Thursday, August 13, 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल में प्रतिनिधित्व को लेकर बिग फोर फर्म्स में चल रही उठापटक तथा गिरीश आहुजा को लेकर संजय अग्रवाल के साथ चल रही 'छीना-झपटी' के कारण संजीव सिंघल अपनी उम्मीदवारी को लेकर चौतरफा मुश्किलों में घिरे/फँसे

नई दिल्ली । अगले वर्ष होने वाले सेंट्रल काउंसिल के चुनाव के संदर्भ में संजीव सिंघल को लगता है कि मुसीबतों ने जैसे चारों तरफ से घेर लिया है - एक तरफ तो उन्हें संजय अग्रवाल के साथ गिरीश आहुजा की 'छीना-झपटी' में उलझना पड़ रहा है, और दूसरी तरफ अपनी फर्म तथा बिग फोर समूह में अपनी उम्मीदवारी को लेकर पैदा होते दिख रहे संकट से निपटने की तरकीबों को आजमाना पड़ रहा है । तीन टर्म सेंट्रल काउंसिल में सदस्य रहे संजय अग्रवाल ने अचानक से उम्मीदवारी की घोषणा करके संजीव सिंघल के लिए सीधी चुनौती खड़ी कर दी है । संजय अग्रवाल की उम्मीदवारी दरअसल वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट गिरीश आहुजा के कारण संजीव सिंघल के लिए सीधी चुनौती बनी है । उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में संजीव सिंघल को गिरीश आहुजा के सक्रिय समर्थन के कारण ही जीत मिली थी; गिरीश आहुजा को संजय अग्रवाल के 'गॉडफादर' के रूप में भी देखा/पहचाना जाता है - और माना/समझा जाता है कि गिरीश आहुजा की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद ही संजय अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है, अन्यथा तो वह अपनी उम्मीदवारी की संभावना से लगातार इंकार ही कर रहे थे । हालाँकि संजीव सिंघल ने तरह तरह से रीजन के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को भरोसा दिलाने का प्रयास किया कि गिरीश आहुजा पिछले चुनाव की तरह अगले चुनाव में भी सक्रियता के साथ उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे, लेकिन हाल-फिलहाल के दिनों में गिरीश आहुजा का संजय अग्रवाल के साथ जिस तरह का 'गठबंधन' दिख रहा है - उसके चलते संजीव सिंघल के प्रयास फेल होते नजर आ रहे हैं ।
संजय अग्रवाल ने न सिर्फ 'अपने' आयोजनों में गिरीश आहुजा की उपस्थिति को संभव बनाया, बल्कि उनके नाम पर यू ट्यूब चैनल शुरू कर दिया और उनके साथ साप्ताहिक फीचर करने के कार्यक्रम की घोषणा कर दी । इन आयोजनों के जरिये संजय अग्रवाल लोगों को यह बताने तथा 'दिखाने' में सफल रहे हैं कि उनकी 'अनुपस्थिति' में गिरीश आहुजा भले ही किसी और के साथ चले गए हों - लेकिन वापसी करने की उनकी कोशिशों में गिरीश आहुजा उनके साथ ही हैं । संजीव सिंघल को गिरीश आहुजा के 'छिन जाने' के साथ-साथ बिग फोर समूह में तथा अपनी फर्म में भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है । सेंट्रल काउंसिल में बिग फोर का प्रतिनिधित्व कर चुके संजीव चौधरी के बिग फोर फर्म केपीएमजी ज्वाइन करने को संजीव सिंघल के लिए खतरे की घंटी के रूप में 'सुना' जा रहा है । चर्चा है कि बिग फोर फर्म्स संजीव सिंघल की परफॉर्मेंस से खुश नहीं हैं, और उन्हें चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में दोबारा नहीं भेजना चाहती हैं - और इसी की तैयारी के तहत संजीव चौधरी को केपीएमजी में लिया गया है । 
संजीव सिंघल की फर्म ई एंड वाई भी वेस्टर्न रीजन में दीनल शाह की सेंट्रल काउंसिल में वापसी करवाने की तैयारी में सुनी जा रही है । दीनल शाह तीन टर्म सेंट्रल काउंसिल में रहे हैं, और प्रोफेशन के लोगों के बीच उनकी खासी प्रतिष्ठा है । वेस्टर्न रीजन में चर्चा है कि ई एंड वाई यदि दीनल शाह को सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार बनने के लिए राजी कर लेती है, तो नॉर्दर्न रीजन में संजीव सिंघल का पत्ता अपने आप कट जायेगा । वेस्टर्न रीजन में अभी एनसी हेगड़े बिग फोर फर्म्स का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कारणों से उनका अगला चुनाव लड़ने को लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा है; ऐसे में, ई एंड वाई में दीनल शाह को लेकर बढ़ी सक्रियता चर्चा में आ गई है । वेस्टर्न रीजन में एनसी हेगड़े की उम्मीदवारी को लेकर संदेह, दीनल शाह की उम्मीदवारी की संभावना और नॉर्दर्न रीजन में संजीव चौधरी का बिग फोर फर्म ज्वाइन करना - जैसी बातों ने संजीव सिंघल की उम्मीदवारी पर सवालिया निशान लगा दिया है । इन स्थितियों/बातों के चलते नॉर्दर्न रीजन में लोगों को अब यह भी लगने लगा है कि गिरीश आहुजा ने कहीं भविष्य का संकेत पढ़ कर ही तो संजय अग्रवाल की उम्मीदवारी को हरी झंडी नहीं दी/दिखाई है । तरह तरह की चर्चाओं में कौन सी बात सच होगी और कौन सिर्फ चर्चा तक ही सिमट कर रह जायेगी, यह तो बाद में स्पष्ट होगा - अभी लेकिन इन चर्चाओं ने संजीव सिंघल के लिए ऐसी मुसीबतें खड़ी कर दी हैं, जिनसे निपटना उनके लिए मुश्किल हो रहा है ।