नई दिल्ली । जेके गौड़ को भी क्या अमित जैन की तरह डिस्ट्रिक्ट में मौजूद 'आस्तीन के साँपों' की हरकतों का शिकार होना पड़ेगा ? अमेरिकी
दूतावास ने जिस तरह जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन को रिजेक्ट किया है, उससे
डिस्ट्रिक्ट के लोगों को आशंका होने लगी है कि जो खेल अमित जैन के साथ खेला
गया था, कहीं वैसा ही कोई खेल जेके गौड़ के साथ खेलने की तैयारी तो नहीं कर
ली गई है ? जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट होने पर दिल्ली
स्थित रोटरी इंटरनेशनल साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों को तथा लगातार
अमेरिका आते-जाते रहने वाले रोटरी के बड़े नेताओं को खासी हैरानी हुई है ।
उनका कहना है कि दूतावासों में रोटरी एक जाना-पहचाना नाम है और दूतावासों
के अधिकारी जानते हैं कि रोटरी के आयोजनों में शामिल होने के लिए रोटेरियंस
दूसरे देशों में - खासकर अमेरिका जाते रहते हैं । इसीलिए रोटेरियंस को
वीजा मिलने में कोई दिक्कत नहीं होती है । विशेष कर, रोटरी के आधिकारिक
आयोजनों में शामिल होने जा रहे आधिकारिक प्रतिनिधियों को तो वीजा मिलने
में दिक्कत होने का सवाल ही पैदा नहीं होता । जेके गौड़ को डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर इलेक्ट के रूप में रोटरी इंटरनेशनल द्धारा आयोजित किए जाने वाले
ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वीजा चाहिए था - अनुभवी
अधिकारियों/पदाधिकारियों का मानना और कहना है कि इसके लिए वीजा एप्लीकेशन
के रिजेक्ट होने का कोई कारण उन्हें समझ में नहीं आता है ।
जेके गौड़ का कहना है कि तीन-चार वर्ष पहले भी उन्होंने अमेरिकी वीजा के लिए एप्लाई किया था और उस समय भी उनकी एप्लीकेशन रिजेक्ट हो गई थी । जेके गौड़ को लगता है कि संभवतः उसी रिजेक्शन को देखते हुए इस बार भी उनकी एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी गई हो । रोटरी इंटरनेशनल साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों को तथा लगातार अमेरिका आते-जाते रहने वाले रोटरी के बड़े नेताओं को जेके गौड़ की इस दलील में दम नहीं दिखता है । उनका कहना है कि तीन-चार वर्ष पहले जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन का रिजेक्ट होना कोई बड़ी बात नहीं थी, क्योंकि तब वह एक सामान्य रोटेरियन थे; किंतु अब वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में रोटरी इंटरनेशनल के एक पदाधिकारी हैं और उन्हें रोटरी के एक आधिकारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अमेरिका जाना है । जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट होने से हैरान लोगों को इसीलिए लगता है कि इसके पीछे जरूर ही डिस्ट्रिक्ट में चलती रहने वाली टुच्ची राजनीति का कोई खेल होगा ।
डिस्ट्रिक्ट 3010 में टुच्ची राजनीति के खिलाड़ियों की करतूतें यूँ भी कुछ भी गुल खिला देने के लिए पहले से ही मशहूर हैं । इसी संदर्भ में अमित जैन के साथ हुए अनुभव को लोग याद कर रहे हैं । अमित जैन पेट्स के लिए अपनी टीम के साथ जिस ट्रेन में अमृतसर जा रहे थे, उस ट्रेन को पहले तो बम की अफवाह के चलते रोका गया - जिससे लोगों को भारी परेशानी हुई; और फिर चेकिंग में गलत नामों से यात्रा करते पकड़े गए रोटेरियंस से बसूले गए जुर्माने के कारण भारी आर्थिक बोझ पड़ा । हो सकता है कि यह सब 'रूटीन' प्रक्रिया के चलते ही हुआ हो - लेकिन डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच इसके लिए मुकेश अरनेजा की 'शैतानी खुराफाती' सोच को जिम्मेदार ठहराया गया । यह इसलिए भी हुआ क्योंकि खुद मुकेश अरनेजा ने अमित जैन के गवर्नर-काल को बर्बाद कर देने की घोषणा की हुई थी । उस तरह से जेके गौड़ के गवर्नर-काल को बर्बाद कर देने की घोषणा तो किसी ने नहीं की हुई है, लेकिन जेके गौड़ के गवर्नर-काल को फेल होते हुए 'देखने' की इच्छा कई लोगों की है । इसीलिए - बहुत संभव है कि जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन का रिजेक्ट होना एक रूटीन प्रक्रिया का नतीजा ही हो, लेकिन फिर भी कई लोगों को इसके पीछे कोई षड्यंत्र यदि दिख रहा है तो यह बहुत स्वाभाविक ही है ।
कुछेक बातों पर गौर करना यहाँ प्रासंगिक होगा : मुकेश अरनेजा कई बार यह बात दोहरा चुके हैं कि जेके गौड़ का गवर्नर-काल अच्छा नहीं रहेगा । जिन लोगों के सामने मुकेश अरनेजा ने यह कहा है उन्होंने यह महसूस किया है कि यह कहते हुए मुकेश अरनेजा का भाव (यानि उनकी बॉडी लैंग्वेज) चिंता का नहीं, बल्कि उपहास का रहा - ऐसा लगा जैसे कि वह चाहते हैं कि जेके गौड़ का गवर्नर-काल मुसीबत में फँसता रहे ताकि जेके गौड़ मदद के लिए उन पर निर्भर बने रहें । दूसरे की मुसीबत में अपने लिए मौके बनाने का हुनर मुकेश अरनेजा को खूब आता है । मुकेश अरनेजा ने खुद ही लोगों को बताया है कि राजेंद्र जैना द्धारा रमेश अग्रवाल की पिटाई होने की घटना यदि न हुई होती तो रमेश अग्रवाल के 'घाव' पर मलहम लगाने का मौका उन्हें न मिला होता और मलहम लगाते-लगाते वह रमेश अग्रवाल के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद प्राप्त न कर पाते । उस 'दृश्य' की कल्पना दिलचस्प होने के साथ-साथ दुर्भाग्यपूर्ण भी है जिसमें राजेंद्र जैना के क्रोध से बचने के लिए रमेश अग्रवाल तो बचने/छिपने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मुकेश अरनेजा उनकी इस हालत में अपने लिए एक महत्वपूर्ण पद पाने का 'रास्ता' देख रहे हैं ।
मुकेश अरनेजा सिर्फ दूसरे की मुसीबत में फायदा उठाने का काम ही नहीं करते, बल्कि दूसरे को मुसीबत में फँसा कर भी फायदा उठाने का काम करते हैं । दीपक गुप्ता ने अपनी उम्मीदवारी के बारे में उन्हें जब बताया था, तब उन्होंने दीपक गुप्ता को बहुत ही उत्साहित किया था; लेकिन बाद में वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को हतोत्साहित करने में जुट गए । यह तो कुछ भी नहीं है - मुकेश अरनेजा ने जो सतीश सिंघल के साथ किया हुआ है । मुकेश अरनेजा एक तरफ तो सतीश सिंघल की उम्मीदवारी का समर्थन करने का दावा करते हैं, दूसरी तरफ साथ ही लेकिन उनकी जगह अन्य अन्य लोगों को उम्मीदवार बनने के लिए प्रेरित करने का काम भी करते जा रहे हैं - और ऐसा करते हुए यह कहने से भी गुरेज नहीं करते कि सतीश सिंघल गवर्नर मैटेरियल नहीं है । ऐसे में लोगों के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि मुकेश अरनेजा आखिर क्यों और किस उद्देश्य की खातिर सतीश सिंघल की उम्मीदवारी को इस्तेमाल कर रहे हैं ?
जिस डिस्ट्रिक्ट में नेता लोग अपने स्वार्थ में किसी की भी 'बलि' चढ़ा देने में जरा भी न हिचकिचाते हों - उस डिस्ट्रिक्ट के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट हो जाने के पीछे यदि कोई खेल देखा जा रहा है, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए । जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट होने को उनके गवर्नर-काल की खराब शुरुआत के रूप में देखने वाले लोगों का कहना है कि जेके गौड़ को इस प्रसंग से सबक लेना चाहिए और समझना चाहिए कि जिस तरह से हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती उसी तरह से हर समर्थक/शुभचिंतक सचमुच में मददगार नहीं होता - हो सकता है कि समर्थन और शुभचिंता की आड़ में वह अपना कोई ऊल्लू सीधा करने की ताक में लगा हो । 'आस्तीन के साँप' वाला मुहावरा आखिर इसीलिए तो बना है ।
जेके गौड़ का कहना है कि तीन-चार वर्ष पहले भी उन्होंने अमेरिकी वीजा के लिए एप्लाई किया था और उस समय भी उनकी एप्लीकेशन रिजेक्ट हो गई थी । जेके गौड़ को लगता है कि संभवतः उसी रिजेक्शन को देखते हुए इस बार भी उनकी एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी गई हो । रोटरी इंटरनेशनल साऊथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों को तथा लगातार अमेरिका आते-जाते रहने वाले रोटरी के बड़े नेताओं को जेके गौड़ की इस दलील में दम नहीं दिखता है । उनका कहना है कि तीन-चार वर्ष पहले जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन का रिजेक्ट होना कोई बड़ी बात नहीं थी, क्योंकि तब वह एक सामान्य रोटेरियन थे; किंतु अब वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में रोटरी इंटरनेशनल के एक पदाधिकारी हैं और उन्हें रोटरी के एक आधिकारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अमेरिका जाना है । जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट होने से हैरान लोगों को इसीलिए लगता है कि इसके पीछे जरूर ही डिस्ट्रिक्ट में चलती रहने वाली टुच्ची राजनीति का कोई खेल होगा ।
डिस्ट्रिक्ट 3010 में टुच्ची राजनीति के खिलाड़ियों की करतूतें यूँ भी कुछ भी गुल खिला देने के लिए पहले से ही मशहूर हैं । इसी संदर्भ में अमित जैन के साथ हुए अनुभव को लोग याद कर रहे हैं । अमित जैन पेट्स के लिए अपनी टीम के साथ जिस ट्रेन में अमृतसर जा रहे थे, उस ट्रेन को पहले तो बम की अफवाह के चलते रोका गया - जिससे लोगों को भारी परेशानी हुई; और फिर चेकिंग में गलत नामों से यात्रा करते पकड़े गए रोटेरियंस से बसूले गए जुर्माने के कारण भारी आर्थिक बोझ पड़ा । हो सकता है कि यह सब 'रूटीन' प्रक्रिया के चलते ही हुआ हो - लेकिन डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच इसके लिए मुकेश अरनेजा की 'शैतानी खुराफाती' सोच को जिम्मेदार ठहराया गया । यह इसलिए भी हुआ क्योंकि खुद मुकेश अरनेजा ने अमित जैन के गवर्नर-काल को बर्बाद कर देने की घोषणा की हुई थी । उस तरह से जेके गौड़ के गवर्नर-काल को बर्बाद कर देने की घोषणा तो किसी ने नहीं की हुई है, लेकिन जेके गौड़ के गवर्नर-काल को फेल होते हुए 'देखने' की इच्छा कई लोगों की है । इसीलिए - बहुत संभव है कि जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन का रिजेक्ट होना एक रूटीन प्रक्रिया का नतीजा ही हो, लेकिन फिर भी कई लोगों को इसके पीछे कोई षड्यंत्र यदि दिख रहा है तो यह बहुत स्वाभाविक ही है ।
कुछेक बातों पर गौर करना यहाँ प्रासंगिक होगा : मुकेश अरनेजा कई बार यह बात दोहरा चुके हैं कि जेके गौड़ का गवर्नर-काल अच्छा नहीं रहेगा । जिन लोगों के सामने मुकेश अरनेजा ने यह कहा है उन्होंने यह महसूस किया है कि यह कहते हुए मुकेश अरनेजा का भाव (यानि उनकी बॉडी लैंग्वेज) चिंता का नहीं, बल्कि उपहास का रहा - ऐसा लगा जैसे कि वह चाहते हैं कि जेके गौड़ का गवर्नर-काल मुसीबत में फँसता रहे ताकि जेके गौड़ मदद के लिए उन पर निर्भर बने रहें । दूसरे की मुसीबत में अपने लिए मौके बनाने का हुनर मुकेश अरनेजा को खूब आता है । मुकेश अरनेजा ने खुद ही लोगों को बताया है कि राजेंद्र जैना द्धारा रमेश अग्रवाल की पिटाई होने की घटना यदि न हुई होती तो रमेश अग्रवाल के 'घाव' पर मलहम लगाने का मौका उन्हें न मिला होता और मलहम लगाते-लगाते वह रमेश अग्रवाल के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद प्राप्त न कर पाते । उस 'दृश्य' की कल्पना दिलचस्प होने के साथ-साथ दुर्भाग्यपूर्ण भी है जिसमें राजेंद्र जैना के क्रोध से बचने के लिए रमेश अग्रवाल तो बचने/छिपने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मुकेश अरनेजा उनकी इस हालत में अपने लिए एक महत्वपूर्ण पद पाने का 'रास्ता' देख रहे हैं ।
मुकेश अरनेजा सिर्फ दूसरे की मुसीबत में फायदा उठाने का काम ही नहीं करते, बल्कि दूसरे को मुसीबत में फँसा कर भी फायदा उठाने का काम करते हैं । दीपक गुप्ता ने अपनी उम्मीदवारी के बारे में उन्हें जब बताया था, तब उन्होंने दीपक गुप्ता को बहुत ही उत्साहित किया था; लेकिन बाद में वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को हतोत्साहित करने में जुट गए । यह तो कुछ भी नहीं है - मुकेश अरनेजा ने जो सतीश सिंघल के साथ किया हुआ है । मुकेश अरनेजा एक तरफ तो सतीश सिंघल की उम्मीदवारी का समर्थन करने का दावा करते हैं, दूसरी तरफ साथ ही लेकिन उनकी जगह अन्य अन्य लोगों को उम्मीदवार बनने के लिए प्रेरित करने का काम भी करते जा रहे हैं - और ऐसा करते हुए यह कहने से भी गुरेज नहीं करते कि सतीश सिंघल गवर्नर मैटेरियल नहीं है । ऐसे में लोगों के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि मुकेश अरनेजा आखिर क्यों और किस उद्देश्य की खातिर सतीश सिंघल की उम्मीदवारी को इस्तेमाल कर रहे हैं ?
जिस डिस्ट्रिक्ट में नेता लोग अपने स्वार्थ में किसी की भी 'बलि' चढ़ा देने में जरा भी न हिचकिचाते हों - उस डिस्ट्रिक्ट के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट हो जाने के पीछे यदि कोई खेल देखा जा रहा है, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए । जेके गौड़ की वीजा एप्लीकेशन के रिजेक्ट होने को उनके गवर्नर-काल की खराब शुरुआत के रूप में देखने वाले लोगों का कहना है कि जेके गौड़ को इस प्रसंग से सबक लेना चाहिए और समझना चाहिए कि जिस तरह से हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती उसी तरह से हर समर्थक/शुभचिंतक सचमुच में मददगार नहीं होता - हो सकता है कि समर्थन और शुभचिंता की आड़ में वह अपना कोई ऊल्लू सीधा करने की ताक में लगा हो । 'आस्तीन के साँप' वाला मुहावरा आखिर इसीलिए तो बना है ।