देहरादून । पंकज बिजल्वान इन दिनों उन छुटभैय्यों से बड़े दुखी/परेशान हैं, जो पिछले लायन वर्ष में उन्हें विनय मित्तल से लड़ने/भिड़ने के लिए उकसा/भड़का रहे थे और तथाकथित तरीके से उनकी मदद भी कर रहे थे, लेकिन अब उन पर विनय मित्तल से मिलने के लिए दबाव बना रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट के छुटभैय्यों के बीच इस बात को लेकर मजेदार किस्म की होड़ भी मची सुनी जा रही है कि पंकज बिजल्वान को विनय मित्तल के पास कौन ले जाता है, और कौन विनय मित्तल से उनकी 'सेटिंग' करा देता है । छुटभैय्यों के बीच मची इस होड़ से पंकज बिजल्वान परेशान और दुखी इसलिए हैं, क्योंकि उन्हें इनकी औकात पता है । पता क्या है, पिछले लायन वर्ष में तो पंकज बिजल्वान सीधे-सीधे भुक्तभोगी ही रहे हैं ! दरअसल, छुटभैय्यों के चक्कर में पिछले वर्ष पंकज बिजल्वान 100 वोटों से हारे भी और फजीहत का शिकार भी बने । चुनावी मुकाबले में हार-जीत का बहुत 'मतलब' नहीं होता है, क्योंकि सभी जानते हैं कि मुकाबले में जीतेगा तो कोई एक ही; मतलब इस बात का होता है कि मुकाबले में आपने भाग कैसे लिया - अपनी जीत और या अपनी हार को आपने कैसे लिया ? 'जीत की हार' या 'हार की जीत' जैसे मुहावरे इसीलिए बने हैं और सुनाए जाते हैं ।
पंकज बिजल्वान की बदकिस्मती रही कि वह चुनाव तो बुरी तरह हारे ही, उनके समर्थकों ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस तथा उससे पहले सोशल मीडिया में जो गंद मचाई - उसके चलते उन्हें डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच फजीहत का शिकार भी होना पड़ा । पंकज बिजल्वान के नजदीकियों का दावा है कि पंकज बिजल्वान किसी भी 'गंद-फैलाऊ' हरकत में न तो शामिल थे, और न उन्होंने किसी हरकत को कोई शह दी; डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में भी जो कुछ हुआ, पंकज बिजल्वान उस-सबसे अलग रहे थे । उनके नजदीकियों का तो यहाँ तक कहना है कि पंकज बिजल्वान ने विरोधी खेमे के नेताओं को लेकर कभी कोई अपशब्द तक नहीं कहा । लेकिन फिर भी, उनके समर्थकों की करतूतों का ठीकरा उनके ही सिर फूटा । यह बहुत स्वाभाविक भी था । पंकज बिजल्वान के चुनाव अभियान की कमान ऐसे छुटभैय्यों के हाथ में थी, जिनकी एकमात्र खूबी बकवास करने की थी । इन छुटभैय्यों ने पंकज बिजल्वान को विश्वास दिलाया हुआ था कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव तो बकवासबाजी व गालीगलौच करके जीता जा सकता है । लेकिन सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए जब नतीजा निकला, तो पता चला कि पंकज बिजल्वान को भारी पराजय के साथ-साथ फजीहत भी मिली ।
इससे सबक लेकर पंकज बिजल्वान ने इस वर्ष सावधानी से अपना काम शुरू किया । हालाँकि सावधानी के चक्कर में वह सीन से गायब होते हुए भी लगे; लेकिन जैसा कि उनके नजदीकियों का कहना है कि इस बार वह किसी भी तरह की गंदगी के वाहक नहीं बनना चाहते हैं - इसलिए वह सावधानी के साथ ही अपनी उम्मीदवारी को लेकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं । दरअसल पंकज बिजल्वान भी समझ रहे हैं कि इस बार भी वह यदि चुनाव हारे, तो फिर उनका गवर्नर बनने का सपना, सपना ही रह जायेगा - इसलिए इस वर्ष उनके लिए आखिरी मौका है । नजदीकियों के अनुसार, पंकज बिजल्वान हालाँकि अपनी उम्मीदवारी को लेकर तैयारी कर रहे हैं; उन्हें लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट में चुनावी राजनीति को लेकर कोई ऐसा माहौल जरूर बनेगा, जिसमें उनकी चुनावी नाव पार लग जायेगी - लेकिन हालात यदि अनुकूल नहीं बने, तो पंकज बिजल्वान इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी से पीछे भी हट सकते हैं । पंकज बिजल्वान के नजदीकियों को लग रहा है कि पंकज बिजल्वान इस वर्ष दो बातों को लेकर स्पष्ट हैं - एक तो यह कि चुनाव में गंदगी करने वाले लोगों से वह दूर रहेंगे; और दूसरा यह कि यदि उन्हें जीतने का विश्वास नहीं होगा, तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे । पंकज बिजल्वान लेकिन चाहें जो सोच रहे हों, पिछले वर्ष उनकी हार तथा उनकी फजीहत के 'कारण' बने छुटभैय्ये इस वर्ष भी उनकी 'मदद' करने की तैयारियों में जुटे हैं; और मदद के नाम पर पंकज बिजल्वान को विनय मित्तल से मिलवाने के ऑफर दे रहे हैं । पंकज बिजल्वान अभी तक तो अपने सहयोगी रहे छुटभैय्यों से बच रहे हैं, लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि वह उनसे सचमुच बच पाते हैं - या एक बार फिर उनके झाँसे में फँसेंगे ?