Sunday, August 16, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में गुरनाम सिंह की राजनीति के सामने जगदीश अग्रवाल की तमाम कोशिशें अंततः विफल रहीं और फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का चुनाव बीएम श्रीवास्तव ने जीत लिया

लखनऊ । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए आज पूर्वाह्न दोबारा हुए चुनाव का नतीजा तो वही निकला, जो अपेक्षित था - और जिसके तहत बीएम श्रीवास्तव की जीत हुई; लेकिन चुनावी जीत का अंतर अप्रत्याशित रहा । जीत का श्रेय वरिष्ठ पूर्व गवर्नर गुरनाम सिंह को दिया जा रहा है, तो जीत के अंतर के कम होने में भी गुरनाम सिंह को लगे झटके के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । आज हुए चुनाव का अप्रत्याशित दृश्य पूर्व गवर्नर नीरज बोरा की उपस्थिति का भी रहा । नीरज बोरा पिछले काफी समय से डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियों में नजर नहीं आए हैं, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने खासी सक्रियता के साथ जगदीश अग्रवाल का झंडा उठाया - हालाँकि फिर भी जगदीश अग्रवाल चुनाव हार गए । जगदीश अग्रवाल के लिए विडंबना की बात यह रही कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद उन्होंने एक वोट से जीता था - नेगेटिव वोटिंग के कारण उनके फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर न बन पाने के कारण दोबारा हुआ चुनाव लेकिन वह एक वोट से हार गए । जगदीश अग्रवाल ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपने घमंडभरे रवैये के लिए प्रत्येक पूर्व गवर्नर से माफी माँगी और भविष्य में वैसा रवैया न दिखाने के लिए उन्हें आश्वस्त किया, लेकिन फिर भी वह वोट डालने वाले 23 गवर्नर्स में से 11 का ही समर्थन जुटा सके और इस तरह 12 वोट पाकर बीएम श्रीवास्तव ने उनसे अपनी हार का बदला ले लिया । 
मजे की बात यह रही कि दोनों उम्मीदवारों को उम्मीद से कम वोट मिलने की शिकायत रही, और इस तरह दोनों ही उम्मीदवारों तथा उनके नेताओं को धोखा खाने का गम हुआ । जगदीश अग्रवाल और उनके समर्थकों को 14 वोट मिलने की उम्मीद थी - लिहाजा चुनावी नतीजा घोषित होने के बाद वह उन तीन गवर्नर्स को 'खोज' रहे हैं, जिन्होंने उन्हें धोखा दिया । बीएम श्रीवास्तव और उनके समर्थकों को 16 वोट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन चुनाव जीत जाने की खुशी व संतुष्टि में वह इस बात को लेकर ज्यादा परेशान नहीं हैं कि किन किन लोगों ने उन्हें धोखा दिया । जगदीश अग्रवाल ने चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडा अपनाया । शुरू में लग रहा था कि उन्हें छह/सात से ज्यादा वोट नहीं मिलेंगे, लेकिन तरह तरह के हथकंडों के चलते उन्होंने अपने समर्थन को बढ़ाया । जगदीश अग्रवाल की बड़ी कामयाबी यह रही कि उन्होंने गुरनाम सिंह के सहयोग/समर्थन से गवर्नर बने तथा हाल के दिनों तक उनके खास रहे कई गवर्नर्स का समर्थन प्राप्त कर लिया । लेकिन उनके लिए गुरनाम सिंह की राजनीति से निपट पाना मुश्किल हुआ ।
दरअसल फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए दोबारा हुआ चुनाव जिस तरह से गुरनाम सिंह की राजनीति व प्रतिष्ठा के साथ जुड़ गया था, उसके कारण ही तमाम अनुकूलताओं के बावजूद जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी का भट्टा बैठ गया । जगदीश अग्रवाल की जीत को गुरनाम सिंह के लिए सीधी चुनौती के रूप में देखा जा रहा था, और इसके चलते जगदीश अग्रवाल के समर्थन में जुटे गुरनाम सिंह के नजदीकियों के बीच भरोसा नहीं बन सका - विशाल सिन्हा को हर समय संजय चोपड़ा व प्रमोद सेठ पर शक रहा, क्योंकि जगदीश अग्रवाल के खिलाफ नेगेटिव वोटिंग करवाने में इनका खासा सहयोग रहा था; तो संजय चोपड़ा व प्रमोद सेठ लगातार जगदीश अग्रवाल को आगाह करते रहे कि विशाल सिन्हा की बदनामी के कारण ही वह फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नहीं बन सके हैं, इसलिए उनसे बच कर रहना । गुरनाम सिंह के नजदीकी रहे यह लोग एचएस सच्चर के समर्थन पर संदेह करते रहे, तो एचएस सच्चर की तरफ से जगदीश अग्रवाल को सावधान किया जाता रहा कि गुरनाम सिंह के लोगों पर भरोसा मत करना । तीन दिन पहले ही मनोज रुहेला ने यह कहते/बताते हुए बीएम श्रीवास्तव और उनके समर्थकों के पसीने ला दिए थे कि इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडॉर्सी जितेंद्र चौहान ने उन्हें जगदीश अग्रवाल का समर्थन करने के लिए कहा है । मनोज रुहेला के यह 'बताने' से बीएम श्रीवास्तव तथा उनके नजदीकियों ने मान/समझ लिया था कि मनोज रुहेला भी जगदीश अग्रवाल के साथ जा मिले हैं । कुछेक लोगों को छोड़कर, अधिकतर लोगों में यह कहना/बताना तो कयास लगाना होगा कि किसने किस को वोट दिया है - तथ्य सिर्फ यह है कि गुरनाम सिंह की राजनीति के सामने जगदीश अग्रवाल की तमाम कोशिशें अंततः विफल रहीं और फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का चुनाव बीएम श्रीवास्तव ने जीत लिया है ।