Monday, August 10, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट अशोक अग्रवाल के चुनावी राजनीति के पचड़े में न पड़ने तथा अपनी गवर्नरी पर ध्यान देने के रवैये के चलते अजय सिन्हा और दीपक गुप्ता की उम्मीदों पर पानी फिरा, तथा प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए रास्ता साफ हुआ

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिशों का कोई फायदा न मिलता देख अजय सिन्हा के साथ जुड़े लोगों ने अब उनसे दूर हटना और 'दिखना' शुरू कर दिया है । इन पंक्तियों के लेखक से अजय सिन्हा की उम्मीदवारी को लेकर बेहद उत्साह के साथ बात करते रहने वाले लोगों ने सुर/स्वर बदलते हुए कहना/बताना शुरू किया है कि अजय सिन्हा ने हालाँकि पिछले दिनों अच्छा संपर्क अभियान चलाया, लेकिन वह लोगों के बीच अपनी उम्मीदवारी को लेकर कोई जोश पैदा करने में विफल रहे हैं - और कारण से उनका हौंसला भी टूटता हुआ लग रहा है । अजय सिन्हा को सबसे बड़ा झटका डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट अशोक अग्रवाल के रवैये से लगा है । अजय सिन्हा को उम्मीद थी कि डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में जिस तरह का समीकरण बन रहा है, उसमें अशोक अग्रवाल का समर्थन उन्हें मिल जायेगा - और फिर अशोक अग्रवाल ही उन्हें कुछेक अन्य गवर्नर्स का समर्थन दिलवा देंगे । अजय सिन्हा को ऐसी उम्मीद इसलिए भी थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि उन्होंने अशोक अग्रवाल के बहुत कुछ किया है - इसलिए अशोक अग्रवाल अवश्य ही उनका साथ देंगे । अजय सिन्हा को लेकिन यह देख कर खासा झटका लगा है कि उनकी उम्मीद के विपरीत अशोक अग्रवाल उनकी उम्मीदवारी में कोई दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं ।
अशोक अग्रवाल के नजदीकियों का कहना/बताना है कि अशोक अग्रवाल का सारा ध्यान दरअसल अपनी गवर्नरी पर है, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के चक्कर में वह अपनी गवर्नरी खराब करने का खतरा नहीं उठाना चाहते हैं । कोरोना प्रकोप के चलते बने हालात के कारण अशोक अग्रवाल के लिए गवर्नरी 'करना' और गवर्नर पद की जिम्मेदारियाँ निभाना वैसे भी खासा चुनौतीपूर्ण हो गया है, और इस चुनौती से निपटने के लिए उन्हें डिस्ट्रिक्ट में हर किसी का सहयोग व समर्थन चाहिए होगा: अशोक अग्रवाल भी समझ रहे हैं कि ऐसे में वह यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के चक्कर में पड़े - तो उन्हें अपनी गवर्नरी को ही दाँव पर लगाना होगा । अशोक अग्रवाल के नजदीकियों के ही अनुसार, अशोक अग्रवाल को यह भी 'दिख' रहा है तथा समझ में आ रहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी दौड़ में प्रियतोष गुप्ता चूँकि काफी आगे हैं, तथा बाकी अन्य उम्मीदवारों के लिए उनका मुकाबला कर पाना मुश्किल क्या - असंभव ही लग रहा है, इसलिए भी अशोक अग्रवाल ने अजय सिन्हा की उम्मीदवारी को तवज्जो देने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है । इस कारण से, अशोक अग्रवाल के समर्थन का दावा करके अजय सिन्हा ने अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में जो गुब्बारा फुलाने की तैयारी की थी, उसकी सारी हवा निकल गई है । 

मजे की बात यह सुनने/देखने में आ रही है कि अजय सिन्हा की उम्मीदवारी के गुब्बारे की हवा निकलते देख डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के तीसरे उम्मीदवार दीपक गुप्ता को सबसे ज्यादा निराशा हो रही है, और उन्हें अपना 'खेल' बिगड़ता नजर आ रहा है । दरअसल दीपक गुप्ता को अजय सिन्हा की उम्मीदवारी में अपना फायदा दिख रहा था; उनका सोचना था कि अशोक अग्रवाल के समर्थन के सहारे अजय सिन्हा गाजियाबाद में प्रियतोष गुप्ता के वोट काटेंगे - और उस स्थिति में उनका फायदा होगा । दिलचस्प बात यह हुई कि अजय सिन्हा के चुनावी मुकाबले में कूद पड़ने से पहले प्रियतोष गुप्ता के सामने दीपक गुप्ता जब अकेले थे, तब दीपक गुप्ता ने अपने आप को प्रियतोष गुप्ता का मुकाबला करने में असमर्थ पाया और वह चुनावी सीन से हटते हुए लगे थे - किंतु अचानक से प्रस्तुत हुई अजय सिन्हा की उम्मीदवारी दीपक गुप्ता को संजीवनी की तरह लगी और वह पुनः चुनावी ताल ठोकने लगे । लेकिन अशोक अग्रवाल के चुनावी राजनीति के पचड़े में न पड़ने तथा अपनी गवर्नरी पर ध्यान देने के चलते अजय सिन्हा की उम्मीदों पर पानी पड़ने से प्रियतोष गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए रास्ता जिस तरह से साफ हुआ है - उससे दीपक गुप्ता का 'फायदे का गणित' गड़बड़ा गया है और उनके लिए पहले वाली स्थिति ही बन गई है - जहाँ कि वह प्रियतोष गुप्ता का मुकाबला करने में अपने को असमर्थ पा रहे थे ।