Saturday, September 27, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की तिकड़ी ने पद दिलवाने और धोखा करने वाले लोगों के पद छिनवाने तथा अवार्ड व मैचिंग ग्रांट न मिलने देने की धमकी देने जैसे हथकंडों से शरत जैन को चुनाव जितवाने का जो फंडा अपनाया है, उसका उल्टा असर भी हो सकता है

नई दिल्ली । जेके गौड़ की तरफ से जिन लोगों को अगले रोटरी वर्ष में पद देने का 'इशारा' दिया जा रहा है - उन लोगों को साथ ही साथ मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की तरफ से जोरशोर से तथा शरत जैन की तरफ से थोड़ा धीमे से यह भी बताया जा रहा है कि जेके गौड़ ने उन को पद देने की यह जो मेहरबानी की है, वह उनकी सिफारिश पर की है । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल यह बताने/जताने से भी नहीं चूक रहे हैं कि वह शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए वोट लेने की खातिर ही इस मेहरबानी के लिए सिफारिश कर रहे हैं । रमेश अग्रवाल तो लोगों को यहाँ तक धमका रहे हैं कि जिस तरह सीओएल के चुनाव में कई लोगों ने उनके साथ धोखा किया था, वैसा धोखा यदि शरत जैन के साथ किया गया तो जेके गौड़ के गवर्नर-काल में ऐसे धोखेबाजों को न तो कोई पद मिलेगा और न ही कोई अवार्ड - तथा धोखा देने वाले क्लब्स को मैचिंग ग्रांट भी नहीं मिलने दी जायेगी । रमेश अग्रवाल ने अपनी बातों से यह जताना/दिखाना शुरू कर दिया है कि जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पद इस उम्मीद से दिए जायेंगे और उन्हीं लोगों को दिए जायेंगे जो पद पाने की ऐवज में शरत जैन की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे; रमेश अग्रवाल ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि देने-लेने की इस सौदेबाजी में धोखा करने वालों को बख़्शा नहीं जायेगा । रमेश अग्रवाल ने अपनी बातों के प्रति भरोसा पैदा करने के उद्देश्य से यह भी बताना जारी रखा हुआ है कि उन्होंने उन लोगों का खास तौर पर नोटिस लिया है जो पद पाने की जुगाड़ में लगे रहते हैं और इसके लिए ही जिन्होंने शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए अचानक से समर्थन दिखाना शुरू कर दिया है; रमेश अग्रवाल का कहना है कि वह ऐसे लोगों का स्वागत करते हैं और निश्चित ही वह उन्हें जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पद दिलवायेंगे - लेकिन साथ ही वह ऐसे लोगों पर निगाह भी रखेंगे ताकि ऐसे लोग पद मिलने के बाद फिर धोखाधड़ी न कर सकें ।
पक्की जानकारी तो नहीं है, लेकिन सुना है कि दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है । इसी तर्ज पर रमेश अग्रवाल का कहना है कि पिछले रोटरी वर्ष में हुए सीओएल के चुनाव में उन्हें बहुत से लोगों ने धोखा दिया था और वायदा करने के बाद भी उन्हें वोट नहीं दिया, जिस कारण वह चुनाव हार गए थे - लेकिन वह शरत जैन के साथ धोखा नहीं होने देंगे; और इसीलिए शरत जैन का समर्थन करने वाले हर रोटेरियन पर कड़ी निगरानी रखेंगे । ध्यान देने योग्य बात हालाँकि यह है कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल राजनीति का जैसा 'नंगा नाच' करने के लिए मशहूर हैं, वैसा नाच करते हुए तो अभी नहीं 'दिख' रहे हैं - किंतु जैसा कि उन्हें जानने वाले लोग मानते और कहते हैं कि वह अपनी हरकतों से बाज आने वाले नहीं हैं । इसीलिए अपनी कार्रवाई अभी उन्होंने पर्दे के पीछे से शुरू की है । राजनीति लेकिन ऐसी शः है कि यहाँ कोई कार्रवाई चाहें कितना ही छिपा कर करो, छिप नहीं पाती है ।
मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को इस बार दरअसल ऐसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जैसी समस्या का सामना उन्हें इससे पहले कभी नहीं करना पड़ा है । उन्हें उम्मीद थी कि जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पद पाने की इच्छा रखने वाले लोग सिफारिश के लिए उनके पास आयेंगे - लेकिन वह यह देख कर हैरान और परेशान हैं कि कोई भी उनके पास नहीं आ रहा है और जो सिफारिश करना भी चाह रहा है, वह सीधे जेके गौड़ से और या अशोक अग्रवाल से बात कर रहा है । किस को, क्या पद देना है - जैसे फैसले जेके गौड़ कर तो मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल से पूछ/बता कर ही रहे हैं, और शरत जैन को भी फैसले तुरंत से पता हो जा रहे हैं; लेकिन पद पाने की सूचना मिलने पर लोगों को यह 'ज्ञान' नहीं मिल रहा है कि यह पद उन्हें मुकेश अरनेजा या रमेश अग्रवाल या शरत जैन की मेहरबानी से मिला है । इसलिए लोगों को यह ज्ञान देने के लिए उन्हें खुद को ही आगे लाने के लिए मजबूर होना पड़ा है ।
मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल जैसा 'बनने' की कोशिश में शरत जैन ने भी कहीं-कहीं उनका फंडा अपनाया और किन्हीं-किन्हीं लोगों को पद दिलवाने की बात बताते हुए उम्मीद की कि सामने वाला भी उनसे कोई बेहतर पद दिलवाने की सिफारिश करेगा । शरत जैन को यह देख/जान कर लेकिन झटका लगा कि उनकी बात सुनते हुए सामने वाले ने उनसे तो कुछ नहीं कहा, किंतु उनके हटते ही तुरंत से जेके गौड़ से या अशोक अग्रवाल से शिकायत की कि फलाँ फलाँ को तो फलाँ फलाँ पद देने की तैयारी कर ली, और मुझे झाँसा दे रहे हो । जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल को पहले तो यह जानकर परेशानी हुई कि पद देने की तैयारी की गोपनीय बात बाहर कैसे पहुँची; और फिर उन्हें यह भी सुनने को मिला कि पदों का बँटवारा क्या मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन से पूछ कर ही करोगे ?
जेके गौड़ हालाँकि भरसक कोशिश कर रहे हैं कि उनके फैसलों पर मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन से प्रभावित होने के आरोप न लगने पाएँ; किंतु इन तीनों का रवैया जेके गौड़ की कोशिश को विफल करने में लगा है । इन तीनों की लेकिन अपनी मजबूरी है - इन्हें लगता है कि लोगों को यह दिखा कर कि जेके गौड़ पूरी तरह से उनके कब्जे में हैं और जेके गौड़ सभी फैसले उनसे पूछ/बता कर ही करते हैं; यह लोगों को शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थन में ला सकते हैं । इसीलिए पहले तो यह जेके गौड़ से पता करते हैं कि उन्होंने क्या क्या फैसले किए और फिर लोगों को फोन करके बताते हैं कि मैंने तुम्हें 'यह' पद दिलवाया है; किन्हीं किन्हीं से तो यहाँ तक कहा/बताया गया कि गौड़ तो तुम्हें नीचे/पीछे डाल रहा था, मैंने लेकिन तुम्हें अच्छी पोजीशन दिलवाई । सामने वाला जब खुश 'नजर' आता तो फिर यह जोड़ा जाता कि जिस तरह मैंने तुम्हारा ध्यान रखा है, वैसे ही तुम्हें शरत जैन का ध्यान रखना है । जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि रमेश अग्रवाल तो यह कहने/बताने से भी नहीं चूकते कि शरत जैन का ध्यान रख पाने में कोई समस्या हो तो अभी बता दो, बाद में धोखा मत देना । रमेश अग्रवाल यह कहने/बताने से भी नहीं चूकते कि धोखा करने वाला यह न समझे कि बाद में बदला नहीं लिया जा सकेगा ।
मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की इस कार्रवाई से शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थक खासे उत्साहित हैं और आश्वस्त हैं कि अब उन्हें चुनाव जीतने से कोई नहीं रोक सकता है । शरत जैन की उम्मीदवारी के इन उत्साहित व आश्वस्त समर्थकों को लेकिन एक बार रवि चौधरी से अवश्य मिल लेना चाहिए - जिन्हें इसी तरह के हथकंडों के सहारे चुनाव जितवाने का भरोसा दिया गया था, लेकिन हुआ उल्टा था । इसी तरह के हथकंडों के सहारे रमेश अग्रवाल ने पिछले वर्ष सीओएल का चुनाव जीतने की तैयारी की थी, किंतु उसमें भी उन्हें मुँहकी खानी पड़ी थी । शरत जैन की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों/शुभचिंतकों का ही कहना है कि पद दिलवाने और धोखा करने वाले लोगों के पद छीनने तथा अवार्ड और मैचिंग ग्रांट न मिलने देने की धमकी देने जैसे हथकंडों से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ की छवि पर तो प्रतिकूल असर पड़ ही रहा है, जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पद पाने वाले लोग अपने आप को अपमानित भी महसूस कर रहे हैं और इसका खामियाजा शरत जैन को भुगतना पड़ सकता है ।