Saturday, September 28, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता को सबक सिखाने की प्रेसीडेंट्स की तैयारी में सुनील मल्होत्रा के समर्थकों व शुभचिंतकों को सुनील मल्होत्रा की एक बड़ी चुनावी जीत नजर आ रही है 

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता के प्रति प्रेसीडेंट्स की नाराजगी ने सुनील मल्होत्रा व ललित खन्ना के बीच होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को खासा 'ट्रिकी' बना दिया है, और इस स्थिति ने सुनील मल्होत्रा तथा उनकी उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों को एक बड़ी जीत के प्रति आश्वस्त किया है । सुनील मल्होत्रा के समर्थकों का दावा है कि अभी दस दिन पहले तक वह चुनावी मुकाबले को काँटें का मान/समझ रहे थे, लेकिन पिछले आठ/दस दिन में वह हालात को तेजी से बदलता हुआ देख/पा रहे हैं और अब उन्हें लगने लगा है कि सुनील मल्होत्रा चुनावी दौड़ में काफी आगे आ पहुँचे हैं । उनका कहना/बताना है कि जल्दी चुनाव करवाने के पीछे दीपक गुप्ता की बेईमानीपूर्ण व पक्षपातपूर्ण कार्रवाई को लेकर डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच नाराजगी के संकेत तो हालाँकि मिल रहे थे, लेकिन नाराजगी खासी गहरी होगी और प्रेसीडेंट्स जल्दी चुनाव करवाने की कार्रवाई को अपने साथ हुए हुए धोखे के रूप में लेंगे - इसका अंदाजा खुद उन्हें भी नहीं था ।
डिस्ट्रिक्ट में लोगों को, खासतौर से प्रेसीडेंट्स को लग रहा है कि पैसे ऐंठने के चक्कर में दीपक गुप्ता ने जिस तरह से रोटरी, रोटरी के कार्यक्रमों और रोटरी के आदर्शों का मजाक बना दिया है - उसके लिए उन्हें सबक सिखाना ही चाहिए । दीपक गुप्ता को सबक सिखाने की लोगों की, खासतौर से प्रेसीडेंट्स की मंशा में सुनील मल्होत्रा तथा उनकी उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों को अपना फायदा होता नजर आ रहा है । समर्थकों व शुभचिंतकों को प्रेसीडेंट्स की नाराजगी का फायदा सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी को मिलने की स्थिति इसलिए भी बनती नजर आ रही है, क्योंकि सुनील मल्होत्रा ने एक उम्मीदवार के रूप में विभिन्न क्लब्स के पदाधिकारियों तथा वरिष्ठ रोटेरियंस के बीच प्रभावी तरीके से संपर्क अभियान चलाये रखा है । सुनील मल्होत्रा ने व्यक्तिगत संपर्कों के जरिये तथा सार्वजनिक कार्यक्रमों के माध्यम से जब भी यह देखने/परखने का प्रयास किया कि उनकी उम्मीदवारी को डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस किस तरह ले रहे हैं, तो उन्हें हमेशा ही डिस्ट्रिक्ट रोटेरियंस की तरफ से उत्साहित करने वाला ही जबाव मिला है । 
सुनील मल्होत्रा तथा उनकी उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों को विश्वास है कि डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस के बीच बना यह उत्साह ही सुनील मल्होत्रा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में बड़ी जीत दिलवायेगा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के लिए वोटिंग शुरू होने में अब जब कुछ घंटे ही शेष रह गए हैं, तब सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच बने इस विश्वास ने सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी को और बल दिया है । 

Thursday, September 26, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की परीक्षा प्रणाली की खामियों के खिलाफ छात्रों के आंदोलन को प्रवीन शर्मा व पूजा बंसल से मिली मदद के चलते इंस्टीट्यूट प्रशासन अपने जिद्दी रवैये को छोड़ आखिरकार घुटने टेकने के लिए मजबूर हुआ

नई दिल्ली । दोपहर बाद तेजी से बदलते घटनाचक्र में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के प्रशासन को अंततः आंदोलनकारी छात्रों के सामने घुटने टेकने के लिए मजबूर होना पड़ा और इंस्टीट्यूट की परीक्षा प्रणाली में सुधार के सुझाव तैयार करने के लिए छह सदस्यीय कमेटी के गठन की उसकी घोषणा के साथ छात्रों का आंदोलन समाप्त हुआ । इस मामले में निर्णायक भूमिका नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की कार्यकारी चेयरपरसन रहीं पूजा बंसल के वीडियो संदेश ने निभाई । पूजा बंसल ने करीब पौने सात मिनट के अपने वीडियो संदेश में परीक्षा प्रणाली को लेकर इंस्टीट्यूट प्रशासन के ढीले-ढाले रवैये को जिस तथ्यात्मक तरीके से तथा सुबूतों के साथ प्रस्तुत किया, उसके बाद इंस्टीट्यूट प्रशासन के लिए मुँह छिपाने का कोई मौका नहीं बचा । दोपहर तक अपनी परीक्षा प्रणाली को चाक-चौबंद बताने का दावा करने वाला इंस्टीट्यूट प्रशासन पूजा बंसल का वीडियो संदेश सामने आने के बाद यू-टर्न लेने को मजबूर हुआ और तेजी से हरकत में आया - जिसका नतीजा रहा कि शाम तक उसने छह सदस्यीय कमेटी के गठन की घोषणा भी कर दी ।
परीक्षा प्रणाली में सुधार की माँग करते चार्टर्ड एकाउंटेंट छात्रों के आंदोलन ने कई मजेदार किस्म के दृश्य 'दिखाए' । आंदोलनकारी छात्रों की माँग पर काउंसिल सदस्यों के कुछ भी कहने से बचने/छिपने के खासे मनोरंजक दृश्य देखे गए । छात्रों का आंदोलन इंस्टीट्यूट प्रशासन के जिद्दी रवैये के खिलाफ था, लेकिन वह यह देख कर हैरान रह गए कि कई चार्टर्ड एकाउंटेंट नेताओं, यहाँ तक की काउंसिल के सदस्यों तक ने इंस्टीट्यूट प्रशासन के '(बिन)भाड़े के टट्टुओं' का रोल निभाना शुरू कर दिया और तरह तरह की बातें करके छात्रों के आंदोलन को बदनाम व कमजोर करने की मुहिम में जुट गए । 'प्रोफेशन के हित में सबका हित' जैसा नारा लगा कर नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन बनने की हसरत रखने वाले एक नेताजी का रवैया तो बहुत ही मजेदार रहा - मोदी, केजरीवाल व राहुल गांधी से जुड़े किसी भी मुद्दे का ज्ञान तो इन्हें तुरंत प्राप्त हो जाता है, और यह फौरन बकैती करने लगते हैं; लेकिन प्रोफेशन से जुड़े मामलों में इनके ज्ञान में कीड़े पड़ जाते हैं । आंदोलन के तीसरे दिन भी महाशय कह रहे हैं कि अभी वह मामले को देखेंगे और समझेंगे, तब इस पर अपनी राय व्यक्त करेंगे । इन जैसे लोगों के लिए फजीहत की बात यह रही कि यह लोग तो इंस्टीट्यूट की तरफ से छात्रों के आंदोलन को बदनाम करने तथा खत्म करवाने की मुहिम में जुटे हुए थे, लेकिन इंस्टीट्यूट प्रशासन ने छात्रों की बात मान ली और इन्हें घर/घाट कहीं का न छोड़ा । 
चार्टर्ड एकाउंटेंट छात्रों का मनोबल बनाये रखने के साथ-साथ उनके आंदोलन को अराजक न होने देने में तथा 'व्यवस्थित' रखने में यूँ तो कई लोगों का सहयोग रहा - लेकिन प्रवीन शर्मा ने जैसी जो भूमिका निभाई, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम ही होगी । इंस्टीट्यूट प्रशासन के (बिन)भाड़े के टट्टुओं ने प्रवीन शर्मा को घेरने तथा उन्हें बदनाम करने के लिए प्रयास तो खूब किए, लेकिन प्रवीन शर्मा ने न तो आपा खोया और न मैदान छोड़ा - वास्तव में यह उन्हीं का नेतृत्व था कि छात्रों का आंदोलन न तो अराजक हुआ, और न कमजोर पड़ा और उसे मीडिया में खूब तवज्जो मिली । माहौल को निरंतर गर्माता देख निर्णायक चोट पूजा बंसल ने की । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पिछले टर्म में सेक्रेटरी, वाइस चेयरपरसन तथा कार्यकारी चेयरपरसन रहीं पूजा बंसल ने अपने वीडियो संदेश में समस्या को जिस प्रखरता से प्रस्तुत किया और इंस्टीट्यूट प्रशासन के लापरवाहीपूर्ण व गैरजिम्मेदार रवैये को तथ्यों के साथ उद्घाटित किया, उसके बाद इंस्टीट्यूट प्रशासन के सामने छात्रों की माँग पर घुटने टेकने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा । इंस्टीट्यूट प्रशासन ने परीक्षा प्रणाली में आवश्यक सुधार के लिए सुझाव देने हेतु पीसी जैन, जस्टिस अनिल दवे, वेद जैन, अमरजीत चोपड़ा, गिरीश आहुजा तथा राकेश सहगल की सदस्यता वाली कमेटी के गठन की घोषणा की है । इस घोषणा को आंदोलनकारी छात्रों की एक बड़ी जीत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है ।

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3110 में आईएस तोमर की चौधराहट को बचाने के लिए शैलेंद्र कुमार राजु तथा अरुण जैन की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी मुकेश सिंघल को इस्तेमाल करने की रणनीति के चलते डिस्ट्रिक्ट में खासी घमासान वाली स्थिति बन गई है

अलीगढ़ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन/चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में अपने अपने सदस्यों को 'भेजने' के लिए दोनों खेमों के नेताओं की जोरआजमाइश ने क्लब्स में 'जूता-लात' चलने जैसे माहौल बना दिए हैं । नोमीनेटिंग कमेटी के लिए होने वाले चुनाव के चक्कर में कई क्लब्स में झगड़े हो गए हैं, और वह टूटने के कगार पर पहुँच गए हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए चुनाव तो पवन अग्रवाल तथा सतीश जायसवाल के बीच होना है; लेकिन वास्तव में यह चुनाव पूर्व गवर्नर्स रवि अग्रवाल व आईएस तोमर के बीच प्रतिष्ठा व चौधराहट की लड़ाई बन गई है - कोढ़ में खाज वाली बात यह हुई है कि पवन अग्रवाल/रवि अग्रवाल की तरफ से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू तथा सतीश जायसवाल/आईएस तोमर की तरफ से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी मुकेश सिंघल ने मोर्चा संभाला हुआ है । यानि चुनाव पवन अग्रवाल व सतीश जायसवाल के बीच है, लेकिन मुकाबला रवि अग्रवाल व आईएस तोमर का है - और जो किशोर कातरू व मुकेश सिंघल की लड़ाई बन गया है । मुकेश सिंघल को निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अरुण जैन व पूर्व गवर्नर शैलेंद्र कुमार राजु का समर्थन है । चर्चा और आरोप है कि रोटरी क्लब बरेली मैग्नेट सिटी में धोखे व फर्जी तरीके से प्रेसीडेंट की ईमेल आईडी इस्तेमाल करके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू व पूर्व गवर्नर रवि अग्रवाल को बदनाम करने की जो कोशिश हुई थी, उसके पीछे वास्तव में मुकेश सिंघल, अरुण जैन व शैलेंद्र कुमार राजु का ही हाथ था । 
डिस्ट्रिक्ट में चर्चा और आरोप हैं कि डिस्ट्रिक्ट में आईएस तोमर की चौधराहट को बचाने की जिम्मेदारी इन्हीं तीनों - मुकेश सिंघल, अरुण जैन व शैलेंद्र कुमार राजु ने ले ली है । मजे की बात यह है कि इससे पहले डिस्ट्रिक्ट में आईएस तोमर की चौधराहट को बनाने तथा बनाये रखने की जिम्मेदारी रवि अग्रवाल ने ले रखी थी; उन्हीं रवि अग्रवाल ने - जो अब आईएस तोमर के लिए चुनौती बने हुए हैं । रवि अग्रवाल को कई लोगों ने बार बार समझाया था कि आईएस तोमर उन्हें खिलौने की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, और उन्हें एक खिलौने से ज्यादा कुछ नहीं समझते हैं, इसलिए उनके चक्कर में ज्यादा न पड़ो/रहो - लेकिन रवि अग्रवाल को तब किसी की बात समझ में नहीं आती थी । बाद में लेकिन उन्होंने महसूस किया और पाया कि लोग उनसे ठीक ही कहते थे, उन्होंने ही आईएस तोमर को समझने व पहचानने में देर कर दी । यही कहानी अब मुकेश सिंघल, अरुण जैन व शैलेंद्र कुमार राजु के साथ घट रही है । इन तीनों में भी मुकेश सिंघल की स्थिति ज्यादा पेचीदा है । डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी होने के नाते मुकेश सिंघल को इतना खुल कर एक पक्ष नहीं बनना चाहिए; इससे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्हें परेशानी उठाना पड़ेगी और फजीहत का शिकार होना पड़ेगा । लेकिन मुकेश सिंघल पर अभी इस समझाइस का असर पड़ता नहीं दिख रहा है ।
डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लग रहा है और वह कह रहे हैं कि मुकेश सिंघल तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में ज्यादा नहीं पड़ना/फँसना चाहते हैं, लेकिन शैलेंद्र कुमार राजु तथा अरुण जैन ने मुकेश सिंघल को जबरन फाँसा हुआ है - और वह इनके दबाव में मजबूर बने हुए हैं । शैलेंद्र कुमार राजु तथा अरुण जैन ने मुकेश सिंघल को जबरन इसलिए फाँसा/फँसाया हुआ है क्योंकि वह जान/समझ रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू के क्लब्स पदाधिकारियों के बीच बने प्रभाव से निपटने के लिए उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी मुकेश सिंघल की मदद की जरूरत होगी ही; मुकेश सिंघल के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की धौंस देकर ही वह क्लब्स के लोगों को प्रभावित कर सकते हैं तथा उन्हें अपने साथ आने के लिए लालायित कर सकते हैं । मुकेश सिंघल के गवर्नर वर्ष में पद देने का लालच देकर ही यह तिकड़ी क्लब्स के लोगों को बहला/फुसला/भड़का रही है, जिस कारण से क्लब्स में झगड़े पैदा हो रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के जरिये डिस्ट्रिक्ट में आईएस तोमर की चौधराहट को बचाने व बनाये रखने के लिए शैलेंद्र कुमार राजु तथा अरुण जैन की मुकेश सिंघल को इस्तेमाल करने की रणनीति के चलते डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी मुकेश सिंघल के बीच जो टकराव खड़ा हो गया है, उसके चलते डिस्ट्रिक्ट में खासी घमासान वाली स्थिति बन गई है ।

Wednesday, September 25, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में जल्दी चुनाव करवाने की कार्रवाई के चलते प्रेसीडेंट्स के बीच डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता के प्रति पैदा हुई नाराजगी में सुनील मल्होत्रा और उनके समर्थक अपना चुनावी फायदा देख रहे हैं

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए वोटिंग शिड्यूल जल्दी शुरू करने को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट के लोगों, खासकर प्रेसीडेंट्स से लताड़ सुनने को मिल रही है । प्रेसीडेंट्स तथा दूसरे वरिष्ठ रोटेरियंस का रोना/कहना है कि चुनावी घोषणा के कारण उम्मीदवारों और उनके समर्थकों ने पितृ पक्ष में अपने पितरों को याद करने की उनकी तैयारियों में बाधा पहुँचाई हुई है और उनके लिए धार्मिक कर्मकांड करना मुश्किल बना दिया है । उल्लेखनीय है कि इन दिनों चल रहे पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों को याद करते हुए धार्मिक कर्मकांडों में व्यस्त हैं; लेकिन उनका कहना है कि उम्मीदवार और उनके समर्थक फोन कर कर के उन्हें परेशान कर रहे हैं और उनके लिए धार्मिक कर्मकांड कांड कर पाना मुश्किल हो जाता है । समस्या यह है कि किसी उम्मीदवार या उसके समर्थक का फोन न उठा पाओ, तो वह समझता है कि 'यह' दूसरे उम्मीदवार के पक्ष में चला गया है - और तब वह और और लोगों से फोन करवाता है, जिससे मामला और बिगड़ जाता है । 
प्रेसीडेंट्स तथा दूसरे रोटेरियंस इस स्थिति के लिए दीपक गुप्ता को कोस रहे हैं । उनका कहना है कि दीपक गुप्ता यदि अभी चुनाव घोषित न करते तो यह स्थिति पैदा न होती । दीपक गुप्ता द्वारा चुनाव की घोषणा किए जाने से बेचारे उम्मीदवार और उनके समर्थक भी मजबूर हैं । प्रेसीडेंट्स व अन्य रोटेरियंस इस बात पर भी खफा हैं कि पितृ पक्ष के बाद नवरात्र शुरू हो जायेंगे और जब तक नवरात्र पूरे होंगे, तब तक चुनाव 'संपन्न' हो चुके होंगे - और इस तरह चुनाव से जुड़ी प्रेसीडेंट्स व रोटेरियंस की उम्मीदें पूरी तरह ध्वस्त हो गई हैं । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में अभी तक क्लब्स के अधिष्ठापन समारोह ही होते रहे हैं; मौजूदा रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट का कोई ऐसा कार्यक्रम नहीं हुआ है जिसमें सभी क्लब्स के पदाधिकारी व सदस्य एकजुट हो सकें और आपस में एक दूसरे को तथा अपने डिस्ट्रिक्ट को जान/पहचान सकें । ऐसे कार्यक्रम के रूप में लोगों को दीवाली मेले का इंतजार रहता है । दीवाली मेले में वास्तव में उस वर्ष के क्लब-पदाधिकारियों को अपने 'डिस्ट्रिक्ट' को जानने/पहचानने का मौका मिलता है और इसीलिए दीवाली मेले को लेकर प्रेसीडेंट्स व अन्य रोटेरियंस की कुछ खास उम्मीदें होती हैं, लेकिन दीपक गुप्ता ने जल्दी चुनाव करवा कर उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है ।
जल्दी चुनाव करवाने को लेकर दीपक गुप्ता के प्रति पैदा हुई प्रेसीडेंट्स व अन्य रोटेरियंस की नाराजगी को सुनील मल्होत्रा व उनकी उम्मीदवारी के समर्थक अपने फायदे के रूप में देख रहे हैं । उन्हें लग रहा है कि दीपक गुप्ता के प्रति पैदा होने वाली यह नाराजगी उन्हें चुनावी लाभ पहुँचाएगी । जल्दी चुनाव करवाने की दीपक गुप्ता की कार्रवाई को वैसे भी उनके चुनावी हथकंडे के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । सुनील मल्होत्रा व उनके समर्थकों को लग रहा है कि दीपक गुप्ता के इस चुनावी हथकंडे ने लेकिन उल्टा ही असर किया है और इस तरह यह सुनील मल्होत्रा के लिए फायदे का कारण बनता नजर आ रहा है । दीपक गुप्ता को लेकर लोगों के बीच इस हद तक नाराजगी है, कि कई लोग दीपक गुप्ता की तरफ से आने वाले फोन को टेप तक करने लगे हैं, ताकि दीपक गुप्ता चुनाव को प्रभावित करने वाली कोई बात करें तो उन्हें दीपक गुप्ता की रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत करने का मौका मिले और वह दीपक गुप्ता को सबक सिखा सकें । इस तरह जल्दी चुनाव करवाने की घोषणा करके दीपक गुप्ता फजीहत का शिकार तो बन ही रहे हैं, और उनकी इस स्थिति ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी परिदृश्य को खासा रोमांचक भी बना दिया है ।

Tuesday, September 24, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के छात्रों की फीस पर मौज-मजा करने वाले काउंसिल के सदस्य इंस्टीट्यूट की परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए प्रयास करने की बात तो छोड़िये, आज जब छात्र सड़क पर उतर कर आंदोलन करने को मजबूर हुए हैं - तब उनका समर्थन करने से भी मुँह छिपाते फिर रहे हैं

नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट की सेंट्रल व रीजनल काउंसिल के जो सदस्य चुनाव के समय जिन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स छात्रों पर गिद्धों की तरह झपटते हैं, उन्होंने इंस्टीट्यूट की परीक्षा प्रणाली में सुधार की माँग करते आंदोलनकारी छात्रों के साथ 'हम आपके हैं कौन' जैसा रवैया अपनाया हुआ है । उनसे भी बुरा रवैया कोचिंग मालिकों व टीचर्स का है, जो चुनाव के समय तो उम्मीदवारों के 'दलाल' की भूमिका निभाने में बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं, लेकिन परीक्षा प्रणाली में सुधार की माँग करते छात्रों के साथ खड़े होने में जिनकी नानी मर रही है । कुछेक टीचर्स जरूर छात्रों की माँग और उनके आंदोलन के साथ खड़े हैं, लेकिन वह कुछेक ही हैं । इंस्टीट्यूट मुख्यालय के सामने चल रहा छात्रों का आंदोलन वास्तव में इस बात का पुख्ता सुबूत बना है कि इंस्टीट्यूट की व्यवस्था पूरी तरह सड़-गल चुकी है, और इससे भी बड़ी बात यह है कि जो लोग इंस्टीट्यूट में व्यवस्था बनाने की बात करने का दिखावा भी करते हैं, उनकी रुचि भी व्यवस्था को ठीक करने में नहीं है । मजे की बात है कि काउंसिल के कई सदस्य हैं, जो सोशल मीडिया में दिन-रात मोदी, केजरीवाल, राहुल गांधी तो करते रहेंगे - लेकिन मजाल है कि इंस्टीट्यूट की अव्यवस्था पर कभी एक भी शब्द लिख/बोल दें । दरअसल यही कारण है कि वर्षों से उत्तर पुस्तिकाओं की उचित तरीके से जाँच करने की माँग को लगातार अनदेखा किया जा रहा है । इंस्टीट्यूट की प्रशासनिक व्यवस्था में परीक्षा प्रणाली में सुधार को लेकर कभी-कभार सुझाव तो माँगे/लिए/दिए गए हैं, लेकिन मामला उससे आगे नहीं बढ़ा है - और समस्या व शिकायत जहाँ की तहाँ ही बनी हुई है ।
चार्टर्ड एकाउंटेंट छात्रों की बड़ी छोटी सी माँग है कि वह यदि अपनी उत्तर पुस्तिका की जाँच से संतुष्ट नहीं हैं, तो उन्हें अपनी उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन करवाने का अधिकार मिले । उल्लेखनीय है कि देश के सभी बड़े कॉलिजों/विश्वविद्यालयों तथा परीक्षा बोर्डों में छात्रों को अपनी उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन करवाने का अधिकार प्राप्त है । लेकिन इंस्टीट्यूट प्रशासन लगातार इस जिद पर अड़ा हुआ है कि उसके यहाँ एक बार उत्तर पुस्तिका की जाँच हो गई, तो फिर उसमें दिए गए नंबर ही मान्य होंगे तथा उत्तर पुस्तिका का कोई पुनर्मूल्यांकन नहीं होगा । दरअसल पिछले वर्षों में जिन कुछेक छात्रों ने आरटीआई कानून का इस्तेमाल करके और या अन्य तरीकों से अपनी उत्तर पुस्तिकाओं को और उसके हुए मूल्यांकन को देखा है, वह यह देख कर हैरान रह गए कि उनके सही उत्तरों को भी गलत बता दिया गया है, जिसके चलते उनके नंबर कम रह गए और वह फेल हो गए । इंस्टीट्यूट प्रशासन लेकिन न तो इस पर कोई कार्रवाई करने के लिए तैयार होता है, और न ही यह सुनिश्चित करने के लिए राजी होता और न कोई प्रयास करता है कि आगे से ऐसा नहीं होगा । इंस्टीट्यूट प्रशासन के इस रवैये के चलते चार्टर्ड एकाउंटेंट छात्र वर्षों से 'ठगे' जा रहे हैं और शिकार बन रहे हैं ।
दुर्भाग्य की बात यह है कि छात्रों की इस बेहद उचित व सामान्य सी माँग को पूरा करने/करवाने में किसी की दिलचस्पी नहीं है । इंस्टीट्यूट की राजनीति में कामयाब होने के लिए छात्रों की क्लासेस में जाकर अपना थोबड़ा दिखाने और भाषण पेलने के मौके बनाने की तिकड़में लगाने वाले और जीएमसीएस में फैकल्टी लगने/लगाने के जुगाड़ में लगे रहने वाले लोगों की तरफ से इंस्टीट्यूट की परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए प्रयास करने की बात तो छोड़िये, आज जब छात्र सड़क पर उतर कर आंदोलन करने को मजबूर हुए हैं - तब उनका समर्थन करने से भी वह मुँह छिपाते फिर रहे हैं । यह हाल तब है जबकि मीटिंग्स के नाम पर देश के पर्वतीय व पर्यटनीय क्षेत्रों व विदेशी दौरों का तथा दूसरे मौज-मजों का काउंसिल सदस्यों का खर्च छात्रों से मिलने वाली फीस से जुटता है । छात्रों और उनके हितों के साथ काउंसिल सदस्यों द्वारा किए जाने वाले विश्वासघात का यह प्रसंग चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए एक सबक भी है । जो आज चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं, वह यदि इस बात का ध्यान रखें कि वह कभी छात्र भी थे और इसके चलते चुनाव के समय वोट मांगने आने वाले उम्मीदवारों को वह जरा कर्रे से लें, तो काउंसिल सदस्यों की बेशर्मी और निर्लज्जता पर लगाम लग सकेगी और तब छात्रों के साथ न्याय हो सकेगा ।

Sunday, September 22, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3020 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सैम मोव्वा के इंटरनेशनल डायरेक्टर चुने जाने से इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता के सहारे रोटरी की राजनीति व प्रशासनिक व्यवस्था में ऊँची छलाँग लगाने के मंसूबे बाँधने वाले रोटेरियंस को तगड़ा झटका लगा है

नई दिल्ली । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए डिस्ट्रिक्ट 3020 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सैम राव मोव्वा के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने से सिर्फ उनके प्रतिद्वंद्वी विनय कुलकर्णी को ही झटका नहीं लगा है, बल्कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता तथा उनके सहारे रोटरी की राजनीति व प्रशासनिक व्यवस्था में ऊँची छलाँग लगाने के मंसूबे बाँधने वाले रोटेरियंस को भी तगड़ा झटका लगा है । उल्लेखनीय है कि रोटरी में प्रत्येक स्तर की चुनावी राजनीति उम्मीदवारों की बजाये वास्तव में खेमों की राजनीति होती है और चुनावी हार-जीत को खेमों की हार-जीत के रूप में ही देखा/पहचाना जाता है । कभी-कभार कोई उम्मीदवार अपने आप को खेमे से 'बड़ा' साबित कर देता है, लेकिन यह कभी-कभार ही हो पाता है - और  उसके 'बड़े' साबित होने में भी कुल मिलाकर खेमे की ही भूमिका देखी/मानी जाती है । इसी तर्ज पर जोन 7 में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में विनय कुलकर्णी को उस खेमे के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था, जिसके नेताओं के रूप में कल्याण बनर्जी व सुशील गुप्ता को देखा/पहचाना जाता रहा है और शेखर मेहता भी जिसके एक प्रमुख सदस्य रहे हैं । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी चुने जाने के चलते शेखर मेहता की पहचान ने एकदम से ऊँची छलाँग लगाई और खेमे को उनके नाम से भी जाना/पहचाना जाने लगा है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले शेखर मेहता के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी चुने जाने से खेमे के लोगों में एक नई जान पड़ी और उन्हें विश्वास हुआ कि अब वह जोन 7 में विनय कुलकर्णी को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए आसानी से 'चुनवा' लेंगे ।
इसीलिए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने हेतु होने वाली मीटिंग से चार दिन पहले कोलकाता में हुए रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन के आयोजन को विनय कुलकर्णी की जीत को आसान बनाने के 'उपाय' के रूप में ही देखा/पहचाना गया और आरोपित किया गया । यह दरअसल आयोजन में विनय कुलकर्णी की उपस्थिति के कारण हुआ । आयोजन में रोटरी इंटरनेशनल के तमाम बड़े पदाधिकारी थे - इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी थे, पूर्व व मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर्स थे और फ्यूचर इंटरनेशनल डायरेक्टर्स की तो खासी भीड़ थी; लेकिन किसी की अक्ल में यह जरा सी बात नहीं आई कि रोटरी में चुनावी आचार संहिता नाम की एक व्यवस्था है, जिसकी मन से आप भले ही परवाह न करते हों, लेकिन 'दिखावे' के लिए तो कम से कम उसकी इज्जत कर लो - और उम्मीदवार होने के नाते विनय कुलकर्णी को आयोजन के मंच से दूर रखो । रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों की मौजूदगी में रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन के आयोजन में चुनावी आचार संहिता की जिस तरह से धज्जियाँ उड़ी देखी गईं, उससे खासा बबाल हो गया । कोढ़ में खाज वाली बात यह हो गई कि इतने सब के बाद भी जोन 7 में नोमीनेटिंग कमेटी ने विनय कुलकर्णी को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए नहीं चुना । 
विनय कुलकर्णी की इस असफलता ने शेखर मेहता के सहारे रोटरी की राजनीति व व्यवस्था में ऊँची छलाँग लगाने की तैयारी करने वाले रोटेरियंस को खासी चोट पहुँचाई है । उल्लेखनीय है कि शेखर मेहता के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी चुने जाते ही, रोटरी में बड़े पद पाने की जुगाड़ में लगे रहने वाले कुछेक रोटेरियंस ने शेखर मेहता के साथ अपनी नजदीकी का वास्ता देकर रोटरी में 'जो चाहेंगे, वह पा लेंगे' जैसे दावे करने शुरू कर दिए । जब तक सुशील गुप्ता इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी थे, तब तक यह सुशील गुप्ता के यहाँ सुबह-शाम हाजिरी लगाते थे, अब इन्होंने शेखर मेहता के नाम की माला जपना शुरू कर दिया है । रोटरी में जो कोई भी प्रभावी होता है, या दिखता है - यह उसके आसपास मँडराना शुरू कर देते हैं । शेखर मेहता दरअसल अभी ऐसे लोगों को हैंडल नहीं कर पा रहे हैं, और इसलिए ऐसे लोग अपने स्वार्थ में शेखर मेहता के लिए तरह तरह से मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं । रोटरी के 'चोर-उचक्कों', यहाँ तक कि रोटरी से सजा पाए रोटेरियंस ने तथा जल्दी से जल्दी कुछ भी करके बड़े पद पाने की इच्छा रखने वाले रोटेरियंस ने - इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी चुने जाते ही शेखर मेहता के नजदीक 'दिखने' तथा अपने आपको उनके नजदीक बताने की जो तत्परता दिखाई है, और ऐसे रोटेरियंस ने जिस तरह से शेखर मेहता को घेर लिया है, उससे शेखर मेहता को सिर्फ बदनामी ही मिल रही है । शेखर मेहता से हमदर्दी रखने वाले वरिष्ठ रोटेरियंस का कहना है कि शेखर मेहता ने यदि ऐसे लोगों से 'निपटना' नहीं सीखा तो मुसीबत में ही फँसेंगे । विनय कुलकर्णी को लेकर  पिछले पाँच/छह दिनों में जो तमाशा हुआ, और कुछ हासिल भी नहीं हुआ - वह एक सबक भी है । 

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में ललित खन्ना व सुनील मल्होत्रा के बीच होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में सुनील मल्होत्रा के चुनाव अभियान को तेजी पकड़ता देख कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता वोटिंग शिड्यूल जल्दी शुरू करने के लिए मजबूर हुए हैं क्या ?

गाजियाबाद । कभी हाँ तो कभी ना के भारी अनिश्चय में झूलते झूलते डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता ने आखिरकार डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए वोट डालने का शिड्यूल घोषित कर ही दिया है । मजे की बात यह हुई है कि जल्दी चुनाव करवाने को लेकर उठ रहे डिस्ट्रिक्ट के लोगों के सवालों पर तो दीपक गुप्ता ने पूरी तरह चुप्पी साधी हुई थी ही, उन्होंने अपने नजदीकियों व सहयोगियों तक से भी इस बात को छिपाया हुआ था और उन्हें पूरी तरह से अँधेरे में रखा हुआ था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के शिड्यूल को लेकर उनकी तैयारी आखिर क्या है । इसीलिए उनके नजदीकियों व सहयोगियों की तरफ से लगातार कहा जा रहा था कि दीपक गुप्ता ने जल्दी चुनाव करवाने को लेकर उनसे कोई बात नहीं की है; और इसलिए उन्हें नहीं लगता कि दीपक गुप्ता सचमुच जल्दी चुनाव करवाने को लेकर उत्सुक हैं । लेकिन वोटिंग शिड्यूल घोषित होने से यह साफ हो गया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर अपने नजदीकी सहयोगियों व डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख पदाधिकारियों को भी अँधेरे में रखा और उनके साथ धोखा किया । दरअसल इसी कारण से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर दीपक गुप्ता की नीयत में खोट व बेईमानी देखी/पहचानी गई और वह आरोपों के घेरे में फँसे । 
डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच चर्चा है कि दीपक गुप्ता जल्दी चुनाव करवा कर ललित खन्ना की जीत को सुनिश्चित कर देना चाहते हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता की हरकतों के चलते उन्हें मिलने वाली बदनामी का कुप्रभाव ललित खन्ना की उम्मीदवारी पर पड़ने का खतरा मँडराता दिखा, तो खुद दीपक गुप्ता को ही लगने लगा कि उन्हें यदि ललित खन्ना को जीत दिलवाने का श्रेय लेना है, तो उन्हें जल्दी चुनाव करवा लेना चाहिए । चुनावी राजनीति की जरूरत दीपक गुप्ता को भले ही जल्दी चुनाव करवाने के लिए प्रेरित कर रही थी, लेकिन जल्दी चुनाव करवाने के कारण पैदा होने वाली मुसीबतों की आशंका उन्हें डरा भी रही थी और इसलिए वह असमंजस में थे कि आखिर करें तो क्या करें ? दीपक गुप्ता ने चुनावी तैयारी तो पूरी कर ली थी, और इस तरह वोटिंग शिड्यूल को तय तथा घोषित करने की 'गोटी' अपने हाथ में कर ली थी - लेकिन 'फाईनल' फैसला लेने में वह हिचक रहे थे । समझा जा रहा था कि वह 'हालात' पर नजर रखे हुए हैं और हालात के अनुरूप उन्हें जैसा करने में 'फायदा' दिखेगा, वैसा वह कर लेंगे । डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों का मानना/कहना रहा कि वह दरअसल सुनील मल्होत्रा के चुनाव अभियान पर नजर रखे हैं और टोह ले रहे हैं कि सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी को डिस्ट्रिक्ट के लोगों, खासकर क्लब्स के प्रेसीडेंट्स के बीच कैसा क्या समर्थन मिलने की संभावना बन/दिख रही है ।
माना/समझा जा रहा है कि ललित खन्ना व सुनील मल्होत्रा के बीच होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में सुनील मल्होत्रा के चुनाव अभियान ने पिछले दिनों जो अप्रत्याशित रूप से तेजी पकड़ी है, उसे 'देख' कर ही दीपक गुप्ता अपना असमंजस छोड़ कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का शिड्यूल घोषित करने के लिए मजबूर हुए हैं । उल्लेखनीय है कि पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस को सेलीब्रेट करने के कार्यक्रम के जरिये सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन 'दिखाने' तथा जुटाने का जो आयोजन किया गया था, उसमें डिस्ट्रिक्ट के आम और खास रोटेरियंस की जुटी भीड़ ने सुनील मल्होत्रा तथा उनके नजदीकियों व समर्थकों को खासा उत्साहित किया और उसके बाद से उनके चुनाव अभियान ने खासा जोर पकड़ा है । पिछले दिनों रोटरी इंटरनेशनल के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप सेमीनार की कुर्बानी देकर की गई बॉलीवुड नाईट के कारण दीपक गुप्ता की जो फजीहत हुई, उसके चलते ललित खन्ना की उम्मीदवारी पर प्रतिकूल असर पड़ने का खतरा दिखा, और इस खतरे का फायदा सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी को मिलने की संभावना दिखी है । यह सब देख कर ही दीपक गुप्ता को वोटिंग शिड्यूल और टालना उचित नहीं लगा । सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के समर्थकों का कहना है कि सुनील मल्होत्रा को मिलते दिख रहे समर्थन को 'रोकने' के लिए दीपक गुप्ता ने जल्दी चुनाव करवाने का जो दाँव चला है, वह सफल नहीं होगा और इस तरह के हथकंडों से वह सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी को मिलते नजर आ रहे फायदे को रोक नहीं पायेंगे ।           

Tuesday, September 17, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में पिछले रोटरी वर्ष के प्रेसीडेंट्स के जरिये सुनील मल्होत्रा ने चुनावी राजनीति के समीकरणों को बदलने का जो प्रयास किया है, उससे सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के समर्थकों को प्रभावी माहौल बनने तथा उनकी उम्मीदवारी को खासी मजबूती मिलने का भरोसा हुआ है

नई दिल्ली । सुनील मल्होत्रा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के अभियान में क्लब्स के निवर्त्तमान प्रेसीडेंट्स (आईपीपी) की मदद लेने की जो कोशिश की है, उसने उनके नजदीकियों व शुभचिंतकों को आश्वस्त किया है कि इसका अवश्य ही प्रभावी व सकारात्मक नतीजा निकलेगा - जो उनकी उम्मीदवारी को मजबूती देगा । उल्लेखनीय है कि मौजूदा प्रेसीडेंट की रोटरी की सारी स्कूलिंग चूँकि पिछले प्रेसीडेंट की देखरेख में हुई होती है, इसलिए माना/समझा जाता है कि मौजूदा प्रेसीडेंट भावनात्मक रूप से पिछले प्रेसीडेंट के प्रभाव में ज्यादा होता/रहता है; इसी तथ्य को पहचानते हुए सुनील मल्होत्रा ने निवर्त्तमान प्रेसीडेंट्स पर खास ध्यान दिया है - पिछले रोटरी वर्ष में खुद प्रेसीडेंट होने के नाते सुनील मल्होत्रा का पिछले रोटरी वर्ष के प्रेसीडेंट्स के साथ नजदीक और विश्वास का संबंध वैसे भी है । निवर्त्तमान प्रेसीडेंट व मौजूदा प्रेसीडेंट के बीच बनने व रहने वाले भावनात्मक भरोसे को सुनील मल्होत्रा ने अपनी उम्मीदवारी के लिए 'अवसर' बनाया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में मौजूदा प्रेसीडेंट की ही ज्यादा पूछ-परख होती है, और निवर्त्तमान प्रेसीडेंट चुनावी राजनीति में अप्रासंगिक मान लिया जाता है - और इसलिए कोई भी उसे तवज्जो नहीं देता है । सुनील मल्होत्रा ने लेकिन निवर्त्तमान प्रेसीडेंट की महत्ता को समझा/पहचाना तथा अपने चुनाव अभियान में उन्हें खास तौर से जोड़ने की कोशिश की है ।
सुनील मल्होत्रा की इस कोशिश ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के अभियान के तौर-तरीकों को एक नया रूप दिया है; और अपनी इस कोशिश के जरिए उन्होंने निवर्त्तमान प्रेसीडेंट को जो सम्मान व महत्ता देने तथा दिलवाने का काम किया है, उसने चुनावी राजनीति के समीकरणों को बदलने का भी प्रयास किया है । सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों का मानना और कहना है कि निवर्त्तमान प्रेसीडेंट्स के माध्यम से सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के पक्ष में अच्छा व प्रभावी माहौल बना है तथा उनकी उम्मीदवारी को खासी मजबूती मिली है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न क्लब्स के अधिष्ठापन समारोहों में सुनील मल्होत्रा को जो विशेष तवज्जो मिलते देखी गई, उसके पीछे भी क्लब के निवर्त्तमान प्रेसीडेंट की सक्रियताभरी भूमिका को ही देखा/पहचाना गया है । अधिष्ठापन समारोहों में सुनील मल्होत्रा को सिर्फ एक उम्मीदवार के रूप में ही नहीं देखा/पहचाना गया, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के सबसे बड़े क्लब के प्रतिनिधि के रूप में भी 'देखा' गया है; क्लब के अधिष्ठापन समारोह में चूँकि निवर्त्तमान प्रेसीडेंट की मुख्य भूमिका होती है, इसलिए आयोजक क्लब का निवर्त्तमान प्रेसीडेंट सुनील मल्होत्रा को फेलो प्रेसीडेंट के रूप में देखते/पहचानते हुए उनका स्वागत करता है, तो उससे समारोह में मौजूद लोगों के बीच सुनील मल्होत्रा की एक अलग पहचान बनी और उम्मीदवार के रूप में उन्हें इसका फायदा भी मिला ।
दरअसल इससे ही सुनील मल्होत्रा और उनके समर्थकों को निवर्त्तमान प्रेसीडेंट की 'भावनात्मक ताकत' का आभास हुआ और फिर उन्होंने इस भावनात्मक ताकत को एक अवसर में बदलने के लिए काम किया । यह काम सुनील मल्होत्रा वास्तव में इसलिए भी कर पाए क्योंकि उनका क्लब डिस्ट्रिक्ट का सबसे बड़ा क्लब है; प्रेसीडेंट के रूप में सुनील मल्होत्रा को एक बड़े क्लब का नेतृत्व करने का मौका मिला - जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता का सुबूत लोगों को मिला । सहज ही समझा जा सकता है कि विभिन्न अनुभव, स्वभाव व विचार रखने वाले लोगों के क्लब को प्रेसीडेंट के रूप में नेतृत्व देना सुनील मल्होत्रा के लिए खासा चुनौतीपूर्ण रहा होगा । एक बड़े क्लब का नेतृत्व करना वास्तव में एक डिस्ट्रिक्ट का नेतृत्व करने जैसा ही चुनौतीपूर्ण मामला होता है - या शायद उससे भी मुश्किल । डिस्ट्रिक्ट में तो बहुत से क्लब्स तथा सदस्य इस बात पर ध्यान भी नहीं देते/रखते हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनका नेतृत्व आखिर कर क्या रहा है; लेकिन क्लब का प्रेसीडेंट हमेशा ही क्लब के हर सदस्य के 'राडार' पर होता है - इस बिना पर सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के समर्थक लगातार दावा करते रहे हैं कि एक बड़े क्लब का नेतृत्व करने - और खासी सफलता के साथ करने वाले सुनील मल्होत्रा डिस्ट्रिक्ट का नेतृत्व करने के लिए बिलकुल परफेक्ट हैं । एक बड़े क्लब से उम्मीदवार होने के नाते सुनील मल्होत्रा को वोटों की गिनती का भी फायदा होने की बात लोगों के बीच होती है । लोगों को लगता है कि उन्हें मिलने वाले वोटों की गिनती 25/30 से तो शुरू होती है - और यह तथ्य डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मुकाबले में सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी को महत्त्वपूर्ण बना देता है । 

रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता की संस्था रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन के आयोजन में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवार विनय कुलकर्णी की मौजूदगी ने आयोजन तथा शेखर मेहता की भूमिका को विवादास्पद बनाया

नई दिल्ली । कोलकाता में हो रहे रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन के ओरिएंटेशन कार्यक्रम में विनय कुलकर्णी की उपस्थिति ने जोन 7 में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को विवाद में घसीट लिया है । रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस को मिली/भेजी गई कुछेक शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि यह कार्यक्रम विनय कुलकर्णी की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है, और रोटरी इंटरनेशनल को इसका संज्ञान लेना चाहिए तथा इस बारे में उचित कार्रवाई करना चाहिए । शिकायतों में कहा गया है कि यह बहुत ही अफसोस की बात है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने के लिए होने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग से ठीक पहले रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन की उक्त मीटिंग की - और उसमें विनय कुलकर्णी की उपस्थिति से परहेज भी नहीं किया । उल्लेखनीय है कि जोन 7 में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में विनय कुलकर्णी भी उम्मीदवार हैं, और उन्हें शेखर मेहता खेमे के उम्मीदवार के रूप में ही देखा/पहचाना जाता है । उल्लेखनीय यह भी है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने के लिए तीन दिन बाद ही - 21 सितंबर को नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग होनी है ।
गौरतलब है कि रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन के पीछे शेखर मेहता का ही दिमाग और उनकी मेहनत है । 2011 में श्रीलंका में आयोजित हुई रोटरी साऊथ एशिया कॉन्फ्रेंस में शेखर मेहता की प्रेरणा व पहल से श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, मालदीव्स तथा भारत के रोटेरियंस ने क्षेत्र में अन्य कई विषयों के साथ-साथ शिक्षा व स्वास्थ्य को लेकर काम करने के लिए रोटरी साऊथ एशिया सोसायटी फॉर डेवेलपमेंट एंड को-ऑपरेशन का गठन किया था । पिछले वर्ष इसका ही नाम बदल कर रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन किया गया है । मजे की बात यह है कि इसके तहत काम भले ही शिक्षा व स्वास्थ्य को लेकर किए गए हैं, लेकिन इसके गठन तथा इसके कामों के पीछे असली उद्देश्य राजनीतिक ही देखा/पहचाना गया है । इसी कारण से बासकर चॉकलिंगम ने इंटरनेशनल डायरेक्टर के अपने कार्यकाल में रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन को तथा उसके कार्यक्रमों को कोई तवज्जो नहीं दी; और उनके इंटरनेशनल डायरेक्टर के कार्यकाल में इसकी सक्रियता भी कम रही और जो रही भी वह दबी-छिपी रही । रोटेरियंस के बीच माना जाता रहा है कि शेखर मेहता ने लंबी राजनीतिक छलाँग लगाने के लिए ही इसका गठन किया है । रोटरी में बहुत से लोग मानते और कहते हैं कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट (नॉमिनी) के पद पर पहुँचने में रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन के जरिए किए गए 'कामों' ने शेखर मेहता की काफी मदद की है ।
सिर्फ समझा ही नहीं जा रहा है, बल्कि कहा भी जा रहा है कि रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन ने अब विनय कुलकर्णी को इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने का बीड़ा उठा लिया है । रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस को भेजी गई शिकायतों में कहा गया है कि रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन के कोलकाता में हो रहे कार्यक्रम में शेखर मेहता तथा मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर भरत पांड्या व कमल सांघवी की उपस्थिति में विनय कुलकर्णी की जिस तरह की मौजूदगी रही और 'दिखाई' गई है, वह जोन 7 में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश है और चुनावी आचार-संहिता का खुला उल्लंघन है । कहा गया है कि डिस्ट्रिक्ट्स में होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में आचार-संहिता के नाम पर उम्मीदवारों पर तरह तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं, लेकिन इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर्स की मौजूदगी में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवार को खुल्लमखुल्ला तवज्जो दी जा रही है । बिडंवना और निराशा की बात यह भी है कि रोटरी इंटरनेशनल को भेजी गई शिकायतों के संबंध में संबद्ध रोटेरियंस का यह भी कहना है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के सान्निध्य में ही जब चुनावी आचार-संहिता का उल्लंघन किया जा रहा हो और मजाक बनाया जा रहा हो, तो न्याय मिलने की उम्मीद भी घट जाती है । इसी कारण से जोन 7 में इंटरनेशनल डायरेक्टर का चयन करने के लिए होने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग से चार दिन पहले, 16 सितंबर को कोलकाता में शुरू हुए दो दिवसीय रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन का आयोजन गहरे विवाद में फँस गया है ।

Monday, September 16, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में अशोक कंतूर की डिस्ट्रिक्ट को 'बंद' करवा देने की धमकी, अजीत जालान की 'बनिया कार्ड' की राजनीति तथा महेश त्रिखा की निश्चिंतता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के सीन को सी-ग्रेड हिंदी फिल्म के नाटक जैसा बना दिया है

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव दूसरे वर्ष भी हारने की स्थिति में डिस्ट्रिक्ट 'बंद' करवा देने की अशोक कंतूर की धमकी तथा बनिया प्रेसीडेंट्स के भरोसे चुनाव जीतने की अजीत जालान की घोषणा ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में खासा ड्रामा पैदा कर दिया है । तीसरी तरफ महेश त्रिखा को उम्मीद है कि इन दोनों की आपसी लड़ाई उन्हें आसानी से जीत दिलवा देगी । इस तरह, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनावी परिदृश्य किसी सी-ग्रेड हिंदी फिल्म का सा आभास देता हुआ लग रहा है; जिसमें रोना-धोना है, साजिशें हैं, धमकियाँ हैं, चलताऊ किस्म के हथकंडे हैं, अच्छे-अच्छे सपने हैं - यानि फूहड़ किस्म के मनोरंजन का पूरा पूरा सामान है । सबसे धमाकेदार घोषणा अशोक कंतूर ने की हुई है । कुछेक लोगों से उन्होंने साफ कहा है कि इस बार भी वह यदि चुनाव नहीं जीते, तो डिस्ट्रिक्ट में हो रही गड़बड़ियों व बेईमानियों की वह पोल खोलेंगे और जिसके चलते हो सकता है कि रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट को नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में ही डाल दे । अशोक कंतूर दरअसल उन पूर्व गवर्नर्स नेताओं से बहुत खफा हैं, जो पिछले वर्ष तो उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में थे, लेकिन इस वर्ष उनकी उम्मीदवारी में  दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं ।अशोक कंतूर का कहना है कि उनके पास सभी गवर्नर्स की कारस्तानियों का कच्चा-चिट्ठा है, और यदि गवर्नर्स का समर्थन न मिलने के कारण वह चुनाव हारे - तो वह सभी की शिकायत रोटरी इंटरनेशनल में करेंगे । उनका कहना है कि उनके पास गड़बड़ियों व बेईमानियों के जो तथ्य हैं, वह इतने गंभीर हैं कि उन्हें देख/जान कर रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट को सस्पेंड भी कर सकता है ।
अजीत जालान ने अपनी जीत का जो फार्मूला लोगों को बताया है, वह भी लोगों का खासा मनोरंजन कर रहा है । उनका कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में करीब सत्तर प्रतिशत क्लब्स के प्रेसीडेंट बनिए हैं, इनमें से यदि कुछेक ने उन्हें धोखा दिया भी तो भी उन्हें इतने प्रेसीडेंट्स तो वोट दे ही देंगे जो उनकी जीत को सुनिश्चित करेंगे । अजीत जालान का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में हर कोई जानता है कि वह पूर्व गवर्नर विनोद बंसल के उम्मीदवार हैं, जो कि पंजाब के बनिए हैं और इस तरह वह उन्हें बनियों के साथ-साथ पंजाबियों का भी समर्थन मिलेगा और ऐसे में उन्हें भला कौन हरा सकेगा ? इस तरह की बातें करने पर अजीत जालान से कुछेक लोगों ने हालाँकि पूछा भी कि पिछले रोटरी वर्ष में उन्हें यह जरूरी नहीं लगता था क्या कि बनिए प्रेसीडेंट्स को बनिया उम्मीदवार को वोट देना चाहिए; पिछले वर्ष तो वह बनिए प्रेसीडेंट्स पर दबाव बना रहे थे कि वह पंजाबी उम्मीदवार को वोट दें ? इस सवाल पर कहीं चुप रह कर तो कहीं यह कहते हुए अजीत जालान ने अपने आप को 'बचाया' कि पिछले वर्ष की बात अलग थी । पिछले रोटरी वर्ष में अशोक कंतूर की हार के लिए अजीत जालान ने बनिया बहुल रोहतक क्षेत्र के रोटेरियंस को खूब कोसा था और उन पर धोखा देने का आरोप लगाया था । अजीत जालान ने कई लोगों को कहा/बताया है कि उनकी तथा उनके समर्थक नेताओं की तरफ से कोशिशें हो रही हैं कि इस बार रोहतक के क्लब्स के पदाधिकारी उनकी उम्मीदवारी के साथ धोखाधड़ी न कर सकें । कहीं कहीं अजीत जालान ने यह भी कहा है कि उन्हें तो उनके नेता जैसा कहने को कहते हैं, वह वैसा ही लोगों के बीच कहने लगते हैं । इससे लोगों को यह भी लग रहा है कि 'बनिया कार्ड' अजीत जालान का दिमागी फितूर नहीं है, बल्कि उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं की सोची-समझी रणनीति है ।
अशोक कंतूर व अजीत जालान को अपनी अपनी उम्मीदवारी को लेकर आक्रामक रवैया अपनाते देख महेश त्रिखा अपनी उम्मीदवारी को लेकर निश्चिंत हुए जा रहे हैं । उन्हें लग रहा है कि यह दोनों जितना ज्यादा सक्रिय होंगे, उतना ही एक दूसरे को नुकसान पहुँचायेंगे और इस तरह उनकी उम्मीदवारी के लिए रास्ते को आसान बनायेंगे । महेश त्रिखा और उनके समर्थक दरअसल पहले इस बात से डरे हुए थे कि अशोक कंतूर व अजीत जालान के बीच कहीं समझौता न हो जाए; उन्हें डर था कि यदि इन दोनों में से कोई एक उम्मीदवार रहा तो सीधे मुकाबले में महेश त्रिखा के लिए चुनाव निकालना मुश्किल हो सकता है - लेकिन जैसे जैसे यह साफ होता जा रहा है कि अशोक कंतूर के साथ-साथ अजीत जालान भी उम्मीदवार रहेंगे, वैसे वैसे महेश त्रिखा तथा उनके समर्थकों को अपना काम आसान होता नजर आ रहा है । महेश त्रिखा और उनके समर्थकों का गणित है कि पिछले रोटरी वर्ष में अशोक कंतूर व अजीत जालान की मिलीजुली 'ताकत' जब अशोक कंतूर को चुनाव नहीं जितवा सकी थी, तब अलग अलग होकर यह दोनों क्या पा लेंगे ? दूसरे लोगों को भी लगता है कि महेश त्रिखा का यदि अशोक कंतूर से सीधा मुकाबला हो रहा होता, तो अशोक कंतूर को सहानुभूति का फायदा मिल सकता था, लेकिन अजीत जालान की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने से उस फायदे की उम्मीद पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है । अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के साथ रवि चौधरी वाली 'बीमारी' भी लगी हुई है । अशोक कंतूर को रवि चौधरी के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है और माना जाता है कि रवि चौधरी की हरकतों के चलते अशोक कंतूर की उम्मीदवारी को नुकसान हुआ था । रवि चौधरी की हरकतें बदस्तूर जारी हैं और अभी हाल ही में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव राय मेहरा के पेम वन कार्यक्रम में कई गवर्नर्स को जिस तरह से अपमानित होना पड़ा, उसके लिए संजीव राय मेहरा के साथ-साथ उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में रवि चौधरी को भी जिम्मेदार ठहराया गया है । समझा जाता है कि इस तरह की बातों से अशोक कंतूर की उम्मीदवारी को नुकसान होगा । सचमुच में क्या होगा, यह तो बाद में पता चलेगा - अभी लेकिन जिस तरह की बातें हो रही हैं, उसके चलते लोगों का फिलहाल मनोरंजन खूब हो रहा है ।

Sunday, September 15, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय से मिले बायोडेटा के अनुसार, रोटरी में काम करने के अनुभव के मामले में ललित खन्ना का पलड़ा भारी देखा/पहचाना गया है और इस आधार पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए ललित खन्ना की उम्मीदवारी को 'वजन' मिला है

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय द्वारा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों का बायोडेटा क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को भेजने के साथ ही ललित खन्ना व सुनील मल्होत्रा के बीच होने वाला चुनाव लोगों को और नजदीक आता हुआ दिख रहा है, तथा इसी के साथ चुनावी गहमागहमी भी खासी बढ़ गई है । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता के सम्मान में तथा उनकी मौजूदगी में हुए कार्यक्रमों में डिस्ट्रिक्ट के मौजूदा, भावी व पूर्व गवर्नर्स के साथ ललित खन्ना को जो तवज्जो मिली, उसके चलते ललित खन्ना को भावी गवर्नर के रूप में देखा/पहचाना गया - और इस कारण से उनकी उम्मीदवारी को लोगों के बीच बढ़त मिलने के दावे सुनाई पड़े हैं । कुछेक गवर्नर्स ने ललित खन्ना का शेखर मेहता से परिचय वर्ष 2022-23 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में करवाया; इससे डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लगा है कि डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर गवर्नर्स ने ललित खन्ना को विजेता उम्मीदवार के रूप में देखना/पहचानना शुरू कर दिया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ रोटेरियंस तथा क्लब्स के प्रेसीडेंट कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में इस बात से प्रभावित होते ही हैं कि डिस्ट्रिक्ट के मौजूदा, भावी व पूर्व गवर्नर्स किस उम्मीदवार को तवज्जो दे रहे हैं - और वह इसके आधार पर ही फैसला करते हैं । इसलिए ही शेखर मेहता के सामने कई गवर्नर्स द्वारा ललित खन्ना को मिली तवज्जो ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उनकी उम्मीदवारी के अभियान को मजबूती दी है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय से मिले बायोडेटा के आधार पर भी ललित खन्ना की उम्मीदवारी को 'वजन' मिला है । प्रत्येक संदर्भ में ललित खन्ना का पलड़ा भारी देखा/पहचाना गया है, और रोटरी में काम करने के अनुभव के मामले में भी उन्हें काफी आगे 'पाया' जा रहा है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय से प्रेसीडेंट्स को जो बायोडेटा मिले हैं, वह खुद उम्मीदवार ही तैयार करके अपने नामांकन के साथ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय को सौंपते हैं - इसलिए कोई यह आरोप नहीं लगा सकता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय ने जो बायोडेटा प्रेसीडेंट्स को भेजे हैं, उन्हें तैयार करने में कोई पक्षपात किया गया है । बायोडेटा होने से किसी उम्मीदवार के लिए यह भी संभव नहीं होता है कि वह झूठे और बढ़चढ़ कर दावे कर सके । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में हालाँकि कभी कभी कोई उम्मीदवार ऐसा आ जाता है जो बकलोली करते हुए शेखचिल्लीपूर्ण बातें करके लंबी-चौड़ी फेंकता/छोड़ता है, लेकिन बायोडेटा लोगों को उसकी असली 'औकात' बता/दिखा देता है और इसलिए उसकी बकलोली का लोगों पर कोई असर पड़ता नहीं है और वह लोगों के बीच मजाक बन कर ही रह जाता है । संभवतः रोटरी इंटरनेशनल ने इसीलिए चुनावी प्रक्रिया में प्रेसीडेंट्स को उम्मीदवारों का बायोडेटा भेजना जरूरी किया हुआ है । मजे की बात है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के शोर में उम्मीदवारों के बायोडेटा को ज्यादा महत्त्व मिलते हुए नहीं 'देखा' जाता है, लेकिन उम्मीदवारों का मूल्याँकन करने तथा उनकी कथनी/करनी में फर्क 'दिखाने' का काम बायोडेटा 'चुपचाप' तरीके से करता ही है ।
ललित खन्ना के बायोडेटा ने प्रेसीडेंट्स को जिस तरह से प्रभावित किया है; उसे देख/जान कर ललित खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों को विश्वास है कि प्रेसीडेंट्स अपने अपने क्लब की बोर्ड मीटिंग में बायोडेटा के आधार में उम्मीदवारों के काम तथा उनके अनुभव का मूल्याँकन करेंगे तो बोर्ड के बाकी सदस्य भी ललित खन्ना के बायोडेटा से प्रभावित होंगे और ललित खन्ना को वोट देने की वकालत करेंगे । उल्लेखनीय है कि ललित खन्ना ने जब से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की है, तभी से लगातार प्रभावी अभियान चलाया है, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में महत्त्वपूर्ण व निर्णायक भूमिका निभाने वाले पदाधिकारियों के बीच अपनी पैठ बनाने की उन्होंने सुनियोजित कोशिश की है । इसी कोशिश के तहत उन्होंने प्रत्येक अवसर पर अपनी सक्रियता दिखाई है । डिस्ट्रिक्ट इंस्टॉलेशन का कार्यक्रम हो, जोन के कार्यक्रम हों, उनके अपने क्लब का अधिष्ठापन समारोह हो, रोटरी फाउंडेशन के चेयरमैन गैरी हुऑंग के सम्मान में तथा उनकी मौजूदगी में हुआ आयोजन हो, और चाहें अभी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता के सम्मान में तथा उनकी मौजूदगी में हुए कार्यक्रम हैं - सभी में ललित खन्ना की जैसी सक्रियता भरी उपस्थिति रही है, उसके चलते उनकी उम्मीदवारी को दृढ़ता व बढ़त मिलती दिख रही है ।

Wednesday, September 11, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3110 में एक क्लब प्रेसीडेंट अंकुर अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को प्रभावित करने के लिए उनकी ईमेल आईडी को फर्जी तरीके से इस्तेमाल करने के मामले में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आईएस तोमर का नाम लेकर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी पैदा की

बरेली । रोटरी क्लब बरेली मैग्नेट सिटी के प्रेसीडेंट अंकुर अग्रवाल ने धोखे और फर्जी तरीके से उनकी ईमेल आईडी को इस्तेमाल करके डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पदाधिकारियों को बदनाम करने तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को प्रभावित करने के मामले में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आईएस तोमर का नाम लेकर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी पैदा कर दी है । दरअसल कुछेक लोगों को यह भी लग रहा है कि जो हो रहा है, उसमें अंकुर अग्रवाल भी राजनीति खेल रहे हैं, और या 'मोहरा' बन रहे हैं । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस में कंसर्न अधिकारी जितिंदर सिंह को लिखे/भेजे ईमेल संदेश में अंकुर अग्रवाल ने बताया और दावा किया कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रवि प्रकाश अग्रवाल पर मतपत्र छीनने तथा जबरन उनके हस्ताक्षर करवाने का आरोप लगते हुए उनके नाम से जो शिकायत की गई है, वह शिकायत उनकी ईमेल आईडी का फर्जी व धोखेपूर्ण तरीके से इस्तेमाल करके की गई है । अंकुर अग्रवाल ने अपने संदेश-पत्र में इस फर्जीवाड़े के लिए अपने क्लब के पूर्व प्रेसीडेंट राहुल वोहरा पर संदेह व्यक्त किया है । अंकुर अग्रवाल ने कहा/बताया है कि राहुल वोहरा ने रोटरी इंटरनेशनल के कुछेक मैसेज देखने का वास्ता देकर उनसे उनकी ईमेल आईडी ली थी; उन्हें शक है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आईएस तोमर की चुनावी राजनीति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से राहुल वोहरा ने ही उनकी ईमेल आईडी का फर्जी तरीके से इस्तेमाल करके उक्त आरोपपूर्ण मेल भेजी है ।
उल्लेखनीय है कि अंकुर अग्रवाल के नाम से भेजी गई पहली ईमेल, जिसे कुछ ही घंटों के अंदर अंकुर अग्रवाल ने फर्जी बता दिया है, में आरोप लगाया गया है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रवि प्रकाश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू के बेटे तथा अन्य कुछ रोटेरियंस के साथ उनके कार्यालय में ठीक उस समय पहुँचे, जब वह पोस्टमैन से मतपत्रों वाला लिफाफा ले रहे थे । उनसे उक्त लिफाफा छीना गया और जबरन उनसे मतपत्रों पर हस्ताक्षर करवा लिए गए । उक्त आरोपपूर्ण शिकायत के साथ माँग की गई कि जबरन हस्ताक्षरित करवाए गए उनके मतपत्र को निरस्त किया जाए । इसके कुछ घंटों के भीतर ही अंकुर अग्रवाल ने उक्त ईमेल-पत्र को फर्जी बताते हुए रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय को ईमेल-पत्र लिखा । कुछेक लोगों को हालाँकि यह भी लगता है कि दोनों ईमेल-पत्र अंकुर अग्रवाल द्वारा ही लिखे भेजे गए हैं; पहले ईमेल-पत्र के बाद उन पर भारी दबाव पड़ा, जिसके चलते उन्हें कुछ ही घंटों के भीतर दूसरा ईमेल-पत्र लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के हथकंडों से परिचित वरिष्ठ रोटेरियंस का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद को लेकर जिस तरह की राजनीति होती रही है, और इस वर्ष होने वाला चुनाव दोनों खेमों के लिए जिस तरह से महत्त्वपूर्ण हो उठा है - उसे देखते हुए किसी भी तरह की 'हरकत' से इंकार नहीं किया जा सकता है ।
ऐसे में, रोटरी इंटरनेशनल के साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों के सामने समस्या यह पैदा हो गई है कि वह अंकुर अग्रवाल के कौन से ईमेल-पत्र को सच मानें - पहले वाले को, या दूसरे वाले को । चूँकि अंकुर अग्रवाल का आरोप और फिर कुछ ही घंटों के भीतर उसे फर्जी बताना रिकॉर्ड पर है, इसलिए रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के सामने यह तय करने की गंभीर चुनौती आ पड़ी है कि वह अंकुर अग्रवाल की किस बात पर यकीन करें । डिस्ट्रिक्ट का राजनीतिक माहौल चूँकि गहमागहमीभरा है, और उसमें तरह तरह के 'षड्यंत्र' हो रहे हैं - इसलिए हर किसी के लिए यह समझना खासा मुश्किल है कि कौन कब सच बोल रहा है, और कौन झूठ ? रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के लिए मुसीबत की बात यह है कि वह यदि अंकुर अग्रवाल के दूसरे ईमेल-पत्र को सच मानते हुए पहले ईमेल पत्र को फर्जी मान लें, और फिर बाद में 'साबित' हो कि अंकुर अग्रवाल ने दूसरा ईमेल-पत्र दबाव में आकर लिखा था - तो फिर रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की भी फजीहत होगी । जो भी हो, रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों को फैसला तो करना ही होगा । इस झमेले से लेकिन एक बात यह जरूर जाहिर हो गई है कि पवन अग्रवाल और सतीश जायसवाल के बीच होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में काफी तमाशे देखने को मिलेंगे ।
अंकुर अग्रवाल की दोनों ईमेल-पत्र की तस्वीरें :

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता ने अपने जीएमएल में रोटरी फाउंडेशन के लिए 50 लाख अमेरिकी डॉलर से ज्यादा रकम इकट्ठा करने का दावा करके अपने झूठे व बड़बोले होने का एक बार फिर सुबूत दिया

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता के 50 लाख अमेरिकी डॉलर से ज्यादा रकम टीआरएफ डिनर में जमा होने के दावे को रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने झूठा बताया है । रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा है कि यह दीपक गुप्ता कैसा व्यक्ति है, जो इतने बड़े बड़े झूठ धड़ल्ले से बोलता है । उनका दावा रहा कि रोटरी के इतिहास में इतनी रकम किसी एक दिन रोटरी फाउंडेशन को कभी नहीं मिली है । उनका पूछना रहा कि दीपक गुप्ता क्या इस तरह का झूठ बोल कर रोटरी के इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाना चाहते हैं ? रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों का कहना है कि दीपक गुप्ता को क्या सचमुच भरोसा है कि वह कोई भी झूठ बोलेंगे, और रोटरी फाउंडेशन तथा रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारी उसे सच मान लेंगे और उनके नाम से रिकॉर्ड दर्ज कर लेंगे ? लोगों की दिलचस्पी अब यह जानने में है कि अपने झूठे दावे पर 'रंगे हाथ' पकड़े जाने के बाद दीपक गुप्ता अब क्या बहाना लगा कर इस झूठे दावे से पीछा छुड़ाने की कोशिश करेंगे ? उल्लेखनीय है कि दीपक गुप्ता द्वारा प्रकाशित अगस्त माह के जीएमएल में दीपक गुप्ता की तरफ से उक्त दावा करते हुए एक पूरे पृष्ठ का फीचर प्रकाशित हुआ है । जीएमएल में प्रकाशित फीचर में, इतनी बड़ी रकम इकट्ठा करने/करवाने में सहयोग करने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता ने अपने डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस को शुक्रिया भी कहा है ।
जीएमएल में प्रकाशित फीचर में दीपक गुप्ता द्वारा किए गए इस दावे को जिसने भी पढ़ा, वह हैरान रह गया । उक्त टीआरएफ डिनर कार्यक्रम में मौजूद रहे रोटेरियंस ही नहीं, बल्कि जो रोटेरियंस उक्त कार्यक्रम में नहीं भी थे - उन्होंने भी दीपक गुप्ता के इस दावे को सरासर झूठा बताया । रोटेरियंस का कहना रहा कि उन्हें यह तो ठीक ठीक नहीं पता है कि उक्त कार्यक्रम में वास्तव में कुल कितनी रकम इकट्ठा हुई है, लेकिन वह यह जरूर कह सकते हैं कि 50 लाख अमेरिकी डॉलर की रकम तो नहीं ही इकट्ठा हुई है ।किसी की भी समझ में नहीं आ रहा है कि दीपक गुप्ता को इतना बड़ा झूठ बोलने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी है ? दीपक गुप्ता को जानने वालों का कहना/बताना है कि दीपक गुप्ता थोड़े बड़बोले तो हैं और उन्हें लंबी लंबी छोड़ने/फेंकने की बहुत ही बुरी आदत है; लेकिन छोड़ने/फेंकने के मामले में वह इतना आगे बढ़ जायेंगे - यह उन्होंने नहीं सोचा था । उनके नजदीकियों को लगता है कि चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता का गवर्नर-वर्ष बहुत ही बुरे अनुभवों से गुजर रहा है, जिसके चलते वह भारी दबाव में हैं और कुछ बड़ा करना चाहते हैं, जिससे उनकी कमियों पर पर्दा पड़ जाए और रोटरी के बड़े पदाधिकारियों व नेताओं के बीच उनका नाम हो जाए - हो सकता है कि इसी चक्कर में वह 50 लाख अमेरिकी डॉलर से ज्यादा रकम इकट्ठा करने का दावा कर बैठे हों ।
दीपक गुप्ता ने कुछ 'बड़ा करने' के चक्कर में यदि यह दावा किया है, तो इस दावे ने उल्टा ही असर किया है और इसने उनकी फजीहत में और इजाफा ही किया है । मेंबरशिप सेमीनार जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम को घोषित करने के बावजूद न करने के चलते दीपक गुप्ता पहले से ही मुसीबत में घिरे हुए थे, कि उनकी इस हरकत ने उनकी मुसीबतों को और बढ़ा दिया है । इससे पहले डिस्ट्रिक्ट इंस्टॉलेशन समारोह में ढाई सौ डॉलर देने की शर्त के नाम पर दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट के सदस्यों, रोटरी फाउंडेशन तथा रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टी गुलाम वाहनवती के साथ 'धोखाधड़ी' करने के आरोप में फँस चुके हैं । क्लब्स के प्रेसीडेंट्स की तरफ से दीपक गुप्ता को तब तगड़ी चोट पड़ी, जब उन्होंने क्लब्स के प्रेसीडेंट्स पर यह दबाव बनाने की कोशिश की कि अपने इंस्टॉलेशन कार्यक्रमों में वह किसे किसे आमंत्रित करें; प्रेसीडेंट्स ने उनकी यह बात मानने से साफ इंकार कर दिया और तब दीपक गुप्ता को मनमसोस कर रह जाना पड़ा - और क्लब्स के कार्यक्रमों में उन्हें उन लोगों के साथ मंच पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिन्हें वह कार्यक्रम से ही बाहर रखना चाहते थे । अपनी बातों और अपनी हरकतों के चलते डिस्ट्रिक्ट में प्रेसीडेंट्स तथा वरिष्ठ रोटेरियंस के बीच दीपक गुप्ता कई मौकों पर लज्जित हो चुके हैं, तो रोटरी के बड़े पदाधिकारियों व नेताओं के बीच कई बार मजाक का विषय बन चुके हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने कोई सबक नहीं सीखा है । रोटरी फाउंडेशन के लिए एक ही कार्यक्रम में 50 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक की रकम इकट्ठा करने के दावे के जरिये दीपक गुप्ता ने एक बार फिर दिखाया/बताया है कि उनके गवर्नर-वर्ष में बेवकूफियों, अराजकता तथा झूठे दावों का ही जोर रहेगा; और वह अपनी हरकतों से अपने साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट व रोटरी का भी मजाक बनाते रहेंगे । 

Monday, September 9, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी चक्कर से बचने के लिए नवीन गुलाटी चाहते हैं कि उनके समर्थक नेता पंकज डडवाल की उम्मीदवारी को वापस करवाएँ, लेकिन नेता लोग इसमें दूसरी मुसीबतें देख रहे हैं और चाहते हैं कि चुनाव हो ही जाए

पानीपत । नवीन गुलाटी अपने समर्थक नेताओं से इस बात पर कुछ खफा खफा नजर आ रहे हैं कि वह उन्हें निर्विरोध डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने/बनवाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि नवीन गुलाटी इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार हैं, और उन्हें टीके रूबी व जितेंद्र ढींगरा के नेतृत्व वाले सत्ता खेमे के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । सत्ता खेमे के समर्थन के चलते उनकी चुनावी स्थिति को खासा मजबूत माना/समझा जा रहा है । उनकी मजबूत स्थिति को देखते हुए ही पूर्व प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू के नेतृत्व वाले खेमे ने अपना उम्मीदवार न लाने में ही भलाई देखी है । राजा साबू ने हालाँकि अपनी तरह से नवीन गुलाटी के रास्ते में रोड़े अटकाने के प्रयास तो किए थे, और महिला गवर्नर लाने/बनवाने की चर्चा चला कर चालाकी खेलने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी चालाकी चली नहीं । कपिल गुप्ता की उम्मीदवारी आने की आशंका के चलते चुनावी लड़ाई थोड़ी दिलचस्प होने की उम्मीद थी, लेकिन कपिल गुप्ता के मैदान छोड़ देने से नवीन गुलाटी के लिए मामला और आसान हो गया । रोटरी क्लब शिमला मिडटाऊन की तरफ से पंकज डडवाल की उम्मीदवारी के प्रस्तुत होने से चुनावी लड़ाई के हालात तो बन गए हैं, लेकिन नवीन गुलाटी व पंकज डडवाल के बीच होने वाले चुनावी मुकाबले को हर कोई एक बेमेल मुकाबले के रूप में ही देख/समझ रहा है, और मान रहा है कि नवीन गुलाटी बड़े अंतर से आसानी से चुनाव जीत जायेंगे ।
नवीन गुलाटी की समस्या लेकिन दूसरी है । वह चाहते हैं कि उन्हें चुनावी मुकाबले का सामना न करना पड़े और वह निर्विरोध ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुन लिए जाएँ । उन्हें भी लगता है और कई लोगों ने उन्हें समझाया भी है कि उनके समर्थक नेता यदि पंकज डडवाल व उनके नजदीकियों से बात करें तो पंकज डडवाल को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी किया जा सकता है और उनके निर्विरोध चुने जाने का रास्ता बन सकता है । नवीन गुलाटी के नजदीकियों के अनुसार, नवीन गुलाटी लेकिन यह देख कर हैरान/परेशान हैं कि उनके समर्थक नेता पंकज डडवाल की उम्मीदवारी वापस करवाने में कोई दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं । नेताओं का मानना/कहना है कि वह यदि पंकज डडवाल की उम्मीदवारी वापस करवाने के लिए प्रयास करेंगे तो इससे दो नुकसान होंगे; एक नुकसान तो यह होगा कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच संदेश जायेगा कि वह चुनाव से डर रहे हैं और इस कारण उनकी राजनीतिक साख व धाक को चोट पहुँचेगी; तथा दूसरा नुकसान यह होगा कि उन्हें अगले रोटरी वर्ष में पंकज डडवाल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने/बनवाने का वायदा करना होगा और फिर उस वायदे को पूरा करने में जुटना होगा । इस कारण से नेता लोग चाहते हैं कि चुनाव हो और बुरी हार के बाद पंकज डडवाल का चक्कर आगे के लिए भी पूरी तरह से खत्म हो - इस कारण से वह पंकज डडवाल से या उनके 'गॉडफादर' से कोई समझौता करने के लिए मजबूर भी नहीं होंगे ।
नेताओं को भी और दूसरे लोगों को भी यह समझने में मुश्किल हो रही है कि तमाम अनुकूल स्थितियों के बावजूद नवीन गुलाटी चुनाव से बचने की कोशिश क्यों कर रहे हैं । नवीन गुलाटी के नजदीकियों के अनुसार, नवीन गुलाटी को अपनी चुनावी जीत को लेकर कोई शक/संदेह नहीं है; वह तो चुनाव से इसलिए बचना चाहते हैं ताकि चुनावी चक्कर में होने वाली उनकी भागदौड़ बच जाए । नवीन गुलाटी समझ रहे हैं कि पंकज डडवाल उम्मीदवार के रूप में उनके सामने टिक भले ही न पा रहे हों, लेकिन उम्मीदवार बने रह कर वह नवीन गुलाटी को भागदौड़ करने के लिए तो मजबूर कर ही देंगे । चुनाव होने की स्थिति में तमाम अनुकूल स्थितियों के बावजूद नवीन गुलाटी को क्लब्स के प्रेसीडेंट्स तथा अन्य प्रमुख लोगों से मिलना-जुलना तो पड़ेगा ही और इसके लिए जगह जगह आना-जाना भी पड़ेगा । इस चक्कर में पैसे भी खर्च होंगे । ऐसे में नवीन गुलाटी को लगता है कि पंकज डडवाल की उम्मीदवारी को यदि वापस करवा दिया जाए, और उनके लिए निर्विरोध डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने जाने का रास्ता बन जाए - तो फिर वह सारे झंझट से बच जायेंगे । नवीन गुलाटी को विश्वास है कि उनके समर्थक नेता लोग यदि प्रयास करेंगे तो पंकज डडवाल को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी कर लेंगे । नेता लोगों को लेकिन लगता है, जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, कि पंकज डडवाल की उम्मीदवारी को वापस करवाने के चक्कर में पड़ेंगे, तो और कई मुसीबतों को आमंत्रित कर बैठेंगे । समर्थक नेताओं के इस तर्क के चलते नवीन गुलाटी अपनी 'माँग' पर ज्यादा जोर तो नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन अपने समर्थक नेताओं के रवैये से वह संतुष्ट व खुश भी नहीं हैं ।

Sunday, September 8, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव राय मेहरा का पहला ही कार्यक्रम प्रमुख पदाधिकारियों व वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स की बेइज्जती करने तथा पैसा कमाने का जरिया बनने के आरोपों के चलते बदनामी व फजीहत का शिकार हुआ

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव राय मेहरा की अपने पहले कार्यक्रम - पेम वन में मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल, पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रंजन ढींगरा व विनय अग्रवाल की एक साथ 'बेइज्जती' करने के मुद्दे पर जैसी फजीहत हुई है, वैसी डिस्ट्रिक्ट में इससे पहले शायद ही कभी किसी की हुई होगी । फजीहत का शिकार होने के बाद संजीव राय मेहरा ने सारी कमियों/गलतियों का ठीकरा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रवि चौधरी के सिर फोड़ कर अपने को बचाने की कोशिश की है; लेकिन इसके लिए भी उन्हें लोगों से सुनने को मिल रहा है कि छोटी और घटिया सोच रखने वाले रवि चौधरी को उन्होंने जब डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बना लिया है, तो उन्हें उस पर लगाम रखना भी तो सीखना पड़ेगा । संजीव राय मेहरा के नजदीकियों व शुभचिंतकों ने उन्हें आगाह किया है कि उन्होंने यदि रवि चौधरी की हरकतों पर लगाम नहीं लगाई तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्हें सिर्फ फजीहत और बदनामी ही झेलने को मिलेगी । पेम वन के आयोजन के नाम पर तथा डिस्ट्रिक्ट टीम के प्रमुख पदों को 'बेचने' के जरिये मोटी रकम कमाने/बनाने के आरोप भी संजीव राय मेहरा पर लग रहे हैं; हालाँकि कई लोग यह कहते हुए भी सुने गए हैं कि पता नहीं संजीव राय मेहरा को कुछ मिलेगा भी, या सारी रकम रवि चौधरी खुद अकेले ही हड़प जायेंगे ?
संजीव राय मेहरा ने पेम वन के आयोजन में पहला झटका डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन को दिया । उल्लेखनीय है कि रोटरी में नियम और व्यवस्था के अनुसार डिस्ट्रिक्ट में कोई भी कार्यक्रम डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की तरफ से ही होता है - और हो सकता है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के भी जो कार्यक्रम होते हैं; प्रोटोकॉल के अनुसार, उनका निमंत्रण भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की तरफ से ही जाता है । संजीव राय मेहरा ने लेकिन मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन को पूरी तरह इग्नोर करते हुए तथा प्रोटोकॉल की ऐसीतैसी करते हुए निमंत्रण अपनी तरफ से दिया । सुरेश भसीन की इस बेइज्जती के लिए कुछेक लोग सुरेश भसीन को भी यह तर्क देते हुए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं कि सुरेश भसीन रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत करते तो संजीव राय मेहरा और रवि चौधरी यह हरकत नहीं कर पाते; लेकिन जब सुरेश भसीन ही अपनी बेइज्जती पर चुप लगा गए तो फिर दूसरा कौन उनकी मदद कर सकता है । वरिष्ठ रोटेरियंस ने अमित जैन के गवर्नर-वर्ष में हुए इसी से मिलती-जुलती हरकत को याद करते हुए बताया कि उस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में असित मित्तल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार विनोद बंसल के साथ मिल कर अमित जैन को इग्नोर करते हुए अपने एक कार्यक्रम की तैयारी शुरू कर दी थी । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अमित जैन को चूँकि जितेंद्र गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में देखा जा रहा था, इसलिए अमित जैन को बेइज्जत करने की असित मित्तल की मुहिम में विनोद बंसल भी बढ़चढ़ कर सहयोग कर रहे थे । आमतौर पर झगड़े-झंझट से दूर रहने वाले अमित जैन ने रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत कर उक्त कार्यक्रम को 'नल एंड वॉइड' घोषित करने का अनुरोध कर दिया, जिसकी जानकारी मिलने पर असित मित्तल ने फिर अमित जैन से विचार-विमर्श करके कार्यक्रम तय किया और प्रोटोकॉल के हिसाब से कार्यक्रम हुआ । लोगों का कहना है कि सुरेश भसीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, वह चाहें तो संजीव राय मेहरा को प्रोटोकॉल के हिसाब से कार्यक्रम करने के लिए 'मजबूर' कर सकते हैं - और अपने आप को बेइज्जत होने से बचा सकते हैं ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अनूप मित्तल का प्रोफाइल डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में नहीं छापा गया; इसके लिए बड़ा फनी कारण बताया गया कि प्रोफाइल माँगने और तैयार करने के बावजूद उसे इसलिए नहीं छापा जा सका, क्योंकि डायरेक्टरी में पेज नहीं बचा था । रंजन ढींगरा को डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयर जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर होने के बावजूद कार्यक्रम के महत्त्वपूर्ण मौकों पर मंच पर नहीं बुलाया गया । अनूप मित्तल और रंजन ढींगरा ने लोगों के बीच खुलकर अपनी नाराजगी को प्रदर्शित किया । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय अग्रवाल के लिए मुसीबत की बात यह रही कि अपनी उपेक्षा पर वह बेचारे खुलकर अपनी नाराजगी भी व्यक्त नहीं कर सके । दरअसल उन्हें तथा अन्य लोगों को उम्मीद थी कि संजीव राय मेहरा व रवि चौधरी की जोड़ी उन्हें डिस्ट्रिक्ट एडवाइजरी काउंसिल में अवश्य ही रखेंगे; लेकिन जब उन्हें वहाँ नहीं देखा/पाया गया, तो उन्होंने शिकायती स्वर में कुछ कहने/बोलने की कोशिश की तो लोगों ने यह कहते हुए उनका ही मजाक बनाना शुरू कर दिया कि आप तो इन दोनों की बड़ी तरफदारी करते रहे हैं, फिर भी इन्होंने आपको अपनी एडवाइजरी काउंसिल में रखने लायक नहीं समझा । कुछेक लोगों ने विनय अग्रवाल के साथ चुटकी भी ली कि आप क्या समझते थे कि रवि चौधरी सिर्फ दूसरों के साथ बदतमीजी करेगा, आपके साथ नहीं करेगा - अब जब उसकी 'बदतमीजी' का शिकार आप भी हो गए हैं, तो कैसा लग रहा है ? इस तरह की बातें सुनकर विनय अग्रवाल ने समझ लिया कि वह तो एडवाइजरी काउंसिल में जगह न मिलने का रोना भी किसी के सामने नहीं रो सकते हैं; यदि रोयेंगे तो हर कोई उनसे हमदर्दी दिखाने की बजाये उनका मजाक ही बनायेगा । 
संजीव राय मेहरा पेम वन के आयोजन तथा डिस्ट्रिक्ट टीम के प्रमुख पदों को 'बेचने' के जरिये मोटी रकम 'कमाने' के आरोपों के घेरे में भी फँसे हैं । पेम वन के आयोजन को उन्होंने 26 क्लब्स से स्पॉन्सर करवाया, जिसके तहत प्रत्येक क्लब से 60 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक लिए गए । कुछेक रोटेरियंस ने व्यक्तिगत रूप से आयोजन को स्पॉन्सर किया । कई लोगों को लगता है कि संजीव राय मेहरा ने जितना पैसा इकट्ठा किया, खर्च उसका आधा भी नहीं हुआ । डायरेक्टरी में पेज कम पड़ जाने के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी का प्रोफाइल नहीं छापे जा सकने वाली बात पर गौर करें, तो समझ सकते हैं कि संजीव राय मेहरा ने पैसे खर्च करने के मामले में कैसी कैसी कंजूसी व बचत की होगी और कितने पैसे बचाये होंगे ? अपनी डिस्ट्रिक्ट टीम के प्रमुख पदों के लिए चुने गए लोगों से भी संजीव राय मेहरा द्वारा मोटी मोटी रकमें बसूलने की चर्चा है । लोगों के बीच चर्चा सुनी जा रही है कि संजीव राय मेहरा ने अपनी गवर्नरी को पैसा कमाने/जुटाने का जरिया बना लिया है । संजीव राय मेहरा के नजदीकियों व शुभचिंतकों का कहना है कि असल में पैसों के मामले में रवि चौधरी की चूँकि खासी बदनामी रही है और उनके एकाउंट को लेकर भी खासी फजीहत वाली स्थिति रही थी, इसलिए भी संजीव राय मेहरा की हर कार्रवाई को शक/संदेह की निगाह से देखा जायेगा और यदि उन्होंने अपने तौर-तरीकों में पारदर्शिता नहीं रखी तो उनके हिस्से में भी रवि चौधरी जैसी ही बदनामी आएगी - और जो आना शुरू भी हो गई है ।

Saturday, September 7, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में मेंबरशिप सेमीनार जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम की कुर्बानी देकर की गई बॉलीवुड नाईट के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट के लोगों के साथ-साथ रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों व नेताओं के बीच भी फजीहत का शिकार बने

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप सेमीनार को रद्द करके बॉलीवुड नाईट करवाने की हरकत के चलते हुई फजीहत के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता को बॉलीवुड नाईट कार्यक्रम से दूर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा । इस कार्यक्रम को लेकर दीपक गुप्ता को दोहरी मुसीबत झेलना पड़ रही है । डिस्ट्रिक्ट के दिल्ली व सोनीपत क्षेत्र के रोटेरियंस व प्रेसीडेंट्स इस कारण उनसे नाराज हुए हैं कि उन्हें कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं मिला और जिसके चलते वह कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके; दूसरी तरफ रोटरी के बड़े नेताओं ने दीपक गुप्ता की इस बात के लिए आलोचना की कि उन्होंने बॉलीवुड नाईट के नाम पर मेंबरशिप सेमीनार जैसे रोटरी इंटरनेशनल के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम की गुपचुप तरीके से बलि चढ़ा दी । रोटरी के कुछेक बड़े नेताओं ने 'रचनात्मक संकल्प' से भी 7 सितंबर के लिए मेंबरशिप सेमीनार की पूर्व घोषणा के तथ्य की जानकारी ली और पुष्टि की, जिसके तहत 'रचनात्मक संकल्प' ने उन्हें बताया कि अपने गवर्नर वर्ष की डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में पृष्ठ 102 पर खुद दीपक गुप्ता ने कार्यक्रम का शिड्यूल प्रकाशित किया हुआ है । दीपक गुप्ता ने 27 सदस्यों की भारी-भरकम डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप कमेटी बनाई हुई है, जिसके चेयरमैन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल हैं; लेकिन न दीपक गुप्ता ने और न रमेश अग्रवाल ने किसी को बताया है कि 7 सितंबर को होने वाले मेंबरशिप सेमीनार का आखिर हुआ क्या ? रमेश अग्रवाल की भी इस बात के लिए आलोचना हो रही है कि उन्हें यदि चेयरमैन बनने का शौक है, तो उन्हें चेयरमैन पद की जिम्मेदारी निभाने में तथा नियमानुसार पद के अनुरूप काम करने में भी उन्हें दिलचस्पी क्यों नहीं है ।
मजे की बात यह है कि दीपक गुप्ता की तरफ से लगातार यही तर्क दिया जा रहा है कि बॉलीवुड नाईट डिस्ट्रिक्ट का कार्यक्रम नहीं है; लेकिन उनकी तरफ से आधिकारिक रूप से यह नहीं बताया जा रहा है कि यह कार्यक्रम आखिर था किसका ? रोटरी की व्यवस्था के अनुसार, डिस्ट्रिक्ट में कोई भी कार्यक्रम या तो क्लब करता है और या डिस्ट्रिक्ट । डिस्ट्रिक्ट का कार्यक्रम कुछेक क्लब्स तथा डिस्ट्रिक्ट टीम के कुछेक पदाधिकारी मिल कर करते हैं । बॉलीवुड नाईट का आयोजन दो असिस्टेंट गवर्नर्स तथा उनके जोन के प्रेसीडेंट्स ने किया है, तो इसे डिस्ट्रिक्ट का ही कार्यक्रम माना जायेगा । रोटरी के नियम-कानूनों तथा उसकी व्यवस्था को जानने/समझने वाले वरिष्ठ रोटेरियंस का कहना है कि बॉलीवुड नाईट का जो आयोजन हुआ है, उसमें कुछ भी गलत नहीं है; गलत सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता का रवैया है; अपने रवैये और अपनी बेवकूफी के चलते वह ऐसी मुसीबत में फँस गए हैं कि उससे निकलने के लिए उन्हें नए नए बहाने गढ़ने पड़ रहे हैं तथा मुँह छिपाना पड़ रहा है । उल्लेखनीय है कि बॉलीवुड नाईट कार्यक्रम जिस होटल में हुआ, वह दीपक गुप्ता के घर से मुश्किल से सौ मीटर की दूरी पर होगा, लेकिन फिर भी दीपक गुप्ता ने कार्यक्रम में न जाने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । रोटरी में इससे पहले ऐसा शायद ही किसी डिस्ट्रिक्ट में किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के साथ हुआ होगा कि दो असिस्टेंट गवर्नर्स अपने जोन के प्रेसीडेंट्स के साथ मिल कर एक कार्यक्रम करें, जिसमें कई रोटेरियंस शामिल हुए हों, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को उस कार्यक्रम से मुँह छिपाना पड़ा हो ।
दीपक गुप्ता को अपनी टीम के दो प्रमुख पदाधिकारियों तथा 12 क्लब्स के प्रेसीडेंट्स द्वारा आयोजित कार्यक्रम से इसलिए मुँह छिपाना पड़ा, क्योंकि जिस तारीख को यह कार्यक्रम हुआ, उस तारीख पर उन्होंने मेंबरशिप सेमीनार करने की घोषणा की हुई थी । 7 सितंबर को होने वाले मेंबरशिप सेमीनार का क्या हुआ, यह डिस्ट्रिक्ट में किसी को नहीं पता - डिस्ट्रिक्ट की मेंबरशिप कमेटी के पदाधिकारियों को भी इस बारे में कुछ नहीं पता । कमेटी के चेयरमैन रमेश अग्रवाल को भी पता है या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है । गारंटी लेकिन इस बात की जरूर है कि चेयरमैन के रूप में रमेश अग्रवाल ने भी अपनी कमेटी के पदाधिकरियों को कोई जानकारी नहीं दी है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता एक तरफ तो बॉलीवुड नाईट के लिए मेंबरशिप सेमीनार की कुर्बानी करने को लेकर फजीहत का शिकार बन रहे हैं; दूसरी तरफ डिस्ट्रिक्ट के तमाम रोटेरियंस व पदाधिकारी इस बात पर खफा हैं कि उन्हें बॉलीवुड नाईट से दूर रखा गया है । दिल्ली व सोनीपत क्षेत्र के वरिष्ठ रोटेरियंस तथा क्लब्स के प्रेसीडेंट्स व अन्य पदाधिकारी इस बात पर नाराजगी जता/दिखा रहे हैं कि उन्हें क्यों इस कार्यक्रम से अलग-थलग रखा गया और निमंत्रण तक नहीं दिया गया । डिस्ट्रिक्ट में यह भी कहा/सुना जा रहा है कि बॉलीवुड नाईट वास्तव में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार ललित खन्ना का कार्यक्रम था, जिसके लिए दीपक गुप्ता ने मेंबरशिप सेमीनार की बलि चढ़ा दी । दीपक गुप्ता की इस हरकत के चलते विवाद में फँसा बॉलीवुड नाईट कार्यक्रम ललित खन्ना के लिए भी मुसीबत का कारण बना । ललित खन्ना के समर्थकों व शुभचिंतकों को डर हुआ है कि दीपक गुप्ता की हरकत के चलते बॉलीवुड नाईट कार्यक्रम को लेकर रोट्रेरियंस के बीच जो नाराजगी पैदा हुई है, वह कहीं ललित खन्ना की उम्मीदवारी के अभियान पर प्रतिकूल असर न डाले ।

Friday, September 6, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में मेरठ के बाद गाजियाबाद में भी पंकज बिजल्वान की उम्मीदवारी के संदर्भ में मुकेश गोयल की राजनीति को तगड़ा झटका लगा, जहाँ बड़े क्लब्स के पदाधिकारियों व सदस्यों ने उनके कार्यक्रम से दूर रहने का फैसला किया 

गाजियाबाद । बड़े क्लब्स के पदाधिकारियों तथा सदस्यों के दूर रहने के कारण सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए पंकज बिजल्वान की उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने तथा 'दिखाने' के उद्देश्य से कल देर शाम मुकेश गोयल द्वारा आयोजित की गई मीटिंग को फेल हुआ माना जा रहा है । मीटिंग में उपस्थित हुए लोगों के अनुसार ही, गाजियाबाद क्षेत्र के बड़े क्लब्स - पाँच और उससे अधिक वोट वाले क्लब्स के पदाधिकारियों तथा सदस्यों को मीटिंग में अनुपस्थित देख कर खुद मुकेश गोयल तथा दूसरे नेताओं को भारी झटका लगा और उनके मुँह लटक गए । मुकेश गोयल को सबसे तगड़ा झटका लायंस क्लब गाजियाबाद से ही लगा; क्लब के सदस्य पूर्व गवर्नर अजय सिंघल तो कार्यक्रम में थे, लेकिन उनके साथ क्लब के एक ही सदस्य पहुँचे । लायंस क्लब गाजियाबाद डिस्ट्रिक्ट का सबसे बड़ा क्लब है; बड़ा क्लब होने के नाते इस क्लब में हर खेमे के समर्थक हैं; इस नाते किसी भी कार्यक्रम में दस/पंद्रह सदस्यों का पहुँचना/होना एक सामान्य बात रही है । मुकेश गोयल का इस क्लब के सदस्यों के बीच विशेष प्रभाव भी रहा है, इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि मुकेश गोयल के कार्यक्रम में लायंस क्लब गाजियाबाद के सदस्यों की बड़ी संख्या देखने को मिलेगी । लेकिन अजय सिंघल सहित कुल दो सदस्यों को कार्यक्रम में पहुँचा देख कर मुकेश गोयल का माथा गर्मा गया । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि गाजियाबाद में किसी उम्मीदवार की मीटिंग हो, और उसमें लायंस क्लब गाजियाबाद के कम से कम दस/पंद्रह सदस्य न पहुँचे हों । लायंस क्लब गाजियाबाद के अलावा, क्षेत्र के और जो क्लब पाँच या उससे अधिक वोटों के हैं, उनके पदाधिकारियों व सदस्यों ने भी मुकेश गोयल के निमंत्रण को अनदेखा/अनसुना किया ।
मुकेश गोयल के नजदीकियों ने इसका ठीकरा निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन विनय मित्तल के सिर फोड़ा । उनका आरोप है कि विनय मित्तल ने क्लब्स के पदाधिकारियों व सदस्यों को कार्यक्रम में जाने से रोका । उनका दावा है कि इसके बावजूद कार्यक्रम में 24 क्लब्स के 85 से ज्यादा लायंस उपस्थित हुए । मुकेश गोयल के नजदीकियों द्वारा विनय मित्तल पर लगाए जा रहे आरोप को यदि सच मान लें, तो इससे यही बात साबित होती है कि क्लब्स के पदाधिकारियों व सदस्यों पर विनय मित्तल का प्रभाव मुकेश गोयल से ज्यादा है । उल्लेखनीय है कि इससे पहले मेरठ में अलेक्जेंडर एथलेटिक क्लब में होने वाले एक कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा पंकज बिजल्वान का नाम निमंत्रण पत्र से उड़ा देने की घटना हो चुकी है । मुकेश गोयल लाख कोशिशों के बावजूद पंकज बिजल्वान का नाम निमंत्रण पत्र में नहीं जुड़वा सके हैं । मुकेश गोयल के नजदीकियों ने इसके लिए भी विनय मित्तल को जिम्मेदार ठहराया हुआ है । इन घटनाओं से लग रहा है कि पंकज बिजल्वान की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के मुकेश गोयल के प्रयास अपेक्षित नतीजा नहीं दे पा रहे हैं; और मुकेश गोयल के नजदीकी हालात की गंभीरता व नाजुकता को स्वीकारने तथा समझने की बजाए अपनी हर असफलता व कमजोरी के लिए विनय मित्तल को जिम्मेदार ठहरा दे रहे हैं ।
इससे कई लोगों को यह आशंका भी हो चली है कि पंकज बिजल्वान की उम्मीदवारी बनी भी रह सकेगी, या वह कोई समझौता करके बीच में ही अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लेंगे । गाजियाबाद में हुई मीटिंग में कई लोगों ने अपनी यह आशंका व्यक्त की और पंकज बिजल्वान से सीधे ही सवाल पूछा कि उम्मीदवारी के मामले में कहीं धोखा तो नहीं दोगे । पंकज बिजल्वान ने हालाँकि उन्हें अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में आश्वस्त तो किया है; लेकिन उनके 'व्यवहार' से ज्यादा लोग आश्वस्त नहीं हुए हैं । कार्यक्रम में उपस्थित रहे कुछेक लोगों ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया कि पंकज बिजल्वान 'मंच' पर अधिकतर समय तो अपने मोबाइल में ही व्यस्त रहे । अरुण मित्तल जब लोगों को संबोधित कर रहे थे, तब उनकी बात सुनने तथा उनकी बात से लोगों के बीच पैदा होने वाली प्रतिक्रिया पर ध्यान देने और उसे समझने की कोशिश करने की बजाए पंकज बिजल्वान के मोबाइल में व्यस्त रहने की तस्वीर ने लोगों को बताया/दिखाया है कि अपनी ही उम्मीदवारी के अभियान में वह स्वयं गंभीर नहीं हैं । इसीलिए कार्यक्रम में पंकज बिजल्वान की उम्मीदवारी पर आशंका व्यक्त करने वाले सवाल उठने तथा उसका जबाव देने/मिलने के बाद भी पंकज बिजल्वान की उम्मीदवारी को लेकर आशंका कम होने की बजाए गहरा और गई है । लोगों को भी लग रहा है कि मुकेश गोयल के कार्यक्रम जब फेल हो रहे हैं, और वह पंकज बिजल्वान का नाम कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र में नहीं छपवा पा रहे हैं, और उनके कार्यक्रमों से बड़े क्लब्स के पदाधिकारी व सदस्य दूर रह रहे हैं, तब पंकज बिजल्वान उम्मीदवार बने भी आखिर किसके भरोसे रहेंगे ? 

Thursday, September 5, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में मेंबरशिप सेमीनार को रद्द करके बॉलीवुड नाईट करवाने की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता की 'कार्रवाई' ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की गरिमा व प्रतिष्ठा को बदनामी के दलदल में फँसाया

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप सेमीनार को जिस तरह से बॉलीवुड नाईट में बदल दिया है, उसके कारण डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उनकी भारी थू-थू हो रही है । उल्लेखनीय है कि रोटरी में मेंबरशिप सेमीनार का बड़ा खास महत्त्व है, और इसे रोटरी के विस्तार व फैलाव के संदर्भ में एक जरूरी कार्यक्रम के रूप में खासतौर से डिजाईन किया गया है । इसी कारण से दीपक गुप्ता ने जब अपने गवर्नर वर्ष के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों का शिड्यूल तय किया, तब उन्होंने मेंबरशिप सेमीनार को भी तवज्जो दी । लेकिन लगता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी करते हुए उन्होंने अपनी प्राथमिकताएँ बदल ली हैं, और मेंबरशिप सेमीनार जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम की उनके लिए कोई जरूरत और या प्रासंगिकता नहीं रह गई है । दीपक गुप्ता शायद पहले और अकेले गवर्नर होंगे, जिन्होंने मेंबरशिप सेमीनार को रद्द करके बॉलीवुड नाईट जैसे कार्यक्रम को तवज्जो दी है । दीपक गुप्ता के नजदीकियों ने दीपक गुप्ता का बचाव करते हुए हालाँकि तर्क दिया है कि बॉलीवुड नाईट डिस्ट्रिक्ट का कार्यक्रम नहीं है, और इसके लिए दीपक गुप्ता को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है । नजदीकी लेकिन इस सवाल पर चुप्पी साध जाते हैं कि दीपक गुप्ता ने पहले से घोषित मेंबरशिप सेमीनार को रद्द क्यों कर दिया और क्यों यह जानकारी भी डिस्ट्रिक्ट के लोगों को देना जरूरी नहीं समझा ?
और यह तर्क भी किसी को हजम नहीं हो रहा है कि बॉलीवुड नाईट डिस्ट्रिक्ट का कार्यक्रम नहीं है; कार्यक्रम के आयोजक दो असिस्टेंट गवर्नर्स हैं - जो वास्तव में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के प्रतिनिधि होते हैं । कहने के लिए तो कहा जा रहा है कि बॉलीवुड नाईट दो असिस्टेंट गवर्नर्स तथा उनके जोन के प्रेसीडेंट्स कर रहे हैं, लेकिन दोनों जोन के कई प्रेसीडेंट्स का कहना है कि उन्हें तो इस कार्यक्रम की जानकारी ही बाद में मिली और उन्हें तो जबर्दस्ती कार्यक्रम में शामिल बताया जा रहा है । दोनों जोन के कई क्लब्स के बोर्ड मेंबर्स  का कहना है कि बॉलीवुड नाईट कार्यक्रम के संदर्भ में उनके क्लब में कोई बात नहीं हुई है, और उन्हें तो कार्यक्रम का कॉर्ड देख कर पता चला कि इसके आयोजकों में उनका अपना क्लब भी शामिल है । दो असिस्टेंट गवर्नर्स अपने जोन के क्लब्स के पदाधिकारियों को अँधेरे में रख कर - और वास्तव में उनके साथ धोखा करके उनके नाम पर एक कार्यक्रम कर रहे हैं; और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता को अपने प्रतिनिधियों की इस हरकत के बारे में पता ही नहीं है । वह क्या सो रहे हैं ? और मान लेते हैं कि पहले उन्हें इस बारे में यदि नहीं भी पता था, तो अब जब पता हो गया है, तब वह क्या कर रहे हैं ? जाहिर है कि मेंबरशिप सेमीनार को रद्द करके उसकी जगह हो रहे बॉलीवुड नाईट कार्यक्रम के होने में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता की पूरी पूरी मिलीभगत है ।
डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच चर्चा है कि बॉलीवुड नाईट वास्तव में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से हो रही है । कार्यक्रम के प्रचार अभियान में हालाँकि ललित खन्ना का कहीं कोई नाम नहीं है और कोई भी ऐसा तथ्य पब्लिक डोमेन में नहीं है जिससे पता चले या साबित हो कि बॉलीवुड नाईट कार्यक्रम का ललित खन्ना से कोई लेना-देना है; लेकिन कुछेक लोगों के हवाले से दावा किया गया है कि ललित खन्ना ने उन्हें फोन करके इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है । डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ रोटेरियंस का मानना/कहना है कि किसी उम्मीदवार की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के लिए कोई आयोजन हो, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किसी उम्मीदवार का समर्थन करे - इसे रोटरी की राजनीति में स्वीकार्यता मिल गई है, और इसमें आपत्ति की कोई बात नहीं है । इसे हर कोई अपने अपने तरीके से करता ही है, लेकिन इस चक्कर में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अपनी जिम्मेदारियाँ और अपने पद की गरिमा भूल जाए, यह बहुत ही शर्मनाक बात है । वरिष्ठ रोटेरियंस ने ही रेखांकित किया कि पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुभाष जैन ने अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी का समर्थन किया था, लेकिन इस चक्कर में उन्होंने रोटरी के कार्यक्रमों व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की गरिमा पर आँच नहीं आने दी थी; लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता जिस तरह अपनी गवर्नरी और रोटरी के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों को 'बेच' दे रहे हैं - उससे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर, डिस्ट्रिक्ट व रोटरी की पहचान व प्रतिष्ठा पर संकट गहरा रहा है ।

Wednesday, September 4, 2019

रोटरी फाउंडेशन के चेयरमैन गैरी हुऑंग के हाथों सम्मानित होने से डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस के बीच एक रोटेरियन के रूप में ललित खन्ना की पहचान में व्यापकता व स्वीकार्यता बढ़ने से डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी परिदृश्य में ललित खन्ना की उम्मीदवारी खासी महत्त्वपूर्ण हो गई है 

नई दिल्ली । मेजर डोनर लेबल थ्री बनने पर रोटरी फाउंडेशन के चेयरमैन गैरी हुऑंग से प्रशंसा और सम्मान पाकर ललित खन्ना ने एक रोटेरियन के रूप में अपनी पहचान को जिस तरह से और व्यापक व प्रतिष्ठित व स्वीकार्य बनाया है, उससे उनके नजदीकियों व समर्थकों को भरोसा हुआ है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में निश्चित ही उन्हें इसका फायदा मिलेगा । दिल्ली में डिस्ट्रिक्ट 3011 व डिस्ट्रिक्ट 3012 के संयुक्त रूप से आयोजित हुए कार्यक्रम को गैरी हुऑंग की मौजूदगी से यूँ भी एक विशिष्टता प्राप्त हुई और इसी विशिष्ट कार्यक्रम में ललित खन्ना को मेजर डोनर लेबल थ्री बनने पर गैरी हुऑंग ने सम्मानित किया । उल्लेखनीय है कि रोटरी में मेजर डोनर लेबल थ्री बनने वाले तो बहुत से रोटेरियन मिल जायेंगे, लेकिन इसके लिए रोटरी फाउंडेशन के चेयरमैन के हाथों सम्मानित होने का सौभाग्य किसी किसी को ही मिल पाता है । यह ठीक है कि यह सौभाग्य कई तरह के संयोगों पर निर्भर करता है, और यह सौभाग्य पाने वाले रोटेरियन को यह किस्मत से ही मिल पाता है; ललित खन्ना के नजदीकियों व समर्थकों को यह संयोग इसलिए भी उत्साहित कर रहा है क्योंकि इससे यह भी 'दिख' रहा है कि इस समय ललित खन्ना की किस्मत भी जोरशोर से उनके साथ है ।
बड़े-बुजुर्गों ने कहा भी है कि किस्मत भी उसका ही साथ देती है, जो प्रयत्न करता है । ललित खन्ना ने मेजर डोनर लेबल थ्री बनने के लिए खुद से प्रयत्न किए, तो उन्हें रोटरी फाउंडेशन के चेयरमैन से सम्मानित होने का सौभाग्य मिला; उन्होंने यदि उक्त प्रयत्न न किया होता तो उन्हें यह सौभाग्य नहीं ही मिलता । ललित खन्ना के नजदीकियों व समर्थकों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी को लेकर ललित खन्ना ने जिस तरह का प्रयत्न किया हुआ है, और डिस्ट्रिक्ट के आम व खास रोटेरियंस के साथ उन्होंने जिस तरह का तालमेल बनाया हुआ है, उसके कारण उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने जाने का भी निश्चित सौभाग्य मिलेगा । उल्लेखनीय है कि ललित खन्ना ने मेजर डोनर लेबल थ्री बनने की घोषणा अपने डिस्ट्रिक्ट के डिस्ट्रिक्ट इंस्टॉलेशन समारोह में ही कर दी थी, और उनके द्वारा दिए गए चेक को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मुकेश अरनेजा ने बड़े उत्साह से समारोह में उपस्थित लोगों को दिखाया था । उक्त समारोह में मंच से ललित खन्ना की जो वाह-वाही हुई थी, उसे देख कर क्लब्स के प्रेसीडेंट तथा डिस्ट्रिक्ट के अन्य रोटेरियंस खासे प्रभावित हुए थे; और एक उम्मीदवार के रूप में ललित खन्ना की डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच एक अलग ही छाप पड़ी/बनी । 
ललित खन्ना ने अपनी उम्मीदवारी को लेकर चलाए अपने संपर्क अभियान में डिस्ट्रिक्ट के आम व खास रोटेरियंस को, और खासकर प्रेसीडेंट्स को 'स्पेशल' फील करवाया ।इसी का नतीजा रहा कि ललित खन्ना ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी को मजबूती देने की जो कोशिश की, उसे डिस्ट्रिक्ट इंस्टॉलेशन समारोह में उनके मेजर डोनर लेवल थ्री बनने की घोषणा ने और बल प्रदान किया है । ललित खन्ना के नजदीकियों तथा उनके शुभचिंतकों का ही नहीं, बल्कि दूसरे लोगों का भी कहना है कि डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस तथा खासतौर से प्रेसीडेंट्स ने ललित खन्ना के साथ नजदीकी बनाने तथा दिखाने में जिस तरह से लगातार दिलचस्पी ली है - और विभिन्न मौकों पर उसे प्रदर्शित भी किया है, उसे ललित खन्ना की उम्मीदवारी के लिए बढ़ते व मजबूत होते समर्थन के रूप में ही देखा/पहचाना गया है । यही 'सीन' दिल्ली में रोटरी फाउंडेशन के चेयरमैन की मौजूदगी में हुए समारोह में ललित खन्ना के हुए सम्मान के बाद देखने को मिल रहा है । इस स्थिति को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले दूसरे रोटेरियंस भी ललित खन्ना की उम्मीदवारी के लिए अच्छे संकेत के रूप में देख/पहचान रहे हैं - और इस बात ने इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी परिदृश्य में ललित खन्ना की उम्मीदवारी को खासा महत्त्वपूर्ण बना दिया है ।