Friday, December 6, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में सुरेश भसीन को अगला 'रमेश अग्रवाल' और 'सुधीर मंगला' बनाने की कोशिश

नई दिल्ली । सुधीर मंगला का डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार चुना जाना जिन लोगों को पसंद नहीं आ रहा है, वह लोग सुधीर मंगला के चुने जाने में हुई राजनीति और बेईमानी की शिकायत करने के लिए सुरेश भसीन को उकसाने/तैयार करने के 'काम' में लग गए हैं । सुरेश भसीन ने हालाँकि अभी इसके लिए अपनी कोई सहमति व्यक्त नहीं की है, लेकिन 'काम' में लगे लोगों ने भरोसा व्यक्त किया है कि वे सुरेश भसीन को राजी कर लेंगे । ऐसे लोगों का सबसे जोरदार तर्क है कि हाल के वर्षों में यह ट्रेंड देखने को मिला है कि पहली बार में पिछड़ जाने वाला उम्मीदवार जब अधिकृत उम्मीदवार के चुने जाने की प्रक्रिया को चेलैंज करता है, तो अगली बार वह जीत जाता है । रमेश अग्रवाल के साथ ऐसा ही हुआ था : पहली बार जब वह असित मित्तल से पिछड़ गए थे और अधिकृत उम्मीदवार नहीं चुने गए थे, तो उन्होंने चुनावी प्रक्रिया को लेकर रोटरी इंटरनेशनल में जोरदार शिकायत दर्ज करवाई थी । शिकायत पर कोई कार्रवाई न तो होनी थी और न हुई - लेकिन रमेश अग्रवाल की उस सक्रियता का नतीजा यह जरूर निकला कि अगली बार तमाम प्रतिकूल हालात के बावजूद वह जीत गए ।
सुधीर मंगला के साथ भी यही हुआ । पिछली बार अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने की प्रक्रिया में उन्हें जेके गौड़ से मात खानी पड़ी थी । जिसके बाद, चुनाव में धाँधली की शिकायतें लेकर उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल का दरवाजा खटखटाया था । रोटरी इंटरनेशनल को न कुछ करना था और न उसने कुछ करा - लेकिन सुधीर मंगला को अपनी उस सारी कसरत का यह नतीजा जरूर मिला कि इस बार तमाम प्रतिकूल हालात के बावजूद वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार चुन लिए गए हैं । इसी बिना पर, इन्हीं उदाहरणों के साथ कुछेक लोग तर्क दे रहे हैं कि सुरेश भसीन को भी यही 'फंडा' आजमा लेना चाहिए और - यदि यह कोई टोटका भी है तो भी इसे अपना कर अगले वर्ष में अपने लिए हालात को अनुकूल बनाने का काम कर लेना चाहिए ।
सुरेश भसीन ही क्यों ? जो लोग सुधीर मंगला के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने से खुश नहीं हैं, वह यह सलाह सुरेश भसीन को ही क्यों दे रहे हैं ?
उनके पास इसका भी जबाव है । उनका कहना है कि दरअसल सुरेश भसीन के पास ही वह एनर्जी है जो यह काम कर सकती है । उन्हें लगता है कि रवि भाटिया के पास वह टेम्परामेंट नहीं है कि वह इस झमेले में पड़ें और अगले वर्ष फिर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करें । राजीव देवा के पास झमेले में पड़ने वाला टेम्परामेंट तो है, लेकिन उनकी 'सामर्थ्य' कुछ कर सकने की नहीं है । वह बातें तो बना सकते हैं, लेकिन सुनियोजित तरीके से कुछ कर सकें - यह उनके बस की बात नहीं है । अब बचे सुरेश भसीन - तो लोगों को लगता है कि सुरेश भसीन में टेम्परामेंट भी है और उनकी 'सामर्थ्य' भी है; और इसीलिए एक अकेले वही हैं जो अगले 'रमेश अग्रवाल' और 'सुधीर मंगला' बन सकते हैं । एक बात और है - सुरेश भसीन का चूँकि रोटरी के बड़े नेताओं से अच्छा परिचय है इसलिए वह यदि 'रमेश अग्रवाल' और 'सुधीर मंगला' वाले रास्ते पर चलते हैं तो अवश्य ही कुछ गुल खिला सकेंगे ।
सुरेश भसीन को लेकर लोग इसलिए भी उम्मीद से हैं क्योंकि उन्होंने पेम सेकेंड में सुरेश भसीन को प्रेसीडेंट इलेक्ट के साथ बहुत घुलते/मिलते हुए देखा/पाया था । इसे लोगों ने इस बार सफल न होने की स्थिति में अगली बार आने की उनकी तैयारी के रूप में देखा/पहचाना है । सुरेश भसीन ने इस बार अपनी उम्मीदवारी को बहुत देर से प्रस्तुत किया था, दरअसल इसी कारण से बहुत काम करने और एक उम्मीदवार के रूप में अपनी साख बना लेने के बावजूद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी दौड़ में जीतते हुए वह कभी 'नजर' नहीं आये । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी की पद की इस बार की लड़ाई पहले से ही रवि भाटिया और सुधीर मंगला के बीच तय हो चुकी थी । हो सकता है कि इस बात से सबक लेकर सुरेश भसीन अब आगे वह गलती न दोहराना चाहते हों, जो इस बार उनसे हुई ।
सुरेश भसीन ने अगली बार की उम्मीदवारी को लेकर कुछ कहा नहीं है । उनकी उम्मीदवारी की संभावना लोग सिर्फ इसी आधार पर 'देख' रहे हैं कि पेम सेकेंड में वह प्रेसीडेंट इलेक्ट के बीच बहुत सक्रिय थे । दरअसल इसी कारण से डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों को लगता है कि सुरेश भसीन के मन में यदि सचमुच कुछ है तो उन्हें जल्दी से फैसला कर लेना चाहिए । वह खुद असमंजस में रहेंगे तो अपनी उम्मीदवारी के प्रति लोगों को असमंजस में ही रखेंगे - जैसा कि इस बार हुआ । इसी नाते से, डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में कुछ न कुछ करते रहने की इच्छा रखने वाले लोगों ने सुरेश भसीन तक संदेश पहुँचाये हैं कि पेम सेकेंड में प्रेसीडेंट इलेक्ट के बीच सक्रिय होने के पीछे यदि सचमुच अगले वर्ष उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की उनकी तैयारी है तो इस तैयारी की शुरुआत सुधीर मंगला की जीत के पीछे की राजनीति और धाँधली को लेकर उन्हें रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत दर्ज करवाने से करना चाहिए - जैसा कि रमेश अग्रवाल ने और सुधीर मंगला ने अपने अपने समय में किया था ।
सुरेश भसीन क्या करेंगे और क्या नहीं करेंगे, यह तो आगे पता चलेगा; लेकिन उन्हें उकसाने को लेकर हो रही हलचलों को देख कर यह जरूर पता चल रहा है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति करने वाले लोगों को काम जरूर मिल गया है ।