गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील जैन की कैबिनेट के अधिष्ठापन समारोह को बिगाड़ने के उद्देश्य से मुकेश गोयल ने जो 'आयोजन' किया, वह उन्हें ही उल्टा पड़ गया है । एक
तरफ तो उनके आयोजन में शामिल हुए कई लोगों ने शिकायत की है कि मुकेश गोयल
की 'राजनीति' के कारण वह डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में शामिल नहीं
हो सके - और दूसरी तरफ इंटरनेशनल डायरेक्टर राजू मनवानी तथा पूर्व
इंटरनेशनल डायरेक्टर नीलोफर बख्तियार ने मुकेश गोयल की 'राजनीति' के चलते
अपने आप को अपमानित महसूस किया और इसके लिए मुकेश गोयल तथा उनके साथी गवर्नर्स को जिम्मेदार ठहराया ।
उल्लेखनीय है कि मुकेश गोयल ने डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह से ठीक एक
दिन पहले देहरादून में आठ क्लब्स के पदाधिकारियों के संयुक्त अधिष्ठापन का
कार्यक्रम रख लिया । इस कार्यक्रम का छिपा और मुख्य उद्देश्य डिस्ट्रिक्ट
के अधिष्ठापन समारोह को फीका करना और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील जैन के लिए
परेशानी खड़ा करना व उन्हें नीचा दिखाना था । लेकिन हुआ उल्टा ।
डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह को फीका तो इंटरनेशनल डायरेक्टर राजू मनवानी तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर नीलोफर बख्तियार की उपस्थिति ने नहीं पड़ने दिया । मुकेश गोयल को यह बात पता नहीं किसी ने बताई या नहीं बताई कि पिछले दिन जिन लोगों ने उनके साथ मंच साझा किया था, उनमें से कोई कोई तो डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में राजू मनवानी और नीलोफर बख्तियार के साथ फोटो खिंचवाने के जुगाड़ में जी-जान से लगे थे । डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह को फीका करवाने के खेल में लगे लोगों का जब यह हाल था, तो समझा जा सकता है कि डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में रौनक कैसी रही होगी ।
डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह को फीका तो इंटरनेशनल डायरेक्टर राजू मनवानी तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर नीलोफर बख्तियार की उपस्थिति ने नहीं पड़ने दिया । मुकेश गोयल को यह बात पता नहीं किसी ने बताई या नहीं बताई कि पिछले दिन जिन लोगों ने उनके साथ मंच साझा किया था, उनमें से कोई कोई तो डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में राजू मनवानी और नीलोफर बख्तियार के साथ फोटो खिंचवाने के जुगाड़ में जी-जान से लगे थे । डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह को फीका करवाने के खेल में लगे लोगों का जब यह हाल था, तो समझा जा सकता है कि डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में रौनक कैसी रही होगी ।
मुकेश गोयल के नजदीकियों का दावा है कि डिस्ट्रिक्ट के
अधिष्ठापन समारोह में लोगों की उपस्थिति पिछले दिन हुए कार्यक्रम की तुलना
में कम थी । यह दावा यदि सच भी है तो भी सवाल तो यह महत्वपूर्ण है कि इससे सुनील जैन का बिगड़ा क्या ?
डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में लोगों की उपस्थिति को कम करने/रखने
के उद्देश्य से ठीक एक दिन पहले आयोजित किए गए आयोजन की तैयारी में जितना
समय, एनर्जी और पैसा लगा - उसकी गणना करें और देंखे कि उसके बावजूद सुनील
जैन का कुछ नहीं बिगड़ा, तो फिर हासिल क्या हुआ ? यह ठीक है कि एक दिन
पहले हुए कार्यक्रम के चलते कई लोग डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में
शामिल नहीं हो सके - लेकिन इसके लिए उनमें से अधिकतर ने मुकेश गोयल को ही
कोसा । दरअसल, एक दिन पहले आयोजित हुए मुकेश गोयल के आयोजन में पहुँचे
कई लोग अगले दिन होने वाले डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में शामिल होना
चाहते थे और इसके लिए ठहराये जाने की व्यवस्था चाहते थे । ऐसे लोगों को
मुकेश गोयल ने उकसाया/भड़काया कि ठहराये जाने की व्यवस्था के लिए उन्हें
सुनील जैन से बात करना चाहिए; कुछेक लोगों ने सुनील जैन से बात की भी -
सुनील जैन ने भी समझ लिया कि उन्हें फँसाया जा रहा है; सो उन्होंने दो-टूक जबाव दिया कि भई, आज जिसके कार्यक्रम में
आये हो उससे कहो कि ठहराने की व्यवस्था करे । सुनील जैन का जबाव हर
किसी को सही ही लगा । मुकेश गोयल ने भी समझ लिया कि उनका दाँव उल्टा पड़
गया है, सो वह चुप लगा गए । लोग तो लेकिन चुप नहीं रहे - उन्होंने मुकेश
गोयल को तो कोसा ही; साथ ही सुनील जैन तथा उनके नजदीकियों को सफाई भी
दी कि मुकेश गोयल की राजनीति के चक्कर में फँस कर डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन
समारोह में शामिल होने का अवसर उन्होंने खो दिया ।
मुकेश गोयल के आयोजन ने सुनील जैन का सबसे ज्यादा फायदा इस
संदर्भ में कराया कि इंटरनेशनल पदाधिकारियों के बीच सुनील जैन के प्रति
हमदर्दी और समर्थन का भाव बना/पैदा हुआ । सुनील जैन को निशाना बनाने की
मुकेश गोयल और उनके साथी गवर्नर्स की हरकत के चलते हुए राजू मनवानी और
नीलोफर बख्तियार के अपमान का नरेश अग्रवाल ने भी बुरा माना है । नरेश
अग्रवाल इंटरनेशनल सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट होने की तैयारी कर रहे हैं - ऐसे
में उनके मल्टीपल में इंटरनेशनल पदाधिकारियों का किसी भी रूप में अपमान
हो, यह उनके लिए चुनौती और समस्या की बात तो है ही । मुकेश गोयल को इन
लोगों की नाराजगी की परवाह करने की अभी भले ही कोई जरूरत न दिखती हो; लेकिन
सुनील जैन - 'डिस्ट्रिक्ट गवर्नर' सुनील जैन के साथ विरोध की जिस राह पर
मुकेश गोयल बढ़ते दिख रहे हैं, उसमें पता नहीं कब उन्हें न्याय पाने के लिए
इन्हीं लोगों का दरवाजा खटखटाना पड़े । अभी की बदनामी तब क्या गुल खिलायेगी - इसे अभी कोई जानता भले ही न हो, किंतु अनुमान तो लगा ही सकता है ।
यह अनुमान - हापुड़ में एक क्लब में फूट डलवा कर दूसरा क्लब बनवाने की
मुकेश गोयल की मुहिम को 'डिस्ट्रिक्ट गवर्नर' सुनील जैन की तरफ से मिले
झटके को याद करते हुए लगाना और आसान होगा ।
मुकेश गोयल और उनके साथी गवर्नर्स ने इंटरनेशनल पदाधिकारियों की
नजर में आने वाला जो नकारात्मक काम किया है, उससे सुनील जैन के नंबर ही
बढ़े हैं । पिछले दिनों संपन्न हुई मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में आये
लोगों को सुनील जैन ने जो आतिथ्य दिया था, उसके कारण मल्टीपल के और
इंटरनेशनल के लोगों के बीच सुनील जैन की धाक बनी ही थी - जिसमें इस प्रकरण
से और इजाफा ही हुआ है । मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में आये लोगों को
आतिथ्य देने के पीछे हालाँकि सुनील जैन की मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन बनने
की तैयारी को छिपा पहचाना गया है । सुनील जैन की यदि कोई ऐसी तैयारी सचमुच
में है भी तो उन्होंने जो किया उसका उन्हें सकारात्मक नतीजा ही मिला है । मुकेश
गोयल डिस्ट्रिक्ट में सुनील जैन को घेरने की जो कोशिश कर रहे हैं उसमें
ऊपर ऊपर से भले ही सुनील जैन घिरते/फँसते नजर आ रहे हों - किंतु
परिस्थितियाँ उनके लिए अच्छे मौके बनाती दिख रही है ।
सुनील जैन की जो स्थिति है, उसे पिछले लायन वर्ष में मुकेश गोयल की स्थिति से तुलना करते हुए समझा जा सकता है : पिछले लायन वर्ष में 'इस समय' मुकेश गोयल पूरी तरह अलग-थलग पड़े हुए थे और 'प्रमुख' बनने की होड़ में लगे ऐरे-गैरे टाइप के लोग भी उन्हें गालियाँ दे रहे थे । सुधीर जनमेजा के आकस्मिक निधन से खाली हुई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुर्सी को कब्जाने के लिए चले गए मुकेश गोयल के दाँव के विफल हो जाने के बाद तो हर किसी ने उनकी राजनीति को ख़त्म हुआ मान लिया था । लेकिन परिस्थितियों ने फिर जो करवट ली तो दो महीने के अंदर अंदर मुकेश गोयल जीरो से हीरो बन गए और जो लोग नीट पी पी कर उन्हें गालियाँ दे रहे थे, वह उनकी जय जयकार करने लगे थे ।
सुनील जैन की जो स्थिति है, उसे पिछले लायन वर्ष में मुकेश गोयल की स्थिति से तुलना करते हुए समझा जा सकता है : पिछले लायन वर्ष में 'इस समय' मुकेश गोयल पूरी तरह अलग-थलग पड़े हुए थे और 'प्रमुख' बनने की होड़ में लगे ऐरे-गैरे टाइप के लोग भी उन्हें गालियाँ दे रहे थे । सुधीर जनमेजा के आकस्मिक निधन से खाली हुई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुर्सी को कब्जाने के लिए चले गए मुकेश गोयल के दाँव के विफल हो जाने के बाद तो हर किसी ने उनकी राजनीति को ख़त्म हुआ मान लिया था । लेकिन परिस्थितियों ने फिर जो करवट ली तो दो महीने के अंदर अंदर मुकेश गोयल जीरो से हीरो बन गए और जो लोग नीट पी पी कर उन्हें गालियाँ दे रहे थे, वह उनकी जय जयकार करने लगे थे ।
सुनील जैन - यह सच है कि मुकेश गोयल नहीं हैं; और मुकेश गोयल जैसी राजनीतिक चतुराई उनमें नहीं होगी । राजनीति लेकिन सिर्फ चतुराई के भरोसे ही नहीं होती है - चतुराई के बावजूद मुकेश गोयल की राजनीति कई बार पिटी ही है । राजनीतिक सफलता परिस्थितियों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर लेने के हुनर पर निर्भर करती है - सुनील जैन ने बार-बार यह तो साबित किया ही है कि परिस्थितियों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना उन्हें आता है । ऐसे में, मुकेश गोयल खुद अपनी गतिविधियों से परिस्थितियों को जब सुनील जैन के अनुकूल बनाये दे रहे हैं तो मामला वास्तव में दिलचस्प हो जाता है ।