नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की तिकड़ी ने
रूपक जैन को ऐसा फँसाया है कि रूपक जैन को लोगों के सवालों का जबाव देते
हुए नहीं बन रहा है - और उन्हें लोगों से मुँह छिपाने के लिए मजबूर होना पड़
रहा है । मजे की बात यह है कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल उल्टे रूपक
जैन को कोस रहे हैं कि रूपक जैन की बेवकूफी के चलते उनकी अच्छी-भली चाल
उल्टी पड़ गई है । लोगों को लग रहा है कि मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत
जैन की तिकड़ी ने अपना काम निकालने/बनाने की कोशिश में रूपक जैन को पहले तो
इस्तेमाल किया और अब उन्हें अकेला छोड़ दिया है । उल्लेखनीय है कि रूपक जैन
ने पिछले दिनों एक बीड़ा यह उठाया कि प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012
में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए चुनाव की संभावना को टाला जाये और
शरत जैन व दीपक गुप्ता बारी बारी से आगे-पीछे उम्मीदवार हो जाएँ - यानि
इनमें से एक
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए और दूसरा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी
पद के लिए उम्मीदवार बनने को राजी हो जाए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद
के लिए जो दो उम्मीदवार चुनावी मैदान में दिख रहे हैं, उनके लिए रूपक जैन
ने दावा किया कि सतीश सिंघल को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए वह राजी
कर लेंगे और प्रसून चौधरी को हालाँकि वह जानते नहीं हैं, लेकिन उनका भी वह
कुछ करेंगे ।
रूपक
जैन ने यह जो बीड़ा उठाया उसका कारण उन्होंने बताया कि प्रस्तावित विभाजित
डिस्ट्रिक्ट 3012 एक नया डिस्ट्रिक्ट होगा और इस नाते से उसके सामने कुछ
अलग तरह की समस्याएँ व चुनौतियाँ होंगी । उनका तर्क रहा कि समस्याओं व
चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है कि उक्त डिस्ट्रिक्ट के लोगों की सारी
एनर्जी उसमें लगे तथा चुनावी फसाद में वह बँट कर व्यर्थ न जाए । रूपक जैन
की इस सोच को सभी ने अच्छा ही माना और इसीलिए सभी ने रूपक जैन की पहल के
प्रति समर्थन व सहयोग का भाव ही व्यक्त किया । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी
के कुछेक समर्थकों को रूपक जैन की इस पहल के पीछे अरनेजा गिरोह के नेताओं
की चाल होने का शक तो हुआ और इस शक की बिना पर उन्होंने चाहा भी कि दीपक
गुप्ता को रूपक जैन की बातों में आने की जरूरत नहीं है - किंतु रूपक जैन की
तरफ से रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के वरिष्ठ सदस्य योगेश गर्ग ने जब
दीपक गुप्ता को आश्वस्त किया कि रूपक जैन उनके साथ कोई अन्याय नहीं होने
देंगे, तब दीपक गुप्ता उस मीटिंग में शामिल होने के लिए राजी हो गए जिसे रूपक जैन ने बुलाया था ।
मीटिंग
में उपस्थित लोगों ने लंबी-लंबी बातें कीं । लंबी-लंबी बातें करने के
मामले में कुख्यात मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने जिस तरह के तेवर दिखाए
उससे लगा कि वह दीपक गुप्ता पर शरत जैन के सामने से हट जाने के लिए
दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं । दीपक गुप्ता और योगेश गर्ग ने उनकी इस
कोशिश का दृढ़ता से जबाव दिया और यह साफ किया कि इस मीटिंग का उद्देश्य यदि
दीपक गुप्ता पर दबाव बना कर शरत जैन को फायदा दिलवाना है तो उन्हें इस
मीटिंग में दिलचस्पी नहीं है । तब रूपक जैन ने बीच-बचाव किया और स्पष्ट किया कि इस मीटिंग का
उद्देश्य किसी को भी दबाव में लेने का नहीं है; इसका उद्देश्य पहले तो यह
समझना है कि चुनाव की स्थिति से बचने की जरूरत है और फिर यह देखना है कि
पहली उम्मीदवारी के लिए किसका पलड़ा भारी है ।
उम्मीदवार के रूप में दीपक गुप्ता और शरत जैन के कामों और उनकी सक्रियता का विवरण सामने आया तो दीपक गुप्ता का पलड़ा भारी दिखा । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की चर्चा जब लोगों के बीच थी, तब शरत जैन की उम्मीदवारी की कहीं कोई आहट तक नहीं थी । शिमला में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में संजय खन्ना के ऐजी व कोर टीम के ट्रेनिंग सेमीनार में इकठ्ठा हुए लोगों के बीच अगले रोटरी वर्ष के चुनावी परिदृश्य को लेकर जो चर्चा हुई थी, उसमें दीपक गुप्ता और डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी का ही जिक्र था । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में संजय खन्ना ने शुरू के अपने कार्यक्रमों की तैयारी में शरत जैन को शामिल ही इसलिए किया हुआ था, क्योंकि तब तक शरत जैन ने अपनी उम्मीदवारी के लिए अपना मन नहीं बनाया था । तुलनात्मक रूप से पलड़ा भारी होने के बावजूद दीपक गुप्ता ने स्पष्ट किया कि उनकी उम्मीदवारी का संचालन उनके हाथ में नहीं, बल्कि उनके नजदीकियों, उनके समर्थकों और उनके शुभचिंतकों के हाथ में है और उनसे सलाह किए बिना वह कोई फैसला नहीं करेंगे । रूपक जैन ने तब यह कह कर मीटिंग समाप्त की कि अब आगे की बात तभी होगी जब दीपक गुप्ता अपने लोगों से बात करके फैसला कर लेंगे ।
अभी हाल ही में रूपक जैन के साथ जब दीपक गुप्ता और उनके समर्थकों की दोबारा मीटिंग हुई तो रूपक जैन को साफ बता दिया गया कि दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए ही उम्मीदवारी रखेंगे । रूपक जैन ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि दीपक गुप्ता ने अंततः फैसला कर लिया । रूपक जैन ने यह बात बाद में और लोगों को भी बताई तथा दावा किया कि वह शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए राजी कर लेंगे । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने जब यह सुना तो उन्होंने अपने स्वभाव के अनुरूप रूपक जैन के लिए घोर अपशब्दों का और अशालीन भाषा का प्रयोग किया । उनका कहना है कि रूपक जैन को शरत जैन की उम्मीदवारी के बारे में फैसला करने का अधिकार किसने दिया है; और रूपक जैन किस हैसियत से यह तय कर रहे हैं कि शरत जैन नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनें ।
रूपक जैन के प्रति मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के इन तेवरों को देखकर लोगों ने समझ लिया कि रूपक जैन को इस्तेमाल करके दीपक गुप्ता को शरत जैन के सामने से हटाने की उन्होंने जो चाल चली थी, उसके फेल हो जाने से पैदा हुई निराशा और हताशा के चलते वह रूपक जैन को अपने स्वभाव के अनुरूप गलिया रहे हैं । रूपक जैन के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि उनसे आखिर गलती कहाँ/क्या हुई है जो मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल उन्हें गलिया रहे हैं ? उन्होंने तो वही करने की कोशिश की जो मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन करना/करवाना चाहते थे । रूपक जैन को भले ही समझ में न आ रहा हो, लेकिन दूसरे लोगों को समझ में आ गया है कि उक्त तिकड़ी करने/करवाने की बात कुछ कर रही थी, लेकिन वास्तव में करना/करवाना 'कुछ और' चाहती थी । रूपक जैन से गलती बस यह हुई कि वह उक्त तिकड़ी के असली इरादों को भाँप नहीं सके और इसलिए ही अब उनसे जली-कटी सुन रहे हैं ।
मजे की बात यह हुई है कि दीपक गुप्ता के कुछेक समर्थकों व शुभचिंतकों ने इस बात का खासा विरोध किया था और नाराजगी दिखाई थी कि रूपक जैन को मोहरा बना कर मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल के बिछाए जाल में दीपक गुप्ता क्यों फँस रहे हैं ? दीपक गुप्ता ने लेकिन योगेश गर्ग की इस बात पर भरोसा किया कि मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की तिकड़ी ने भले ही रूपक जैन के जरिये अपना काम निकालने की कोई योजना बनाई हो - लेकिन रूपक जैन वही फैसला करेंगे जो न्याय संगत होगा । योगेश गर्ग से मिले इसी भरोसे के चलते दीपक गुप्ता ने रूपक जैन की मुहिम में शामिल होने का फैसला किया । रूपक जैन ने दोनों उम्मीदवारों की बातें सुन/जान कर न्याय संगत फैसला किया कि शरत जैन को दीपक गुप्ता के रास्ते से हट जाना चाहिए तो मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल आगबबूला होकर रूपक जैन को ही लपेटे ले रहे हैं ।
इस तरह, रूपक जैन ने हवन करने के चक्कर में अपने हाथ और जला लिए हैं । उनके लिए लोगों के इस सवाल का जबाव देते हुए नहीं बन रहा है कि मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन को जब उनका फैसला नहीं ही मानना था तो फिर बातचीत का इतना सब नाटक क्यों किया गया ?
उम्मीदवार के रूप में दीपक गुप्ता और शरत जैन के कामों और उनकी सक्रियता का विवरण सामने आया तो दीपक गुप्ता का पलड़ा भारी दिखा । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की चर्चा जब लोगों के बीच थी, तब शरत जैन की उम्मीदवारी की कहीं कोई आहट तक नहीं थी । शिमला में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में संजय खन्ना के ऐजी व कोर टीम के ट्रेनिंग सेमीनार में इकठ्ठा हुए लोगों के बीच अगले रोटरी वर्ष के चुनावी परिदृश्य को लेकर जो चर्चा हुई थी, उसमें दीपक गुप्ता और डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी का ही जिक्र था । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में संजय खन्ना ने शुरू के अपने कार्यक्रमों की तैयारी में शरत जैन को शामिल ही इसलिए किया हुआ था, क्योंकि तब तक शरत जैन ने अपनी उम्मीदवारी के लिए अपना मन नहीं बनाया था । तुलनात्मक रूप से पलड़ा भारी होने के बावजूद दीपक गुप्ता ने स्पष्ट किया कि उनकी उम्मीदवारी का संचालन उनके हाथ में नहीं, बल्कि उनके नजदीकियों, उनके समर्थकों और उनके शुभचिंतकों के हाथ में है और उनसे सलाह किए बिना वह कोई फैसला नहीं करेंगे । रूपक जैन ने तब यह कह कर मीटिंग समाप्त की कि अब आगे की बात तभी होगी जब दीपक गुप्ता अपने लोगों से बात करके फैसला कर लेंगे ।
अभी हाल ही में रूपक जैन के साथ जब दीपक गुप्ता और उनके समर्थकों की दोबारा मीटिंग हुई तो रूपक जैन को साफ बता दिया गया कि दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए ही उम्मीदवारी रखेंगे । रूपक जैन ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि दीपक गुप्ता ने अंततः फैसला कर लिया । रूपक जैन ने यह बात बाद में और लोगों को भी बताई तथा दावा किया कि वह शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए राजी कर लेंगे । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने जब यह सुना तो उन्होंने अपने स्वभाव के अनुरूप रूपक जैन के लिए घोर अपशब्दों का और अशालीन भाषा का प्रयोग किया । उनका कहना है कि रूपक जैन को शरत जैन की उम्मीदवारी के बारे में फैसला करने का अधिकार किसने दिया है; और रूपक जैन किस हैसियत से यह तय कर रहे हैं कि शरत जैन नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनें ।
रूपक जैन के प्रति मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के इन तेवरों को देखकर लोगों ने समझ लिया कि रूपक जैन को इस्तेमाल करके दीपक गुप्ता को शरत जैन के सामने से हटाने की उन्होंने जो चाल चली थी, उसके फेल हो जाने से पैदा हुई निराशा और हताशा के चलते वह रूपक जैन को अपने स्वभाव के अनुरूप गलिया रहे हैं । रूपक जैन के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि उनसे आखिर गलती कहाँ/क्या हुई है जो मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल उन्हें गलिया रहे हैं ? उन्होंने तो वही करने की कोशिश की जो मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन करना/करवाना चाहते थे । रूपक जैन को भले ही समझ में न आ रहा हो, लेकिन दूसरे लोगों को समझ में आ गया है कि उक्त तिकड़ी करने/करवाने की बात कुछ कर रही थी, लेकिन वास्तव में करना/करवाना 'कुछ और' चाहती थी । रूपक जैन से गलती बस यह हुई कि वह उक्त तिकड़ी के असली इरादों को भाँप नहीं सके और इसलिए ही अब उनसे जली-कटी सुन रहे हैं ।
मजे की बात यह हुई है कि दीपक गुप्ता के कुछेक समर्थकों व शुभचिंतकों ने इस बात का खासा विरोध किया था और नाराजगी दिखाई थी कि रूपक जैन को मोहरा बना कर मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल के बिछाए जाल में दीपक गुप्ता क्यों फँस रहे हैं ? दीपक गुप्ता ने लेकिन योगेश गर्ग की इस बात पर भरोसा किया कि मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की तिकड़ी ने भले ही रूपक जैन के जरिये अपना काम निकालने की कोई योजना बनाई हो - लेकिन रूपक जैन वही फैसला करेंगे जो न्याय संगत होगा । योगेश गर्ग से मिले इसी भरोसे के चलते दीपक गुप्ता ने रूपक जैन की मुहिम में शामिल होने का फैसला किया । रूपक जैन ने दोनों उम्मीदवारों की बातें सुन/जान कर न्याय संगत फैसला किया कि शरत जैन को दीपक गुप्ता के रास्ते से हट जाना चाहिए तो मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल आगबबूला होकर रूपक जैन को ही लपेटे ले रहे हैं ।
इस तरह, रूपक जैन ने हवन करने के चक्कर में अपने हाथ और जला लिए हैं । उनके लिए लोगों के इस सवाल का जबाव देते हुए नहीं बन रहा है कि मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल और शरत जैन को जब उनका फैसला नहीं ही मानना था तो फिर बातचीत का इतना सब नाटक क्यों किया गया ?