बरेली । रोटरी क्लब बरेली मैग्नेट सिटी के प्रेसीडेंट अंकुर अग्रवाल ने धोखे और फर्जी तरीके से उनकी ईमेल आईडी को इस्तेमाल करके डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पदाधिकारियों को बदनाम करने तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को प्रभावित करने के मामले में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आईएस तोमर का नाम लेकर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी पैदा कर दी है । दरअसल कुछेक लोगों को यह भी लग रहा है कि जो हो रहा है, उसमें अंकुर अग्रवाल भी राजनीति खेल रहे हैं, और या 'मोहरा' बन रहे हैं । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस में कंसर्न अधिकारी जितिंदर सिंह को लिखे/भेजे ईमेल संदेश में अंकुर अग्रवाल ने बताया और दावा किया कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रवि प्रकाश अग्रवाल पर मतपत्र छीनने तथा जबरन उनके हस्ताक्षर करवाने का आरोप लगते हुए उनके नाम से जो शिकायत की गई है, वह शिकायत उनकी ईमेल आईडी का फर्जी व धोखेपूर्ण तरीके से इस्तेमाल करके की गई है । अंकुर अग्रवाल ने अपने संदेश-पत्र में इस फर्जीवाड़े के लिए अपने क्लब के पूर्व प्रेसीडेंट राहुल वोहरा पर संदेह व्यक्त किया है । अंकुर अग्रवाल ने कहा/बताया है कि राहुल वोहरा ने रोटरी इंटरनेशनल के कुछेक मैसेज देखने का वास्ता देकर उनसे उनकी ईमेल आईडी ली थी; उन्हें शक है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आईएस तोमर की चुनावी राजनीति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से राहुल वोहरा ने ही उनकी ईमेल आईडी का फर्जी तरीके से इस्तेमाल करके उक्त आरोपपूर्ण मेल भेजी है ।
उल्लेखनीय है कि अंकुर अग्रवाल के नाम से भेजी गई पहली ईमेल, जिसे कुछ ही घंटों के अंदर अंकुर अग्रवाल ने फर्जी बता दिया है, में आरोप लगाया गया है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रवि प्रकाश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू के बेटे तथा अन्य कुछ रोटेरियंस के साथ उनके कार्यालय में ठीक उस समय पहुँचे, जब वह पोस्टमैन से मतपत्रों वाला लिफाफा ले रहे थे । उनसे उक्त लिफाफा छीना गया और जबरन उनसे मतपत्रों पर हस्ताक्षर करवा लिए गए । उक्त आरोपपूर्ण शिकायत के साथ माँग की गई कि जबरन हस्ताक्षरित करवाए गए उनके मतपत्र को निरस्त किया जाए । इसके कुछ घंटों के भीतर ही अंकुर अग्रवाल ने उक्त ईमेल-पत्र को फर्जी बताते हुए रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय को ईमेल-पत्र लिखा । कुछेक लोगों को हालाँकि यह भी लगता है कि दोनों ईमेल-पत्र अंकुर अग्रवाल द्वारा ही लिखे भेजे गए हैं; पहले ईमेल-पत्र के बाद उन पर भारी दबाव पड़ा, जिसके चलते उन्हें कुछ ही घंटों के भीतर दूसरा ईमेल-पत्र लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के हथकंडों से परिचित वरिष्ठ रोटेरियंस का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद को लेकर जिस तरह की राजनीति होती रही है, और इस वर्ष होने वाला चुनाव दोनों खेमों के लिए जिस तरह से महत्त्वपूर्ण हो उठा है - उसे देखते हुए किसी भी तरह की 'हरकत' से इंकार नहीं किया जा सकता है ।
ऐसे में, रोटरी इंटरनेशनल के साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों के सामने समस्या यह पैदा हो गई है कि वह अंकुर अग्रवाल के कौन से ईमेल-पत्र को सच मानें - पहले वाले को, या दूसरे वाले को । चूँकि अंकुर अग्रवाल का आरोप और फिर कुछ ही घंटों के भीतर उसे फर्जी बताना रिकॉर्ड पर है, इसलिए रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के सामने यह तय करने की गंभीर चुनौती आ पड़ी है कि वह अंकुर अग्रवाल की किस बात पर यकीन करें । डिस्ट्रिक्ट का राजनीतिक माहौल चूँकि गहमागहमीभरा है, और उसमें तरह तरह के 'षड्यंत्र' हो रहे हैं - इसलिए हर किसी के लिए यह समझना खासा मुश्किल है कि कौन कब सच बोल रहा है, और कौन झूठ ? रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के लिए मुसीबत की बात यह है कि वह यदि अंकुर अग्रवाल के दूसरे ईमेल-पत्र को सच मानते हुए पहले ईमेल पत्र को फर्जी मान लें, और फिर बाद में 'साबित' हो कि अंकुर अग्रवाल ने दूसरा ईमेल-पत्र दबाव में आकर लिखा था - तो फिर रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की भी फजीहत होगी । जो भी हो, रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों को फैसला तो करना ही होगा । इस झमेले से लेकिन एक बात यह जरूर जाहिर हो गई है कि पवन अग्रवाल और सतीश जायसवाल के बीच होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में काफी तमाशे देखने को मिलेंगे ।
उल्लेखनीय है कि अंकुर अग्रवाल के नाम से भेजी गई पहली ईमेल, जिसे कुछ ही घंटों के अंदर अंकुर अग्रवाल ने फर्जी बता दिया है, में आरोप लगाया गया है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रवि प्रकाश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू के बेटे तथा अन्य कुछ रोटेरियंस के साथ उनके कार्यालय में ठीक उस समय पहुँचे, जब वह पोस्टमैन से मतपत्रों वाला लिफाफा ले रहे थे । उनसे उक्त लिफाफा छीना गया और जबरन उनसे मतपत्रों पर हस्ताक्षर करवा लिए गए । उक्त आरोपपूर्ण शिकायत के साथ माँग की गई कि जबरन हस्ताक्षरित करवाए गए उनके मतपत्र को निरस्त किया जाए । इसके कुछ घंटों के भीतर ही अंकुर अग्रवाल ने उक्त ईमेल-पत्र को फर्जी बताते हुए रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय को ईमेल-पत्र लिखा । कुछेक लोगों को हालाँकि यह भी लगता है कि दोनों ईमेल-पत्र अंकुर अग्रवाल द्वारा ही लिखे भेजे गए हैं; पहले ईमेल-पत्र के बाद उन पर भारी दबाव पड़ा, जिसके चलते उन्हें कुछ ही घंटों के भीतर दूसरा ईमेल-पत्र लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के हथकंडों से परिचित वरिष्ठ रोटेरियंस का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद को लेकर जिस तरह की राजनीति होती रही है, और इस वर्ष होने वाला चुनाव दोनों खेमों के लिए जिस तरह से महत्त्वपूर्ण हो उठा है - उसे देखते हुए किसी भी तरह की 'हरकत' से इंकार नहीं किया जा सकता है ।
ऐसे में, रोटरी इंटरनेशनल के साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों के सामने समस्या यह पैदा हो गई है कि वह अंकुर अग्रवाल के कौन से ईमेल-पत्र को सच मानें - पहले वाले को, या दूसरे वाले को । चूँकि अंकुर अग्रवाल का आरोप और फिर कुछ ही घंटों के भीतर उसे फर्जी बताना रिकॉर्ड पर है, इसलिए रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के सामने यह तय करने की गंभीर चुनौती आ पड़ी है कि वह अंकुर अग्रवाल की किस बात पर यकीन करें । डिस्ट्रिक्ट का राजनीतिक माहौल चूँकि गहमागहमीभरा है, और उसमें तरह तरह के 'षड्यंत्र' हो रहे हैं - इसलिए हर किसी के लिए यह समझना खासा मुश्किल है कि कौन कब सच बोल रहा है, और कौन झूठ ? रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के लिए मुसीबत की बात यह है कि वह यदि अंकुर अग्रवाल के दूसरे ईमेल-पत्र को सच मानते हुए पहले ईमेल पत्र को फर्जी मान लें, और फिर बाद में 'साबित' हो कि अंकुर अग्रवाल ने दूसरा ईमेल-पत्र दबाव में आकर लिखा था - तो फिर रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की भी फजीहत होगी । जो भी हो, रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों को फैसला तो करना ही होगा । इस झमेले से लेकिन एक बात यह जरूर जाहिर हो गई है कि पवन अग्रवाल और सतीश जायसवाल के बीच होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में काफी तमाशे देखने को मिलेंगे ।
अंकुर अग्रवाल की दोनों ईमेल-पत्र की तस्वीरें :