लखनऊ । नीरज बोरा द्धारा अधिष्ठापित संदीप
सहगल की चेयरमैनशिप में आयोजित क्लब्स के सामूहिक अधिष्ठापन समारोह को
डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच इतनी चर्चा शायद न मिलती, यदि इस समारोह की
सफलता से बौखलाए गुरनाम सिंह की बौखलाहट लोगों के सामने न आई होती । गुरनाम
सिंह को यह जानकर दरअसल बुरा लगा कि संदीप सहगल लखनऊ में कुछेक क्लब्स का
सामूहिक अधिष्ठापन करवा रहे हैं और अधिष्ठापन का काम उनसे सलाह किए बिना
नीरज बोरा से करवा रहे हैं । इसीलिए गुरनाम सिंह ने पहले तो इस समारोह
में अड़चन डालने का प्रयास किया, किंतु उसमें विफल होने के बाद उन्होंने
संदीप सहगल को निशाना बनाना शुरू कर दिया और लायंस क्लब काशीपुर सिटी के
सुखविंदर सिंह का नाम लेकर काशीपुर के लायन सदस्यों में फूट डालने तथा
संदीप सहगल का काम बिगाड़ने के काम में लग गए हैं । गुरनाम सिंह की इस
कार्रवाई ने संदीप सहगल को और उनकी चेयरमैनशिप में लखनऊ में आयोजित हुए
अधिष्ठापन समारोह को डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच गंभीर चर्चा में ला दिया
है । लोगों को लग रहा है कि संदीप सहगल की सक्रियता से यदि गुरनाम सिंह
बौखला गए हैं तो इसका मतलब है कि संदीप सहगल की सक्रियता को अप्रत्याशित
कामयाबी मिल रही है - जो गुरनाम सिंह को हजम नहीं हो पा रही है ।
डिस्ट्रिक्ट
में लोगों का मानना और कहना है कि गुरनाम सिंह की शाश्वत समस्या दरअसल यह
है कि वह डिस्ट्रिक्ट में हर फैसला खुद लेना चाहते हैं और इस बात को बिलकुल
भी पसंद नहीं करते हैं कि कोई भी उनकी 'गुलामी' करने से जरा भी इंकार करे -
कोई अपना भी यदि उन्हें ऐसा करता हुआ लगता है, तो फिर वह उसके दुश्मन हो
जाते हैं । उनके इस रवैये का निकट भविष्य में जो शिकार बना, वह हैं केएस
लूथरा । केएस लूथरा जैसा 'भक्त' गुरनाम सिंह को शायद ही मिला होगा, लेकिन
वह केएस लूथरा को भी बर्दाश्त नहीं कर सके । फिर, केएस लूथरा के हाथों ही गुरनाम सिंह ने अपनी जो फजीहत करवाई, वह भी अपनी तरह का
एक उदाहरण है । पिछले लायन वर्ष में केएस लूथरा की खुशामद करके गुरनाम सिंह
ने जिस तरह विशाल सिन्हा को सुरक्षित निकलवाया उससे लोगों को लगा था कि
गुरनाम सिंह लोगों के बदलते मूड को पहचान/समझ रहे हैं और अपने रवैये को बदल
रहे हैं । मौजूदा लायन वर्ष में चुनावी राजनीति की जब चर्चा चली और
अधिकतर लायन नेताओं ने यह मत व्यक्त किया कि इस बार चूँकि तराई क्षेत्र के
क्लब्स का नंबर है, इसलिए वहाँ के लोगों को राजनीति तय कर लेने का मौका
देना चाहिए - तो गुरनाम सिंह ने इस पर सहमति ही व्यक्त की थी और साफ कहा था
कि इस बार जो भी उम्मीदवार हैं, उनमें से कोई भी उनका 'अपना' उम्मीदवार
नहीं है । इससे भी लोगों के बीच विश्वास बना कि गुरनाम सिंह सचमुच बदल रहे हैं और चौधराहट ज़माने के लिए अपने-पराये का खेल खेलने से दूरी बना रहे हैं ।
लेकिन संदीप सहगल की चेयरमैनशिप में आयोजित क्लब्स के सामूहिक अधिष्ठापन समारोह को लेकर गुरनाम सिंह ने जो रवैया दिखाया, उससे
साबित हुआ कि गुरनाम सिंह जरा भी नहीं बदले हैं और पिछले दिनों वह बदलते
हुए जो दिखे थे, वह लोगों को भरमाने के लिए दरअसल उनका नाटक भर था । गुरनाम सिंह ने जिस तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय चोपड़ा को इस्तेमाल करते हुए उक्त समारोह को न होने देने की चाल चली, उससे दिख गया कि गुरनाम सिंह अपने पुराने रंग में लौट आये हैं । संजय चोपड़ा ने उक्त समारोह के लिए टाइम देने में जिस तरह से काफी आनाकानी की, उससे समारोह के आयोजकों ने समझ लिया कि गुरनाम सिंह उनमें चाबी भर रहे हैं । समारोह के आयोजकों ने भी ठान लिया था कि संजय चोपड़ा जब टाइम देंगे, वह समारोह तभी कर लेंगे । ऐसे में, संजय चोपड़ा भी कब तक बचते ? उन्हें टाइम देना ही पड़ा और संदीप सहगल की चेयरमैनशिप में शानदार तरीके से समारोह संपन्न हुआ ।
संदीप सहगल की चेयरमैनशिप में आयोजित समारोह से गुरनाम सिंह के नाराज होने का प्रमुख कारण उनके नजदीकियों ने ही नीरज बोरा से अधिष्ठापन कराना बताया । पिछले
लायन वर्ष में विशाल सिन्हा को सुरक्षित निकलवाने के लिए तो गुरनाम सिंह
ने नीरज बोरा से बहुत नजदीकियाँ बनाई/दिखाईं, लेकिन अपना काम निकल जाने के
बाद अब उन्हें यह बात बिलकुल भी पसंद नहीं आ रही है कि नीरज बोरा से क्लब्स
के सामूहिक अधिष्ठापन समारोह में अधिष्ठापन कराया जाये । इस अधिष्ठापन समारोह को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत
संदीप सहगल की उम्मीदवारी के प्रमोशन के रूप में देखा जा रहा था; और इस
समारोह में वही लोग जुटते हुए देखे जा रहे थे जिन्होंने विशाल सिन्हा के
खिलाफ शिव कुमार गुप्ता की जीत का करिश्मा संभव कर दिखाया था । इसलिए भी
गुरनाम सिंह को इस समारोह को फेल करना जरूरी लगा - लेकिन अपनी तमाम
कोशिशों के बाद भी उसे फेल करना तो दूर, वह उसे शानदार तरीके से आयोजित
होने से भी नहीं रोक सके ।
गुरनाम सिंह आसानी से हार मानने वाले व्यक्ति नहीं हैं । लखनऊ में मात खाने के
बाद उन्होंने संदीप सहगल को काशीपुर में घेरने की चाल चली । काशीपुर के
लायन सदस्यों में फूट डाल कर कुछेक सदस्यों को संदीप सहगल के खिलाफ करने के
मामले में भी गुरनाम सिंह को जब अपनी दाल गलती हुई नहीं दिखी तो उन्होंने लायंस क्लब काशीपुर सिटी के सुखविंदर सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर संदीप सहगल का 'शिकार' करने की योजना बनाई ।
गुरनाम सिंह ने काशीपुर के लायन सदस्यों को यह कहकर भड़काया कि उन्हें
काशीपुर से ही गवर्नर बनवाना है, तो सुखविंदर सिंह को बनवाओ । काशीपुर के
लायन सदस्यों ने उनकी इस चाल को भी यह कहकर विफल कर दिया कि उन्होंने तो पहले ही सुखविंदर सिंह से उम्मीदवार बनने के लिए कहा था, लेकिन सुखविंदर सिंह ने अपनी उम्मीदवारी से इंकार करते हुए संदीप सहगल को उम्मीदवार बनाने का सुझाव दिया था ।
संदीप सहगल का 'शिकार' करने में गुरनाम सिंह अभी भले ही असफल हुए हों, किंतु वह चुप बैठने वाले लोगों में नहीं हैं । यह पहले ही कहा जा चुका है कि गुरनाम सिंह आसानी से हार मानने वाले व्यक्ति नहीं हैं । लखनऊ में संदीप सहगल ने जिस तरह का आयोजन किया और उसमें जिस तरह के लोग जुटे, उसे देख कर तो गुरनाम सिंह के लिए कुछ न कुछ करना जरूरी हो गया है । यह देखना दिलचस्प होगा कि गुरनाम सिंह की अगली चाल अब क्या होगी ?