नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्य के रूप में गौरव गर्ग ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की भूमिका के लिए ज्ञान पेलते हुए एक बार फिर मुँह खोला, और अपनी फजीहत करा बैठे । गौरव गर्ग ने सोशल मीडिया में आज इंस्टीट्यूट के पदाधिकारियों से गुहार लगाई कि उन्हें नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की भूमिका के बारे में विचार करना चाहिए - जो सिर्फ सेमिनार्स कराने का प्लेटफॉर्म बनी हुई है । मजे की बात यह है कि इससे पहले, नबंवर महीने में सोशल मीडिया में ही गौरव गर्ग ने रीजन के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स से गुहार लगाई थी कि वह रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों पर दबाव बनाये कि वह प्रोफेशन के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें । लोगों का पूछना/कहना है कि गौरव गर्ग को यदि यह लगता है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की दशा-दिशा सुधारने की जिम्मेदारी या तो रीजन के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की है, और या इंस्टीट्यूट के पदाधिकारियों की - तो उन्हें यह भी बताना चाहिए कि इस संदर्भ में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल सदस्य के रूप में उनकी खुद की जिम्मेदारी क्या है ? लोगों का पूछना/कहना है कि गौरव गर्ग को ऐसा क्यों लगता है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के लिए बड़े बड़े वायदों के साथ चुनाव तो वह लड़ेंगे और काउंसिल के सदस्य बनेंगे - उसके बाद वह तो भौंडा सा नाच नाचेंगे और फूहड़ से ठुमके लगायेंगे/दिखायेंगे, तथा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की दशा-दिशा सुधारने का काम करने के लिए वह दूसरे लोगों से कहेंगे ।
Sunday, August 30, 2020
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की कामकाजी समस्याओं को हल करने की जिम्मेदारी दूसरों पर छोड़ने तथा खुद नाच दिखाने में लगे गौरव गर्ग से लोगों का पूछना यह है कि वह रीजनल काउंसिल के सदस्य हैं क्यों ?
Saturday, August 29, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के अभियान को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित की गई दीपक गुप्ता की हापुड़ की पार्टी बदइंतजामी के आरोपों में फँसी, तो गाजियाबाद की पार्टी बहुत कम उपस्थिति के चलते खासी फजीहत का शिकार बनी
गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए गाजियाबाद में समर्थन जुटाने/बनाने तथा 'दिखाने' के उद्देश्य से दीपक गुप्ता द्वारा आयोजित की गई पार्टी के बुरी तरह फ्लॉप होने से दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के अभियान को जोर का झटका लगा है । कल शाम आयोजित हुई पार्टी के लिए दीपक गुप्ता ने करीब सौ रोटेरियंस का जमाबड़ा करने और दिखाने की तैयारी की थी, लेकिन पार्टी में कुल दो प्रेसीडेंट्स सहित 15 से 20 रोटेरियंस ही जुटे - जिनमें से 4/5 रोटेरियंस तो सोनीपत से दीपक गुप्ता के साथ ही आए थे । 'कोढ़ में खाज' वाली बात यह हुई कि जो लोग पार्टी में समय से पहुँच गए थे, उन्हें बहुत देर इंतजार करने के बाद भी जब ड्रिंक्स खुलती हुई नहीं दिखीं - तो वह नाराजगी दिखाते हुए लौट गए । दीपक गुप्ता का कहना था कि कुछ और लोग आ जाएँ, तब पार्टी को आगे बढ़ाया जाए - लेकिन डेढ़/दो घंटे तक इंतजार करने के बाद तक भी जब दीपक गुप्ता को रोटेरियंस का इंतजार ही करते हुए देखा/पाया गया, तो पार्टी करने पहुँचे रोटेरियंस नाराज हो गए और अपना गुस्सा प्रकट करते हुए पार्टी से वापस लौटे । दीपक गुप्ता ने रोटेरियंस के पार्टी में न पहुँचने के लिए कोरोना के कारण बने डर के माहौल को बहानेबाजी की तरह इस्तेमाल करते हुए जिम्मेदार ठहराया है ।
कल शाम गाजियाबाद में आयोजित हुई पार्टी दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के अभियान को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से खासी महत्त्वपूर्ण थी, और इसलिए दीपक गुप्ता ने उसके लिए अच्छे से तैयारी की थी । उन्होंने गाजियाबाद क्षेत्र के कुछेक ऐसे वरिष्ठ व प्रमुख रोटेरियंस की पार्टी में उपस्थिति सुनिश्चित करने की तैयारी की थी, जो चुनावी राजनीति को कुछ हद तक प्रभावित सकते थे । लेकिन सहमति देने के बाद भी उनके पार्टी में न पहुँचने से दीपक गुप्ता की सारी तैयारी पर पानी फिर गया है, जिसे कोरोना के कारण बने हालात की बहानेबाजी से छिपाने की दीपक गुप्ता की कोशिश भी छिपा नहीं पा रही है । हापुड़ की पार्टी बदइंतजामी के आरोपों में फँसी, तो गाजियाबाद की पार्टी रोटेरियंस के न पहुँचने तथा पहुँचे गिने-चुने रोटेरियंस के भी नाराज होकर वापस लौटने से खासी फजीहत शिकार बनी । इस तरह, पहले हापुड़ में और फिर गाजियाबाद में पार्टी का आयोजन करके दीपक गुप्ता ने अपनी उम्मीदवारी के अभियान को आगे बढ़ाने की जो तैयारी की थी, उसने उनके अभियान को वास्तव में पीछे धकेलने का ही काम किया है ।
Friday, August 28, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव राय मेहरा वरिष्ठ पूर्व गवर्नर दीपक तलवार पर लगाए आरोप का सुबूत प्रस्तुत करने की चुनौती से बचने/छिपने के कारण एक बार फिर रोटेरियंस के बीच फजीहत का शिकार हुए
नई दिल्ली । संजीव राय मेहरा सिर्फ डाँट खाने, लताड़ सुनने और फजीहत झेलने के लिए ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने हैं क्या ? लोगों के बीच यह सवाल दरअसल इसलिए चर्चा में है, क्योंकि अभी उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार संभाले दो महीने भी नहीं हुए हैं - कि तीन बड़े कांड में उन्हें डाँट खाना पड़ी है और फजीहत झेलना पड़ी है । ताजा प्रकरण में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक तलवार ने उन्हें चुनौती दी है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड से उन्हें चेतावनी मिलने की जो बात उन्होंने कही/लिखी है, वह उसके सुबूत दें - अन्यथा माफी माँगे । संजीव राय मेहरा अपनी ही कही/लिखी बात का न कोई सुबूत दे रहे हैं, और न माफी माँग रहे हैं - बल्कि मुँह छिपाते फिर रहे हैं । इस प्रकरण पर वरिष्ठ पूर्व गवर्नर विनय अग्रवाल ने मजे लेते हुए संजीव राय मेहरा को बड़ी मीठी मीठी सी 'पिटाई' करते हुए चिट्ठी लिखी है । फजीहत के पिछले मामलों की तरह इस मामले में भी संजीव राय मेहरा ने मुसीबत खुद ही बुलाई और एक बार फिर साबित किया कि उम्र में वह भले ही बड़े हो गए हैं, लेकिन सोच/समझ और व्यवहार में वह बहुत 'छोटे' हैं ।
Thursday, August 27, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अश्वनी काम्बोज के समर्थन के दावे के साथ उम्मीदवारी की तैयारी करके विनय शिशोदिया ने सुस्त पड़े पंकज बिजल्वान को दौड़भाग के लिए मजबूर किया और डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी पैदा की
नोएडा । विनय शिशोदिया ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की तैयारी शुरू करके पहले से ही मुश्किलों से जूझ रहे पंकज बिजल्वान की मुसीबतों को और बढ़ा दिया है । मजे की बात यह है कि विनय शिशोदिया पिछले लायन वर्ष की चुनावी लड़ाई में पंकज बिजल्वान के समर्थन में थे - और खासे आक्रामक तरीके से उन्हें चुनाव जितवाने के अभियान में लगे हुए थे । पिछले लायन वर्ष की चुनावी लड़ाई में पंकज बिजल्वान को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की पगड़ी बँधवाने के लिए विनय शिशोदिया ने उन्हें ठीक पीछे से कस कर पकड़ा हुआ था, फिर भी वह पगड़ी लेकिन बँध गई रजनीश गोयल के सिर पर । विनय शिशोदिया को पता नहीं क्यों ऐसा लगता है कि वह पंकज बिजल्वान को तो सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव नहीं जितवा सके, लेकिन वह खुद सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन सकते हैं ! विनय शिशोदिया के नजदीकियों का कहना/बताना है कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अश्वनी काम्बोज से शह मिली है, और उसी शह के चलते विनय शिशोदिया ने पंकज बिजल्वान का साथ छोड़ कर अपनी उम्मीदवारी के लिए प्रयास तेज कर दिया है । विनय शिशोदिया के सक्रिय होने की जानकारी मिलने के बाद, सुस्त पड़े पंकज बिजल्वान ने भी करवट ली है और दौड़भाग तेज की है ।
Wednesday, August 26, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में तरुण अग्रवाल और पीके जैन की उम्मीदवारी को एक साथ आगे बढ़ाने की जिस रणनीति के भरोसे विश्वदीप सिंह खेमे के नेता डिस्ट्रिक्ट की राजनीति पर छा जाने की उम्मीद लगाए हुए हैं, जितेंद्र चौहान खेमे के नेता उनकी उसी रणनीति में अपनी जीत देख रहे हैं
आगरा । विश्वदीप सिंह और उनके समर्थक गवर्नर्स ने तरुण अग्रवाल और पीके जैन की उम्मीदवारी के जरिये डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में जितेंद्र चौहान की राजनीति को 'घेरने' के लिए जाल तो अच्छा बिछाया है, लेकिन जितेंद्र चौहान खेमे के नेताओं का मानना और कहना है कि इस जाल में विश्वदीप सिंह तथा उनके समर्थक खुद ही फँसेंगे/गिरेंगे । उल्लेखनीय है कि पिछले लायन वर्ष में सुनीता बंसल को 'रास्ते पर' लाने की मधु सिंह की योजना के अनुसार पहले उम्मीदवारी प्रस्तुत करने तथा फिर वापस ले लेने वाले तरुण अग्रवाल इस वर्ष विश्वदीप सिंह खेमे के समर्थन के भरोसे उम्मीदवार बने हैं, तो पीके जैन की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स नेताओं को भरोसा है कि विश्वदीप सिंह उनके साथ/समर्थन में रहेंगे । पीके जैन और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेता इस वर्ष आगरा से बाहर के उम्मीदवार को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जाने की वकालत कर रहे हैं, और उन्हें विश्वास है कि विश्वदीप सिंह उनका समर्थन करेंगे । पीके जैन की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों का तो दावा है कि पीके जैन वास्तव में विश्वदीप सिंह से हरी झंडी मिलने के बाद ही उम्मीदवार 'बने' हैं । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के संभावित उम्मीदवारों में चूँकि अकेले पीके जैन ही आगरा से बाहर के हैं, जिससे लगता है कि जितेंद्र चौहान खेमे के पास आगरा से बाहर कोई उम्मीदवार नहीं है - और ऐसे में, विश्वदीप सिंह तथा उनके साथी गवर्नर्स को लगता है कि वह सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के चुनाव में 'आगरा से बाहर के' मुद्दे पर जितेंद्र चौहान खेमे को आसानी से मात दे देंगे ।
Monday, August 24, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3110 में पिछले कुछ समय से अपने आप को अलीगढ़ के क्लब्स के नेता के रुप में प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मुकेश सिंघल, नोमीनेटिंग कमेटी के लिए उम्मीदवार चुनने के मामले में लगे झटके के लिए शैलेन्द्र कुमार राजु को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं
अलीगढ़ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मुकेश सिंघल को अपने जोन में ही फजीहत भरी 'हार' का सामना करना पड़ा है, जिसके चलते नोमीनेटिंग कमेटी के लिए उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे उनके 'आदमी' को उम्मीदवारी से पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा । मुकेश सिंघल की तरफ से इस हार के लिए पूर्व गवर्नर शैलेन्द्र कुमार राजु को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । मुकेश सिंघल के नजदीकियों का कहना है कि शैलेन्द्र कुमार राजु ने अलीगढ़ के रोटेरियंस को उकसा/भड़का कर उनके खिलाफ माहौल बनाया और ऐसे हालात बनाये कि उनके उम्मीदवार को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा । उल्लेखनीय है कि नोमीनेटिंग कमेटी लिए रोटरी क्लब अलीगढ़ से मधुप लहरी, रोटरी क्लब अलीगढ़ पर्ल से हरवंश सहाय तथा रोटरी क्लब अलीगढ़ मानसी से शशि पवार की उम्मीदवारी की तैयारी थी - लेकिन मुकेश सिंघल अपनी चौधराहट दिखाने/जताने के लिए अंबरीश गर्ग को उम्मीदवार बनाने की बात करने लगे । मुकेश सिंघल का तर्क रहा कि अन्य जो उम्मीदवार हैं, उन पर चूँकि राजनीतिक रूप से भरोसा नहीं किया जा सकता है इसलिए अंबरीश गर्ग उम्मीदवार होंगे । अंबरीश गर्ग उनके ही क्लब, रोटरी क्लब अलीगढ़ सिटी के सदस्य हैं । अंबरीश गर्ग की उम्मीदवारी को जोन पर जबर्दस्ती थोपने की मुकेश सिंघल की कोशिश पर जोन के क्लब्स में बबाल हो गया, और अलीगढ़ के क्लब्स के पदाधिकारियों ने साफ कह दिया कि मुकेश सिंघल की इस तरह की मनमानी तथा दादागिरी को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा ।
Sunday, August 23, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए हुए एंडोर्समेंट को लेकर उड़ी एक 'फर्जी' खबर पर जितेंद्र चौहान तथा क्षितिज शर्मा द्वारा दिखाई गई बौखलाहट ने एंडोर्समेंट को लोगों के बीच संदेहपूर्ण तथा जितेंद्र चौहान को फजीहत का शिकार बनाया
नई दिल्ली । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन क्षितिज शर्मा की ओवर-स्मार्ट बनने/दिखने तथा गैरजरूरी रूप से सक्रियता दिखाने की कोशिश ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के मल्टीपल एंडॉर्सी जितेंद्र चौहान की मल्टीपल के लोगों के बीच ही नहीं, बल्कि देश के लायन नेताओं और पदाधिकारियों के बीच खासी फजीहत कर/करवा दी है । मामला लायंस इंटरनेशनल द्वारा जितेंद्र चौहान को एंडॉर्सी रजिस्टर करने से इंकार करने की तथाकथित खबर को लेकर था । जब एक फर्जी वॉट्सऐप एकाउंट से यह खबर लोगों तक पहुँची, तब अधिकतर लोगों ने इसे झूठी खबर के रूप में ही लिया/पहचाना, और इस पर कोई ध्यान नहीं दिया । हाँ, वॉट्सऐप पर समय बिताने वाले कुछ ठलुए किस्म के लोगों ने इसे इधर-उधर फॉरवर्ड जरूर किया, लेकिन यह खबर लोगों के बीच कोई इश्यू नहीं बन पाई । किंतु मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन क्षितिज शर्मा ने जिस तत्परता के साथ उक्त खबर का संज्ञान लिया, और इसका 'आधिकारिक खंडन' किया - उसके चलते उक्त खबर अचानक से 'महत्त्वपूर्ण' हो उठी और गंभीर चर्चा के केन्द्र में आ गई । जो लोग उक्त खबर को फर्जी मान रहे थे, क्षितिज शर्मा के 'आधिकारिक खंडन' के बाद उन्हें भी लगने लगा कि दाल में जरूर कुछ काला है । फिर तो हर किसी को लगने लगा कि जितेंद्र चौहान के एंडॉर्सी 'होने' में जरूर कोई लफड़ा है - अन्यथा मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन को एक लंबी चिट्ठी लिखने और खबर का 'आधिकारिक खंडन' करने की कोई जरूरत नहीं थी ।
Saturday, August 22, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए चुनाव में जगदीश अग्रवाल की पराजय से बौखलाए नेताओं ने 'खंबा नोचते हुए' आदर्श अग्रवाल के सहारे गुरनाम सिंह से निपटने की तैयारी शुरू तो कर दी है, लेकिन अपनी सफलता को लेकर वह सशंकित भी हैं
लखनऊ । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की लड़ाई हारे नेताओं ने अब आदर्श अग्रवाल के सहारे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में वरिष्ठ पूर्व गवर्नर गुरनाम सिंह को घेरने/हराने की तैयारी तो शुरू की है, लेकिन उनके लिए आदर्श अग्रवाल पर भरोसा करना भी मुश्किल हो रहा है । डिस्ट्रिक्ट के दो पूर्व गवर्नर्स के बीच एक-दूसरे के खिलाफ और एक-दूसरे के परिजनों को निशाना बनाते हुए जिस तरह के अशालीन व अभद्र शब्दों का आदान-प्रदान हुआ है, उसके कारण डिस्ट्रिक्ट के नेताओं के बीच की राजनीतिक होड़ एक अलग ही 'रास्ता' पकड़ती दिख रही है, जिसका डिस्ट्रिक्ट के राजनीतिक समीकरणों पर सीधा असर पड़ता दिख रहा है - और जिसमें गुरनाम सिंह विरोधी खेमे को नुकसान पहुँचता लग रहा है । दरअसल इसीलिए गुरनाम सिंह से लड़ने की तैयारी करने वाले नेताओं को लग रहा है कि उन्होंने आनन-फानन में आदर्श अग्रवाल को उम्मीदवार बनाने का फैसला तो कर लिया है, लेकिन कहीं ऐसा न हो कि जैसे जगदीश अग्रवाल के मामले में उन्हें फजीहत झेलना पड़ी है - वैसा ही हाल आदर्श अग्रवाल को लेकर भी हो ।
Friday, August 21, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में पंकज बिजल्वान को भारी पराजय के साथ-साथ फजीहत का भी शिकार बनाने के जिम्मेदार रहे छुटभैय्यों ने इस वर्ष भी उनकी 'मदद' करने के लिए कमर कस ली है, लेकिन पंकज बिजल्वान उनसे बच रहे हैं
देहरादून । पंकज बिजल्वान इन दिनों उन छुटभैय्यों से बड़े दुखी/परेशान हैं, जो पिछले लायन वर्ष में उन्हें विनय मित्तल से लड़ने/भिड़ने के लिए उकसा/भड़का रहे थे और तथाकथित तरीके से उनकी मदद भी कर रहे थे, लेकिन अब उन पर विनय मित्तल से मिलने के लिए दबाव बना रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट के छुटभैय्यों के बीच इस बात को लेकर मजेदार किस्म की होड़ भी मची सुनी जा रही है कि पंकज बिजल्वान को विनय मित्तल के पास कौन ले जाता है, और कौन विनय मित्तल से उनकी 'सेटिंग' करा देता है । छुटभैय्यों के बीच मची इस होड़ से पंकज बिजल्वान परेशान और दुखी इसलिए हैं, क्योंकि उन्हें इनकी औकात पता है । पता क्या है, पिछले लायन वर्ष में तो पंकज बिजल्वान सीधे-सीधे भुक्तभोगी ही रहे हैं ! दरअसल, छुटभैय्यों के चक्कर में पिछले वर्ष पंकज बिजल्वान 100 वोटों से हारे भी और फजीहत का शिकार भी बने । चुनावी मुकाबले में हार-जीत का बहुत 'मतलब' नहीं होता है, क्योंकि सभी जानते हैं कि मुकाबले में जीतेगा तो कोई एक ही; मतलब इस बात का होता है कि मुकाबले में आपने भाग कैसे लिया - अपनी जीत और या अपनी हार को आपने कैसे लिया ? 'जीत की हार' या 'हार की जीत' जैसे मुहावरे इसीलिए बने हैं और सुनाए जाते हैं ।
Tuesday, August 18, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज के लिए परेशानी खड़ी करने वाला, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जल्दी होने का अरुण मोंगिया का दावा क्या सचमुच जितेंद्र ढींगरा के आश्वासन पर निर्भर है ?
पानीपत । अरुण मोंगिया ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिशों में तेजी ला कर और जल्दी चुनाव होने का दावा करके डिस्ट्रिक्ट में हलचल तो मचा दी है, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज के लिए खासी परेशानी खड़ी कर दी है । रमेश बजाज के लिए लोगों को यह बता पाना मुश्किल हो रहा है कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव कब करवायेंगे; और लोगों को चूँकि सीधा जबाव नहीं मिल रहा है - तो उन्हें लग रहा है कि रमेश बजाज डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद को लेकर कोई 'खेल' करने की योजना तो नहीं बना रहे हैं ? मजे की बात यह है कि रमेश बजाज की इस मुसीबत के पीछे अरुण मोंगिया के अति-उत्साह को देखा/पहचाना जा रहा है, लेकिन इसका ठीकरा फूट रहा है निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा के सिर । रमेश बजाज के नजदीकियों का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में अरुण मोंगिया लोगों के बीच जिस विश्वास से दावा कर रहे हैं कि जितेंद्र ढींगरा ने उन्हें जल्दी चुनाव होने की बात बता कर उम्मीदवार के रूप में सक्रिय होने के लिए कहा है, उसके चलते कोई शक नहीं रह जाता है कि जल्दी चुनाव की बात जितेंद्र ढींगरा ने ही की है - क्यों की है, इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं है । रमेश बजाज के नजदीकियों का दावा है कि चुनाव संबंधी नोटीफिकेशन जारी होने के अलावा, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की आगे की प्रक्रिया को लेकर अभी कुछ भी तय नहीं हुआ है, और जितेंद्र ढींगरा ने भी इस बारे में रमेश बजाज से कोई बात नहीं की है ।
Monday, August 17, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के पदाधिकारियों के अधिष्ठापन समारोह में, इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता की तारीफों से रंजन ढींगरा और दीपक तलवार की उम्मीदवारी को जोन तथा डिस्ट्रिक्ट में खासी चर्चा और ऊँची उड़ान मिली
नई दिल्ली । रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के प्रेसीडेंट अरुण जैन तथा उनकी टीम के सदस्यों के अधिष्ठापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता ने वाटर मिशन के कामकाज का उदाहरण देते हुए रंजन ढींगरा की जैसी जोरदार तारीफ की, उससे डिस्ट्रिक्ट और जोन 4 के रोटरी नेताओं के बीच खासी हलचल मची है । शेखर मेहता की उक्त तारीफ के चलते डिस्ट्रिक्ट में दीपक तलवार तथा जोन 4 में रंजन ढींगरा की राजनीतिक स्थिति को उड़ान भरते देखा/पहचाना जा रहा है । यूँ तो किसी क्लब के कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ता का किसी की तारीफ करने का कोई ज्यादा मतलब नहीं होता है, क्योंकि उसे प्रोटोकॉल की औपचारिकता के रूप में देखा/पहचाना जाता है । किसी भी क्लब के कार्यक्रम में वक्ता के सामने क्लब के पदाधिकारियों तथा नेताओं की तारीफ करने की 'मजबूरी' होती ही है, जिसे वह खुशी खुशी निभाता है - इसलिए उस तारीफ का कोई खास अर्थ होता नहीं है । लेकिन रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी के कार्यक्रम में शेखर मेहता का रंजन ढींगरा की तारीफ करने को इसलिए महत्त्व दिया जा रहा है, क्योंकि रंजन ढींगरा तो इस क्लब के सदस्य नहीं हैं - और इसलिए मुख्य अतिथि के रूप में शेखर मेहता के सामने रंजन ढींगरा की तारीफ करने की कोई मजबूरी नहीं थी । शेखर मेहता द्वारा की गई तारीफ को सामान्य बात मान कर अनदेखा किया जा सकता था, यदि रोटरी क्लब दिल्ली चाणक्यपुरी पूर्व गवर्नर दीपक तलवार का क्लब न होता और दीपक तलवार जोन 4 में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव की नोमीनेटिंग कमेटी के उम्मीदवार न होते - और जोन 4 में बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवार रंजन ढींगरा के उम्मीदवार के रूप में न देखा जा रहा होता ।
Sunday, August 16, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में गुरनाम सिंह की राजनीति के सामने जगदीश अग्रवाल की तमाम कोशिशें अंततः विफल रहीं और फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का चुनाव बीएम श्रीवास्तव ने जीत लिया
लखनऊ । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए आज पूर्वाह्न दोबारा हुए चुनाव का नतीजा तो वही निकला, जो अपेक्षित था - और जिसके तहत बीएम श्रीवास्तव की जीत हुई; लेकिन चुनावी जीत का अंतर अप्रत्याशित रहा । जीत का श्रेय वरिष्ठ पूर्व गवर्नर गुरनाम सिंह को दिया जा रहा है, तो जीत के अंतर के कम होने में भी गुरनाम सिंह को लगे झटके के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । आज हुए चुनाव का अप्रत्याशित दृश्य पूर्व गवर्नर नीरज बोरा की उपस्थिति का भी रहा । नीरज बोरा पिछले काफी समय से डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियों में नजर नहीं आए हैं, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने खासी सक्रियता के साथ जगदीश अग्रवाल का झंडा उठाया - हालाँकि फिर भी जगदीश अग्रवाल चुनाव हार गए । जगदीश अग्रवाल के लिए विडंबना की बात यह रही कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद उन्होंने एक वोट से जीता था - नेगेटिव वोटिंग के कारण उनके फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर न बन पाने के कारण दोबारा हुआ चुनाव लेकिन वह एक वोट से हार गए । जगदीश अग्रवाल ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपने घमंडभरे रवैये के लिए प्रत्येक पूर्व गवर्नर से माफी माँगी और भविष्य में वैसा रवैया न दिखाने के लिए उन्हें आश्वस्त किया, लेकिन फिर भी वह वोट डालने वाले 23 गवर्नर्स में से 11 का ही समर्थन जुटा सके और इस तरह 12 वोट पाकर बीएम श्रीवास्तव ने उनसे अपनी हार का बदला ले लिया ।
Saturday, August 15, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए चार चार उम्मीदवारों की चर्चा के बीच तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को हरी झंडी देने के लिए बुलाई गई क्लब की मीटिंग में पारस अग्रवाल के न पहुँचने के 'मामले' ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का पारा चढ़ाया
आगरा । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को क्लब से हरी झंडी दिलवा कर तरुण अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी पैदा कर दी है । क्लब की जिस मीटिंग में तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को हरी झंडी मिली, उस मीटिंग में पारस अग्रवाल की गैरमौजूदगी ने उस गर्मी को और गर्म कर दिया है । उल्लेखनीय है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अजय भार्गव, पीके जैन तथा स्वाति माथुर के नाम की चर्चा पहले से ही है । अजय भार्गव इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट सेक्रेटरी हैं, जिस कारण अनुमान लगाया जा रहा है कि उनकी उम्मीदवारी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अजय सनाढ्य की शह होगी; पीके जैन बुलंदशहर के दो पूर्व गवर्नर्स के क्लब के सदस्य हैं, इस नाते उन्हें 'उनके' उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; स्वाति माथुर को डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स के 'आशीर्वाद' से चुनावी मैदान में 'कूदते' हुए पहचाना गया है । मजे की बात यह रही कि अजय भार्गव, पीके जैन व स्वाति माथुर की उम्मीदवारी को लेकर होने वाली चर्चा में तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को पूरी तरह भुला ही दिया गया - जबकि सबसे पहले उन्होंने ही अपनी उम्मीदवारी की बात कही थी । इसके लिए हालाँकि तरुण अग्रवाल को ही जिम्मेदार माना गया । दरअसल उन्होंने इस वर्ष उम्मीदवार होने की बात तो कह दी, लेकिन फिर सीन से गायब हो गए । डिस्ट्रिक्ट के लोगों को तरुण अग्रवाल चूँकि उम्मीदवार के रूप में कुछ करते हुए नजर नहीं आए, इसलिए लोगों ने इस वर्ष उम्मीदवार बनने की उनकी बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया और उसे भुला दिया ।
Thursday, August 13, 2020
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल में प्रतिनिधित्व को लेकर बिग फोर फर्म्स में चल रही उठापटक तथा गिरीश आहुजा को लेकर संजय अग्रवाल के साथ चल रही 'छीना-झपटी' के कारण संजीव सिंघल अपनी उम्मीदवारी को लेकर चौतरफा मुश्किलों में घिरे/फँसे
नई दिल्ली । अगले वर्ष होने वाले सेंट्रल काउंसिल के चुनाव के संदर्भ में संजीव सिंघल को लगता है कि मुसीबतों ने जैसे चारों तरफ से घेर लिया है - एक तरफ तो उन्हें संजय अग्रवाल के साथ गिरीश आहुजा की 'छीना-झपटी' में उलझना पड़ रहा है, और दूसरी तरफ अपनी फर्म तथा बिग फोर समूह में अपनी उम्मीदवारी को लेकर पैदा होते दिख रहे संकट से निपटने की तरकीबों को आजमाना पड़ रहा है । तीन टर्म सेंट्रल काउंसिल में सदस्य रहे संजय अग्रवाल ने अचानक से उम्मीदवारी की घोषणा करके संजीव सिंघल के लिए सीधी चुनौती खड़ी कर दी है । संजय अग्रवाल की उम्मीदवारी दरअसल वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट गिरीश आहुजा के कारण संजीव सिंघल के लिए सीधी चुनौती बनी है । उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में संजीव सिंघल को गिरीश आहुजा के सक्रिय समर्थन के कारण ही जीत मिली थी; गिरीश आहुजा को संजय अग्रवाल के 'गॉडफादर' के रूप में भी देखा/पहचाना जाता है - और माना/समझा जाता है कि गिरीश आहुजा की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद ही संजय अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है, अन्यथा तो वह अपनी उम्मीदवारी की संभावना से लगातार इंकार ही कर रहे थे । हालाँकि संजीव सिंघल ने तरह तरह से रीजन के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को भरोसा दिलाने का प्रयास किया कि गिरीश आहुजा पिछले चुनाव की तरह अगले चुनाव में भी सक्रियता के साथ उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे, लेकिन हाल-फिलहाल के दिनों में गिरीश आहुजा का संजय अग्रवाल के साथ जिस तरह का 'गठबंधन' दिख रहा है - उसके चलते संजीव सिंघल के प्रयास फेल होते नजर आ रहे हैं ।
Monday, August 10, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट अशोक अग्रवाल के चुनावी राजनीति के पचड़े में न पड़ने तथा अपनी गवर्नरी पर ध्यान देने के रवैये के चलते अजय सिन्हा और दीपक गुप्ता की उम्मीदों पर पानी फिरा, तथा प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए रास्ता साफ हुआ
गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिशों का कोई फायदा न मिलता देख अजय सिन्हा के साथ जुड़े लोगों ने अब उनसे दूर हटना और 'दिखना' शुरू कर दिया है । इन पंक्तियों के लेखक से अजय सिन्हा की उम्मीदवारी को लेकर बेहद उत्साह के साथ बात करते रहने वाले लोगों ने सुर/स्वर बदलते हुए कहना/बताना शुरू किया है कि अजय सिन्हा ने हालाँकि पिछले दिनों अच्छा संपर्क अभियान चलाया, लेकिन वह लोगों के बीच अपनी उम्मीदवारी को लेकर कोई जोश पैदा करने में विफल रहे हैं - और कारण से उनका हौंसला भी टूटता हुआ लग रहा है । अजय सिन्हा को सबसे बड़ा झटका डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट अशोक अग्रवाल के रवैये से लगा है । अजय सिन्हा को उम्मीद थी कि डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में जिस तरह का समीकरण बन रहा है, उसमें अशोक अग्रवाल का समर्थन उन्हें मिल जायेगा - और फिर अशोक अग्रवाल ही उन्हें कुछेक अन्य गवर्नर्स का समर्थन दिलवा देंगे । अजय सिन्हा को ऐसी उम्मीद इसलिए भी थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि उन्होंने अशोक अग्रवाल के बहुत कुछ किया है - इसलिए अशोक अग्रवाल अवश्य ही उनका साथ देंगे । अजय सिन्हा को लेकिन यह देख कर खासा झटका लगा है कि उनकी उम्मीद के विपरीत अशोक अग्रवाल उनकी उम्मीदवारी में कोई दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं ।
मजे की बात यह सुनने/देखने में आ रही है कि अजय सिन्हा की उम्मीदवारी के गुब्बारे की हवा निकलते देख डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के तीसरे उम्मीदवार दीपक गुप्ता को सबसे ज्यादा निराशा हो रही है, और उन्हें अपना 'खेल' बिगड़ता नजर आ रहा है । दरअसल दीपक गुप्ता को अजय सिन्हा की उम्मीदवारी में अपना फायदा दिख रहा था; उनका सोचना था कि अशोक अग्रवाल के समर्थन के सहारे अजय सिन्हा गाजियाबाद में प्रियतोष गुप्ता के वोट काटेंगे - और उस स्थिति में उनका फायदा होगा । दिलचस्प बात यह हुई कि अजय सिन्हा के चुनावी मुकाबले में कूद पड़ने से पहले प्रियतोष गुप्ता के सामने दीपक गुप्ता जब अकेले थे, तब दीपक गुप्ता ने अपने आप को प्रियतोष गुप्ता का मुकाबला करने में असमर्थ पाया और वह चुनावी सीन से हटते हुए लगे थे - किंतु अचानक से प्रस्तुत हुई अजय सिन्हा की उम्मीदवारी दीपक गुप्ता को संजीवनी की तरह लगी और वह पुनः चुनावी ताल ठोकने लगे । लेकिन अशोक अग्रवाल के चुनावी राजनीति के पचड़े में न पड़ने तथा अपनी गवर्नरी पर ध्यान देने के चलते अजय सिन्हा की उम्मीदों पर पानी पड़ने से प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए रास्ता जिस तरह से साफ हुआ है - उससे दीपक गुप्ता का 'फायदे का गणित' गड़बड़ा गया है और उनके लिए पहले वाली स्थिति ही बन गई है - जहाँ कि वह प्रियतोष गुप्ता का मुकाबला करने में अपने को असमर्थ पा रहे थे ।
Saturday, August 8, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए पंकज बिजल्वान का समर्थन करने वाले लोग उन्हें निष्क्रिय व सीन से गायब देख कर अब उनसे जिस तरह मुँह मोड़ते दिख रहे हैं, उससे लग रहा है कि इस वर्ष भी पंकज बिजल्वान की राह आसान नहीं होगी
देहरादून । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में पंकज बिजल्वान का अभी तीन/चार महीने पहले समर्थन करने वाले लोगों को अब अचानक से सुर/स्वर बदलते हुए सुना/देखा जा रहा है, और इससे पंकज बिजल्वान का रास्ता मुश्किल होता हुआ लग रहा है । उल्लेखनीय है कि तीन-चार महीने पहले सत्ता खेमे से जुड़े कई आम और खास लोगों ने पंकज बिजल्वान के लिए सहानुभूति और समर्थन दिखाना शुरू किया था, जिससे लगा था कि पंकज बिजल्वान ने सत्ता खेमे में अपनी पैठ बना ली है - और सत्ता खेमे के नेताओं का समर्थन भी वह अंततः प्राप्त कर लेंगे । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति पर निगाह रखने वाले नेताओं का मानना और कहना था कि पंकज बिजल्वान ने होशियारी दिखाते हुए सत्ता खेमे के नेताओं के नजदीकियों को अपने पक्ष में किया, और उनके जरिये नेताओं पर दबाव बनाने की कोशिश की । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में जितेंद्र चौहान का समर्थन करने के जरिये भी उन्होंने डिस्ट्रिक्ट के सत्ताधारियों तक पहुँचने की पगडंडी बनाई । पंकज बिजल्वान की कोशिशों को 'स्मार्ट राजनीतिक मूव' के रूप में देखा/पहचाना गया, और उनके विरोधियों को भी मानते तथा कहते हुआ सुना गया कि पंकज बिजल्वान को राजनीति करना आता है । हालाँकि कई लोगों का कहना यह भी है कि पंकज बिजल्वान को यदि सचमुच राजनीति करना आता, तो वह सेकेंड वाइस गवर्नर बनने के लिए अभी भी भटक नहीं रहे होते ! मानने को तो कोई भी यह नहीं मानेगा कि गौरव गर्ग तथा रजनीश गोयल में पंकज बिजल्वान से ज्यादा राजनीतिक कुशलता है और वह ज्यादा दाँवपेंच कर सकते हैं - लेकिन सच्चाई यह है कि यह दोनों डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुर्सी तक पहुँचने की लाइन में लग गए हैं, और पंकज बिजल्वान बेचारे उक्त लाइन में लगने के लिए अभी भी जुगाड़ खोज रहे हैं ।
Wednesday, August 5, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए दोबारा होने वाले चुनाव में पूर्व गवर्नर्स एचएस सच्चर, प्रमोद सेठ तथा संजय चोपड़ा की तरफ से जगदीश अग्रवाल को 'धोखा' मिलने का डर क्यों है ?
लखनऊ । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स एचएस सच्चर, प्रमोद सेठ तथा संजय चोपड़ा के लिए जगदीश अग्रवाल के नजदीकियों व शुभचिंतकों को यह विश्वास दिलाना मुश्किल हो रहा है कि फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए दोबारा होने वाले चुनाव में वह सचमुच जगदीश अग्रवाल का सहयोग/समर्थन करेंगे - और ऐन मौके तक उनका साथ देंगे । मजे की, और इन तीनों के लिए मुसीबत की बात यह बनी हुई है कि जगदीश अग्रवाल के समर्थन की स्पष्ट घोषणा करने के बावजूद जगदीश अग्रवाल और उनके नजदीकी व शुभचिंतक लगातार इनके प्रति संदेह बनाये हुए हैं, और वह अलग अलग तरह के बहानों से इनके मन व असली इरादे को पढ़ने तथा जाँचने/परखने की कोशिश करते रहे हैं । ऐसा दरअसल इसलिए है क्योंकि जगदीश अग्रवाल तथा उनके नजदीकी व शुभचिंतक इन तीनों पर यह भरोसा नहीं कर पा रहे हैं, कि अभी उनके समर्थन की बात करने वाले यह पूर्व गवर्नर्स वोटिंग तक उनके समर्थन में बने रहेंगे और पलट नहीं जायेंगे । इन तीनों के प्रति अविश्वास का कारण यह है कि पिछले मौकों पर यह तीनों जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी के विरोध में रह चुके हैं ।
Tuesday, August 4, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता द्वारा अपने अकाउंट से दी गई डिस्ट्रिक्ट ग्रांट्स की रकम के फँसने के मामले में शरत जैन के कूद पड़ने से, इस चर्चा को हवा मिली है कि डिस्ट्रिक्ट ग्रांट्स कहीं शरत जैन को सीओएल का चुनाव जितवाने में तो इस्तेमाल नहीं हुई है ?
नई दिल्ली । बैंक में अटकी/फँसी पड़ी डिस्ट्रिक्ट ग्रांट की रकम को लेकर लंबी-चौड़ी सफाई देती ईमेल लिख/भेज कर पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन रोटेरियंस के बीच न सिर्फ मजाक का विषय बन गए हैं, बल्कि खासी फजीहत के शिकार हो बैठे हैं । एक तरफ लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि शरत जैन को दीपक गुप्ता के 'फटे में अपना पैर घुसाने' की जरूरत आखिर क्यों पड़ी, तो दूसरी तरफ उनके नजदीकियों का कहना/बताना है कि शरत जैन ने उक्त ईमेल इसलिए लिखी है ताकि दीपक गुप्ता अपनी जेब से खर्च की गई डिस्ट्रिक्ट ग्रांट की रकम उनसे लेने पर जोर न दें । शरत जैन के नजदीकियों का कहना है कि अपनी जेब से खर्च की गई रकम को डूबता देख कर दीपक गुप्ता ने शरत जैन से तकादा करना शुरू किया है कि डिस्ट्रिक्ट ग्रांट को चूँकि उन्हें सीओएल का चुनाव जितवाने के लिए 'खर्च' किया गया था, इसलिए वह रकम उन्हें चुकाना चाहिए । दीपक गुप्ता ने यहाँ तक ऑफर दिया है कि पूरी न सही, तो कम से कम आधी रकम तो शरत जैन को देना ही चाहिए । दीपक गुप्ता का तर्क है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जीतने के लिए जिस तरह से ललित खन्ना ने मोटी रकम खर्च की है, वैसे ही शरत जैन को भी सीओएल प्रतिनिधि बनने की कुछ तो कीमत चुकाना ही चाहिए । दीपक गुप्ता ने भी कुछेक लोगों के बीच रोना रोया है कि शरत जैन के लिए वोट पक्के करने के लिए ही उन्हें डिस्ट्रिक्ट ग्रांट की रकम अपने अकाउंट से देने की जरूरत पड़ी थी, अन्यथा उन्हें क्या जरूरत थी कि वह डिस्ट्रिक्ट ग्रांट की रकम अपने अकाउंट से देते ?
शरत जैन ने लेकिन रकम देने से बचने के लिए दीपक गुप्ता के प्रति हमदर्दी दिखाती हुई ईमेल लिखने व तमाम लोगों को भेजने का 'रास्ता' पकड़ा है । शरत जैन की ईमेल ने दीपक गुप्ता की बेवकूफी के चलते गंभीर होते गए एक सामान्य से मामले को और भी ज्यादा गंभीर बना दिया है, जिसके लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आलोक गुप्ता से भी उन्हें लताड़ सुनने को मिली है । मामले की क्रोनोलॉजी बड़ी सामान्य सी है, जो शरत जैन ने भी अपनी ईमेल में बताई है - पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता ने कुछेक क्लब्स के लिए डिस्ट्रिक्ट ग्रांट्स के प्रस्ताव स्वीकार किए, जिन्हें रोटरी फाउंडेशन ने भी मंजूर कर लिया और ग्रांट्स का पैसा डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में आ गया; डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट से पैसे क्लब्स को दिए जाने थे, लेकिन दीपक गुप्ता ने चूँकि डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में अपने हस्ताक्षर मान्य नहीं करवाए थे और न उक्त अकाउंट की केवाईसी प्रक्रिया पूरी करवाई थी - इसलिए डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट से पैसे ट्रांसफर नहीं हो सकते थे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में इसे दीपक गुप्ता के निकम्मेपन की हद ही कहा जायेगा कि 365 दिन के अपने गवर्नर-काल में वह डिस्ट्रिक्ट ग्रांट अकाउंट में अपना नाम नहीं डलवा सके । विडंबना यह है कि जब यह बात सामने आई, तब भी दीपक गुप्ता ने बैंक अकाउंट में अपने हस्ताक्षर मान्य करवाने में दिलचस्पी नहीं ली । दरअसल उस समय वह शरत जैन की सीओएल की उम्मीदवारी के पक्ष में वोटों की सौदेबाजी करने में व्यस्त थे । रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय के पदाधिकारियों को झूठे ही 'अर्जेन्टली रिक्वायर्ड' का वास्ता देकर दीपक गुप्ता ने पैसों के ऐडजस्टमेंट का आश्वासन ले लिया था । लेकिन अब पोल खुल रही है कि उनके लिए 'अर्जेन्टली रिक्वायर्ड' दरअसल सीओएल के चुनाव के लिए वोटों का सौदा करना था, और वह बैंक अकाउंट को नियमानुसार लाने/बनाने में समय बर्बाद नहीं कर सकते थे । मामले में शरत जैन द्वारा गैरजरूरी रूप से दखल देने से लोगों को यह और 'नजर' आ रहा है कि डिस्ट्रिक्ट ग्रांट का पैसा उनके चुनाव में ही 'इस्तेमाल' हुआ है ।
Monday, August 3, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3110 में जोन्स निर्धारण के मामले को मुद्दा बना कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिनेश शुक्ला को दबाव में लेने की कोशिश में फजीहत का शिकार बनने से, आईएस तोमर खेमे के नेताओं ने वास्तव में अपनी ही कमजोरी को साबित किया है और अपनी मुश्किलों को बढ़ा लिया है
बरेली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन/चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए जोन्स के निर्धारण को लेकर अपनी शिकायत इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर कमल सांघवी तक पहुँचा कर आईएस तोमर खेमे के नेताओं ने अपनी अच्छी फजीहत करवा ली है - और इस तरह उक्त मामले में बबाल मचाना उनके लिए न सिर्फ निरर्थक साबित हुआ, बल्कि उनके गले की फाँस और बन गया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिनेश शुक्ला ने त्वरित गति से काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग बुला कर तथा उस मीटिंग में कमल सांघवी को भी आमंत्रित करके आईएस तोमर खेमे की मुहिम का बीच रास्ते में ही जिस तरह से दम निकाल दिया, उससे आईएस तोमर खेमे को खासा तगड़ा झटका लगा है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों का कहना है कि आईएस तोमर खेमे के लिए सारा मामला 'खाया-पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा बारह आना' टाइप का रहा है । इस पूरे मामले से आईएस तोमर खेमे की बौखलाहट और हताशा का भी डिस्ट्रिक्ट के आम और खास लोगों को आभास मिला है, तथा डिस्ट्रिक्ट में उनके विरोधियों को कहने का मौका मिला है कि यह पूरा प्रसंग डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई में आईएस तोमर खेमे का अभी से अपनी हार स्वीकारने जैसा बन गया है ।
Sunday, August 2, 2020
लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में बहुमत वोटर्स का विश्वास खो चुके तथा उनके द्वारा नकार दिए गए जगदीश अग्रवाल की फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद वापस पाने तथा गुरनाम सिंह से बदला लेने की तैयारी ने डिस्ट्रिक्ट के चुनावी नजारे को खासा दिलचस्प बनाया
Saturday, August 1, 2020
रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3110 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मुकेश सिंघल की आगामी रोटरी वर्ष की गवर्नर-टीम के पदों के बदले वोट जुटाने तथा डीएन रायजादा को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का उम्मीदवार बना देने जैसे जुगाड़ों के भरोसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जीतने की तोमर खेमे की तैयारी सचमुच कामयाब हो सकेगी क्या ?
कानपुर । वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डीएन रायजादा को आईएस तोमर ग्रुप ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उम्मीदवार तो 'बना' दिया है, लेकिन उनकी उम्मीदवारी को 'मजबूती' देने के लिए ग्रुप के लोग कोई प्रयास करते हुए नहीं दिख रहे हैं । यहाँ तक कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन/चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए वह अपने बीच से कोई उम्मीदवार तक तय नहीं कर पा रहे हैं । ग्रुप के लोगों के अनुसार, नोमीनेटिंग कमेटी के लिए हालाँकि पूर्व गवर्नर अरुण जैन का नाम लिया जा रहा है, लेकिन अरुण जैन उक्त उम्मीदवारी के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं । दरअसल अरुण जैन भी जान/समझ रहे हैं कि नोमीनेटिंग कमेटी के लिए होने वाले चुनाव में वह जीतेंगे तो नहीं ही, इसलिए फालतू में हार की फजीहत का सामना क्यों करना ? नोमीनेटिंग कमेटी के लिए रवि प्रकाश अग्रवाल खेमे की तरफ से शरत चंद्रा का नाम सुना जा रहा है, जो डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन हैं । आईएस तोमर ग्रुप की राजनीति के अगुआ बने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मुकेश सिंघल भी नहीं चाहते हैं कि अरुण जैन नोमीनेटिंग कमेटी की उम्मीदवारी के चक्कर में पड़े । मुकेश सिंघल दरअसल सारा ध्यान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव पर लगाना चाहते हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में पिछले रोटरी वर्ष में आईएस तोमर ग्रुप की और ग्रुप के सक्रिय सदस्य बने मुकेश सिंघल की जैसी जो किरकिरी हुई थी, उसका वह इस वर्ष बदला लेना चाहते हैं - और इसलिए इस वर्ष वह सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को जीतने पर मेहनत करना चाहते हैं ।