Wednesday, August 26, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में तरुण अग्रवाल और पीके जैन की उम्मीदवारी को एक साथ आगे बढ़ाने की जिस रणनीति के भरोसे विश्वदीप सिंह खेमे के नेता डिस्ट्रिक्ट की राजनीति पर छा जाने की उम्मीद लगाए हुए हैं, जितेंद्र चौहान खेमे के नेता उनकी उसी रणनीति में अपनी जीत देख रहे हैं


आगरा । विश्वदीप सिंह और उनके समर्थक गवर्नर्स ने तरुण अग्रवाल और पीके जैन की उम्मीदवारी के जरिये डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में जितेंद्र चौहान की राजनीति को 'घेरने' के लिए जाल तो अच्छा बिछाया है, लेकिन जितेंद्र चौहान खेमे के नेताओं का मानना और कहना है कि इस जाल में विश्वदीप सिंह तथा उनके समर्थक खुद ही फँसेंगे/गिरेंगे ।
 उल्लेखनीय है कि पिछले लायन वर्ष में सुनीता बंसल को 'रास्ते पर' लाने की मधु सिंह की योजना के अनुसार पहले उम्मीदवारी प्रस्तुत करने तथा फिर वापस ले लेने वाले तरुण अग्रवाल इस वर्ष विश्वदीप सिंह खेमे के समर्थन के भरोसे उम्मीदवार बने हैं, तो पीके जैन की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स नेताओं को भरोसा है कि विश्वदीप सिंह उनके साथ/समर्थन में रहेंगे । पीके जैन और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेता इस वर्ष आगरा से बाहर के उम्मीदवार को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जाने की वकालत कर रहे हैं, और उन्हें विश्वास है कि विश्वदीप सिंह उनका समर्थन करेंगे । पीके जैन की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों का तो दावा है कि पीके जैन वास्तव में विश्वदीप सिंह से हरी झंडी मिलने के बाद ही उम्मीदवार 'बने' हैं । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के संभावित उम्मीदवारों में चूँकि अकेले पीके जैन ही आगरा से बाहर के हैं, जिससे लगता है कि जितेंद्र चौहान खेमे के पास आगरा से बाहर कोई उम्मीदवार नहीं है - और ऐसे में, विश्वदीप सिंह तथा उनके साथी गवर्नर्स को लगता है कि वह सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के चुनाव में 'आगरा से बाहर के' मुद्दे पर जितेंद्र चौहान खेमे को आसानी से मात दे देंगे ।
विश्वदीप सिंह तथा उनके साथी गवर्नर्स को पीके जैन से बस एक ही बात का डर है, और वह यह कि पीके जैन एक उम्मीदवार के रूप में 'चुनावी जरूरतों' को पूरा कर सकेंगे या नहीं ? चुनावी जरूरतों को पूरा करने के मामले में पीके जैन के फेल होने की स्थिति के लिए विश्वदीप सिंह खेमे के नेताओं ने तरुण अग्रवाल को हवा दी हुई है । तरुण अग्रवाल चूँकि पारस अग्रवाल के क्लब के ही सदस्य हैं, और पारस अग्रवाल को जितेंद्र चौहान के सबसे नजदीकी सहयोगी के रूप में देखा/पहचाना जाता है - इसलिए तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी के जरिये विश्वदीप सिंह खेमे ने दरअसल जितेंद्र चौहान के समर्थन-आधार को तगड़ा झटका देने की तैयारी की है । माना/समझा जा रहा है कि इस तरह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में विश्वदीप सिंह तथा उनके साथी गवर्नर्स ने दोनों हाथों में लड्डू पकड़े हुए हैं, और उन्हें लग रहा है कि इसके चलते वह डिस्ट्रिक्ट में जितेंद्र चौहान की राजनीति पर लगाम कस लेंगे ।
जितेंद्र चौहान खेमे के नेता हालाँकि इसे विश्वदीप सिंह खेमे की खामख्याली ही मान/बता रहे हैं । उनका मानना और कहना है कि एक आगरा से और एक आगरा के बाहर उम्मीदवार 'बना' कर विश्वदीप सिंह खेमे के नेताओं ने जो जाल बिछाया है, उसमें वास्तव में वही फँसने वाले हैं । उनका तर्क है कि तरुण अग्रवाल और पीके जैन - दोनों को ही भरोसा है कि विश्वदीप सिंह तथा उनके साथी गवर्नर्स का सहयोग/समर्थन उन्हें मिलेगा, जबकि वास्तव में सहयोग/समर्थन तो किसी एक को ही मिलेगा; तब जिसके साथ धोखा होगा, वही विश्वदीप सिंह खेमे को उनके ही जाल में फँसायेगा ! उल्लेखनीय है कि पीके जैन पिछले दो/तीन वर्षों से उम्मीदवार होने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन आगरा के नंबर/अधिकार को देखते हुए पीछे हटते रहे - इसलिए अब की बार तो वह अपना पूरा अधिकार मान रहे हैं; दूसरी तरफ तरुण अग्रवाल पिछले लायन वर्ष में अपनी उम्मीदवारी के जरिये मधु सिंह के 'काम' आए थे - इसलिए उन्हें विश्वास है कि विश्वदीप सिंह खेमे के नेता इस बार उनका समर्थन करेंगे ही । ऐसे में, डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में मजेदार सीन यह बना है कि जिस रणनीति के भरोसे विश्वदीप सिंह खेमे के नेता डिस्ट्रिक्ट की राजनीति पर छा जाने की उम्मीद लगाए हुए हैं, जितेंद्र चौहान खेमे के नेता लेकिन उनकी उसी रणनीति में अपनी जीत देख रहे हैं ।