Tuesday, September 17, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में पिछले रोटरी वर्ष के प्रेसीडेंट्स के जरिये सुनील मल्होत्रा ने चुनावी राजनीति के समीकरणों को बदलने का जो प्रयास किया है, उससे सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के समर्थकों को प्रभावी माहौल बनने तथा उनकी उम्मीदवारी को खासी मजबूती मिलने का भरोसा हुआ है

नई दिल्ली । सुनील मल्होत्रा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के अभियान में क्लब्स के निवर्त्तमान प्रेसीडेंट्स (आईपीपी) की मदद लेने की जो कोशिश की है, उसने उनके नजदीकियों व शुभचिंतकों को आश्वस्त किया है कि इसका अवश्य ही प्रभावी व सकारात्मक नतीजा निकलेगा - जो उनकी उम्मीदवारी को मजबूती देगा । उल्लेखनीय है कि मौजूदा प्रेसीडेंट की रोटरी की सारी स्कूलिंग चूँकि पिछले प्रेसीडेंट की देखरेख में हुई होती है, इसलिए माना/समझा जाता है कि मौजूदा प्रेसीडेंट भावनात्मक रूप से पिछले प्रेसीडेंट के प्रभाव में ज्यादा होता/रहता है; इसी तथ्य को पहचानते हुए सुनील मल्होत्रा ने निवर्त्तमान प्रेसीडेंट्स पर खास ध्यान दिया है - पिछले रोटरी वर्ष में खुद प्रेसीडेंट होने के नाते सुनील मल्होत्रा का पिछले रोटरी वर्ष के प्रेसीडेंट्स के साथ नजदीक और विश्वास का संबंध वैसे भी है । निवर्त्तमान प्रेसीडेंट व मौजूदा प्रेसीडेंट के बीच बनने व रहने वाले भावनात्मक भरोसे को सुनील मल्होत्रा ने अपनी उम्मीदवारी के लिए 'अवसर' बनाया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में मौजूदा प्रेसीडेंट की ही ज्यादा पूछ-परख होती है, और निवर्त्तमान प्रेसीडेंट चुनावी राजनीति में अप्रासंगिक मान लिया जाता है - और इसलिए कोई भी उसे तवज्जो नहीं देता है । सुनील मल्होत्रा ने लेकिन निवर्त्तमान प्रेसीडेंट की महत्ता को समझा/पहचाना तथा अपने चुनाव अभियान में उन्हें खास तौर से जोड़ने की कोशिश की है ।
सुनील मल्होत्रा की इस कोशिश ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के अभियान के तौर-तरीकों को एक नया रूप दिया है; और अपनी इस कोशिश के जरिए उन्होंने निवर्त्तमान प्रेसीडेंट को जो सम्मान व महत्ता देने तथा दिलवाने का काम किया है, उसने चुनावी राजनीति के समीकरणों को बदलने का भी प्रयास किया है । सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों का मानना और कहना है कि निवर्त्तमान प्रेसीडेंट्स के माध्यम से सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के पक्ष में अच्छा व प्रभावी माहौल बना है तथा उनकी उम्मीदवारी को खासी मजबूती मिली है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न क्लब्स के अधिष्ठापन समारोहों में सुनील मल्होत्रा को जो विशेष तवज्जो मिलते देखी गई, उसके पीछे भी क्लब के निवर्त्तमान प्रेसीडेंट की सक्रियताभरी भूमिका को ही देखा/पहचाना गया है । अधिष्ठापन समारोहों में सुनील मल्होत्रा को सिर्फ एक उम्मीदवार के रूप में ही नहीं देखा/पहचाना गया, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के सबसे बड़े क्लब के प्रतिनिधि के रूप में भी 'देखा' गया है; क्लब के अधिष्ठापन समारोह में चूँकि निवर्त्तमान प्रेसीडेंट की मुख्य भूमिका होती है, इसलिए आयोजक क्लब का निवर्त्तमान प्रेसीडेंट सुनील मल्होत्रा को फेलो प्रेसीडेंट के रूप में देखते/पहचानते हुए उनका स्वागत करता है, तो उससे समारोह में मौजूद लोगों के बीच सुनील मल्होत्रा की एक अलग पहचान बनी और उम्मीदवार के रूप में उन्हें इसका फायदा भी मिला ।
दरअसल इससे ही सुनील मल्होत्रा और उनके समर्थकों को निवर्त्तमान प्रेसीडेंट की 'भावनात्मक ताकत' का आभास हुआ और फिर उन्होंने इस भावनात्मक ताकत को एक अवसर में बदलने के लिए काम किया । यह काम सुनील मल्होत्रा वास्तव में इसलिए भी कर पाए क्योंकि उनका क्लब डिस्ट्रिक्ट का सबसे बड़ा क्लब है; प्रेसीडेंट के रूप में सुनील मल्होत्रा को एक बड़े क्लब का नेतृत्व करने का मौका मिला - जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता का सुबूत लोगों को मिला । सहज ही समझा जा सकता है कि विभिन्न अनुभव, स्वभाव व विचार रखने वाले लोगों के क्लब को प्रेसीडेंट के रूप में नेतृत्व देना सुनील मल्होत्रा के लिए खासा चुनौतीपूर्ण रहा होगा । एक बड़े क्लब का नेतृत्व करना वास्तव में एक डिस्ट्रिक्ट का नेतृत्व करने जैसा ही चुनौतीपूर्ण मामला होता है - या शायद उससे भी मुश्किल । डिस्ट्रिक्ट में तो बहुत से क्लब्स तथा सदस्य इस बात पर ध्यान भी नहीं देते/रखते हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनका नेतृत्व आखिर कर क्या रहा है; लेकिन क्लब का प्रेसीडेंट हमेशा ही क्लब के हर सदस्य के 'राडार' पर होता है - इस बिना पर सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी के समर्थक लगातार दावा करते रहे हैं कि एक बड़े क्लब का नेतृत्व करने - और खासी सफलता के साथ करने वाले सुनील मल्होत्रा डिस्ट्रिक्ट का नेतृत्व करने के लिए बिलकुल परफेक्ट हैं । एक बड़े क्लब से उम्मीदवार होने के नाते सुनील मल्होत्रा को वोटों की गिनती का भी फायदा होने की बात लोगों के बीच होती है । लोगों को लगता है कि उन्हें मिलने वाले वोटों की गिनती 25/30 से तो शुरू होती है - और यह तथ्य डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मुकाबले में सुनील मल्होत्रा की उम्मीदवारी को महत्त्वपूर्ण बना देता है ।