Sunday, September 28, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में नीरज बोरा से अधिष्ठापन कराने से नाराज गुरनाम सिंह द्धारा लायंस क्लब काशीपुर सिटी के सुखविंदर सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर संदीप सहगल का 'शिकार' करने की योजना के विफल हो जाने के बाद, गुरनाम सिंह अब क्या करेंगे ?

लखनऊ । नीरज बोरा द्धारा अधिष्ठापित संदीप सहगल की चेयरमैनशिप में आयोजित क्लब्स के सामूहिक अधिष्ठापन समारोह को डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच इतनी चर्चा शायद न मिलती, यदि इस समारोह की सफलता से बौखलाए गुरनाम सिंह की बौखलाहट लोगों के सामने न आई होती । गुरनाम सिंह को यह जानकर दरअसल बुरा लगा कि संदीप सहगल लखनऊ में कुछेक क्लब्स का सामूहिक अधिष्ठापन करवा रहे हैं और अधिष्ठापन का काम उनसे सलाह किए बिना नीरज बोरा से करवा रहे हैं । इसीलिए गुरनाम सिंह ने पहले तो इस समारोह में अड़चन डालने का प्रयास किया, किंतु उसमें विफल होने के बाद उन्होंने संदीप सहगल को निशाना बनाना शुरू कर दिया और लायंस क्लब काशीपुर सिटी के सुखविंदर सिंह का नाम लेकर काशीपुर के लायन सदस्यों में फूट डालने तथा संदीप सहगल का काम बिगाड़ने के काम में लग गए हैं । गुरनाम सिंह की इस कार्रवाई ने संदीप सहगल को और उनकी चेयरमैनशिप में लखनऊ में आयोजित हुए अधिष्ठापन समारोह को डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच गंभीर चर्चा में ला दिया है । लोगों को लग रहा है कि संदीप सहगल की सक्रियता से यदि गुरनाम सिंह बौखला गए हैं तो इसका मतलब है कि संदीप सहगल की सक्रियता को अप्रत्याशित कामयाबी मिल रही है - जो गुरनाम सिंह को हजम नहीं हो पा रही है ।
डिस्ट्रिक्ट में लोगों का मानना और कहना है कि गुरनाम सिंह की शाश्वत समस्या दरअसल यह है कि वह डिस्ट्रिक्ट में हर फैसला खुद लेना चाहते हैं और इस बात को बिलकुल भी पसंद नहीं करते हैं कि कोई भी उनकी 'गुलामी' करने से जरा भी इंकार करे - कोई अपना भी यदि उन्हें ऐसा करता हुआ लगता है, तो फिर वह उसके दुश्मन हो जाते हैं । उनके इस रवैये का निकट भविष्य में जो शिकार बना, वह हैं केएस लूथरा । केएस लूथरा जैसा 'भक्त' गुरनाम सिंह को शायद ही मिला होगा, लेकिन वह केएस लूथरा को भी बर्दाश्त नहीं कर सके । फिर, केएस लूथरा के हाथों ही गुरनाम सिंह ने अपनी जो फजीहत करवाई, वह भी अपनी तरह का एक उदाहरण है । पिछले लायन वर्ष में केएस लूथरा की खुशामद करके गुरनाम सिंह ने जिस तरह विशाल सिन्हा को सुरक्षित निकलवाया उससे लोगों को लगा था कि गुरनाम सिंह लोगों के बदलते मूड को पहचान/समझ रहे हैं और अपने रवैये को बदल रहे हैं । मौजूदा लायन वर्ष में चुनावी राजनीति की जब चर्चा चली और अधिकतर लायन नेताओं ने यह मत व्यक्त किया कि इस बार चूँकि तराई क्षेत्र के क्लब्स का नंबर है, इसलिए वहाँ के लोगों को राजनीति तय कर लेने का मौका देना चाहिए - तो गुरनाम सिंह ने इस पर सहमति ही व्यक्त की थी और साफ कहा था कि इस बार जो भी उम्मीदवार हैं, उनमें से कोई भी उनका 'अपना' उम्मीदवार नहीं है । इससे भी लोगों के बीच विश्वास बना कि गुरनाम सिंह सचमुच बदल रहे हैं और चौधराहट ज़माने के लिए अपने-पराये का खेल खेलने से दूरी बना रहे हैं ।
लेकिन संदीप सहगल की चेयरमैनशिप में आयोजित क्लब्स के सामूहिक अधिष्ठापन समारोह को लेकर गुरनाम सिंह ने जो रवैया दिखाया, उससे साबित हुआ कि गुरनाम सिंह जरा भी नहीं बदले हैं और पिछले दिनों वह बदलते हुए जो दिखे थे, वह लोगों को भरमाने के लिए दरअसल उनका नाटक भर था । गुरनाम सिंह ने जिस तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय चोपड़ा को इस्तेमाल करते हुए उक्त समारोह को न होने देने की चाल चली, उससे दिख गया कि गुरनाम सिंह अपने पुराने रंग में लौट आये हैं । संजय चोपड़ा ने उक्त समारोह के लिए टाइम देने में जिस तरह से काफी आनाकानी की, उससे समारोह के आयोजकों ने समझ लिया कि गुरनाम सिंह उनमें चाबी भर रहे हैं । समारोह के आयोजकों ने भी ठान लिया था कि संजय चोपड़ा जब टाइम देंगे, वह समारोह तभी कर लेंगे । ऐसे में, संजय चोपड़ा भी कब तक बचते ? उन्हें टाइम देना ही पड़ा और संदीप सहगल की चेयरमैनशिप में शानदार तरीके से समारोह संपन्न हुआ ।
संदीप सहगल की चेयरमैनशिप में आयोजित समारोह से गुरनाम सिंह के नाराज होने का प्रमुख कारण उनके नजदीकियों ने ही नीरज बोरा से अधिष्ठापन कराना बताया । पिछले लायन वर्ष में विशाल सिन्हा को सुरक्षित निकलवाने के लिए तो गुरनाम सिंह ने नीरज बोरा से बहुत नजदीकियाँ बनाई/दिखाईं, लेकिन अपना काम निकल जाने के बाद अब उन्हें यह बात बिलकुल भी पसंद नहीं आ रही है कि नीरज बोरा से क्लब्स के सामूहिक अधिष्ठापन समारोह में अधिष्ठापन कराया जाये । इस अधिष्ठापन समारोह को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत संदीप सहगल की उम्मीदवारी के प्रमोशन के रूप में देखा जा रहा था; और इस समारोह में वही लोग जुटते हुए देखे जा रहे थे जिन्होंने विशाल सिन्हा के खिलाफ शिव कुमार गुप्ता की जीत का करिश्मा संभव कर दिखाया था । इसलिए भी गुरनाम सिंह को इस समारोह को फेल करना जरूरी लगा - लेकिन अपनी तमाम कोशिशों के बाद भी उसे फेल करना तो दूर, वह उसे शानदार तरीके से आयोजित होने से भी नहीं रोक सके ।
गुरनाम सिंह आसानी से हार मानने वाले व्यक्ति नहीं हैं । लखनऊ में मात खाने के बाद उन्होंने संदीप सहगल को काशीपुर में घेरने की चाल चली । काशीपुर के लायन सदस्यों में फूट डाल कर कुछेक सदस्यों को संदीप सहगल के खिलाफ करने के मामले में भी गुरनाम सिंह को जब अपनी दाल गलती हुई नहीं दिखी तो उन्होंने लायंस क्लब काशीपुर सिटी के सुखविंदर सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर संदीप सहगल का 'शिकार' करने की योजना बनाई । गुरनाम सिंह ने काशीपुर के लायन सदस्यों को यह कहकर भड़काया कि उन्हें काशीपुर से ही गवर्नर बनवाना है, तो सुखविंदर सिंह को बनवाओ । काशीपुर के लायन सदस्यों ने उनकी इस चाल को भी यह कहकर विफल कर दिया कि उन्होंने तो पहले ही सुखविंदर सिंह से उम्मीदवार बनने के लिए कहा था, लेकिन सुखविंदर सिंह ने अपनी उम्मीदवारी से इंकार करते हुए संदीप सहगल को उम्मीदवार बनाने का सुझाव दिया था ।
संदीप सहगल का 'शिकार' करने में गुरनाम सिंह अभी भले ही असफल हुए हों, किंतु वह चुप बैठने वाले लोगों में नहीं हैं । यह पहले ही कहा जा चुका है कि गुरनाम सिंह आसानी से हार मानने वाले व्यक्ति नहीं हैं । लखनऊ में संदीप सहगल ने जिस तरह का आयोजन किया और उसमें जिस तरह के लोग जुटे, उसे देख कर तो गुरनाम सिंह के लिए कुछ न कुछ करना जरूरी हो गया है । यह देखना दिलचस्प होगा कि गुरनाम सिंह की अगली चाल अब क्या होगी ?

Saturday, September 27, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की तिकड़ी ने पद दिलवाने और धोखा करने वाले लोगों के पद छिनवाने तथा अवार्ड व मैचिंग ग्रांट न मिलने देने की धमकी देने जैसे हथकंडों से शरत जैन को चुनाव जितवाने का जो फंडा अपनाया है, उसका उल्टा असर भी हो सकता है

नई दिल्ली । जेके गौड़ की तरफ से जिन लोगों को अगले रोटरी वर्ष में पद देने का 'इशारा' दिया जा रहा है - उन लोगों को साथ ही साथ मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की तरफ से जोरशोर से तथा शरत जैन की तरफ से थोड़ा धीमे से यह भी बताया जा रहा है कि जेके गौड़ ने उन को पद देने की यह जो मेहरबानी की है, वह उनकी सिफारिश पर की है । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल यह बताने/जताने से भी नहीं चूक रहे हैं कि वह शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए वोट लेने की खातिर ही इस मेहरबानी के लिए सिफारिश कर रहे हैं । रमेश अग्रवाल तो लोगों को यहाँ तक धमका रहे हैं कि जिस तरह सीओएल के चुनाव में कई लोगों ने उनके साथ धोखा किया था, वैसा धोखा यदि शरत जैन के साथ किया गया तो जेके गौड़ के गवर्नर-काल में ऐसे धोखेबाजों को न तो कोई पद मिलेगा और न ही कोई अवार्ड - तथा धोखा देने वाले क्लब्स को मैचिंग ग्रांट भी नहीं मिलने दी जायेगी । रमेश अग्रवाल ने अपनी बातों से यह जताना/दिखाना शुरू कर दिया है कि जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पद इस उम्मीद से दिए जायेंगे और उन्हीं लोगों को दिए जायेंगे जो पद पाने की ऐवज में शरत जैन की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे; रमेश अग्रवाल ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि देने-लेने की इस सौदेबाजी में धोखा करने वालों को बख़्शा नहीं जायेगा । रमेश अग्रवाल ने अपनी बातों के प्रति भरोसा पैदा करने के उद्देश्य से यह भी बताना जारी रखा हुआ है कि उन्होंने उन लोगों का खास तौर पर नोटिस लिया है जो पद पाने की जुगाड़ में लगे रहते हैं और इसके लिए ही जिन्होंने शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए अचानक से समर्थन दिखाना शुरू कर दिया है; रमेश अग्रवाल का कहना है कि वह ऐसे लोगों का स्वागत करते हैं और निश्चित ही वह उन्हें जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पद दिलवायेंगे - लेकिन साथ ही वह ऐसे लोगों पर निगाह भी रखेंगे ताकि ऐसे लोग पद मिलने के बाद फिर धोखाधड़ी न कर सकें ।
पक्की जानकारी तो नहीं है, लेकिन सुना है कि दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है । इसी तर्ज पर रमेश अग्रवाल का कहना है कि पिछले रोटरी वर्ष में हुए सीओएल के चुनाव में उन्हें बहुत से लोगों ने धोखा दिया था और वायदा करने के बाद भी उन्हें वोट नहीं दिया, जिस कारण वह चुनाव हार गए थे - लेकिन वह शरत जैन के साथ धोखा नहीं होने देंगे; और इसीलिए शरत जैन का समर्थन करने वाले हर रोटेरियन पर कड़ी निगरानी रखेंगे । ध्यान देने योग्य बात हालाँकि यह है कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल राजनीति का जैसा 'नंगा नाच' करने के लिए मशहूर हैं, वैसा नाच करते हुए तो अभी नहीं 'दिख' रहे हैं - किंतु जैसा कि उन्हें जानने वाले लोग मानते और कहते हैं कि वह अपनी हरकतों से बाज आने वाले नहीं हैं । इसीलिए अपनी कार्रवाई अभी उन्होंने पर्दे के पीछे से शुरू की है । राजनीति लेकिन ऐसी शः है कि यहाँ कोई कार्रवाई चाहें कितना ही छिपा कर करो, छिप नहीं पाती है ।
मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को इस बार दरअसल ऐसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जैसी समस्या का सामना उन्हें इससे पहले कभी नहीं करना पड़ा है । उन्हें उम्मीद थी कि जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पद पाने की इच्छा रखने वाले लोग सिफारिश के लिए उनके पास आयेंगे - लेकिन वह यह देख कर हैरान और परेशान हैं कि कोई भी उनके पास नहीं आ रहा है और जो सिफारिश करना भी चाह रहा है, वह सीधे जेके गौड़ से और या अशोक अग्रवाल से बात कर रहा है । किस को, क्या पद देना है - जैसे फैसले जेके गौड़ कर तो मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल से पूछ/बता कर ही रहे हैं, और शरत जैन को भी फैसले तुरंत से पता हो जा रहे हैं; लेकिन पद पाने की सूचना मिलने पर लोगों को यह 'ज्ञान' नहीं मिल रहा है कि यह पद उन्हें मुकेश अरनेजा या रमेश अग्रवाल या शरत जैन की मेहरबानी से मिला है । इसलिए लोगों को यह ज्ञान देने के लिए उन्हें खुद को ही आगे लाने के लिए मजबूर होना पड़ा है ।
मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल जैसा 'बनने' की कोशिश में शरत जैन ने भी कहीं-कहीं उनका फंडा अपनाया और किन्हीं-किन्हीं लोगों को पद दिलवाने की बात बताते हुए उम्मीद की कि सामने वाला भी उनसे कोई बेहतर पद दिलवाने की सिफारिश करेगा । शरत जैन को यह देख/जान कर लेकिन झटका लगा कि उनकी बात सुनते हुए सामने वाले ने उनसे तो कुछ नहीं कहा, किंतु उनके हटते ही तुरंत से जेके गौड़ से या अशोक अग्रवाल से शिकायत की कि फलाँ फलाँ को तो फलाँ फलाँ पद देने की तैयारी कर ली, और मुझे झाँसा दे रहे हो । जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल को पहले तो यह जानकर परेशानी हुई कि पद देने की तैयारी की गोपनीय बात बाहर कैसे पहुँची; और फिर उन्हें यह भी सुनने को मिला कि पदों का बँटवारा क्या मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन से पूछ कर ही करोगे ?
जेके गौड़ हालाँकि भरसक कोशिश कर रहे हैं कि उनके फैसलों पर मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन से प्रभावित होने के आरोप न लगने पाएँ; किंतु इन तीनों का रवैया जेके गौड़ की कोशिश को विफल करने में लगा है । इन तीनों की लेकिन अपनी मजबूरी है - इन्हें लगता है कि लोगों को यह दिखा कर कि जेके गौड़ पूरी तरह से उनके कब्जे में हैं और जेके गौड़ सभी फैसले उनसे पूछ/बता कर ही करते हैं; यह लोगों को शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थन में ला सकते हैं । इसीलिए पहले तो यह जेके गौड़ से पता करते हैं कि उन्होंने क्या क्या फैसले किए और फिर लोगों को फोन करके बताते हैं कि मैंने तुम्हें 'यह' पद दिलवाया है; किन्हीं किन्हीं से तो यहाँ तक कहा/बताया गया कि गौड़ तो तुम्हें नीचे/पीछे डाल रहा था, मैंने लेकिन तुम्हें अच्छी पोजीशन दिलवाई । सामने वाला जब खुश 'नजर' आता तो फिर यह जोड़ा जाता कि जिस तरह मैंने तुम्हारा ध्यान रखा है, वैसे ही तुम्हें शरत जैन का ध्यान रखना है । जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि रमेश अग्रवाल तो यह कहने/बताने से भी नहीं चूकते कि शरत जैन का ध्यान रख पाने में कोई समस्या हो तो अभी बता दो, बाद में धोखा मत देना । रमेश अग्रवाल यह कहने/बताने से भी नहीं चूकते कि धोखा करने वाला यह न समझे कि बाद में बदला नहीं लिया जा सकेगा ।
मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की इस कार्रवाई से शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थक खासे उत्साहित हैं और आश्वस्त हैं कि अब उन्हें चुनाव जीतने से कोई नहीं रोक सकता है । शरत जैन की उम्मीदवारी के इन उत्साहित व आश्वस्त समर्थकों को लेकिन एक बार रवि चौधरी से अवश्य मिल लेना चाहिए - जिन्हें इसी तरह के हथकंडों के सहारे चुनाव जितवाने का भरोसा दिया गया था, लेकिन हुआ उल्टा था । इसी तरह के हथकंडों के सहारे रमेश अग्रवाल ने पिछले वर्ष सीओएल का चुनाव जीतने की तैयारी की थी, किंतु उसमें भी उन्हें मुँहकी खानी पड़ी थी । शरत जैन की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों/शुभचिंतकों का ही कहना है कि पद दिलवाने और धोखा करने वाले लोगों के पद छीनने तथा अवार्ड और मैचिंग ग्रांट न मिलने देने की धमकी देने जैसे हथकंडों से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ की छवि पर तो प्रतिकूल असर पड़ ही रहा है, जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पद पाने वाले लोग अपने आप को अपमानित भी महसूस कर रहे हैं और इसका खामियाजा शरत जैन को भुगतना पड़ सकता है ।  

Friday, September 19, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में जवाहर गुप्ता के रवैये से झटका खाए शरत जैन की उम्मीदवारी का झंडा थामे अरनेजा गिरोह के नेताओं ने जवाहर गुप्ता को यह कहते हुए बदनाम करना शुरू किया है कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन के जरिये उन्होंने वास्तव में अपनी उम्मीदवारी की तैयारी शुरू की है

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन की तैयारी में जुटे रोटरी क्लब दिल्ली विकास के अध्यक्ष जवाहर गुप्ता को 'पटाने' में विफल रहने के बाद अरनेजा गिरोह के लोगों ने उन्हें अपने निशाने पर ले लिया है । क्लब के भीतर और क्लब के बाहर अरनेजा गिरोह के जो लोग हैं वह इस बात को प्रचारित करने में लगे हैं कि जवाहर गुप्ता दीवाली मेले के आयोजन की जिम्मेदारी निभाने की आड़ में दरअसल अगले वर्षों में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत की जाने वाली अपनी उम्मीदवारी की तैयारी कर रहे हैं । जवाहर गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन की जिम्मेदारी लेने के लिए जो 'प्रयत्न' किए, उसमें कई लोगों को रोटरी में आगे बढ़ने की उनकी महत्वाकांक्षा के संकेत तो छिपे दिखे थे - लेकिन इन संकेतों के सहारे/भरोसे 'उद्देश्य' घोषित करने का काम उनके क्लब के लोगों ने ही किया । दरअसल डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन की जिम्मेदारी जवाहर गुप्ता को मिलने से कई लोग खुश नहीं हैं । खुश न होने वाले लोगों में उनके अपने क्लब के लोग भी हैं और उनके अपने जोन के लोग भी हैं । क्लब के कई बड़े लोग तो इसलिए खुश नहीं हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि दीवाली मेले के आयोजन से जवाहर गुप्ता की डिस्ट्रिक्ट में पहचान और साख बढ़ेगी; जोन के लोग इसलिए खफा हैं क्योंकि दीवाली मेले की आड़ में राजनीति करने का मौका उनसे छिन गया ।
जवाहर गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन की जिम्मेदारी मिलने के साथ लेकिन अरनेजा गिरोह के नेता 'काम' पर लग गए और उन्होंने जवाहर गुप्ता को इस बात के फिलर्स भेजना शुरू कर दिया कि वह दीवाली मेले की तैयारी में उनकी हर तरह से मदद करने के लिए तैयार हैं । जवाहर गुप्ता को पटाने के लिए उन्हें सीधा-सीधा ऑफर भी दे दिया गया कि उन्हें शरत जैन से स्पॉन्सरशिप भी दिलवा दी जाएगी । जवाहर गुप्ता ने लेकिन उनके जब किसी भी फिलर्स के प्रति उत्साह नहीं दिखाया और स्पॉन्सरशिप के ऑफर को यह कहकर ठुकरा दिया कि दीवाली मेले की तैयारी में वह उम्मीदवारों को किसी भी रूप में शामिल नहीं करेंगे - तो अरनेजा गिरोह के लोगों ने जवाहर गुप्ता को बदनाम करने की चाल चली । इस चाल को चलाने में उन्हें जवाहर गुप्ता के क्लब के कुछेक ऐसे प्रमुख लोगों की मदद भी मिल गई, जो पहले से ही जले-भुने बैठे थे । रोटरी क्लब दिल्ली विकास के कुछेक लोग इस बात के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना की भी बुराई करने से परहेज नहीं कर रहे हैं कि दीवाली मेले जैसे डिस्ट्रिक्ट फंक्शन के आयोजन की जिम्मेदारी एक क्लब को देने की बजाए जोन को देना चाहिए था । दीवाली मेला क्लब को देने के फैसले से नाराज इन लोगों का असली दुःख वास्तव में यह है कि इन्हें डर हुआ है कि इससे डिस्ट्रिक्ट में जवाहर गुप्ता का 'कद' बढ़ेगा - और जवाहर गुप्ता का कद यदि बढ़ेगा, तो स्वाभाविक रूप से 'इनका' कद घटेगा ।
रोटरी क्लब दिल्ली विकास के इन्हीं लोगों ने कहना शुरू किया कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की तैयारी से जवाहर गुप्ता ने अपनी उम्मीदवारी की तैयारी शुरू कर दी है । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब दिल्ली विकास में दरअसल कई लोग हैं जो अपने आप को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए पूरी तरह परफेक्ट समझते हैं । उन्हें समस्या बस इस बात में लगती है कि डिस्ट्रक्ट गवर्नर बनने के लिए पहले उम्मीदवार बनना पड़ता है - उनसे लंबी-लंबी 'छुड़वा' तो लो, पर उम्मीदवार बनने की बात आती है तो उनका दम निकलने लगता है । इसलिए अपना दम उन्होंने उसका दम निकालने के लिए बचा कर रखा है, जो उन्हें क्लब में सिर उठाता हुआ दिखता है । उनका रवैया बिलकुल ऐसा है : हम तो गवर्नर बन न सकेंगे, तुम्हें भी न बनने देंगे । डिस्ट्रिक्ट में यह चर्चा प्रायः सुनने को मिल जाती है कि रोटरी क्लब दिल्ली विकास एक बड़ा क्लब है, अच्छा क्लब है, बहुत सक्रिय क्लब है, बहुत काम करने वाला क्लब है - लेकिन डिस्ट्रिक्ट को लीडरशिप प्रदान करने के मामले में पिछड़ा रहता है । तमाम चर्चा में कारण यही निकलता है कि क्लब में जो लोग प्रमुख बने हुए हैं, वह न तो खुद आगे आते हैं - और जो कोई आगे आता हुआ दिखता है उसका दम पहले ही निकाल देते हैं । जवाहर गुप्ता के साथ भी यही सुलूक किया जा रहा है । जवाहर गुप्ता चूँकि खासे सक्रिय हैं और बिलकुल नए नए काम कर रहे हैं, इसलिए उनके ही क्लब के कुछेक लोगों ने यह कहते हुए उन्हें बदनाम करने का अभियान छेड़ दिया है कि वह तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की तैयारी में यह सब कर रहे हैं ।
अरनेजा गिरोह के नेताओं ने इस बात को 'लपक' कर और जोर-शोर से कहना शुरू कर दिया है । अरनेजा गिरोह के नेताओं को लगता है कि इस तरह से दबाव बना कर वह जवाहर गुप्ता को अपनी छतरी के नीचे ले आयेंगे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रमेश अग्रवाल ने रोटरी क्लब दिल्ली विकास के कुछेक सदस्यों के साथ जिस तरह की 'धोखाधड़ी' की, उसके चलते दिल्ली विकास के सदस्यों के बीच रमेश अग्रवाल के खिलाफ गहरी नाराजगी और विरोध है । रमेश अग्रवाल के खिलाफ दिल्ली विकास के लोगों की इस नाराजगी और विरोध को शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए खतरे के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । रमेश अग्रवाल हालाँकि दावा करते रहे हैं कि दिल्ली विकास में उनके कुछ एजेंट हैं जो हालात को सँभाल लेंगे - और अपने उन्हीं एजेंटों के भरोसे रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में अपनी और/या शरत जैन की भूमिका/भागीदारी बनाने की तिकड़म लगाई थी - जवाहर गुप्ता ने लेकिन उनकी तिकड़म को अभी तक तो कामयाब नहीं होने दिया है ।
रमेश अग्रवाल और अरनेजा गिरोह के दूसरे नेताओं की समस्या और चिंता दरअसल यह है कि वह शरत जैन की उम्मीदवारी को दिल्ली के क्लब्स में अच्छे समर्थन के दावे तो बहुत करते हैं, लेकिन अपने दावे को सच बनाने/बताने वाले तथ्य नहीं जुटा पा रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेला रोटरी क्लब दिल्ली विकास को मिला तो उन्हें अपने दावे को सच बनाने/बताने का मौका हाथ लगता हुआ दिखा । उन्हें लगा कि वह जवाहर गुप्ता को मदद का, स्पॉन्सरशिप का ऑफर पहुँचायेंगे तो जवाहर गुप्ता उनके पास दौड़े चले आयेंगे - और तब वह लोगों को बता/दिखा सकेंगे कि जब दिल्ली का सबसे बड़ा क्लब उनके साथ है तो छोटे-मोटे क्लब्स तो उनके साथ हो ही जायेंगे । जवाहर गुप्ता ने लेकिन उनकी सारी 'योजना' पर पानी फेर दिया । शरत जैन की उम्मीदवारी का झंडा उठाए अरनेजा गिरोह को इससे जो तगड़ा झटका लगा है, उससे उबरने की कोशिश में ही अरनेजा गिरोह के नेताओं ने तथा दूसरे लोगों ने जवाहर गुप्ता को यह कहते हुए बदनाम करना शुरू किया है कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के आयोजन के जरिये जवाहर गुप्ता ने वास्तव में अगले वर्षों में प्रस्तुत की जाने वाली अपनी उम्मीदवारी की तैयारी शुरू की है ।
हालाँकि इस बात का उनके पास कोई जबाव नहीं है कि यदि यह सच भी है तो इसमें आरोप वाली बात भला क्या है ?  

Tuesday, September 16, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के पूर्व गवर्नर राजिंदर बंसल द्धारा की गई शिकायत पर नेविल मेहता को कार्रवाई करने से रोकने के लिए हर्ष बंसल ने अपने 'ग्रेट लायन लीडर' नरेश अग्रवाल से नौकरी छिनवाने का दाँव चला

नई दिल्ली । 'ग्रेट लायन लीडर' नरेश अग्रवाल के नाम का जयकारा लगाते हुए हर्ष बंसल ने मुंबई स्थित साऊथ एशियन सेक्रेटेरियट के मुखिया नेविल मेहता को बताया/समझाया है कि वह उनके डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर राजिंदर बंसल द्धारा की गई शिकायत पर बिलकुल भी ध्यान न दें । उल्लेखनीय है कि नेविल मेहता को लायंस क्लब्स इंटरनेशनल ने इंटरनेशनल सेक्रेटरी के रूप में भारत, दक्षिण एशिया और पूर्व अफ्रीका का कामकाज देखने की जिम्मेदारी दी हुई है - तो यह विश्वास करके ही दी होगी कि नेविल मेहता को इतनी अक्ल होगी कि किस शिकायत पर वह ध्यान दें या न दें । लेकिन लगता है कि हर्ष बंसल को नेविल मेहता की अक्ल पर भरोसा नहीं है; और इसीलिए उन्हें जरूरी लगा कि वह नेविल मेहता को बता/समझा दें कि राजिंदर बंसल द्धारा की गई शिकायत पर उन्हें ध्यान देने की जरूरत नहीं है । हर्ष बंसल ने दोहरा काम किया -  एक तरफ तो उन्होंने नेविल मेहता को बताया/समझाया; और दूसरी तरफ अपने डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर नरेश गुप्ता को आश्वस्त किया कि उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है, राजिंदर बंसल की शिकायत पर नेविल मेहता कोई कार्रवाई नहीं करेगा क्योंकि नेविल मेहता 'अपना ही आदमी' है ।
हर्ष बंसल का मानना और कहना है कि 'ग्रेट लायन लीडर' नरेश अग्रवाल जब उनके साथ हैं, तो नेविल मेहता की हिम्मत भी नहीं होगी कि उनके समझाने को न समझें । नेविल मेहता को आखिर नौकरी करनी है कि नहीं ? हर्ष बंसल मानते और अपने अंदाज में कहते हैं कि नेविल मेहता ने उनके समझाने के बाद भी यदि राजिंदर बंसल की शिकायत पर कार्रवाई की तो वह 'ग्रेट लायन लीडर' नरेश अग्रवाल से कहकर नेविल मेहता को नौकरी से निकलवा देंगे ।
राजिंदर बंसल की शिकायत आखिर है क्या, जिस पर कार्रवाई न होने देने के लिए हर्ष बंसल ने 'ग्रेट लायन लीडर' नरेश अग्रवाल के नाम का इस्तेमाल किया हुआ है और नेविल मेहता पर दबाव बनाया हुआ है । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजिंदर बंसल ने नेविल मेहता का ध्यान उस तथ्य की तरफ खींचा है जिसके अनुसार डिस्ट्रिक्ट में अचानक से 234 सदस्य बढ़ गए हैं । यह सदस्य डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता की सहभागिता वाले इंस्टीट्यूट इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र हैं, जिन्हें फर्जी तरीके से और धोखे में रखकर लायन सदस्य बनाया गया है । यह इंस्टीट्यूट दिल्ली से 115 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के गजरौला में है, जो लायंस डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के क्षेत्र में पड़ता है । नेविल मेहता को लिखे पत्र में राजिंदर बंसल ने विस्तार से बताया है कि इन सदस्यों को बनाने में किस तरह का फर्जीवाड़ा किया गया है और क्यों यह मामला दो डिस्ट्रिक्ट्स के बीच तय किए गए नियमों का उल्लंघन करता है । राजिंदर बंसल का स्पष्ट कहना है कि फर्जी तरीके से बढ़ाई गई इस सदस्यता का असली उद्देश्य फर्जी वोट तैयार करना है । राजिंदर बंसल ने इस मामले की जल्द से जल्द जाँच कराने और उचित कार्रवाई करने की माँग की है ।
डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच चर्चा और सवाल यह है कि राजिंदर बंसल की इस माँग से हर्ष बंसल को मिर्ची क्यों लगी और उनका धुआँ क्यों निकला - और उसे 'ग्रेट लायन लीडर' नरेश अग्रवाल के नाम का जयकारा क्यों लगाना पड़ा ? समझा यह जाता है कि फर्जी तरीके से सदस्यता बढ़ाने वाली इस कारस्तानी का मास्टरमाइंड हर्ष बंसल ही है, जिसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता के साथ मिलकर फर्जी सदस्यता की धोखाधड़ी की है । जिन क्लबों में यह फर्जी सदस्यता जोड़ी गई है उनमें से अधिकतर नरेश गुप्ता के खाते के फर्जी क्लब्स के रूप में पहचाने जाते हैं - इन सदस्यों को स्पॉन्सर लेकिन हर्ष बंसल ने किया है । चर्चा है कि नरेश गुप्ता के फर्जी क्लब्स के पासवर्ड हर्ष बंसल के पास ही हैं, और वही उन फर्जी क्लब्स में जोड़-घटाव करते रहते हैं । नेविल मेहता को लिखे पत्र में राजिंदर बंसल ने चूँकि हर्ष बंसल के इस खेल की पोल खोल दी है, तो हर्ष बंसल को मिर्ची लगना ही थी ।
राजिंदर बंसल द्धारा खोली गई पोल पर नेविल मेहता कहीं कोई कार्रवाई न कर दें, इसलिए हर्ष बंसल ने एक तरफ तो 'ग्रेट लायन लीडर' नरेश अग्रवाल को याद किया और दूसरी तरफ नेविल मेहता को 'समझाया' ।
राजिंदर बंसल द्धारा उठाये गए मुद्दे से तिलमिलाए हर्ष बंसल और नरेश गुप्ता ने राजिंदर बंसल पर निजी हमला किया और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनके द्धारा लिए गए कुछेक फैसलों तथा उनकी कुछेक गतिविधियों का जिक्र करते हुए उन पर आरोप लगाए । उनके आरोपों को यदि सच भी मान लें तो भी सवाल तो यही उठता है कि इतने वर्षों से वह मुँह में दही जमाए बैठे थे क्या ? राजिंदर बंसल ने यदि कुछ गलत किया था तो क्यों नहीं उनकी शिकायत की गई ? नेविल मेहता और 'ग्रेट लायन लीडर' नरेश अग्रवाल को तो हर्ष बंसल 'अपना आदमी' बताते हैं, क्यों नहीं इनसे शिकायत करके राजिंदर बंसल के खिलाफ कार्रवाई करवाई ? अब जब राजिंदर बंसल ने हर्ष बंसल और नरेश गुप्ता को 'बदमाशी' करते हुए 'रंगे हाथ' पकड़ लिया है तो जबाव देने की बजाए पलट कर उनपर आरोप लगाने का मतलब तो यही है कि हर्ष बंसल और नरेश गुप्ता के पास अपनी कारस्तानी को छिपाने/बचाने का कोई रास्ता नहीं बचा है ।
हर्ष बंसल और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता की इस कारस्तानी पर 'ग्रेट लायन लीडर' नरेश अग्रवाल क्या रवैया अपनाते हैं और राजिंदर बंसल की शिकायत पर कार्रवाई करने से नेविल मेहता को रोकते हैं या कार्रवाई करने देते हैं - यह आगे पता चलेगा । राजिंदर बंसल से मिली शिकायत पर नेविल मेहता कार्रवाई करने का साहस दिखा पाते हैं, और या अपनी नौकरी बचाने के लिए शिकायत पर धूल डाल देते हैं - यह देखना भी दिलचस्प होगा ।

Saturday, September 13, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन का रिजेक्ट होना बहुत संभव है कि एक रूटीन प्रक्रिया का नतीजा ही हो, लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट के कई लोगों को इसके पीछे कोई षड्यंत्र यदि दिख रहा है तो यह बहुत स्वाभाविक ही है

नई दिल्ली । जेके गौड़ को भी क्या अमित जैन की तरह डिस्ट्रिक्ट में मौजूद 'आस्तीन के साँपों' की हरकतों का शिकार होना पड़ेगा ? अमेरिकी दूतावास ने जिस तरह जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन को रिजेक्ट किया है, उससे डिस्ट्रिक्ट के लोगों को आशंका होने लगी है कि जो खेल अमित जैन के साथ खेला गया था, कहीं वैसा ही कोई खेल जेके गौड़ के साथ खेलने की तैयारी तो नहीं कर ली गई है ? जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट होने पर दिल्ली स्थित रोटरी इंटरनेशनल साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों को तथा लगातार अमेरिका आते-जाते रहने वाले रोटरी के बड़े नेताओं को खासी हैरानी हुई है । उनका कहना है कि दूतावासों में रोटरी एक जाना-पहचाना नाम है और दूतावासों के अधिकारी जानते हैं कि रोटरी के आयोजनों में शामिल होने के लिए रोटेरियंस दूसरे देशों में - खासकर अमेरिका जाते रहते हैं । इसीलिए रोटेरियंस को वीजा मिलने में कोई दिक्कत नहीं होती है । विशेष कर, रोटरी के आधिकारिक आयोजनों में शामिल होने जा रहे आधिकारिक प्रतिनिधियों को तो वीजा मिलने में दिक्कत होने का सवाल ही पैदा नहीं होता । जेके गौड़ को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में रोटरी इंटरनेशनल द्धारा आयोजित किए जाने वाले ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वीजा चाहिए था - अनुभवी अधिकारियों/पदाधिकारियों का मानना और कहना है कि इसके लिए वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट होने का कोई कारण उन्हें समझ में नहीं आता है ।
जेके गौड़ का कहना है कि तीन-चार वर्ष पहले भी उन्होंने अमेरिकी वीजा के लिए एप्लाई किया था और उस समय भी उनकी एप्लीकेशन रिजेक्ट हो गई थी । जेके गौड़ को लगता है कि संभवतः उसी रिजेक्शन को देखते हुए इस बार भी उनकी एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी गई हो । रोटरी इंटरनेशनल साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों को तथा लगातार अमेरिका आते-जाते रहने वाले रोटरी के बड़े नेताओं को जेके गौड़ की इस दलील में दम नहीं दिखता है । उनका कहना है कि तीन-चार वर्ष पहले जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन का रिजेक्ट होना कोई बड़ी बात नहीं थी, क्योंकि तब वह एक सामान्य रोटेरियन थे; किंतु अब वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में रोटरी इंटरनेशनल के एक पदाधिकारी हैं और उन्हें रोटरी के एक आधिकारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अमेरिका जाना है । जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट होने से हैरान लोगों को इसीलिए लगता है कि इसके पीछे जरूर ही डिस्ट्रिक्ट में चलती रहने वाली टुच्ची राजनीति का कोई खेल होगा ।
डिस्ट्रिक्ट 3010 में टुच्ची राजनीति के खिलाड़ियों की करतूतें यूँ भी कुछ भी गुल खिला देने के लिए पहले से ही मशहूर हैं । इसी संदर्भ में अमित जैन के साथ हुए अनुभव को लोग याद कर रहे हैं । अमित जैन पेट्स के लिए अपनी टीम के साथ जिस ट्रेन में अमृतसर जा रहे थे, उस ट्रेन को पहले तो बम की अफवाह के चलते रोका गया - जिससे लोगों को भारी परेशानी हुई; और फिर चेकिंग में गलत नामों से यात्रा करते पकड़े गए रोटेरियंस से बसूले गए जुर्माने के कारण भारी आर्थिक बोझ पड़ा । हो सकता है कि यह सब 'रूटीन' प्रक्रिया के चलते ही हुआ हो - लेकिन डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच इसके लिए मुकेश अरनेजा की 'शैतानी खुराफाती' सोच को जिम्मेदार ठहराया गया । यह इसलिए भी हुआ क्योंकि खुद मुकेश अरनेजा ने अमित जैन के गवर्नर-काल को बर्बाद कर देने की घोषणा की हुई थी । उस तरह से जेके गौड़ के गवर्नर-काल को बर्बाद कर देने की घोषणा तो किसी ने नहीं की हुई है, लेकिन जेके गौड़ के गवर्नर-काल को फेल होते हुए 'देखने' की इच्छा कई लोगों की है । इसीलिए - बहुत संभव है कि जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन का रिजेक्ट होना एक रूटीन प्रक्रिया का नतीजा ही हो, लेकिन फिर भी कई लोगों को इसके पीछे कोई षड्यंत्र यदि दिख रहा है तो यह बहुत स्वाभाविक ही है ।
कुछेक बातों पर गौर करना यहाँ प्रासंगिक होगा : मुकेश अरनेजा कई बार यह बात दोहरा चुके हैं कि जेके गौड़ का गवर्नर-काल अच्छा नहीं रहेगा । जिन लोगों के सामने मुकेश अरनेजा ने यह कहा है उन्होंने यह महसूस किया है कि यह कहते हुए मुकेश अरनेजा का भाव (यानि उनकी बॉडी लैंग्वेज) चिंता का नहीं, बल्कि उपहास का रहा - ऐसा लगा जैसे कि वह चाहते हैं कि जेके गौड़ का गवर्नर-काल मुसीबत में फँसता रहे ताकि जेके गौड़ मदद के लिए उन पर निर्भर बने रहें । दूसरे की मुसीबत में अपने लिए मौके बनाने का हुनर मुकेश अरनेजा को खूब आता है । मुकेश अरनेजा ने खुद ही लोगों को बताया है कि राजेंद्र जैना द्धारा रमेश अग्रवाल की पिटाई होने की घटना यदि न हुई होती तो रमेश अग्रवाल के 'घाव' पर मलहम लगाने का मौका उन्हें न मिला होता और मलहम लगाते-लगाते वह रमेश अग्रवाल के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद प्राप्त न कर पाते । उस 'दृश्य' की कल्पना दिलचस्प होने के साथ-साथ दुर्भाग्यपूर्ण भी है जिसमें राजेंद्र जैना के क्रोध से बचने के लिए रमेश अग्रवाल तो बचने/छिपने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मुकेश अरनेजा उनकी इस हालत में अपने लिए एक महत्वपूर्ण पद पाने का 'रास्ता' देख रहे हैं ।
मुकेश अरनेजा सिर्फ दूसरे की मुसीबत में फायदा उठाने का काम ही नहीं करते, बल्कि दूसरे को मुसीबत में फँसा कर भी फायदा उठाने का काम करते हैं । दीपक गुप्ता ने अपनी उम्मीदवारी के बारे में उन्हें जब बताया था, तब उन्होंने दीपक गुप्ता को बहुत ही उत्साहित किया था; लेकिन बाद में वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को हतोत्साहित करने में जुट गए । यह तो कुछ भी नहीं है - मुकेश अरनेजा ने जो सतीश सिंघल के साथ किया हुआ है । मुकेश अरनेजा एक तरफ तो सतीश सिंघल की उम्मीदवारी का समर्थन करने का दावा करते हैं, दूसरी तरफ साथ ही लेकिन उनकी जगह अन्य अन्य लोगों को उम्मीदवार बनने के लिए प्रेरित करने का काम भी करते जा रहे हैं - और ऐसा करते हुए यह कहने से भी गुरेज नहीं करते कि सतीश सिंघल गवर्नर मैटेरियल नहीं है । ऐसे में लोगों के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि मुकेश अरनेजा आखिर क्यों और किस उद्देश्य की खातिर सतीश सिंघल की उम्मीदवारी को इस्तेमाल कर रहे हैं ?
जिस डिस्ट्रिक्ट में नेता लोग अपने स्वार्थ में किसी की भी 'बलि' चढ़ा देने में जरा भी न हिचकिचाते हों - उस डिस्ट्रिक्ट के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट हो जाने के पीछे यदि कोई खेल देखा जा रहा है, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए । जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट होने को उनके गवर्नर-काल की खराब शुरुआत के रूप में देखने वाले लोगों का कहना है कि जेके गौड़ को इस प्रसंग से सबक लेना चाहिए और समझना चाहिए कि जिस तरह से हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती उसी तरह से हर समर्थक/शुभचिंतक सचमुच में मददगार नहीं होता - हो सकता है कि समर्थन और शुभचिंता की आड़ में वह अपना कोई ऊल्लू सीधा करने की ताक में लगा हो । 'आस्तीन के साँप' वाला मुहावरा आखिर इसीलिए तो बना है ।  

Thursday, September 11, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में रूपक जैन ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के संदर्भ में शरत जैन के लिए दीपक गुप्ता के रास्ते से हट जाने का सुझाव क्या दिया कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल आगबबूला होकर रूपक जैन को ही लपेटे में लेने लगे हैं

नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की तिकड़ी ने रूपक जैन को ऐसा फँसाया है कि रूपक जैन को लोगों के सवालों का जबाव देते हुए नहीं बन रहा है - और उन्हें लोगों से मुँह छिपाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । मजे की बात यह है कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल उल्टे रूपक जैन को कोस रहे हैं कि रूपक जैन की बेवकूफी के चलते उनकी अच्छी-भली चाल उल्टी पड़ गई है । लोगों को लग रहा है कि मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की तिकड़ी ने अपना काम निकालने/बनाने की कोशिश में रूपक जैन को पहले तो इस्तेमाल किया और अब उन्हें अकेला छोड़ दिया है । उल्लेखनीय है कि रूपक जैन ने पिछले दिनों एक बीड़ा यह उठाया कि प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए चुनाव की संभावना को टाला जाये और शरत जैन व दीपक गुप्ता बारी बारी से आगे-पीछे उम्मीदवार हो जाएँ - यानि इनमें से एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए और दूसरा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनने को राजी हो जाए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए जो दो उम्मीदवार चुनावी मैदान में दिख रहे हैं, उनके लिए रूपक जैन ने दावा किया कि सतीश सिंघल को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए वह राजी कर लेंगे और प्रसून चौधरी को हालाँकि वह जानते नहीं हैं, लेकिन उनका भी वह कुछ करेंगे ।
रूपक जैन ने यह जो बीड़ा उठाया उसका कारण उन्होंने बताया कि प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 एक नया डिस्ट्रिक्ट होगा और इस नाते से उसके सामने कुछ अलग तरह की समस्याएँ व चुनौतियाँ होंगी । उनका तर्क रहा कि समस्याओं व चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है कि उक्त डिस्ट्रिक्ट के लोगों की सारी एनर्जी उसमें लगे तथा चुनावी फसाद में वह बँट कर व्यर्थ न जाए । रूपक जैन की इस सोच को सभी ने अच्छा ही माना और इसीलिए सभी ने रूपक जैन की पहल के प्रति समर्थन व सहयोग का भाव ही व्यक्त किया । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों को रूपक जैन की इस पहल के पीछे अरनेजा गिरोह के नेताओं की चाल होने का शक तो हुआ और इस शक की बिना पर उन्होंने चाहा भी कि दीपक गुप्ता को रूपक जैन की बातों में आने की जरूरत नहीं है - किंतु रूपक जैन की तरफ से रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के वरिष्ठ सदस्य योगेश गर्ग ने जब दीपक गुप्ता को आश्वस्त किया कि रूपक जैन उनके साथ कोई अन्याय नहीं होने देंगे, तब दीपक गुप्ता उस मीटिंग में शामिल होने के लिए राजी हो गए जिसे रूपक जैन ने बुलाया था ।
मीटिंग में उपस्थित लोगों ने लंबी-लंबी बातें कीं । लंबी-लंबी बातें करने के मामले में कुख्यात मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने जिस तरह के तेवर दिखाए उससे लगा कि वह दीपक गुप्ता पर शरत जैन के सामने से हट जाने के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं । दीपक गुप्ता और योगेश गर्ग ने उनकी इस कोशिश का दृढ़ता से जबाव दिया और यह साफ किया कि इस मीटिंग का उद्देश्य यदि दीपक गुप्ता पर दबाव बना कर शरत जैन को फायदा दिलवाना है तो उन्हें इस मीटिंग में दिलचस्पी नहीं है । तब रूपक जैन ने बीच-बचाव किया और स्पष्ट किया कि इस मीटिंग का उद्देश्य किसी को भी दबाव में लेने का नहीं है; इसका उद्देश्य पहले तो यह समझना है कि चुनाव की स्थिति से बचने की जरूरत है और फिर यह देखना है कि पहली उम्मीदवारी के लिए किसका पलड़ा भारी है ।
उम्मीदवार के रूप में दीपक गुप्ता और शरत जैन के कामों और उनकी सक्रियता का विवरण सामने आया तो दीपक गुप्ता का पलड़ा भारी दिखा । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की चर्चा जब लोगों के बीच थी, तब शरत जैन की उम्मीदवारी की कहीं कोई आहट तक नहीं थी । शिमला में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में संजय खन्ना के ऐजी व कोर टीम के ट्रेनिंग सेमीनार में इकठ्ठा हुए लोगों के बीच अगले रोटरी वर्ष के चुनावी परिदृश्य को लेकर जो चर्चा हुई थी, उसमें दीपक गुप्ता और डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी का ही जिक्र था । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में संजय खन्ना ने शुरू के अपने कार्यक्रमों की तैयारी में शरत जैन को शामिल ही इसलिए किया हुआ था, क्योंकि तब तक शरत जैन ने अपनी उम्मीदवारी के लिए अपना मन नहीं बनाया था । तुलनात्मक रूप से पलड़ा भारी होने के बावजूद दीपक गुप्ता ने स्पष्ट किया कि उनकी उम्मीदवारी का संचालन उनके हाथ में नहीं, बल्कि उनके नजदीकियों, उनके समर्थकों और उनके शुभचिंतकों के हाथ में है और उनसे सलाह किए बिना वह कोई फैसला नहीं करेंगे । रूपक जैन ने तब यह कह कर मीटिंग समाप्त की कि अब आगे की बात तभी होगी जब दीपक गुप्ता अपने लोगों से बात करके फैसला कर लेंगे ।
अभी हाल ही में रूपक जैन के साथ जब दीपक गुप्ता और उनके समर्थकों की दोबारा मीटिंग हुई तो रूपक जैन को साफ बता दिया गया कि दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए ही उम्मीदवारी रखेंगे । रूपक जैन ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि दीपक गुप्ता ने अंततः फैसला कर लिया । रूपक जैन ने यह बात बाद में और लोगों को भी बताई तथा दावा किया कि वह शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए राजी कर लेंगे । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने जब यह सुना तो उन्होंने अपने स्वभाव के अनुरूप रूपक जैन के लिए घोर अपशब्दों का और अशालीन भाषा का प्रयोग किया । उनका कहना है कि रूपक जैन को शरत जैन की उम्मीदवारी के बारे में फैसला करने का अधिकार किसने दिया है; और रूपक जैन किस हैसियत से यह तय कर रहे हैं कि शरत जैन नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनें ।
रूपक जैन के प्रति मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के इन तेवरों को देखकर लोगों ने समझ लिया कि रूपक जैन को इस्तेमाल करके दीपक गुप्ता को शरत जैन के सामने से हटाने की उन्होंने जो चाल चली थी, उसके फेल हो जाने से पैदा हुई निराशा और हताशा के चलते वह रूपक जैन को अपने स्वभाव के अनुरूप गलिया रहे हैं । रूपक जैन के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि उनसे आखिर गलती कहाँ/क्या हुई है जो मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल उन्हें गलिया रहे हैं ? उन्होंने तो वही करने की कोशिश की जो मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन करना/करवाना चाहते थे । रूपक जैन को भले ही समझ में न आ रहा हो, लेकिन दूसरे लोगों को समझ में आ गया है कि उक्त तिकड़ी करने/करवाने की बात कुछ कर रही थी, लेकिन वास्तव में करना/करवाना 'कुछ और' चाहती थी । रूपक जैन से गलती बस यह हुई कि वह उक्त तिकड़ी के असली इरादों को भाँप नहीं सके और इसलिए ही अब उनसे जली-कटी सुन रहे हैं ।
मजे की बात यह हुई है कि दीपक गुप्ता के कुछेक समर्थकों व शुभचिंतकों ने इस बात का खासा विरोध किया था और नाराजगी दिखाई थी कि रूपक जैन को मोहरा बना कर मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल के बिछाए जाल में दीपक गुप्ता क्यों फँस रहे हैं ? दीपक गुप्ता ने लेकिन योगेश गर्ग की इस बात पर भरोसा किया कि मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की तिकड़ी ने भले ही रूपक जैन के जरिये अपना काम निकालने की कोई योजना बनाई हो - लेकिन रूपक जैन वही फैसला करेंगे जो न्याय संगत होगा । योगेश गर्ग से मिले इसी भरोसे के चलते दीपक गुप्ता ने रूपक जैन की मुहिम में शामिल होने का फैसला किया । रूपक जैन ने दोनों उम्मीदवारों की बातें सुन/जान कर न्याय संगत फैसला किया कि शरत जैन को दीपक गुप्ता के रास्ते से हट जाना चाहिए तो मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल आगबबूला होकर रूपक जैन को ही लपेटे ले रहे हैं ।
इस तरह, रूपक जैन ने हवन करने के चक्कर में अपने हाथ और जला लिए हैं । उनके लिए लोगों के इस सवाल का जबाव देते हुए नहीं बन रहा है कि मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन को जब उनका फैसला नहीं ही मानना था तो फिर बातचीत का इतना सब नाटक क्यों किया गया ?

Wednesday, September 10, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता एक ऐसे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने जा रहे हैं, जिसके निमंत्रण पत्र में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के संदर्भ में लायंस इंटरनेशनल के फैसले की खुली अवमानना का इजहार है; और इंटरनेशनल सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट पद की तरफ बढ़ रहे नरेश अग्रवाल न सिर्फ चुपचाप बैठे तमाशा देख रहे हैं, बल्कि उसे शह और संरक्षण भी दे रहे हैं

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता और उनके संगी-साथी पूर्व गवर्नर्स इंटरनेशनल सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट पद की तरफ बढ़ रहे नरेश अग्रवाल की फजीहत कराने का कोई न कोई मौका बना ही लेते हैं । लायंस क्लब दिल्ली पंजाबी बाग के 37वें अधिष्ठापन समारोह को उन्होंने ऐसे ही एक मौके के रूप में बना लिया है । इस समारोह के निमंत्रण पत्र में विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए 'डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट एन्डोर्सी' के रूप में जो तवज्जो दी गई है, वह लायंस इंटरनेशनल के घोषित फैसले की सीधी अवहेलना है - और इस अवहेलना के जरिये दरअसल नरेश अग्रवाल को उनकी 'राजनीतिक औकात' दिखाने की कोशिश की गई है । दरअसल विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनवाने में लगे लोगों की तमाम तिकड़मों के लगातार फेल होते जाने के चलते विक्रम शर्मा के समर्थकों का गुस्सा नरेश अग्रवाल पर फूट रहा है । विक्रम शर्मा के समर्थकों का कहना है कि नरेश अग्रवाल यदि दिलचस्पी लें तो विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में लायंस इंटरनेशनल में मान्यता दिलवा सकते हैं; लेकिन नरेश अग्रवाल इस संबंध में कोई दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं । इसीलिए विक्रम शर्मा के समर्थक एक तरफ तो लायंस इंटरनेशनल तक से धोखाधड़ी करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं; और दूसरी तरफ नरेश अग्रवाल की फजीहत कराने में लगे हैं । जिस तरह की धोखाधड़ी की जा रही है, उससे भी कुल मिलाकर इंटरनेशनल सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट पद की तरफ बढ़ रहे नरेश अग्रवाल का ही नाम खराब हो रहा है ।
अभी हाल ही में, विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट बनवाने में लगे नेताओं ने लायंस इंटरनेशनल के साथ धोखाधड़ी करने का बड़ा ऊँचा खेल खेला : अदालत गए शिकायतकर्ता के नाम से मिलते जुलते नाम की फर्जी मेल आईडी से लायंस इंटरनेशनल को सूचित किया गया कि उसने अदालत से केस वापस ले लिया है इसलिए विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर घोषित कर दें । विक्रम शर्मा के समर्थक नेताओं की करतूतों की कुख्याति लगता है कि लायंस इंटरनेशनल के पदाधिकारियों तक पहुँची हुई है, इसलिए उन्होंने उक्त फर्जी मेल की झूठी सूचना पर विश्वास नहीं किया और अपने स्तर पर जाँच की तथा हैरान हुए कि किसी भी तरह विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनवाने में लगे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता और उनके संगी-साथी पूर्व गवर्नर्स बेईमानी की किस हद तक जा सकते हैं ।
लायंस इंटरनेशनल के पदाधिकारी लेकिन यह जान कर और हैरान हुए हैं कि इंटरनेशनल सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट बनने की राह पर बढ़ रहे नरेश अग्रवाल लायंस इंटरनेशनल के साथ धोखाधड़ी करने वाले लोगों के समर्थक बने हुए हैं और उन्हें शह दे रहे हैं ।
लायंस क्लब दिल्ली पंजाबी बाग के अधिष्ठापन समारोह के निमंत्रण पत्र में विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए 'डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट एन्डोर्सी' के रूप में तवज्जो दे कर लायंस इंटरनेशनल के घोषित फैसले को सीधी चुनौती दी गई है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता को लायंस इंटरनेशनल से औपचारिक रूप से संदेश मिल चुका है कि अदालती फैसला आने तक सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी खाली रखी जाये; और इस पद के लिए जिसे चुना गया बताया गया है उसे लायंस इंटरनेशनल ने न तो अधिकृत किया है और न मान्यता दी है । लीगल डिवीजन की सलाह का हवाला देते हुए लायंस इंटरनेशनल ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अदालत का फैसला आने के बाद वह यह तय करेगा कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की खाली कुर्सी को भरने के लिए क्या कदम उठाया जाए । जाहिर है कि लायंस इंटरनेशनल ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद को लेकर तीन अगस्त के डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट के फैसले को पूरी तरह अमान्य घोषित कर दिया है । लायंस इंटरनेशनल के इतने स्पष्ट निर्देश के बाद भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता एक ऐसे आयोजन में मुख्य अतिथि बनने को तैयार हो गए हैं जो सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए विक्रम शर्मा को एन्डोर्सी 'घोषित' कर रहा है ।
डिस्ट्रिक्ट में लोगों का कहना है कि नरेश गुप्ता कोई खुशी से इस तरह की बातों में शामिल नहीं हो रहे हैं - उनके संगी-साथी पूर्व गवर्नर्स ने उनकी हैसियत इतनी घटा दी है, उन्हें इतना मजबूर बना दिया है कि उनके लिए इस तरह की हरकतों में शामिल होने से इंकार करना मुश्किल हो रहा है । लायंस क्लब दिल्ली पंजाबी बाग के कर्ता-धर्ता पूर्व गवर्नर्स डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज तो इतने चतुर निकले कि उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता की पत्नी ललिता गुप्ता को भी विवाद में लपेट लिया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की पत्नी डिस्ट्रिक्ट की फर्स्ट लेडी होने के नाते किसी भी कार्यक्रम में उचित सम्मान और तवज्जो पाने की अधिकारी होती ही है - ऐसे में क्लब के अधिष्ठापन कार्यक्रम के उद्घाटन कर्ता के रूप में उनका नाम देने का भला क्या औचित्य है ? समझा जाता है कि डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज ने यह सोच कर ललिता गुप्ता को अपने 'खेल' में शामिल और इस्तेमाल कर लिया, जिससे कि नरेश गुप्ता यह समझ कर खुश हों कि उनकी पत्नी को भी तवज्जो मिल रही है । बेचारे नरेश गुप्ता यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज उनकी पत्नी का नाम इस्तेमाल करके उनके ऊपर अपनी 'पकड़' को और मजबूत बनाने की तिकड़म लगा रहे हैं । डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज को लगता है कि विश्वास था कि वह ललिता गुप्ता का नाम इस्तेमाल करेंगे तो नरेश गुप्ता इतने खुश हो जायेंगे कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के संदर्भ में लायंस इंटरनेशनल के फैसले की खुली अवमानना की उनकी हरकत पर आँखें बंद कर लेंगे । सचमुच, नरेश गुप्ता ने आँखें बंद कर ली हैं और वह एक ऐसे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने जा रहे हैं, जिसके निमंत्रण पत्र में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के संदर्भ में लायंस इंटरनेशनल के फैसले की खुली अवमानना का इजहार है ।
इंटरनेशनल सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट पद की तरफ बढ़ रहे नरेश अग्रवाल के लिए चुनौती की बात यह है कि उनके मल्टीपल का एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायंस इंटरनेशनल के फैसले का सरेआम मजाक बना रहा है - और वह न सिर्फ चुपचाप बैठे तमाशा देख रहे हैं, बल्कि उसे शह और संरक्षण भी दे रहे हैं ।
 

Saturday, September 6, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में हापुड़ क्षेत्र के लोगों के लिए एक्सक्लुसिव आयोजन आयोजित करके सतीश सिंघल ने यह बताने/दिखाने/जताने का जोरदार प्रयास किया है कि उन्होंने चुनाव को 'व्यावहारिक' गंभीरता के साथ लेना शुरू कर दिया है

हापुड़ । सतीश सिंघल की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से हापुड़ में आयोजित हुई मीटिंग में जितने जो लोग जुटे उससे सतीश सिंघल की उम्मीदवारी को खासा बल मिला है । सतीश सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थक व शुभचिंतक हापुड़ में हुई मीटिंग की सफलता से काफी गद्गद हैं और मान रहे हैं कि सतीश सिंघल अपनी उम्मीदवारी को लेकर अब सचमुच गंभीर हो रहे हैं तथा फार्म में आ रहे हैं । सतीश सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों की दरअसल अभी तक एक बड़ी शिकायत और चिंता यही थी कि चुनाव अभियान में जो 'नाजुक तत्व' होते हैं और जो चुनावी नतीजे को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं - उन पर सतीश सिंघल कोई ध्यान नहीं देते हैं । इसी कारण से सतीश सिंघल अपनी खूबियों का भी लाभ नहीं ले पा रहे थे । सतीश सिंघल की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन और सहानुभूति का भाव रखने वाले लोगों का यही मानना और कहना रहा है कि सतीश सिंघल एक रोटेरियन के रूप में जो हैं, रोटरी में उनके जैसे जो काम हैं और उनकी जो उपलब्धियाँ हैं - अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में वह उनकी 'मार्केटिंग' ठीक तरीके से नहीं कर पा रहे हैं । इसी कारण से सतीश सिंघल के दसियों वर्ष पुराने कुछेक दोस्त उनके प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार प्रसून चौधरी के साथ खड़े दिख रहे हैं; और इसी वजह से उनके प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार प्रसून चौधरी बहुत ही कम समय में लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने में कामयाब रहे हैं ।
लेकिन हापुड़ वाले आयोजन से सतीश सिंघल ने यह बताने/दिखाने/जताने का जोरदार प्रयास किया है कि उन्होंने अपने समर्थकों व शुभचिंतकों की बातों पर ध्यान दिया है और चुनाव को 'व्यावहारिक' गंभीरता के साथ लेना शुरू किया है । हापुड़ वाले उनके आयोजन में जो 'दिखा', उससे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों ने जाना कि इस आयोजन को न सिर्फ एक्सक्लुसिव तरीके से डिजाइन किया गया, बल्कि इसे संभव बनाने के लिए भी चौतरफा तैयारी की गई । इस आयोजन के डिजाइन की सबसे बड़ी खूबी यही रही कि इसे हापुड़ क्षेत्र के रोटेरियंस के लिए खास तौर से आयोजित किया गया । हापुड़ क्षेत्र के रोटेरियंस को इतनी एक्सक्लुसिव तवज्जो पहले शायद कभी नहीं मिली होगी । हापुड़ क्षेत्र में होने वाले आयोजनों में और कहीं के नहीं तो गाजियाबाद के लोगों को तो शामिल कर ही लिया जाता रहा है - और इसके चलते उनकी पहचान हमेशा 'दूसरे दर्जे' वाले और 'छोटे भाई' वाले रोटेरियन की ही बनी रही है । सतीश सिंघल ने अपने इस आयोजन के जरिये हापुड़ क्षेत्र के रोटेरियंस को शायद पहली बार एक स्वतंत्र पहचान देने का काम किया । हापुड़ क्षेत्र के क्लब्स के लोगों ने उनके इस 'काम' को पहचाना भी और रेखांकित भी किया और पूरे उल्लास के साथ उसमें शामिल भी हुए ।
सतीश सिंघल ने इस डिजाइन को सफल बनाने के लिए एक काम यह और किया कि क्षेत्र के प्रत्येक क्लब से हर महत्वपूर्व रोटेरियन को अपने इस आयोजन में शामिल कराने का उन्होंने प्रयास किया । दरअसल शुरू में कुछेक प्रमुख रोटेरियन सतीश सिंघल के निमंत्रण को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं दिखा रहे थे - 'पहले वाले' सतीश सिंघल होते तो ऐसे लोगों की परवाह नहीं करते; किंतु 'बदले हुए वाले' सतीश सिंघल ने उनकी परवाह की और अलग-अलग तरह से उनकी ऐसी घेराबंदी की कि फिर उक्त प्रमुख लोग सतीश सिंघल के आयोजन के प्रति उत्साह दिखाने लगे और न सिर्फ खुद उनके आयोजन में शामिल हुए बल्कि अपने साथ ही महत्वपूर्ण और लोगों को भी आयोजन में लाए । इस तरह सतीश सिंघल यह 'दिखाने' में सफल रहे कि उनके इस आयोजन को कामयाब बनाने में उनके साथ हापुड़ क्षेत्र के प्रमुख समझे जाने वाले नेता लोग भी लगे हुए थे ।
सतीश सिंघल ने हापुड़ क्षेत्र के रोटेरियंस के लिए आयोजित हुए आयोजन की तैयारी और व्यवस्था में अपने क्लब के कई लोगों को शामिल 'दिखा' कर उन लोगों का भी मुँह बंद करने की कोशिश की है जो लगातार यह प्रचार करते आ रहे हैं कि उन्हें अपने ही क्लब के सदस्यों का समर्थन और सहयोग नहीं मिल रहा है । क्लब के सदस्यों के समर्थन को लेकर तो सतीश सिंघल को समस्या नहीं रही, लेकिन सहयोग की बात जरूर सवालों के घेरे में रही है । उनके प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार प्रसून चौधरी के साथ उनके क्लब के लोग जिस संलग्नता के साथ जुटे दिखते हैं, सतीश सिंघल अपने क्लब के सदस्यों को अपने साथ उस तरह जुटा हुआ अभी तक नहीं दिखा पाए थे । हापुड़ वाले आयोजन में सतीश सिंघल ने इस स्थिति को भी बदलने का प्रयास किया है; और अपने क्लब के सदस्यों को अपनी उम्मीदवारी के साथ सहयोग करते 'दिखाया' है ।
इस तरह, हापुड़ वाले आयोजन और उसकी व्यापक सफलता ने सतीश सिंघल के चुनाव अभियान में खासी गर्मी ला दी है । इस आयोजन के जरिए उन्होंने दरअसल यह जताने/बताने का 'काम' भी कर लिया है कि चुनाव अभियान की 'व्यावहारिक' जरूरतों को वह जानते/समझते हैं तथा मौका पड़ने पर उन्हें अपना भी सकते हैं । सतीश सिंघल के इस आयोजन ने उनके समर्थकों व शुभचिंतकों में उत्साह तो पैदा किया ही है, उन्हें आश्वस्त भी किया है । यह सब देख/जान कर सतीश सिंघल की उम्मीदवारी के प्रति हमदर्दी और समर्थन का भाव रखने वाले लोगों को लगने लगा है कि प्रसून चौधरी ने अपनी और अपने समर्थकों की सक्रियता से जो चुनावी चुनौती पैदा की है, सतीश सिंघल उसे गंभीरता से समझने लगे हैं और उसका मुकाबला करने के लिए तरकीबें लगाने लगे हैं । इससे चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने का अनुमान लगाया जा रहा है ।

Wednesday, September 3, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह को फीका करने और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील जैन के लिए परेशानी खड़ा करने व उन्हें नीचा दिखाने की मुकेश गोयल की तरकीब के उल्टा पड़ने से डिस्ट्रिक्ट का राजनीतिक परिदृश्य दिलचस्प हुआ

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील जैन की कैबिनेट के अधिष्ठापन समारोह को बिगाड़ने के उद्देश्य से मुकेश गोयल ने जो 'आयोजन' किया, वह उन्हें ही उल्टा पड़ गया है । एक तरफ तो उनके आयोजन में शामिल हुए कई लोगों ने शिकायत की है कि मुकेश गोयल की 'राजनीति' के कारण वह डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में शामिल नहीं हो सके - और दूसरी तरफ इंटरनेशनल डायरेक्टर राजू मनवानी तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर नीलोफर बख्तियार ने मुकेश गोयल की 'राजनीति' के चलते अपने आप को अपमानित महसूस किया और इसके लिए मुकेश गोयल तथा उनके साथी गवर्नर्स को जिम्मेदार ठहराया । उल्लेखनीय है कि मुकेश गोयल ने डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह से ठीक एक दिन पहले देहरादून में आठ क्लब्स के पदाधिकारियों के संयुक्त अधिष्ठापन का कार्यक्रम रख लिया । इस कार्यक्रम का छिपा और मुख्य उद्देश्य डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह को फीका करना और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील जैन के लिए परेशानी खड़ा करना व उन्हें नीचा दिखाना था । लेकिन हुआ उल्टा । 
डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह को फीका तो इंटरनेशनल डायरेक्टर राजू मनवानी तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर नीलोफर बख्तियार की उपस्थिति ने नहीं पड़ने दिया । मुकेश गोयल को यह बात पता नहीं किसी ने बताई या नहीं बताई कि पिछले दिन जिन लोगों ने उनके साथ मंच साझा किया था, उनमें से कोई कोई तो डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में राजू मनवानी और नीलोफर बख्तियार के साथ फोटो खिंचवाने के जुगाड़ में जी-जान से लगे थे । डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह को फीका करवाने के खेल में लगे लोगों का जब यह हाल था, तो समझा जा सकता है कि डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में रौनक कैसी रही होगी ।
मुकेश गोयल के नजदीकियों का दावा है कि डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में लोगों की उपस्थिति पिछले दिन हुए कार्यक्रम की तुलना में कम थी । यह दावा यदि सच भी है तो भी सवाल तो यह महत्वपूर्ण है कि इससे सुनील जैन का बिगड़ा क्या ? डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में लोगों की उपस्थिति को कम करने/रखने के उद्देश्य से ठीक एक दिन पहले आयोजित किए गए आयोजन की तैयारी में जितना समय, एनर्जी और पैसा लगा - उसकी गणना करें और देंखे कि उसके बावजूद सुनील जैन का कुछ नहीं बिगड़ा, तो फिर हासिल क्या हुआ ? यह ठीक है कि एक दिन पहले हुए कार्यक्रम के चलते कई लोग डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में शामिल नहीं हो सके - लेकिन इसके लिए उनमें से अधिकतर ने मुकेश गोयल को ही कोसा । दरअसल, एक दिन पहले आयोजित हुए मुकेश गोयल के आयोजन में पहुँचे कई लोग अगले दिन होने वाले डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में शामिल होना चाहते थे और इसके लिए ठहराये जाने की व्यवस्था चाहते थे । ऐसे लोगों को मुकेश गोयल ने उकसाया/भड़काया कि ठहराये जाने की व्यवस्था के लिए उन्हें सुनील जैन से बात करना चाहिए; कुछेक लोगों ने सुनील जैन से बात की भी - सुनील जैन ने भी समझ लिया कि उन्हें फँसाया जा रहा है; सो उन्होंने दो-टूक जबाव दिया कि भई, आज जिसके कार्यक्रम में आये हो उससे कहो कि ठहराने की व्यवस्था करे । सुनील जैन का जबाव हर किसी को सही ही लगा । मुकेश गोयल ने भी समझ लिया कि उनका दाँव उल्टा पड़ गया है, सो वह चुप लगा गए । लोग तो लेकिन चुप नहीं रहे - उन्होंने मुकेश गोयल को तो कोसा ही; साथ ही सुनील जैन तथा उनके नजदीकियों को सफाई भी दी कि मुकेश गोयल की राजनीति के चक्कर में फँस कर डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में शामिल होने का अवसर उन्होंने खो दिया । 
मुकेश गोयल के आयोजन ने सुनील जैन का सबसे ज्यादा फायदा इस संदर्भ में कराया कि इंटरनेशनल पदाधिकारियों के बीच सुनील जैन के प्रति हमदर्दी और समर्थन का भाव बना/पैदा हुआ । सुनील जैन को निशाना बनाने की मुकेश गोयल और उनके साथी गवर्नर्स की हरकत के चलते हुए राजू मनवानी और नीलोफर बख्तियार के अपमान का नरेश अग्रवाल ने भी बुरा माना है । नरेश अग्रवाल इंटरनेशनल सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट होने की तैयारी कर रहे हैं - ऐसे में उनके मल्टीपल में इंटरनेशनल पदाधिकारियों का किसी भी रूप में अपमान हो, यह उनके लिए चुनौती और समस्या की बात तो है ही । मुकेश गोयल को इन लोगों की नाराजगी की परवाह करने की अभी भले ही कोई जरूरत न दिखती हो; लेकिन सुनील जैन - 'डिस्ट्रिक्ट गवर्नर' सुनील जैन के साथ विरोध की जिस राह पर मुकेश गोयल बढ़ते दिख रहे हैं, उसमें पता नहीं कब उन्हें न्याय पाने के लिए इन्हीं लोगों का दरवाजा खटखटाना पड़े । अभी की बदनामी तब क्या गुल खिलायेगी - इसे अभी कोई जानता भले ही न हो, किंतु अनुमान तो लगा ही सकता है । यह अनुमान - हापुड़ में एक क्लब में फूट डलवा कर दूसरा क्लब बनवाने की मुकेश गोयल की मुहिम को 'डिस्ट्रिक्ट गवर्नर' सुनील जैन की तरफ से मिले झटके को याद करते हुए लगाना और आसान होगा ।
मुकेश गोयल और उनके साथी गवर्नर्स ने इंटरनेशनल पदाधिकारियों की नजर में आने वाला जो नकारात्मक काम किया है, उससे सुनील जैन के नंबर ही बढ़े हैं । पिछले दिनों संपन्न हुई मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में आये लोगों को सुनील जैन ने जो आतिथ्य दिया था, उसके कारण मल्टीपल के और इंटरनेशनल के लोगों के बीच सुनील जैन की धाक बनी ही थी - जिसमें इस प्रकरण से और इजाफा ही हुआ है । मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में आये लोगों को आतिथ्य देने के पीछे हालाँकि सुनील जैन की मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन बनने की तैयारी को छिपा पहचाना गया है । सुनील जैन की यदि कोई ऐसी तैयारी सचमुच में है भी तो उन्होंने जो किया उसका उन्हें सकारात्मक नतीजा ही मिला है । मुकेश गोयल डिस्ट्रिक्ट में सुनील जैन को घेरने की जो कोशिश कर रहे हैं उसमें ऊपर ऊपर से भले ही सुनील जैन घिरते/फँसते नजर आ रहे हों - किंतु परिस्थितियाँ उनके लिए अच्छे मौके बनाती दिख रही है ।
सुनील जैन की जो स्थिति है, उसे पिछले लायन वर्ष में मुकेश गोयल की स्थिति से तुलना करते हुए समझा जा सकता है : पिछले लायन वर्ष में 'इस समय' मुकेश गोयल पूरी तरह अलग-थलग पड़े हुए थे और 'प्रमुख' बनने की होड़ में लगे ऐरे-गैरे टाइप के लोग भी उन्हें गालियाँ दे रहे थे । सुधीर जनमेजा के आकस्मिक निधन से खाली हुई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुर्सी को कब्जाने के लिए चले गए मुकेश गोयल के दाँव के विफल हो जाने के बाद तो हर किसी ने उनकी राजनीति को ख़त्म हुआ मान लिया था । लेकिन परिस्थितियों ने फिर जो करवट ली तो दो महीने के अंदर अंदर मुकेश गोयल जीरो से हीरो बन गए और जो लोग नीट पी पी कर उन्हें गालियाँ दे रहे थे, वह उनकी जय जयकार करने लगे थे ।
सुनील जैन - यह सच है कि मुकेश गोयल नहीं हैं; और मुकेश गोयल जैसी राजनीतिक चतुराई उनमें नहीं होगी । राजनीति लेकिन सिर्फ चतुराई के भरोसे ही नहीं होती है - चतुराई के बावजूद मुकेश गोयल की राजनीति कई बार पिटी ही है । राजनीतिक सफलता परिस्थितियों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर लेने के हुनर पर निर्भर करती है - सुनील जैन ने बार-बार यह तो साबित किया ही है कि परिस्थितियों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना उन्हें आता है । ऐसे में, मुकेश गोयल खुद अपनी गतिविधियों से परिस्थितियों को जब सुनील जैन के अनुकूल बनाये दे रहे हैं तो मामला वास्तव में दिलचस्प हो जाता है ।

Monday, September 1, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में दीपक गुप्ता के सामने कमजोर पड़ते दिख रहे शरत जैन को बचाने के लिए, मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने की जेके गौड़ की कोशिशों को फेल करने में जुटी

नई दिल्ली/गाजियाबाद । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने एक बार फिर जेके गौड़ के गाजियाबाद के लोगों के साथ बनते अच्छे संबंधों में दरार डाल देने वाला काम किया है । जेके गौड़ ने अभी हाल ही में गाजियाबाद के प्रमुख लोगों के साथ हुई मीटिंग में वायदा किया था कि वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में किसी के पक्ष में नहीं 'दिखेंगे' - लेकिन मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने जेके गौड़ को ऐसी मीटिंग में शामिल होने के लिए मजबूर किया जो शरत जैन का रास्ता क्लियर करवाने के लिए दीपक गुप्ता को दबाव में लेकर रास्ते से हटाने के उद्देश्य से हुई । इस मीटिंग के जरिये मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने सतीश सिंघल और प्रसून चौधरी के साथ भी धोखा करने की कोशिश की - जाहिर है कि उन्होंने इस धोखे में भी जेके गौड़ को शामिल कर लिया । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने हर किसी के साथ धोखा करने का यह खेल दरअसल शरत जैन की उम्मीदवारी का काम बनाने के लिए किया । वास्तव में उन्हें यह अच्छी तरह समझ में आ गया है कि शरत जैन के लिए दीपक गुप्ता के साथ चुनावी मुकाबला करना मुश्किल है; और ऐसे में दीपक गुप्ता को उम्मीदवारी के रास्ते से हटा कर ही वह शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुर्सी तक पहुँचा सकते हैं - और ऐसा करने के लिए उन्हें सतीश सिंघल और प्रसून चौधरी के साथ भी धोखाधड़ी करने पड़ेगी तो वह चूकेंगे नहीं ।
दीपक गुप्ता को घेरने के लिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने जो जाल बुना - उसमें उन्हें जेके गौड़ के पर कतरने का मौका भी दिखा; सो उन्होंने एक तीर से दो शिकार कर लेने की चाल भी चली । इन दोनों को दरअसल यह बात पसंद नहीं आ रही है कि जेके गौड़ गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने का प्रयास कर रहे हैं - और जेके गौड़ के प्रयासों को गाजियाबाद के लोगों की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिल रही है । इन्हें डर है कि जेके गौड़ के गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध यदि सुधर गए और गाजियाबाद के लोगों से जेके गौड़ को सहयोग मिलने लगा तो जेके गौड़ उनके हाथ से निकल जायेंगे । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल का मानना है और उनकी तरफ से निरंतर यह कोशिश है कि जेके गौड़ के साथ गाजियाबाद के लोगों का झगड़ा बना रहे - ताकि उनके झगड़े में उन्हें राजनीति करने का मौका मिलता रहे । उल्लेखनीय बात यह है कि जेके गौड़ का गाजियाबाद के लोगों के साथ जो विवाद रहा है उसकी जड़ में मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल का रवैया ही है ।
गाजियाबाद के लोगों की प्रमुख शिकायत ही यह रही है कि जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर के रूप में नहीं, बल्कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के 'आदमी' के रूप में काम करते हुए दिखते हैं तथा गाजियाबाद के लोगों को अपमानित करने व परेशान करने की मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की कार्रवाइयों पर चुप्पी साधे रहते हैं । जेके गौड़ के खिलाफ सबसे गंभीर शिकायत यही रही है कि वह मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की राजनीति को आगे बढ़ाने के काम में उनके द्धारा इस्तेमाल होते हैं । जेके गौड़ ने गाजियाबाद के लोगों के साथ संबध सुधारने के उद्देश्य से पिछले दिनों पहले अलग-अलग और फिर एकसाथ जो मीटिंग्स कीं, उनमें यह बात मुखर रूप से सामने भी आई ।
जेके गौड़ ने गाजियाबाद के लोगों को आश्वस्त किया कि उनके लिए जितना महत्व मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल का है उतना ही महत्व गाजियाबाद के लोगों का भी है; और वह ऐसी स्थिति हरगिज नहीं आने देंगे जिसमें गाजियाबाद के लोगों को किसी भी रूप में अपमानित होना पड़े या परेशान होना पड़े । जेके गौड़ ने गाजियाबाद के लोगों के साथ एक बड़ा वायदा यह किया कि वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति से पूरी तरह दूर रहेंगे और किसी भी उम्मीदवार का पक्ष न तो लेंगे और न किसी के पक्ष में 'दिखेंगे' ।
मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को जेके गौड़ के इस वायदे में अपने लिए चूँकि खतरा दिखा इसलिए उन्होंने जेके गौड़ को गाजियाबाद के लोगों के साथ किए गए अपने इस वायदे पर चार दिन भी नहीं टिका रहने दिया ।
इस बीच दरअसल मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को वापस कराने के लिए रूपक जैन के जरिये एक जाल बिछाया हुआ था - जिसमें रूपक जैन ने रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के योगेश गर्ग को इस्तेमाल करते हुए दीपक गुप्ता को मीटिंग के लिए राजी करने का काम किया हुआ था । इस मीटिंग में दीपक गुप्ता को यह ऑफर दिए जाने की बात थी कि अपनी उम्मीदवारी को वापस लेकर वह पहले शरत जैन को गवर्नर बन जाने दें; बदले में अगली बार वह दीपक गुप्ता को गवर्नर बनवा देंगे । जाहिर तौर पर उक्त मीटिंग शरत जैन की उम्मीदवारी को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ही होनी थी । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने उक्त मीटिंग में जेके गौड़ को भी शामिल होने का न्यौता दिया हुआ था । जेके गौड़ ने लेकिन गाजियाबाद के लोगों के साथ किए गए वायदे को ध्यान में रखते हुए उक्त मीटिंग में शामिल होने से बचने की कोशिश की हुई थी ।
मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को लेकिन चूँकि जेके गौड़ के गाजियाबाद के लोगों के साथ सुधरते दिख रहे संबंधों में बाधा पहुँचानी थी, इसलिए उन्होंने जेके गौड़ को यह तर्क देते हुए मीटिंग में शामिल होने के लिए राजी कर लिया कि मीटिंग में उनके रहने से दीपक गुप्ता पर दबाव बनाने में आसानी होगी । हर किसी के लिए यह समझना मुश्किल बना हुआ है कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के सामने किस कारण से जेके गौड़ इतने मजबूर हैं कि गाजियाबाद के लोगों के साथ किए गए वायदे पर वह चार दिन नहीं टिके रह सके और शरत जैन की उम्मीदवारी के पक्ष में 'दिखने' के लिए राजी हो गए । जेके गौड़ की उपस्थिति में सतीश सिंघल और प्रसून चौधरी के साथ धोखाधड़ी करने की मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने जो बातें कीं, जेके गौड़ उनके भी मूक दर्शक बने रहे । उल्लेखनीय है कि मुकेश अरनेजा ने वैसे तो सतीश सिंघल को समर्थन देने की घोषणा की हुई है; लेकिन दीपक गुप्ता को 'अगली' बार का ऑफर देते हुए मुकेश अरनेजा ने उन्हें आश्वस्त किया कि सतीश सिंघल को तो वह जब चाहेंगे तब बैठा लेंगे । प्रसून चौधरी के बारे में मुकेश अरनेजा का कहना था कि उनकी उम्मीदवारी को जेके गौड़ वापस करवा देंगे ।
दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को वापस कराने के उद्देश्य से हुई उक्त मीटिंग का न कोई नतीजा निकलना था और न वह निकला - लेकिन उक्त मीटिंग में जेके गौड़ की उपस्थित को संभव बना कर मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने जेके गौड़ की गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने की कोशिशों को संदेहास्पद बनाने का काम जरूर कर लिया है । यह करना उन्हें जरूरी भी लगता है । उनकी समस्या दरअसल यह है कि शरत जैन की उम्मीदवारी लोगों के बीच कोई स्वीकार्यता ही नहीं बना पा रही है; और दीपक गुप्ता के मुकाबले शरत जैन काफी पिछड़ते जा रहे हैं - ऐसे में उनके सामने ले दे कर जेके गौड़ की मदद से शरत जैन को किसी तरह मुकाबले में टिकाये रखने की उम्मीद ही बची है । जेके गौड़ यदि गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने की अपनी कोशिशों के चलते चुनाव में किसी उम्मीदवार के साथ न होने और न 'दिखने' का वायदा यदि कर लेंगे तो शरत जैन की उम्मीदवारी की लुटिया तो फिर पूरी तरह ही डूब जाएगी । इसलिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को यह जरूरी लगता है कि जेके गौड़ के गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने की कोशिशों को चोट पहुँचाई जाए ।
जेके गौड़ की चार दिन में ही वायदे से पलटने की दशा पर गाजियाबाद के लोगों ने अभी तो बड़ी सावधानी भरी प्रतिक्रिया व्यक्त की है । अधिकतर लोगों का कहना है कि उन्होंने तो संबंध सुधारने की जेके गौड़ की कोशिशों पर सकारात्मक रूख ही दिखाया है - अब यह जेके गौड़ को तय करना है कि उन्हें चुनावी राजनीति में किसी एक का पक्ष लेने से बचते हुए सभी को साथ लेकर गवर्नरी करनी है और अपने गवर्नर-काल को अच्छे से चलाते हुए अपना और डिस्ट्रिक्ट का नाम रौशन करना है - या मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल की लगाऊ-भिड़ाऊ कारस्तानियों में सहभागी बनते हुए उनकी टुच्ची व ओछी हरकतों में मदद करते हुए ही रहना और 'दिखना' है । लोगों का मानना और कहना है कि गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने की जेके गौड़ की कोशिशों में यदि सचमुच ईमानदारी है तो उन्हें मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल की तीन-तिकड़मों को पहचानना होगा तथा उनसे बचना होगा ।