Saturday, August 1, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3110 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मुकेश सिंघल की आगामी रोटरी वर्ष की गवर्नर-टीम के पदों के बदले वोट जुटाने तथा डीएन रायजादा को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का उम्मीदवार बना देने जैसे जुगाड़ों के भरोसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जीतने की तोमर खेमे की तैयारी सचमुच कामयाब हो सकेगी क्या ?

कानपुर । वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डीएन रायजादा को आईएस तोमर ग्रुप ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उम्मीदवार तो 'बना' दिया है, लेकिन उनकी उम्मीदवारी को 'मजबूती' देने के लिए ग्रुप के लोग कोई प्रयास करते हुए नहीं दिख रहे हैं । यहाँ तक कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन/चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए वह अपने बीच से कोई उम्मीदवार तक तय नहीं कर पा रहे हैं । ग्रुप के लोगों के अनुसार, नोमीनेटिंग कमेटी के लिए हालाँकि पूर्व गवर्नर अरुण जैन का नाम लिया जा रहा है, लेकिन अरुण जैन उक्त उम्मीदवारी के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं । दरअसल अरुण जैन भी जान/समझ रहे हैं कि नोमीनेटिंग कमेटी के लिए होने वाले चुनाव में वह जीतेंगे तो नहीं ही, इसलिए फालतू में हार की फजीहत का सामना क्यों करना ? नोमीनेटिंग कमेटी के लिए रवि प्रकाश अग्रवाल खेमे की तरफ से शरत चंद्रा का नाम सुना जा रहा है, जो डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन हैं । आईएस तोमर ग्रुप की राजनीति के अगुआ बने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मुकेश सिंघल भी नहीं चाहते हैं कि अरुण जैन नोमीनेटिंग कमेटी की उम्मीदवारी के चक्कर में पड़े । मुकेश सिंघल दरअसल सारा ध्यान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव पर लगाना चाहते हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में पिछले रोटरी वर्ष में आईएस तोमर ग्रुप की और ग्रुप के सक्रिय सदस्य बने मुकेश सिंघल की जैसी जो किरकिरी हुई थी, उसका वह इस वर्ष बदला लेना चाहते हैं - और इसलिए इस वर्ष वह सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को जीतने पर मेहनत करना चाहते हैं ।
मुकेश सिंघल के नजदीकियों का कहना/बताना है कि अगले रोटरी वर्ष में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के लिए डीएन रायजादा को उम्मीदवार बनाने के पीछे भी वास्तविक कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की तैयारी ही है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में जब तक आईएस तोमर की राजनीति चली, उन्होंने डीएन रायजादा को आगे नहीं बढ़ने दिया । डीएन रायजादा हालाँकि आईएस तोमर के नजदीकी रहे हैं, और उन्हीं के समर्थन से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने थे - लेकिन आईएस तोमर को हमेशा यह डर रहा कि डीएन रायजादा को यदि मौका मिला, तो वह उनसे आगे निकल जायेंगे; और इसीलिए उन्होंने डीएन रायजादा की कमान खींच कर रखी और उन्हें अलग-थलग करते/रखते हुए डिस्ट्रिक्ट में तवज्जो नहीं लेने/मिलने दी । डीएन रायजादा ने भी आईएस तोमर द्वारा तय की गई नियति को स्वीकार कर लिया और किनारे लग लिए । लेकिन अब जब आईएस तोमर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में वापसी करने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं, तब उन्हें डीएन रायजादा की याद आई है । असल में, आईएस तोमर खेमे के लोग कानपुर में अपनी स्थिति को कमजोर पा रहे हैं, और कानपुर में उन्हें कोई ऐसा नेता नहीं मिल पा रहा है - जिसके कंधे पर पैर रख कर वह कानपुर में अपनी राजनीति जमा सकें । डीएन रायजादा को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उन्होंने उम्मीदवार दरअसल इसी उम्मीद में बनाया है कि इससे डीएन रायजादा में करंट पैदा होगा, और वह कानपुर में आईएस तोमर खेमे के लिए जगह बनाने का काम करेंगे । आईएस तोमर खेमे के लोगों को अच्छी तरह पता है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में डीएन रायजादा का कुछ होना/हवाना तो है नहीं, और उन्हें उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में कुछ करना भी नहीं है - वह तो बस डीएन रायजादा को 'झाड़' पर चढ़ा कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में फायदा लेना चाहते हैं ।
आईएस तोमर खेमे की तरफ से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अभी तक रोटरी क्लब झाँसी रानी की पूर्व अध्यक्ष देवप्रिया उक्सा का नाम है, जबकि रवि प्रकाश अग्रवाल खेमे की तरफ से रोटरी क्लब कानपुर इंडस्ट्रियल के पूर्व अध्यक्ष विवेक गर्ग तैयारी करते देखे/सुने जा रहे हैं । सक्रियता के लिहाज से देवप्रिया उक्सा का पलड़ा भारी देखा/बताया जा रहा है; विवेक गर्ग को लेकर आरोप सुने जा रहे हैं कि उन्होंने तो अपने आप को जीता हुआ मान लिया है - और इसलिए वह सक्रिय होने की तथा लोगों से संपर्क करने की कोई जरूरत नहीं समझ रहे हैं । उम्मीदवार के रूप में विवेक गर्ग के प्रति बनने वाली नाराजगी का लेकिन देवप्रिया उक्सा राजनीतिक फायदा उठाने का कोई 'मैकेनिज्म' बनाती नहीं दिख रही हैं - और उनका चुनाव पूरी तरह आईएस तोमर खेमे के नेताओं, खासकर मुकेश सिंघल पर निर्भर नजर आ रहा है । मुकेश सिंघल को लग रहा है कि आगामी रोटरी वर्ष की अपनी गवर्नर-टीम के पदों का ऑफर देकर वह वोट जुटा लेंगे, लेकिन सिर्फ इसी जुगाड़ के भरोसे चुनाव जीतने की उनकी तैयारी उनके काम आती नहीं दिख रही है । असल में, पिछले रोटरी वर्ष में आईएस तोमर खेमे के नेताओं की तरह तरह की जुगाड़बाजियों को जिस तरह की मात मिली है, उसने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में उनकी हालत पतली की हुई है - जिससे उबरने के लिए वह योजनाएँ तो खूब बना रहे हैं, लेकिन उनकी योजनाएँ अभी तो काम करती नजर नहीं आ रही हैं ।