Wednesday, January 14, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की सेंट्रल काउंसिल के लिए वेस्टर्न रीजन से उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वास्ते यदि दुर्गेश बुच को राजी नहीं किया जा सका; और या पराग रावल की हार को सुनिश्चित करने की और कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी तो फिर सुनील तलति अपने बेटे अनिकेत तलति को सेंट्रल काउंसिल के लिए ही उम्मीदवार बनायेंगे

अहमदाबाद । सुनील तलति वडोदरा में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के लिए मनीष बक्षी की उम्मीदवारी को हरी झंडी मिलने की संभावना में रुकावट डालने का जो प्रयास कर रहे हैं, उसे लेकर वडोदरा के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच खासी नाराजगी है । उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2015 में होने वाले सेंट्रल काउंसिल के चुनाव के लिए वडोदरा में मनीष बक्षी को उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा है । इंस्टीट्यूट के चुनाव के संदर्भ में वडोदरा में यह दिलचस्प प्रथा है कि यहाँ उम्मीदवार का फैसला ब्रांच में आपसी विचार-विमर्श से होता है । इसी प्रथा के चलते सेंट्रल काउंसिल के लिए मनीष बक्षी के नाम की चर्चा है । मनीष बक्षी वडोदरा में सुनील तलति की फर्म तलति एण्ड तलति के पार्टनर हैं । इस नाते सुनील तलति को खुश होना चाहिए था कि उनके पार्टनर को इस लायक समझा जा रहा है और उनकी उम्मीदवारी को एक तरफा समर्थन मिल रहा है । सुनील तलति लेकिन खुश नहीं हैं । ऊपर से तो वह हालाँकि कुछ नहीं कह रहे हैं, लेकिन अंदरखाने उन्हें यह प्रयास करते हुए 'पाया' गया है कि मनीष बक्षी की उम्मीदवारी को वडोदरा में स्वीकृति न मिले । वडोदरा में जो कुछ लोग मनीष बक्षी की उम्मीदवारी के खिलाफ हैं, समझा जाता है कि सुनील तलति उन्हें हवा दे रहे हैं ताकि सेंट्रल काउंसिल के लिए मनीष बक्षी की उम्मीदवारी को हरी झंडी मिलने में फच्चर फँसे ।
सुनील तलति दरअसल अपने बेटे अनिकेत तलति को अगले चुनाव में सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार बनाना चाहते हैं । समस्या यह है कि उनकी फर्म के पार्टनर मनीष बक्षी यदि उम्मीदवार बनते हैं, तब फिर उनके बेटे के लिए उम्मीदवार बन सकने का रास्ता बंद हो जायेगा । एक ही फर्म से दो उम्मीदवार तो नहीं आयेंगे न ! अपने बेटे के लिए उम्मीदवार बन सकने का रास्ता खुला रखने के लिए ही सुनील तलति को मनीष बक्षी के उम्मीदवार बनने के रास्ते को बंद करने की जरूरत आ पड़ी है । वडोदरा में वास्तव में इसलिए ही सुनील तलति द्धारा पर्दे के पीछे से किए जा रहे हस्तक्षेप को लेकर नाराजगी है । लोगों को इस बात पर खासा ऐतराज है कि पुत्र-मोह में सुनील तलति इतने स्वार्थी कैसे हो सकते हैं कि एक शहर/एक ब्रांच की अच्छी-भली प्रथा को डिस्टर्ब करने का काम करने लगें । लोगों का कहना है कि सुनील तलति अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य के बारे में चिंता करें और अपने बेटे का भविष्य बनाने का प्रयास करें, इसमें कुछ भी गलत या अस्वाभाविक नहीं है; लेकिन ऐसा करते हुए उन्हें अपने पार्टनर की भावनाओं के तथा एक शहर/एक ब्रांच की प्रथा के खिलाफ कोई षड्यंत्र नहीं करना चाहिए । लोगों का कहना है कि सुनील तलति इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट रह चुके हैं, इस नाते से उनसे बड़ी सोच रखने की और बड़प्पन दिखाने की उम्मीद की जाती है ।
सुनील तलति की अपने बेटे अनिकेत तलति को सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार बनाने की कोशिशों को लेकर अहमदाबाद में भी असंतोष सा है । अहमदाबाद में इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में सुनील तलति का जो खेमा माना/पहचाना जाता है, उस खेमे से सेंट्रल काउंसिल के लिए पराग रावल की उम्मीदवारी के प्रस्तुत होने की तैयारी है । दूसरे खेमे के उम्मीदवार के रूप में दीनल शाह तीसरी बार उम्मीदवार बनेंगे ही । पराग रावल पिछले दो टर्म से रीजनल काउंसिल में हैं, और उनकी सक्रियता व लोगों के बीच उनकी स्वीकार्यता को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि अबकी बार सेंट्रल काउंसिल में अहमदाबाद के दो लोग जा सकते हैं । लेकिन अनिकेत तलति के उम्मीदवार होने की स्थिति में खेमे में फूट पड़ेगी और उससे पराग रावल की जीतने की संभावना पर प्रतिकूल असर पड़ेगा । अनिकेत तलति अभी अहमदाबाद ब्रांच के चेयरमैन पद पर हैं । उनके ही कई एक नजदीकियों का मानना और कहना है कि उन्हें पहले रीजनल काउंसिल में आना चाहिए और अपने अनुभवों का विस्तार करना चाहिए और फिर सेंट्रल काउंसिल में आने के बारे में सोचना चाहिए । उनके कुछेक नजदीकियों का कहना है कि लेकिन सुनील तलति अपने बेटे को जल्दी से जल्दी सेंट्रल काउंसिल में देखना चाहते हैं । नजदीकियों के अनुसार, सुनील तलति चाहते हैं कि उनका बेटा जल्दी से सेंट्रल काउंसिल में आए, ताकि जल्दी से प्रेसीडेंट बने और फिर इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति से फारिग होकर अपने काम-धंधे में लगे ।
सुनील तलति भी समझ रहे हैं कि पराग रावल के साथ साथ उनके बेटे अनिकेत तलति की भी उम्मीदवारी यदि आती है, तो बहुत संभव है कि दोनों में से कोई भी न जीते । इसके बावजूद वह अनिकेत तलति की उम्मीदवारी को प्रस्तुत करने के लिए तैयार हैं । दरअसल उन्हें डर है कि पराग रावल यदि जीत गए, तब फिर अनिकेत तलति को नौ वर्ष इंतजार करना पड़ेगा । अब नौ वर्ष बाद क्या स्थिति होगी, यह आज/अभी कौन जानता है ? अहमदाबाद में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच चर्चा यही है कि इस बार हार जाने की सुनिश्चितता के बावजूद सुनील तलति अपने बेटे को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं तो इसके पीछे उनकी सोच यही है कि इस बार हार जाने के बाद पराग रावल अगली बार तो उम्मीदवार बनेंगे नहीं; दूसरे खेमे से भी कोई नया उम्मीदवार आयेगा और तब उनके बेटे अनिकेत तलति के लिए सेंट्रल काउंसिल में प्रवेश पाने के लिए अच्छा मौका होगा । इस 'सोच' को फलीभूत करवाने के लिए सुनील तलति के नजदीकियों ने हालाँकि उन्हें एक और फार्मूला सुझाया है और वह यह कि अनिकेत तलति को अबकी बार रीजनल का चुनाव लड़वाओ और पराग रावल को सेंट्रल काउंसिल का चुनाव हरवाओ; उसके बाद अगली बार अनिकेत तलति के लिए सेंट्रल काउंसिल में प्रवेश का मौका बनाओ । पराग रावल की हार को सुनिश्चित करने के लिए दुर्गेश बुच को उम्मीदवार बनाओ/बनवाओ ।
दुर्गेश बुच पीछे दो बार सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार बन चुके हैं, और दोनों ही बार असफल रहे । दुर्गेश बुच ऐलान कर चुके हैं कि अब आगे वह अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत नहीं करेंगे । सुनील तलति को फार्मूला सुझाने वाले लोगों का कहना लेकिन यह है कि दुर्गेश बुच ने ऐलान भले ही कर दिया हो, किंतु उन्हें यदि थोड़ा उकसाया जायेगा तो फिर वह अपनी उम्मीदवारी के लिए तैयार हो जायेंगे । इनका तर्क है कि 2012 के लिए भी पहले वह अपनी उम्मीदवारी की संभावना से इंकार करते थे, किंतु फिर बाद में उम्मीदवार बने न ! लोगों का कहना है कि सुनील तलति इस फार्मूले पर सहमत तो हैं, लेकिन वह आश्वस्त हो लेना चाहते हैं कि दुर्गेश बुच की उम्मीदवारी सचमुच आयेगी भी । इसीलिए तलति पिता-पुत्र की तरफ से यह अभी तक तय नहीं हो रहा है कि अनिकेत तलति की उम्मीदवारी रीजनल काउंसिल के लिए आएगी और या सेंट्रल काउंसिल के लिए । यह हालाँकि तय माना जा रहा है कि दुर्गेश बुच को यदि उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए राजी नहीं किया जा सका; और या पराग रावल की हार को सुनिश्चित करने की और कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी तो फिर अनिकेत तलति खुद मोर्चा संभालेंगे और सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे ।
इसके लिए लेकिन मनीष बक्षी की उम्मीदवारी को संभव होने से रोकना जरूरी है । मनीष बक्षी की उम्मीदवारी के प्रस्तुत होने की स्थिति में सुनील तलति की अपने बेटे को लेकर बनाई जा रही सारी योजना पर पानी ही फिर जायेगा । मनीष बक्षी की उम्मीदवारी के प्रस्तुत होने की स्थिति में अनिकेत तलति की उम्मीदवारी की तो फिर बात ही खत्म हो जाएगी । एक समस्या और है - सुनील तलति को जो डर पराग रावल की जीत से है, वही डर मनीष बक्षी की जीत से भी है । मनीष बक्षी यदि जीत गए तब भी तो अनिकेत तलति के लिए नौ वर्ष के लिए मौका गया । सुनील तलति इसीलिए वडोदरा में चक्कर चला रहे हैं कि मनीष बक्षी की उम्मीदवारी को वहाँ हरी झंडी मिले ही न । सुनील तलति के इस चक्कर ने लेकिन वडोदरा के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को नाराज कर दिया है । सुनील तलति की मजबूरी है कि अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य के लिए उन्हें यह सब करना ही होगा, उससे कोई नाराज होता हो तो होता रहे !