Monday, September 1, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में दीपक गुप्ता के सामने कमजोर पड़ते दिख रहे शरत जैन को बचाने के लिए, मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने की जेके गौड़ की कोशिशों को फेल करने में जुटी

नई दिल्ली/गाजियाबाद । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने एक बार फिर जेके गौड़ के गाजियाबाद के लोगों के साथ बनते अच्छे संबंधों में दरार डाल देने वाला काम किया है । जेके गौड़ ने अभी हाल ही में गाजियाबाद के प्रमुख लोगों के साथ हुई मीटिंग में वायदा किया था कि वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में किसी के पक्ष में नहीं 'दिखेंगे' - लेकिन मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने जेके गौड़ को ऐसी मीटिंग में शामिल होने के लिए मजबूर किया जो शरत जैन का रास्ता क्लियर करवाने के लिए दीपक गुप्ता को दबाव में लेकर रास्ते से हटाने के उद्देश्य से हुई । इस मीटिंग के जरिये मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने सतीश सिंघल और प्रसून चौधरी के साथ भी धोखा करने की कोशिश की - जाहिर है कि उन्होंने इस धोखे में भी जेके गौड़ को शामिल कर लिया । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने हर किसी के साथ धोखा करने का यह खेल दरअसल शरत जैन की उम्मीदवारी का काम बनाने के लिए किया । वास्तव में उन्हें यह अच्छी तरह समझ में आ गया है कि शरत जैन के लिए दीपक गुप्ता के साथ चुनावी मुकाबला करना मुश्किल है; और ऐसे में दीपक गुप्ता को उम्मीदवारी के रास्ते से हटा कर ही वह शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुर्सी तक पहुँचा सकते हैं - और ऐसा करने के लिए उन्हें सतीश सिंघल और प्रसून चौधरी के साथ भी धोखाधड़ी करने पड़ेगी तो वह चूकेंगे नहीं ।
दीपक गुप्ता को घेरने के लिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने जो जाल बुना - उसमें उन्हें जेके गौड़ के पर कतरने का मौका भी दिखा; सो उन्होंने एक तीर से दो शिकार कर लेने की चाल भी चली । इन दोनों को दरअसल यह बात पसंद नहीं आ रही है कि जेके गौड़ गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने का प्रयास कर रहे हैं - और जेके गौड़ के प्रयासों को गाजियाबाद के लोगों की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिल रही है । इन्हें डर है कि जेके गौड़ के गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध यदि सुधर गए और गाजियाबाद के लोगों से जेके गौड़ को सहयोग मिलने लगा तो जेके गौड़ उनके हाथ से निकल जायेंगे । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल का मानना है और उनकी तरफ से निरंतर यह कोशिश है कि जेके गौड़ के साथ गाजियाबाद के लोगों का झगड़ा बना रहे - ताकि उनके झगड़े में उन्हें राजनीति करने का मौका मिलता रहे । उल्लेखनीय बात यह है कि जेके गौड़ का गाजियाबाद के लोगों के साथ जो विवाद रहा है उसकी जड़ में मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल का रवैया ही है ।
गाजियाबाद के लोगों की प्रमुख शिकायत ही यह रही है कि जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर के रूप में नहीं, बल्कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के 'आदमी' के रूप में काम करते हुए दिखते हैं तथा गाजियाबाद के लोगों को अपमानित करने व परेशान करने की मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की कार्रवाइयों पर चुप्पी साधे रहते हैं । जेके गौड़ के खिलाफ सबसे गंभीर शिकायत यही रही है कि वह मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की राजनीति को आगे बढ़ाने के काम में उनके द्धारा इस्तेमाल होते हैं । जेके गौड़ ने गाजियाबाद के लोगों के साथ संबध सुधारने के उद्देश्य से पिछले दिनों पहले अलग-अलग और फिर एकसाथ जो मीटिंग्स कीं, उनमें यह बात मुखर रूप से सामने भी आई ।
जेके गौड़ ने गाजियाबाद के लोगों को आश्वस्त किया कि उनके लिए जितना महत्व मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल का है उतना ही महत्व गाजियाबाद के लोगों का भी है; और वह ऐसी स्थिति हरगिज नहीं आने देंगे जिसमें गाजियाबाद के लोगों को किसी भी रूप में अपमानित होना पड़े या परेशान होना पड़े । जेके गौड़ ने गाजियाबाद के लोगों के साथ एक बड़ा वायदा यह किया कि वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति से पूरी तरह दूर रहेंगे और किसी भी उम्मीदवार का पक्ष न तो लेंगे और न किसी के पक्ष में 'दिखेंगे' ।
मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को जेके गौड़ के इस वायदे में अपने लिए चूँकि खतरा दिखा इसलिए उन्होंने जेके गौड़ को गाजियाबाद के लोगों के साथ किए गए अपने इस वायदे पर चार दिन भी नहीं टिका रहने दिया ।
इस बीच दरअसल मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को वापस कराने के लिए रूपक जैन के जरिये एक जाल बिछाया हुआ था - जिसमें रूपक जैन ने रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के योगेश गर्ग को इस्तेमाल करते हुए दीपक गुप्ता को मीटिंग के लिए राजी करने का काम किया हुआ था । इस मीटिंग में दीपक गुप्ता को यह ऑफर दिए जाने की बात थी कि अपनी उम्मीदवारी को वापस लेकर वह पहले शरत जैन को गवर्नर बन जाने दें; बदले में अगली बार वह दीपक गुप्ता को गवर्नर बनवा देंगे । जाहिर तौर पर उक्त मीटिंग शरत जैन की उम्मीदवारी को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ही होनी थी । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने उक्त मीटिंग में जेके गौड़ को भी शामिल होने का न्यौता दिया हुआ था । जेके गौड़ ने लेकिन गाजियाबाद के लोगों के साथ किए गए वायदे को ध्यान में रखते हुए उक्त मीटिंग में शामिल होने से बचने की कोशिश की हुई थी ।
मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को लेकिन चूँकि जेके गौड़ के गाजियाबाद के लोगों के साथ सुधरते दिख रहे संबंधों में बाधा पहुँचानी थी, इसलिए उन्होंने जेके गौड़ को यह तर्क देते हुए मीटिंग में शामिल होने के लिए राजी कर लिया कि मीटिंग में उनके रहने से दीपक गुप्ता पर दबाव बनाने में आसानी होगी । हर किसी के लिए यह समझना मुश्किल बना हुआ है कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के सामने किस कारण से जेके गौड़ इतने मजबूर हैं कि गाजियाबाद के लोगों के साथ किए गए वायदे पर वह चार दिन नहीं टिके रह सके और शरत जैन की उम्मीदवारी के पक्ष में 'दिखने' के लिए राजी हो गए । जेके गौड़ की उपस्थिति में सतीश सिंघल और प्रसून चौधरी के साथ धोखाधड़ी करने की मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने जो बातें कीं, जेके गौड़ उनके भी मूक दर्शक बने रहे । उल्लेखनीय है कि मुकेश अरनेजा ने वैसे तो सतीश सिंघल को समर्थन देने की घोषणा की हुई है; लेकिन दीपक गुप्ता को 'अगली' बार का ऑफर देते हुए मुकेश अरनेजा ने उन्हें आश्वस्त किया कि सतीश सिंघल को तो वह जब चाहेंगे तब बैठा लेंगे । प्रसून चौधरी के बारे में मुकेश अरनेजा का कहना था कि उनकी उम्मीदवारी को जेके गौड़ वापस करवा देंगे ।
दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को वापस कराने के उद्देश्य से हुई उक्त मीटिंग का न कोई नतीजा निकलना था और न वह निकला - लेकिन उक्त मीटिंग में जेके गौड़ की उपस्थित को संभव बना कर मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की जोड़ी ने जेके गौड़ की गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने की कोशिशों को संदेहास्पद बनाने का काम जरूर कर लिया है । यह करना उन्हें जरूरी भी लगता है । उनकी समस्या दरअसल यह है कि शरत जैन की उम्मीदवारी लोगों के बीच कोई स्वीकार्यता ही नहीं बना पा रही है; और दीपक गुप्ता के मुकाबले शरत जैन काफी पिछड़ते जा रहे हैं - ऐसे में उनके सामने ले दे कर जेके गौड़ की मदद से शरत जैन को किसी तरह मुकाबले में टिकाये रखने की उम्मीद ही बची है । जेके गौड़ यदि गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने की अपनी कोशिशों के चलते चुनाव में किसी उम्मीदवार के साथ न होने और न 'दिखने' का वायदा यदि कर लेंगे तो शरत जैन की उम्मीदवारी की लुटिया तो फिर पूरी तरह ही डूब जाएगी । इसलिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को यह जरूरी लगता है कि जेके गौड़ के गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने की कोशिशों को चोट पहुँचाई जाए ।
जेके गौड़ की चार दिन में ही वायदे से पलटने की दशा पर गाजियाबाद के लोगों ने अभी तो बड़ी सावधानी भरी प्रतिक्रिया व्यक्त की है । अधिकतर लोगों का कहना है कि उन्होंने तो संबंध सुधारने की जेके गौड़ की कोशिशों पर सकारात्मक रूख ही दिखाया है - अब यह जेके गौड़ को तय करना है कि उन्हें चुनावी राजनीति में किसी एक का पक्ष लेने से बचते हुए सभी को साथ लेकर गवर्नरी करनी है और अपने गवर्नर-काल को अच्छे से चलाते हुए अपना और डिस्ट्रिक्ट का नाम रौशन करना है - या मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल की लगाऊ-भिड़ाऊ कारस्तानियों में सहभागी बनते हुए उनकी टुच्ची व ओछी हरकतों में मदद करते हुए ही रहना और 'दिखना' है । लोगों का मानना और कहना है कि गाजियाबाद के लोगों के साथ संबंध सुधारने की जेके गौड़ की कोशिशों में यदि सचमुच ईमानदारी है तो उन्हें मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल की तीन-तिकड़मों को पहचानना होगा तथा उनसे बचना होगा ।