Friday, December 13, 2013

साउथ एशिया लिटरेसी समिट में, डिस्ट्रिक्ट 3100 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अपनाई जा रही पक्षपातपूर्ण भूमिका पर मोहर लग सकेगी क्या ?

नई दिल्ली । रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल को पूरा विश्वास है कि अपने डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर उन्होंने राजनीति की जो बिसात बिछाई है, उसमें उन्हें जीत दिलवाने का काम साउथ एशिया लिटरेसी समिट में अवश्य ही हो जायेगा । कोई भी आश्चर्य कर सकता है कि साउथ एशिया लिटरेसी समिट का घोषित उद्देश्य तो दक्षिण एशिया के लोगों को शिक्षित बनाने के उपायों पर विचार करना है, तब फिर उसमें किसी एक डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद को लेकर चल रहे झगड़े के हल होने का क्या मतलब है ? लोगों के आश्चर्य अपनी जगह हैं - लेकिन सच यही है कि साउथ एशिया लिटरेसी समिट में मंच पर चाहें जितनी बड़ी-बड़ी बातें हों, कई एक रोटरी नेताओं के लिए यह अपनी राजनीति चमकाने, रोटरी के बड़े नेताओं के साथ अपनी नजदीकी बनाने और/या 'दिखाने' का सुनहरा मौका भर है । यही कारण है कि जिन रोटेरियंस को रोटरी की राजनीति में आगे जाना है, वह तो बढ़-चढ़ कर यहाँ लोगों को 'ला' रहे हैं, लेकिन जिन्हें रोटरी की राजनीति नहीं करनी है वह इस महत्वपूर्ण आयोजन के प्रति अपने आप को प्रेरित नहीं कर पा रहे हैं । सच यह भी है कि उन्हें प्रेरित करने का कोई प्रयास भी नहीं किया गया है ।
साउथ एशिया लिटरेसी समिट की विभिन्न कमेटियों में जो लोग हैं वे प्रायः वही लोग हैं जो रोटरी के हर बड़े आयोजन की कमेटियों में होते हैं और जो अपने अपने डिस्ट्रिक्ट में रोटरी की राजनीति करने में संलग्न रहते हैं और जिन पर रोटरी की राजनीति में पक्षपात करने के आरोप दर्ज रहे हैं । विभिन्न कमेटियों में जिन लोगों को रखा गया है उनमें से कुछेक बेचारों को तो यह भी नहीं पता कि वह किस कमेटी में हैं । होस्ट डिस्ट्रिक्ट - रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 - के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी जेके गौड़ समिट की तैयारियों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे लेकिन जैसे ही उनसे यह पूछ लिया गया कि उनके पास किस कमेटी की जिम्मेदारी है तो वह बगले झाँकने लगे; बहुत कोशिश करने पर भी उन्हें याद नहीं आया कि वह किस कमेटी में 'क्या कुछ' हैं; तब फिर उन्होंने यह कह कर बात को आगे बढ़ाया कि उनके पास बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है और उन्हें बहुत काम करना पड़ रहा है । कुछेक और लोगों का भी ऐसा ही हाल मिला जो काम तो बहुत कर रहे थे, बिजी तो वह बहुत थे लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि वह कर क्या रहे हैं और क्यों कर रहे हैं ?
ऐसा दरअसल इसीलिए है क्योंकि जिम्मेदारी से काम तो कुछ ही लोग कर रहे हैं, बाकी अधिकतर लोग - जैसा कि ऊपर कहा गया है - अपनी राजनीति चमकाने, रोटरी के बड़े नेताओं के साथ अपनी नजदीकी बनाने और/या 'दिखाने' को ही 'काम' समझ रहे हैं । कुछेक नेताओं ने इस मौके को अपने आपस के झगड़े निपटाने के मौके के रूप में भी देखा/पहचाना है । होस्ट डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3010 में अभी कुछेक लोगों को एक बेनामी पत्र मिला था जिसमें इस समिट के बहाने राजनीति करने का आरोप लगाते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल को जी-भर कर कोसा गया था । उक्त पत्र पर किसी का नाम तो नहीं था, लेकिन उसके मजमून से लोगों ने अंदाजा लगाया कि यह पूर्व गवर्नर मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल का काम है । ये दोनों भी इस समिट में महत्वपूर्ण पदों पर हैं । मजे की बात है कि ये तीनों - विनोद बंसल, मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल - पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर और इस समिट के एक प्रमुख नियंत्रक शेखर मेहता के बड़े खास हैं । समिट के होस्ट डिस्ट्रिक्ट के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते विनोद बंसल को चूँकि ज्यादा तवज्जो मिल रही है, इसलिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने बेनामी पत्र के जरिये समिट से ठीक पहले विनोद बंसल पर हमला बोल दिया ।
साउथ एशिया लिटरेसी समिट को डिस्ट्रिक्ट 3010 में मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने यदि विनोद बंसल से निपटने के एक मौके के रूप में देखा/पहचाना है; तो डिस्ट्रिक्ट 3100 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अपनी पक्षपातपूर्ण भूमिका पर मोहर लगवाने के एक अवसर के रूप में इसका इस्तेमाल करने की योजना बनाई है । डिस्ट्रिक्ट नॉमिनी पद के चुनाव में राकेश सिंघल ने जो झमेला खड़ा कर दिया है, उसे लेकर उन्हें न अपने डिस्ट्रिक्ट में कोई समर्थन मिल रहा है और न रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय से कोई समर्थन मिला है । इस मुद्दे पर राकेश सिंघल अपने ही डिस्ट्रिक्ट में इस कदर अलग-थलग पड़ गए हैं कि लिटरेसी समिट के लिए कोई अभियान चला पाना तक उनके लिए संभव नहीं हुआ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव रस्तोगी और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी सुनील गुप्ता तक को नहीं पता कि लिटरेसी समिट के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल कर क्या रहे हैं ? राकेश सिंघल ने इन्हें विश्वास में संभवतः इसीलिये नहीं लिया है कि लिटरेसी समिट में उन्हें अपनी भूमिका पर जो मोहर लगवानी है उसमें ये दोनों कहीं अड़ंगा न डाल दें । दरअसल हर तरफ से समर्थन खो चुके राकेश सिंघल को अब आख़िरी आसरा यही है कि लिटरेसी समिट में जुटे बड़े नेताओं को वह किसी तरह समझा सकें कि अपने डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में उन्होंने जो किया है, वह ठीक किया है ।
लोगों को शिक्षित करने के उपायों पर विचार करने के लिए लिटरेसी समिट में जुटे रोटरी के बड़े नेताओं को क्या इस बात पर भी विचार नहीं करना चाहिए कि रोटरी में विभिन्न पदों पर बैठे लोगों और/या विभिन्न पदों की आस लगाये रोटेरियंस को रोटरी के आदर्शों व लक्ष्यों के प्रति गंभीर होने के प्रति भी थोड़ा 'शिक्षित' करने के बारे में प्रयास करने की जरूरत है ?