Monday, September 9, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी चक्कर से बचने के लिए नवीन गुलाटी चाहते हैं कि उनके समर्थक नेता पंकज डडवाल की उम्मीदवारी को वापस करवाएँ, लेकिन नेता लोग इसमें दूसरी मुसीबतें देख रहे हैं और चाहते हैं कि चुनाव हो ही जाए

पानीपत । नवीन गुलाटी अपने समर्थक नेताओं से इस बात पर कुछ खफा खफा नजर आ रहे हैं कि वह उन्हें निर्विरोध डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने/बनवाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि नवीन गुलाटी इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार हैं, और उन्हें टीके रूबी व जितेंद्र ढींगरा के नेतृत्व वाले सत्ता खेमे के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । सत्ता खेमे के समर्थन के चलते उनकी चुनावी स्थिति को खासा मजबूत माना/समझा जा रहा है । उनकी मजबूत स्थिति को देखते हुए ही पूर्व प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू के नेतृत्व वाले खेमे ने अपना उम्मीदवार न लाने में ही भलाई देखी है । राजा साबू ने हालाँकि अपनी तरह से नवीन गुलाटी के रास्ते में रोड़े अटकाने के प्रयास तो किए थे, और महिला गवर्नर लाने/बनवाने की चर्चा चला कर चालाकी खेलने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी चालाकी चली नहीं । कपिल गुप्ता की उम्मीदवारी आने की आशंका के चलते चुनावी लड़ाई थोड़ी दिलचस्प होने की उम्मीद थी, लेकिन कपिल गुप्ता के मैदान छोड़ देने से नवीन गुलाटी के लिए मामला और आसान हो गया । रोटरी क्लब शिमला मिडटाऊन की तरफ से पंकज डडवाल की उम्मीदवारी के प्रस्तुत होने से चुनावी लड़ाई के हालात तो बन गए हैं, लेकिन नवीन गुलाटी व पंकज डडवाल के बीच होने वाले चुनावी मुकाबले को हर कोई एक बेमेल मुकाबले के रूप में ही देख/समझ रहा है, और मान रहा है कि नवीन गुलाटी बड़े अंतर से आसानी से चुनाव जीत जायेंगे ।
नवीन गुलाटी की समस्या लेकिन दूसरी है । वह चाहते हैं कि उन्हें चुनावी मुकाबले का सामना न करना पड़े और वह निर्विरोध ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुन लिए जाएँ । उन्हें भी लगता है और कई लोगों ने उन्हें समझाया भी है कि उनके समर्थक नेता यदि पंकज डडवाल व उनके नजदीकियों से बात करें तो पंकज डडवाल को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी किया जा सकता है और उनके निर्विरोध चुने जाने का रास्ता बन सकता है । नवीन गुलाटी के नजदीकियों के अनुसार, नवीन गुलाटी लेकिन यह देख कर हैरान/परेशान हैं कि उनके समर्थक नेता पंकज डडवाल की उम्मीदवारी वापस करवाने में कोई दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं । नेताओं का मानना/कहना है कि वह यदि पंकज डडवाल की उम्मीदवारी वापस करवाने के लिए प्रयास करेंगे तो इससे दो नुकसान होंगे; एक नुकसान तो यह होगा कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच संदेश जायेगा कि वह चुनाव से डर रहे हैं और इस कारण उनकी राजनीतिक साख व धाक को चोट पहुँचेगी; तथा दूसरा नुकसान यह होगा कि उन्हें अगले रोटरी वर्ष में पंकज डडवाल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने/बनवाने का वायदा करना होगा और फिर उस वायदे को पूरा करने में जुटना होगा । इस कारण से नेता लोग चाहते हैं कि चुनाव हो और बुरी हार के बाद पंकज डडवाल का चक्कर आगे के लिए भी पूरी तरह से खत्म हो - इस कारण से वह पंकज डडवाल से या उनके 'गॉडफादर' से कोई समझौता करने के लिए मजबूर भी नहीं होंगे ।
नेताओं को भी और दूसरे लोगों को भी यह समझने में मुश्किल हो रही है कि तमाम अनुकूल स्थितियों के बावजूद नवीन गुलाटी चुनाव से बचने की कोशिश क्यों कर रहे हैं । नवीन गुलाटी के नजदीकियों के अनुसार, नवीन गुलाटी को अपनी चुनावी जीत को लेकर कोई शक/संदेह नहीं है; वह तो चुनाव से इसलिए बचना चाहते हैं ताकि चुनावी चक्कर में होने वाली उनकी भागदौड़ बच जाए । नवीन गुलाटी समझ रहे हैं कि पंकज डडवाल उम्मीदवार के रूप में उनके सामने टिक भले ही न पा रहे हों, लेकिन उम्मीदवार बने रह कर वह नवीन गुलाटी को भागदौड़ करने के लिए तो मजबूर कर ही देंगे । चुनाव होने की स्थिति में तमाम अनुकूल स्थितियों के बावजूद नवीन गुलाटी को क्लब्स के प्रेसीडेंट्स तथा अन्य प्रमुख लोगों से मिलना-जुलना तो पड़ेगा ही और इसके लिए जगह जगह आना-जाना भी पड़ेगा । इस चक्कर में पैसे भी खर्च होंगे । ऐसे में नवीन गुलाटी को लगता है कि पंकज डडवाल की उम्मीदवारी को यदि वापस करवा दिया जाए, और उनके लिए निर्विरोध डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने जाने का रास्ता बन जाए - तो फिर वह सारे झंझट से बच जायेंगे । नवीन गुलाटी को विश्वास है कि उनके समर्थक नेता लोग यदि प्रयास करेंगे तो पंकज डडवाल को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए राजी कर लेंगे । नेता लोगों को लेकिन लगता है, जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, कि पंकज डडवाल की उम्मीदवारी को वापस करवाने के चक्कर में पड़ेंगे, तो और कई मुसीबतों को आमंत्रित कर बैठेंगे । समर्थक नेताओं के इस तर्क के चलते नवीन गुलाटी अपनी 'माँग' पर ज्यादा जोर तो नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन अपने समर्थक नेताओं के रवैये से वह संतुष्ट व खुश भी नहीं हैं ।