Saturday, August 22, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए चुनाव में जगदीश अग्रवाल की पराजय से बौखलाए नेताओं ने 'खंबा नोचते हुए' आदर्श अग्रवाल के सहारे गुरनाम सिंह से निपटने की तैयारी शुरू तो कर दी है, लेकिन अपनी सफलता को लेकर वह सशंकित भी हैं  

लखनऊ । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की लड़ाई हारे नेताओं ने अब आदर्श अग्रवाल के सहारे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में वरिष्ठ पूर्व गवर्नर गुरनाम सिंह को घेरने/हराने की तैयारी तो शुरू की है, लेकिन उनके लिए आदर्श अग्रवाल पर भरोसा करना भी मुश्किल हो रहा है । डिस्ट्रिक्ट के दो पूर्व गवर्नर्स के बीच एक-दूसरे के खिलाफ और एक-दूसरे के परिजनों को निशाना बनाते हुए जिस तरह के अशालीन व अभद्र शब्दों का आदान-प्रदान हुआ है, उसके कारण डिस्ट्रिक्ट के नेताओं के बीच की राजनीतिक होड़ एक अलग ही 'रास्ता' पकड़ती दिख रही है, जिसका डिस्ट्रिक्ट के राजनीतिक समीकरणों पर सीधा असर पड़ता दिख रहा है - और जिसमें गुरनाम सिंह विरोधी खेमे को नुकसान पहुँचता लग रहा है । दरअसल इसीलिए गुरनाम सिंह से लड़ने की तैयारी करने वाले नेताओं को लग रहा है कि उन्होंने आनन-फानन में आदर्श अग्रवाल को उम्मीदवार बनाने का फैसला तो कर लिया है, लेकिन कहीं ऐसा न हो कि जैसे जगदीश अग्रवाल के मामले में उन्हें फजीहत झेलना पड़ी है - वैसा ही हाल आदर्श अग्रवाल को लेकर भी हो । 
मजे की बात यह है कि आदर्श अग्रवाल के नजदीकियों को भी लग रहा है कि गुरनाम सिंह से खुन्नस निकालने के लिए विरोधी नेताओं ने आदर्श अग्रवाल को उम्मीदवार तो बना दिया है, लेकिन आदर्श अग्रवाल का हाल कहीं जगदीश अग्रवाल जैसा ही न हो ? आदर्श अग्रवाल के नजदीकियों को यह तो पता ही है कि जगदीश अग्रवाल को फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने/बनवाने के लिए उनके समर्थक नेताओं ने एड़ी-चोटी का जोर लगा लिया था, और चुनाव जीतने के लिए वह जो कुछ भी कर सकते थे - वह उन्होंने किया था, लेकिन फिर भी वह जगदीश अग्रवाल को चुनाव नहीं जितवा सके । राजनीति 'समझने' वाले लोगों का मानना और कहना है कि जगदीश अग्रवाल को लेकर डिस्ट्रिक्ट में जो राजनीति हुई, उसके कारण मामला 'जगदीश अग्रवाल बनाम गुरनाम सिंह' हो गया - और इसलिए तमाम तैयारी और राजनीतिक घेराबंदी के बावजूद जगदीश अग्रवाल चुनाव हार गए । आदर्श अग्रवाल के मामले में भी यही होता नजर आ रहा है । आदर्श अग्रवाल अभी 'ढंग से' उम्मीदवार बने भी नहीं हैं कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यह धारणा - यह सोच बन गई है कि उन्हें तो गुरनाम सिंह को नीचा दिखाने के लिए उम्मीदवार बनाया गया है - उनके समर्थक नेताओं को उन्हें यदि सचमुच (सेकेंड वाइस) डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनाना/बनवाना होता तो वह पहले से उन्हें उम्मीदवार बनाते ।
उल्लेखनीय है कि आदर्श अग्रवाल का नाम उम्मीदवार के रूप में अभी दो-तीन दिन से तब सुनने को मिला, जब उन्हें उम्मीदवार 'बनाने' वाले नेताओं को जगदीश अग्रवाल के मामले में तगड़ा झटका लगा । उससे पहले, यही नेता मानते और कहते रहे थे कि इस वर्ष सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पर जो तेजेंद्रपाल सिंह का अधिकार है । खास बात यह थी कि जो नेता लोग अलग-अलग कारणों से तेजेंद्रपाल सिंह की उम्मीदवारी से खुश नहीं भी थे, वह भी वह मानते और कहते थे कि तेजेंद्रपाल सिंह के सामने किसी और उम्मीदवार को खड़ा करना मुश्किल क्या, असंभव ही है । इसीलिए न तो अन्य कोई उम्मीदवार आता हुआ 'दिख' रहा था, और न नेता लोग किसी उम्मीदवार को 'लाने' में सक्रियता दिखा रहे थे । वह तो फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए दोबारा हुए चुनाव में जगदीश अग्रवाल की पराजय होने के बाद, हारे हुए नेताओं ने 'खंबा नोचते हुए' अपना जो फ्रस्टेशन 'दिखाया - और जिसमें दो पूर्व गवर्नर्स एक-दूसरे के लिए तथा एक-दूसरे के परिजनों के लिए सड़कछाप किस्म की छींटाकशी करते हुए भिड़ बैठे; उसके कारण बने हालात में आदर्श अग्रवाल की उम्मीदवारी प्रकट हो गई । अक्सर देखा गया है कि जल्दबाजी में लिए गए फैसले प्रायः उलटे पड़ जाते हैं, और इसीलिए आदर्श अग्रवाल की उम्मीदवारी के साथ 'माने/समझे' जा रहे नेताओं को ही लगने लगा है कि मौजूदा लायन वर्ष में कहीं उन्हें दूसरी बार हार और फजीहत का सामना न करना पड़ जाए ।