Saturday, August 15, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए चार चार उम्मीदवारों की चर्चा के बीच तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को हरी झंडी देने के लिए बुलाई गई क्लब की मीटिंग में पारस अग्रवाल के न पहुँचने के 'मामले' ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का पारा चढ़ाया

आगरा । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को क्लब से हरी झंडी दिलवा कर तरुण अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी पैदा कर दी है । क्लब की जिस मीटिंग में तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को हरी झंडी मिली, उस मीटिंग में पारस अग्रवाल की गैरमौजूदगी ने उस गर्मी को और गर्म कर दिया है । उल्लेखनीय है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अजय भार्गव, पीके जैन तथा स्वाति माथुर के नाम की चर्चा पहले से ही है । अजय भार्गव इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट सेक्रेटरी हैं, जिस कारण अनुमान लगाया जा रहा है कि उनकी उम्मीदवारी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अजय सनाढ्य की शह होगी; पीके जैन बुलंदशहर के दो पूर्व गवर्नर्स के क्लब के सदस्य हैं, इस नाते उन्हें 'उनके' उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; स्वाति माथुर को डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स के 'आशीर्वाद' से चुनावी मैदान में 'कूदते' हुए पहचाना गया है । मजे की बात यह रही कि अजय भार्गव, पीके जैन व स्वाति माथुर की उम्मीदवारी को लेकर होने वाली चर्चा में तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को पूरी तरह भुला ही दिया गया - जबकि सबसे पहले उन्होंने ही अपनी उम्मीदवारी की बात कही थी । इसके लिए हालाँकि तरुण अग्रवाल को ही जिम्मेदार माना गया । दरअसल उन्होंने इस वर्ष उम्मीदवार होने की बात तो कह दी, लेकिन फिर सीन से गायब हो गए । डिस्ट्रिक्ट के लोगों को तरुण अग्रवाल चूँकि उम्मीदवार के रूप में कुछ करते हुए नजर नहीं आए, इसलिए लोगों ने इस वर्ष उम्मीदवार बनने की उनकी बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया और उसे भुला दिया ।
यह इसलिए भी हुआ, क्योंकि तरुण अग्रवाल पिछले वर्ष भी उम्मीदवार बने थे - लेकिन पिछले वर्ष जिस अचानक तरीके से वह उम्मीदवार बने थे, उसी अचानक तरीके से फिर वह पीछे भी हट गए थे । लोगों के बीच चर्चा रही कि तरुण अग्रवाल को उम्मीदवार बनना नहीं था, वह तो तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह ने सुनीता बंसल की 'बाँह मरोड़ने' के लिए उन्हें इस्तेमाल किया और उम्मीदवार बना दिया था; और सुनीता बंसल जैसे ही 'रास्ते' पर आईं, मधु सिंह ने तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को वापस करवा दिया । लोगों के बीच चर्चा थी कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुनीता बंसल चूँकि मधु सिंह की 'डिमांड्स' पूरी करने में आनाकानी कर रही थीं, इसलिए सुनीता बंसल को 'रास्ते पर' लाने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में मधु सिंह ने तरुण अग्रवाल की 'सेवा' ली - और तरुण अग्रवाल सिर्फ इस्तेमाल होने के लिए ही उम्मीदवार बने थे । इसीलिए, तरुण अग्रवाल जब इस वर्ष उम्मीदवार बनने की बात करने के बावजूद कुछ करते हुए नहीं दिखे - तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने भी उनकी उम्मीदवारी की बात को भुला दिया, और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के संभावित उम्मीदवारों के रूप में चर्चा अजय भार्गव, पीके जैन तथा स्वाति माथुर तक ही सीमित रह गई ।
यह देख तरुण अग्रवाल तुरंत सक्रिय हुए और उन्होंने क्लब की मीटिंग बुलवा ली, जिसमें मौजूद सभी सदस्यों ने एकमत से तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन व्यक्त किया - और इस तरह तरुण अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी को लेकर गंभीरता दिखाई । उक्त मीटिंग में लेकिन पूर्व गवर्नर व मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पारस अग्रवाल के न पहुँचने से थोड़ी झटके वाली स्थिति बनी । पारस अग्रवाल की तरफ से हालाँकि बताया/कहा तो यह गया कि वह कुछ निजी व्यस्तता के कारण मीटिंग में नहीं पहुँच सकेंगे, लेकिन क्लब के कुछेक सदस्यों को पहले से अनुमान था कि कोई न कोई बहानेबाजी करके पारस अग्रवाल मीटिंग में नहीं आयेंगे । पारस अग्रवाल की अनुपस्थिति को 'राजनीतिक' रूप से देखते/पहचानते हुए मीटिंग में कुछेक सदस्यों ने किसी का नाम लिए बिना चेतावनी भी दी कि क्लब का कोई सदस्य यदि तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी के खिलाफ काम करता हुआ देखा/पाया गया तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी - और जरूरत पड़ी तो उसे क्लब से भी निकाल दिया जायेगा । यह चेतावनी देते हुए हालाँकि किसी का नाम नहीं लिया गया, लेकिन मीटिंग में मौजूद सभी लोगों ने यह समझने में चूक नहीं की कि यह चेतावनी पारस अग्रवाल के लिए है । पारस अग्रवाल और तरुण अग्रवाल के बीच हालाँकि अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों में दोनों की राजनीति अलग अलग रही है - जिस कारण दोनों के बीच टकरावपूर्ण संबंध बने हैं । पिछले लायन वर्ष में दोनों की तरफ से सार्वजनिक रूप से आरोप-प्रत्यारोप भी लगे थे । इसी वजह से, तरुण अग्रवाल के नजदीकियों को शक/डर है कि तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को पारस अग्रवाल का समर्थन नहीं मिलेगा, और इसीलिए उन्होंने पारस अग्रवाल को क्लब में ही 'घेरने' की तैयारी शुरू कर दी है । दअरसल इसी कारण से तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन घोषित करने के उद्देश्य से हुई उनके क्लब की मीटिंग के बाद डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का पारा एकदम से ऊपर चढ़ता दिख रहा है ।