देसाई जोन 4 ए के डिस्ट्रिक्ट्स के समर्थन के भरोसे हैं - ऐसे में, मुकेश अरनेजा ने उनके साथ यदि कोई धोखा किया तो उनका खेल बिगड़ सकता है । जोन 4 बी के डिस्ट्रिक्ट्स में भरत पांड्या का पलड़ा शुरू से ही भारी दिख रहा है - ऐसे में, मधु रूघवानी की उम्मीदवारी से मनोज देसाई को अपना काम आसान होता हुआ नजर आ रहा था । उन्हें लगा था कि मधु रूघवानी जो कुछ भी पायेंगे, वह भरत पांड्या को ही नुकसान पहुँचायेगा । जो बात मनोज देसाई देख/समझ रहे थे, वही बात भरत पांड्या और अशोक महाजन भी देख/समझ रहे थे । इसीलिए अशोक महाजन ने जब मधु रूघवानी को रास्ते से हटा लेने में सफलता प्राप्त कर ली, तो भरत पांड्या के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी और मनोज देसाई के समर्थकों को निराशा ने घेर लिया था । मनोज देसाई के समर्थक नेता नोमीनेटिंग कमेटी में के अपने लोगों को अशोक महाजन का शिकार बनने से बचाने की मुहिम में जुटे हैं - ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि अशोक महाजन उनकी मुहिम को कैसे धता बताते हैं; धता बता पाते भी हैं या नहीं ?