Thursday, September 26, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की परीक्षा प्रणाली की खामियों के खिलाफ छात्रों के आंदोलन को प्रवीन शर्मा व पूजा बंसल से मिली मदद के चलते इंस्टीट्यूट प्रशासन अपने जिद्दी रवैये को छोड़ आखिरकार घुटने टेकने के लिए मजबूर हुआ

नई दिल्ली । दोपहर बाद तेजी से बदलते घटनाचक्र में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के प्रशासन को अंततः आंदोलनकारी छात्रों के सामने घुटने टेकने के लिए मजबूर होना पड़ा और इंस्टीट्यूट की परीक्षा प्रणाली में सुधार के सुझाव तैयार करने के लिए छह सदस्यीय कमेटी के गठन की उसकी घोषणा के साथ छात्रों का आंदोलन समाप्त हुआ । इस मामले में निर्णायक भूमिका नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की कार्यकारी चेयरपरसन रहीं पूजा बंसल के वीडियो संदेश ने निभाई । पूजा बंसल ने करीब पौने सात मिनट के अपने वीडियो संदेश में परीक्षा प्रणाली को लेकर इंस्टीट्यूट प्रशासन के ढीले-ढाले रवैये को जिस तथ्यात्मक तरीके से तथा सुबूतों के साथ प्रस्तुत किया, उसके बाद इंस्टीट्यूट प्रशासन के लिए मुँह छिपाने का कोई मौका नहीं बचा । दोपहर तक अपनी परीक्षा प्रणाली को चाक-चौबंद बताने का दावा करने वाला इंस्टीट्यूट प्रशासन पूजा बंसल का वीडियो संदेश सामने आने के बाद यू-टर्न लेने को मजबूर हुआ और तेजी से हरकत में आया - जिसका नतीजा रहा कि शाम तक उसने छह सदस्यीय कमेटी के गठन की घोषणा भी कर दी ।
परीक्षा प्रणाली में सुधार की माँग करते चार्टर्ड एकाउंटेंट छात्रों के आंदोलन ने कई मजेदार किस्म के दृश्य 'दिखाए' । आंदोलनकारी छात्रों की माँग पर काउंसिल सदस्यों के कुछ भी कहने से बचने/छिपने के खासे मनोरंजक दृश्य देखे गए । छात्रों का आंदोलन इंस्टीट्यूट प्रशासन के जिद्दी रवैये के खिलाफ था, लेकिन वह यह देख कर हैरान रह गए कि कई चार्टर्ड एकाउंटेंट नेताओं, यहाँ तक की काउंसिल के सदस्यों तक ने इंस्टीट्यूट प्रशासन के '(बिन)भाड़े के टट्टुओं' का रोल निभाना शुरू कर दिया और तरह तरह की बातें करके छात्रों के आंदोलन को बदनाम व कमजोर करने की मुहिम में जुट गए । 'प्रोफेशन के हित में सबका हित' जैसा नारा लगा कर नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन बनने की हसरत रखने वाले एक नेताजी का रवैया तो बहुत ही मजेदार रहा - मोदी, केजरीवाल व राहुल गांधी से जुड़े किसी भी मुद्दे का ज्ञान तो इन्हें तुरंत प्राप्त हो जाता है, और यह फौरन बकैती करने लगते हैं; लेकिन प्रोफेशन से जुड़े मामलों में इनके ज्ञान में कीड़े पड़ जाते हैं । आंदोलन के तीसरे दिन भी महाशय कह रहे हैं कि अभी वह मामले को देखेंगे और समझेंगे, तब इस पर अपनी राय व्यक्त करेंगे । इन जैसे लोगों के लिए फजीहत की बात यह रही कि यह लोग तो इंस्टीट्यूट की तरफ से छात्रों के आंदोलन को बदनाम करने तथा खत्म करवाने की मुहिम में जुटे हुए थे, लेकिन इंस्टीट्यूट प्रशासन ने छात्रों की बात मान ली और इन्हें घर/घाट कहीं का न छोड़ा । 
चार्टर्ड एकाउंटेंट छात्रों का मनोबल बनाये रखने के साथ-साथ उनके आंदोलन को अराजक न होने देने में तथा 'व्यवस्थित' रखने में यूँ तो कई लोगों का सहयोग रहा - लेकिन प्रवीन शर्मा ने जैसी जो भूमिका निभाई, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम ही होगी । इंस्टीट्यूट प्रशासन के (बिन)भाड़े के टट्टुओं ने प्रवीन शर्मा को घेरने तथा उन्हें बदनाम करने के लिए प्रयास तो खूब किए, लेकिन प्रवीन शर्मा ने न तो आपा खोया और न मैदान छोड़ा - वास्तव में यह उन्हीं का नेतृत्व था कि छात्रों का आंदोलन न तो अराजक हुआ, और न कमजोर पड़ा और उसे मीडिया में खूब तवज्जो मिली । माहौल को निरंतर गर्माता देख निर्णायक चोट पूजा बंसल ने की । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पिछले टर्म में सेक्रेटरी, वाइस चेयरपरसन तथा कार्यकारी चेयरपरसन रहीं पूजा बंसल ने अपने वीडियो संदेश में समस्या को जिस प्रखरता से प्रस्तुत किया और इंस्टीट्यूट प्रशासन के लापरवाहीपूर्ण व गैरजिम्मेदार रवैये को तथ्यों के साथ उद्घाटित किया, उसके बाद इंस्टीट्यूट प्रशासन के सामने छात्रों की माँग पर घुटने टेकने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा । इंस्टीट्यूट प्रशासन ने परीक्षा प्रणाली में आवश्यक सुधार के लिए सुझाव देने हेतु पीसी जैन, जस्टिस अनिल दवे, वेद जैन, अमरजीत चोपड़ा, गिरीश आहुजा तथा राकेश सहगल की सदस्यता वाली कमेटी के गठन की घोषणा की है । इस घोषणा को आंदोलनकारी छात्रों की एक बड़ी जीत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है ।