Monday, August 3, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3110 में जोन्स निर्धारण के मामले को मुद्दा बना कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिनेश शुक्ला को दबाव में लेने की कोशिश में फजीहत का शिकार बनने से, आईएस तोमर खेमे के नेताओं ने वास्तव में अपनी ही कमजोरी को साबित किया है और अपनी मुश्किलों को बढ़ा लिया है

बरेली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन/चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए जोन्स के निर्धारण को लेकर अपनी शिकायत इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर कमल सांघवी तक पहुँचा कर आईएस तोमर खेमे के नेताओं ने अपनी अच्छी फजीहत करवा ली है - और इस तरह उक्त मामले में बबाल मचाना उनके लिए न सिर्फ निरर्थक साबित हुआ, बल्कि उनके गले की फाँस और बन गया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिनेश शुक्ला ने त्वरित गति से काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग बुला कर तथा उस मीटिंग में कमल सांघवी को भी आमंत्रित करके आईएस तोमर खेमे की मुहिम का बीच रास्ते में ही जिस तरह से दम निकाल दिया, उससे आईएस तोमर खेमे को खासा तगड़ा झटका लगा है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों का कहना है कि आईएस तोमर खेमे के लिए सारा मामला 'खाया-पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा बारह आना' टाइप का रहा है । इस पूरे मामले से आईएस तोमर खेमे की बौखलाहट और हताशा का भी डिस्ट्रिक्ट के आम और खास लोगों को आभास मिला है, तथा डिस्ट्रिक्ट में उनके विरोधियों को कहने का मौका मिला है कि यह पूरा प्रसंग डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई में आईएस तोमर खेमे का अभी से अपनी हार स्वीकारने जैसा बन  गया है ।
उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिनेश शुक्ला ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन/चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए जोन्स निर्धारित किए । आईएस तोमर खेमे के नेता लोग तुरंत सक्रिय हुए और उन्होंने घोषित निर्धारण को डिस्ट्रिक्ट बायलॉज के नियमों का उल्लंघन बताते हुए बबाल मचाना शुरू कर दिया और धड़ाधड़ जहाँ/तहाँ ईमेल लिखना/भेजना शुरू कर दिया । मामले को बड़ा बनाने के उद्देश्य से उन्होंने शिकायती ईमेल की कॉपी शेखर मेहता और कमल सांघवी को भी भेज दी । उन्हें उम्मीद थी कि शिकायत मिलते ही शेखर मेहता और कमल सांघवी तुरंत से दिनेश शुक्ला के कान उमेठेंगे और उनके द्वारा घोषित किए गए निर्धारण को रद्द करवा देंगे । दिनेश शुक्ला लेकिन तुरंत एक्शन में आ गए, और उन्होंने काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की जूम मीटिंग बुला ली, और मीटिंग में कमल सांघवी को भी शामिल होने के लिए राजी कर लिया । कमल सांघवी ने सभी की बातें सुन कर अपना पक्ष दिया कि पूर्व गवर्नर्स का काम सुझाव/सलाह देना है, और फैसला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को ही करना है - पूर्व गवर्नर्स अपनी कोई बात डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पर थोप नहीं सकते हैं । कमल सांघवी के यह कहने के साथ ही, आईएस तोमर खेमे की दिनेश शुक्ला को दबाव में लेने तथा जोन्स के निर्धारण की घोषणा को रद्द करवाने की सारी तैयारी की हवा निकल गई ।
इस मामले में दरअसल आईएस तोमर खेमे के नेताओं की बदनामी ने अहम् रोल निभाया । उल्लेखनीय है कि शेखर मेहता और कमल सांघवी कई मौकों पर डिस्ट्रिक्ट के नेताओं को 'सिर्फ और सिर्फ राजनीति करने के लिए' लताड़ चुके हैं । वास्तव में इसीलिए जोन्स के निर्धारण को लेकर आईएस तोमर खेमे के नेताओं की शिकायत को न शेखर मेहता ने कोई तवज्जो दी, और न कमल सांघवी ने उसे गंभीरता से लिया । आईएस तोमर खेमे के ही कुछेक वरिष्ठ सदस्यों का कहना है कि मामले में जिस तरह का उतावलापन तथा आक्रामकता दिखाई गई, उससे मामला बिगड़ गया - और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिनेश शुक्ला ने जिस तत्परता व होशियारी से मामले को अपने पक्ष में कर लिया, उससे लगता है कि उन्हें जोन्स निर्धारण के मामले में आईएस तोमर खेमे द्वारा बबाल करने का आभास था और उन्होंने उनके बबाल से निपटने के तरीके के बारे में पहले से सोचा हुआ था । पूरे प्रकरण से यह साबित हुआ कि आईएस तोमर खेमे के नेताओं के पास डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की राजनीति को लेकर कोई सुनियोजित योजना नहीं है, और वह सिर्फ शोरगुल मचा कर ही चुनाव जीतने की उम्मीद में हैं । मजे की बात यह है की कि खेमे के ही कुछेक नेताओं को लगता है कि इस वर्ष उनके लिए मौका अच्छा है - उनके उम्मीदवार के रूप में देवप्रिया उक्सा का पलड़ा सत्ता खेमे के उम्मीदवार विवेक गर्ग के मुकाबले भारी देखा/पहचाना जा रहा है, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट  के रूप में मुकेश सिंघल अपने गवर्नर वर्ष के पद बाँट कर वोट जुटाने की स्थिति में भी हैं; लेकिन एक व्यवस्थित रणनीति के अभाव में आईएस तोमर खेमे के सक्रिय नेता अनुकूल स्थितियों का लाभ उठा पाने में सक्षम नहीं दिख रहे हैं । जोन्स निर्धारण के मामले में, अपने ही बिछाये जाल में खुद ही फँस कर खेमे के नेताओं ने अपनी जो फजीहत करवाई है, उससे वास्तव में उन्होंने अपनी ही कमजोरी को जाहिर किया है ।