Saturday, August 8, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए पंकज बिजल्वान का समर्थन करने वाले लोग उन्हें निष्क्रिय व सीन से गायब देख कर अब उनसे जिस तरह मुँह मोड़ते दिख रहे हैं, उससे लग रहा है कि इस वर्ष भी पंकज बिजल्वान की राह आसान नहीं होगी

देहरादून । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में पंकज बिजल्वान का अभी तीन/चार महीने पहले समर्थन करने वाले लोगों को अब अचानक से सुर/स्वर बदलते हुए सुना/देखा जा रहा है, और इससे पंकज बिजल्वान का रास्ता मुश्किल होता हुआ लग रहा है । उल्लेखनीय है कि तीन-चार महीने पहले सत्ता खेमे से जुड़े कई आम और खास लोगों ने पंकज बिजल्वान के लिए सहानुभूति और समर्थन दिखाना शुरू किया था, जिससे लगा था कि पंकज बिजल्वान ने सत्ता खेमे में अपनी पैठ बना ली है - और सत्ता खेमे के नेताओं का समर्थन भी वह अंततः प्राप्त कर लेंगे । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति पर निगाह रखने वाले नेताओं का मानना और कहना था कि पंकज बिजल्वान ने होशियारी दिखाते हुए सत्ता खेमे के नेताओं के नजदीकियों को अपने पक्ष में किया, और उनके जरिये नेताओं पर दबाव बनाने की कोशिश की । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में जितेंद्र चौहान का समर्थन करने के जरिये भी उन्होंने डिस्ट्रिक्ट के सत्ताधारियों तक पहुँचने की पगडंडी बनाई । पंकज बिजल्वान की कोशिशों को 'स्मार्ट राजनीतिक मूव' के रूप में देखा/पहचाना गया, और उनके विरोधियों को भी मानते तथा कहते हुआ सुना गया कि पंकज बिजल्वान को राजनीति करना आता है । हालाँकि कई लोगों का कहना यह भी है कि पंकज बिजल्वान को यदि सचमुच राजनीति करना आता, तो वह सेकेंड वाइस गवर्नर बनने के लिए अभी भी भटक नहीं रहे होते ! मानने को तो कोई भी यह नहीं मानेगा कि गौरव गर्ग तथा रजनीश गोयल में पंकज बिजल्वान से ज्यादा राजनीतिक कुशलता है और वह ज्यादा दाँवपेंच कर सकते हैं - लेकिन सच्चाई यह है कि यह दोनों डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की कुर्सी तक पहुँचने की लाइन में लग गए हैं, और पंकज बिजल्वान बेचारे उक्त लाइन में लगने के लिए अभी भी जुगाड़ खोज रहे हैं ।  
पंकज बिजल्वान को जानने व 'समझने' का दावा करने वालों का कहना है कि पंकज बिजल्वान को राजनीतिक दाँवपेंच तो आते हैं, लेकिन उन दाँवपेंचों में निरंतरता बनाये रखने तथा उन्हें उचित तरीके से क्रियान्वित करने का हुनर उनमें नहीं है - वास्तव में अपनी खूबियों को बढ़ाते और अपनी कमजोरियों को छिपाते हुए रास्ता बनाने की कला उन्हें नहीं आती है, और इसीलिए तमाम अनुकूलताओं के बावजूद वह अभी भी घाटे में हैं । उनकी तुलना में गौरव गर्ग और रजनीश गोयल ने अपनी अपनी खूबियों और कमजोरियों के बीच तालमेल बनाते हुए अपने अपने 'काम' आसानी से बना लिए । पंकज बिजल्वान जल्दी से संबंध तो बना लेते हैं, लेकिन संबंध में विश्वास नहीं बनाये रख पाते हैं - जिस कारण  संबंधों का फायदा नहीं ले पाते हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अश्वनी काम्बोज के साथ तीन वर्ष पहले, अश्वनी काम्बोज जब उम्मीदवार थे, उनके कैसे संबंध थे - और अब कैसे हैं, यह डिस्ट्रिक्ट में किसी से छिपी हुई बात नहीं है । यह बात भी हर किसी को पता व याद है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तथा पूर्व मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन विनय मित्तल पर पहले तो पंकज बिजल्वान ने इतना विश्वास दिखाया कि कोरे कागज पर अपने हस्ताक्षर करके कागज उन्हें दे दिया, लेकिन फिर जल्दी ही उस कागज के आधार पर ही उन्होंने विनय मित्तल को फँसाने की कोशिश की । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीवा अग्रवाल से पहले तो उन्होंने अच्छे संबंध बनाये, और फिर उनसे हुई एक बातचीत को टेप करके उसे सार्वजनिक करके उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश की । पंकज बिजल्वान ने वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश गोयल को पहले तो अपनी उम्मीदवारी का झंडा थमाया, और फिर उम्मीदवार के रूप में उन्हें कोई तवज्जो भी नहीं दी और उन पर पैसों में घपले करने तक के आरोप लगाए ।
अलग-अलग 'तरह' के लोगों से जुड़े इन कुछेक प्रसंगों से जाहिर है कि पंकज बिजल्वान ने विश्वास किसी पर नहीं किया, और हर किसी को सिर्फ इस्तेमाल ही करने की कोशिश की । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में भी, डिस्ट्रिक्ट की राजनीति के अपने 'साथियों' को छोड़ कर पंकज बिजल्वान ने जितेंद्र चौहान का समर्थन किया । माना/समझा गया था कि जितेंद्र चौहान के मार्फत वह वास्तव में डिस्ट्रिक्ट के सत्ताधारियों के नजदीक आने का तानाबाना बुन रहे हैं । जितेंद्र चौहान के लिए वोट जुटाने के बहाने से उन्होंने डिस्ट्रिक्ट के सत्ताधारियों के नजदीक आने के कुछेक मौके बनाये भी थे, लेकिन उन मौकों को लेकर वह निरंतरता नहीं बनाये रख सके । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति की चाबी रखने वाले सत्ता खेमे के नेताओं के नजदीकियों के बीच पैठ बना कर भी पंकज बिजल्वान ने अच्छी चाल चली थी; सत्ता खेमे के नेताओं के कुछेक नजदीकियों ने जिस तरह से पंकज बिजल्वान की तरफदारी करना शुरू किया था - उससे लगा था कि पंकज बिजल्वान अब की बार अन्य किसी के लिए कोई मौका जैसे नहीं छोड़ेंगे । लेकिन वही नजदीकी अब पंकज बिजल्वान को सीन से गायब देख कर कहते सुने जा रहे हैं कि पंकज बिजल्वान विश्वास करने योग्य व्यक्ति नहीं हैं । उधर पंकज बिजल्वान के नजदीकियों का कहना है कि अभी चूँकि डिस्ट्रिक्ट में कहीं कुछ हो ही नहीं रहा है, इसलिए पंकज बिजल्वान भी क्या करें - सो, वह भी चुप बैठे हैं । लोगों का कहना किंतु यह है कि डिस्ट्रिक्ट में अन्य किसी को कुछ पाना नहीं है, इसलिए वह यदि कुछ नहीं करते नजर आ रहे हैं तो उन्हें कोई नुकसान नहीं है - पंकज बिजल्वान को तो लेकिन सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनना है, इसलिए उनका सक्रिय न होना उन्हें चोट पहुँचा सकता है । 
पंकज बिजल्वान दरअसल इसलिए भी निश्चिंत हैं, क्योंकि अभी सत्ता खेमे के नेता भी किसी को आगे बढ़ाते नहीं दिख रहे हैं । पंकज बिजल्वान के कुछेक शुभचिंतकों को इसमें हालाँकि सत्ता खेमे के नेताओं की चाल भी दिखती है; उन्हें लगता है कि सत्ता खेमे के नेता जानबूझ कर अभी किसी को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं - क्योंकि वह देख रहे हैं कि इसके चलते पंकज बिजल्वान भी कुछ करने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं । सत्ता खेमे के नेताओं को लगता होगा कि पंकज बिजल्वान कुछ समय लोगों के बीच से गायब रहे, तो फिर अपने लिए हमदर्दी खो देंगे और चुनावी मुकाबले में टिक नहीं पायेंगे । अभी तीन/चार महीने पहले तक पंकज बिजल्वान का समर्थन करने वाले लोग अब जिस तरह से उनसे मुँह मोड़ते दिख रहे हैं, उससे लग रहा है कि पंकज बिजल्वान अपने खुद के दुश्मन बने हुए हैं, और वह खुद ही अपनी संभावनाओं को नष्ट कर रहे हैं ।