अलीगढ़ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मुकेश सिंघल को अपने जोन में ही फजीहत भरी 'हार' का सामना करना पड़ा है, जिसके चलते नोमीनेटिंग कमेटी के लिए उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे उनके 'आदमी' को उम्मीदवारी से पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा । मुकेश सिंघल की तरफ से इस हार के लिए पूर्व गवर्नर शैलेन्द्र कुमार राजु को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । मुकेश सिंघल के नजदीकियों का कहना है कि शैलेन्द्र कुमार राजु ने अलीगढ़ के रोटेरियंस को उकसा/भड़का कर उनके खिलाफ माहौल बनाया और ऐसे हालात बनाये कि उनके उम्मीदवार को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा । उल्लेखनीय है कि नोमीनेटिंग कमेटी लिए रोटरी क्लब अलीगढ़ से मधुप लहरी, रोटरी क्लब अलीगढ़ पर्ल से हरवंश सहाय तथा रोटरी क्लब अलीगढ़ मानसी से शशि पवार की उम्मीदवारी की तैयारी थी - लेकिन मुकेश सिंघल अपनी चौधराहट दिखाने/जताने के लिए अंबरीश गर्ग को उम्मीदवार बनाने की बात करने लगे । मुकेश सिंघल का तर्क रहा कि अन्य जो उम्मीदवार हैं, उन पर चूँकि राजनीतिक रूप से भरोसा नहीं किया जा सकता है इसलिए अंबरीश गर्ग उम्मीदवार होंगे । अंबरीश गर्ग उनके ही क्लब, रोटरी क्लब अलीगढ़ सिटी के सदस्य हैं । अंबरीश गर्ग की उम्मीदवारी को जोन पर जबर्दस्ती थोपने की मुकेश सिंघल की कोशिश पर जोन के क्लब्स में बबाल हो गया, और अलीगढ़ के क्लब्स के पदाधिकारियों ने साफ कह दिया कि मुकेश सिंघल की इस तरह की मनमानी तथा दादागिरी को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा ।
मुकेश सिंघल ने अपने कुछेक समर्थकों के जरिये इस बबाल के लिए पूर्व गवर्नर शैलेन्द्र कुमार राजु को जिम्मेदार बता/ठहरा कर बबाल को थामने तथा अपना काम बनाने की कोशिश की । उनकी तरफ से कहा गया कि अलीगढ़ क्षेत्र की राजनीति पर अपना कब्जा बनाए रखने के लिए शैलेन्द्र कुमार राजु तरह तरह से उन्हें कमजोर करने तथा 'दिखाने' का काम करते हैं, और इसीलिए वह अंबरीश गर्ग की उम्मीदवारी के खिलाफ अलीगढ़ के क्लब्स के पदाधिकारियों व नेताओं को उकसा/भड़का रहे हैं । मुकेश सिंघल को अपनी इस कोशिश का लेकिन कोई लाभ नहीं मिला - और अंततः उन्हें अंबरीश गर्ग की उम्मीदवारी वापस करवाने के लिए मजबूर होना पड़ा । जोन के क्लब्स के नेताओं की आपसी सहमति से शशि पवार अकेली उम्मीदवार बनी हैं । मजे की बात यह है कि मुकेश सिंघल ने नोमीनेटिंग कमेटी के लिए शशि पवार का रास्ता साफ हो जाने को विरोधी खेमे की जीत के रूप में व्याख्यायित किया है, और किसी का नाम लिए बिना कहा है कि खेमे के ही नेताओं के रवैये से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में 'हमें' नुकसान होता दिख रहा है । मुकेश सिंघल का कहना है कि शशि पवार का क्लब मुश्किल से आठ/दस सदस्यों का क्लब है, और इसलिए वह आसानी से सत्ता खेमे के साथ चला जायेगा । अन्य लोगों को भी लग रहा है कि अपने ही जोन में मुकेश सिंघल जब अपने 'आदमी' को नोमीनेटिंग कमेटी के लिए उम्मीदवार तक नहीं बना सके हैं, तो उनसे और कोई उम्मीद करना बेवकूफी ही होगी ।
मुकेश सिंघल के लिए यह झटका दरअसल इसलिए और भी बड़ा है, क्योंकि पिछले कुछ समय से वह अपने आप को अलीगढ़ के क्लब्स के नेता के रुप में प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहे थे, और यह दिखाने/जताने की कोशिश कर रहे थे कि अलीगढ़ के रोटेरियंस तो उनके इशारे पर काम करेंगे तथा अलीगढ़ में तो फैसले उनकी मर्जी से होंगे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की लाइन में लगने के साथ ही, मुकेश सिंघल ने हालाँकि डिस्ट्रिक्ट का नेता बनने की कोशिश की थी - लेकिन जल्दी ही उनकी समझ में आ गया कि डिस्ट्रिक्ट के नेता की पदवी के लिए वह बहुत पीछे हैं, इसलिए उन्होंने अलीगढ़ के नेता 'होने' पर ध्यान लगाया । उन्हें उम्मीद रही कि इससे वह शैलेन्द्र कुमार राजु से बड़े नेता हो जायेंगे; शैलेन्द्र कुमार राजु अभी अलीगढ़ क्षेत्र के नेता होने के नाते डिस्ट्रिक्ट में एक बड़े नेता बने हुए हैं । अलीगढ़ में मुकेश सिंघल के राजनीतिक उद्देश्य को जो झटका लगा है, उसे लेकर लोगों के बीच यह मतभेद जरूर है कि इसके पीछे सचमुच शैलेन्द्र कुमार राजु की कोई भूमिका है, या मामले में मुकेश सिंघल से मिस-हैंडलिंग हो गई है ।