Monday, December 9, 2013

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में 'दोनों तरफ' के लोगों को साधने में आ रही विक्रम शर्मा की मुसीबतों में आरके शाह ने अपना मौका बनाने के लिए कमर कसी

नई दिल्ली । आरके शाह ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा का समर्थन जुटाने के लिए जो चक्रव्यूह रचा है, उसने विक्रम शर्मा के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर दी है । उल्लेखनीय है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अभी तक इन्हीं दोनों का नाम सामने है और इनमें से विक्रम शर्मा ने पिछले दिनों विजय शिरोहा के साथ अपनी नजदीकी स्थापित करने में बड़ी कामयाबी पाई । विक्रम शर्मा को चूँकि विरोधी खेमे के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है, इसलिए उन्होंने विजय शिरोहा के यहाँ अपने लिए जो जगह बनाई - उसे उनकी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में रेखांकित किया गया । आरके शाह की उम्मीदवारी की चर्चा रहते हुए - और सत्ता खेमे के दूसरे नेताओं को इग्नोर करते रहने के बावजूद विक्रम शर्मा ने विजय शिरोहा के यहाँ अपनी जगह बनाई - इसके चलते विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी को ज्यादा नंबर मिलते देखे गए । आरके शाह को भी हालाँकि विजय शिरोहा के यहाँ बढ़िया जगह मिली थी तथा डिस्ट्रिक्ट के कुछेक महत्वपूर्ण काम उनके जिम्मे रहे, लेकिन आरके शाह उनका इस्तेमाल अपनी 'राजनीतिक हवा' बनाने में कर नहीं सके । उनकी इस असफलता ने भी विक्रम शर्मा का काम आसान कर दिया ।
आरके शाह ने लेकिन जैसे ही दोबारा से अपनी सक्रियता शुरू की है तो विक्रम शर्मा के लिए चुनौती खड़ी हो गई है । आरके शाह को सत्ता खेमे में 'घर का आदमी' होने का फायदा तो है लेकिन फिर भी विक्रम शर्मा के लिए उम्मीद है तो इसका कारण यही है कि 'घर का आदमी' होने के बावजूद सत्ता खेमे में आरके शाह की स्वीकार्यता सहज नहीं है । दरअसल इसी कारण से विक्रम शर्मा को विजय शिरोहा के यहाँ अपने लिए जगह बनाने में आसानी हुई । आरके शाह ने लगता है कि इस सच्चाई को पहचान और स्वीकार लिया है कि सत्ता खेमे में 'घर का आदमी' होने के बावजूद सत्ता खेमे का टिकट प्राप्त करना उनके लिए आसान नहीं होगा और उन्हें अपनी सक्रियता दिखानी ही होगी । इस सच्चाई को स्वीकार करने के बाद आरके शाह ने जब दोबारा से अपनी सक्रियता दिखाना शुरू की तो उन्होंने चौतरफा तरीके से अपने को सक्रिय किया । एक तरफ तो उन्होंने विजय शिरोहा के यहाँ अपनी जगह को पुनः कब्जाया, दूसरी तरफ उन्होंने सत्ता खेमे के अन्य नेताओं को भी विश्वास में लेना शुरू किया, तीसरी तरफ उन्होंने विक्रम शर्मा की गलतियों से फायदा उठाने पर ध्यान देना शुरू किया और चौथी तरफ उन्होंने अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में पूर्व गवर्नर राजिंदर बंसल की 'वकालत' को मुखर बनाना शुरू किया ।
पुरानी मशहूर फ़िल्म 'दीवार' में एक हीरो दूसरे हीरो पर जिस तरह यह कह कर भारी पड़ता है कि 'मेरे पास माँ है' - ठीक उसी तर्ज पर विक्रम शर्मा पर आरके शाह इसलिए भारी पड़ते हैं क्योंकि उनके पास राजिंदर बंसल हैं । राजिंदर बंसल उनकी कितनी वकालत करते हैं या नहीं करते हैं, और उनकी वकालत का कितना क्या असर पड़ेगा - यह बाद में साफ होगा, लेकिन राजिंदर बंसल के साथ आरके शाह का जो नाम जुड़ा हुआ है, उसके चलते अभी तो आरके शाह की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर बैठती है । विक्रम शर्मा इस मामले में अकेले पड़ जाते हैं - और सिर्फ अकेले ही नहीं पड़ जाते, उनके साथ विरोधी खेमे के नेताओं के जो नाम जुड़े हैं उनके कारण उनकी प्रतिबद्धता संदेह के घेरे में भी आ जाती है । विक्रम शर्मा को 'दोनों तरफ' के लोगों को साधने में जो कसरत करना पड़ रही है उसके चलते उनकी स्थिति में डाँवाडोल होने का खतरा पैदा हो गया है । इसी संदर्भ में पैदा हुई परिस्थितियों में पिछले दिनों कुछेक मौकों पर विक्रम शर्मा को विजय शिरोहा की तीखी नाराजगी का सामना करना पड़ा । उन परिस्थितियों में आरके शाह ने अपने लिए अच्छा मौका देखा और उनका अपने हित में इस्तेमाल किया । पाँच से आठ दिसंबर के बीच काठमांडु में आयोजित हुए 41 वें लॉयंस ईसामे फोरम में विजय शिरोहा के साथ विक्रम शर्मा गए तो इसलिए थे कि उन तीन दिनों में उन्हें विजय शिरोहा के और नजदीक होने का अवसर मिलेगा, किंतु वहाँ घटी घटनाओं की जो रिपोर्ट्स यहाँ मिली हैं उनसे लगता है कि काठमांडु में विक्रम शर्मा के नंबर बढ़ने की बजाये कम ही हुए हैं ।
इसके बावजूद विक्रम शर्मा के लिए सत्ता खेमे में उम्मीद अभी ख़त्म नहीं हुई है तो इसका कारण यही है कि उन्हें पता है कि सत्ता खेमे के पास अभी कोई उम्मीदवार नहीं है - आरके शाह सत्ता खेमे में भले ही 'घर के आदमी' हों, लेकिन उनकी उम्मीदवारी को लेकर सत्ता खेमे में अभी भी असमंजस का भाव है । असमंजस के इस भाव को दूर करने के लिए तथा सत्ता खेमे के नेताओं के बीच अपनी उम्मीदवारी को स्वीकार्य बनाने के लिए आरके शाह ने भी लेकिन अब प्रयास शुरू कर दिए हैं - जिसके बाद सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी लड़ाई खासी दिलचस्प हो गई है । आरके शाह की सक्रियता के चलते सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी लड़ाई में जो सीन बना है उसमें आगे की पटकथा इस बात पर निर्भर करेगी कि विक्रम शर्मा अब क्या पैंतरा आजमाते हैं और आरके शाह अपनी सक्रियता को किस तरह निरंतरता देते हैं ?