Thursday, January 15, 2015

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल में सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट पद की उम्मीदवारी के लिए अपनाई गई नरेश अग्रवाल की तरकीब की तर्ज पर ही वीके हंस और सुनील निगम ने मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में काउंसिल चेयरमैन पद के लिए वोट 'बेच' कर लायनिज्म की सेवा करने का फार्मूला निकाला

नई दिल्ली । वीके हंस और सुनील निगम ने साठ लाख रुपये में मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के काउंसिल चेयरमैन पद का ऑफर देकर मल्टीपल की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी पैदा कर दी है । वीके हंस डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में और सुनील निगम डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं; इनका दावा है कि इन्हें चार और फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का समर्थन प्राप्त है; और इस तरह यह दस में से छह वोट का ग्रुप बनाते हैं । इनका कहना है कि छह वोट किसी को भी मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बना सकते हैं । इस आधार पर, प्रत्येक फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के लिए दस दस लाख रुपये के हिसाब से इन्होंने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की कीमत तय कर दी है । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में महँगे गिफ्ट्स के साथ साथ नगद पैसों के लेन-देन की बातें पहले भी सुनी गईं हैं, और यह बात आम चर्चा में रही है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में वोट खरीदे बेचे जाते हैं; लेकिन संगठित रूप से 'वोट बेचने की दुकान' पहली बार खुली है । इस दुकान के प्रोप्राइटर वीके हंस और सुनील निगम बताये गए हैं । इन दोनों में एक मजेदार किस्म की समानता यह है कि यह दोनों तीसरी बार की कोशिश में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की लाइन में आ पाए हैं और अपने अपने डिस्ट्रिक्ट में एक खेमे के नेताओं से दूसरे खेमे के नेताओं के बीच आवाजाही करते रहे हैं ।
वीके हंस और सुनील निगम के नजदीकियों ने इनके हवाले से दावा किया है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के राजीव मित्तल ने तथा डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू के अंबरीश सरीन ने इनके इस ऑफर में दिलचस्पी दिखाई है । इन दोनों को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के महत्वाकांक्षी उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है । अपनी अपनी तरह से इन्होंने 'वोटरों' के बीच पैठ बनाने की कोशिश तो की है, लेकिन अपनी कोशिशें अभी तक इन्हें चूँकि खुद ही आश्वस्त करती हुई नहीं दिखी हैं इसलिए छह वोट एक साथ मिलने वाला ऑफर इन्हें सुविधाजनक लगा होगा । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के उत्सुक उम्मीदवारों में डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के सुनील जैन और डिस्ट्रिक्ट 321 डी के परमजीत सिंह चावला को भी देखा/पहचाना जाता रहा है । सुनील जैन अपने डिस्ट्रिक्ट में अलग-थलग पड़ जाने के कारण अपनी उम्मीदवारी को लेकर सुस्त पड़ते दिख रहे हैं, और परमजीत सिंह चावला मल्टीपल की लीडरशिप के भरोसे होने के कारण कुछ करने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं । कुछ भी हो, लेकिन 'दुकान खुलते ही ग्राहक आने लगे' वाली स्थिति से प्रोप्राइटर लोग खासे उत्साहित हैं ।
वीके हंस और सुनील निगम ने होशियारी यह की है कि उनकी यह 'दुकान' नेक उद्देश्य से प्रेरित दिखे, इसके लिए उन्होंने तर्क दिया है कि दस लाख रुपये पाने वाला फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अगले लायन वर्ष के अपने गवर्नर-काल में यह रकम प्रोजेक्ट्स में खर्च करेगा । मजेदार बात यह हुई है कि इन्होंने लोगों को कहा/बताया है कि यह 'ऑफर' आयोजित करने की प्रेरणा इन्हें सेकेंड इंटरनेशनल वाइस प्रेसीडेंट पद के उम्मीदवार नरेश अग्रवाल से मिली है । उल्लेखनीय है कि नरेश अग्रवाल ने अपने कैम्पेन के लिए पैसा इकठ्ठा करने के लिए तरह तरह की स्कीमें चलाई हुई हैं । तरह तरह की स्कीमों से पैसा इकठ्ठा करने की उनकी तिकड़मों को लायनिज्म की सेवा के रूप में प्रचारित किया जा रहा है; और उनके 'शिकार' ऐसे लोग हैं जो महत्वाकांक्षी हैं तथा कोई न कोई पद चाहते हैं । नरेश अग्रवाल की तर्ज पर ही वीके हंस और सुनील निगम ने चार अन्य फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का साथ लेकर लायनिज्म की सेवा का बीड़ा उठाया और शिकार के रूप में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने की इच्छा रखने वालों को पहचाना है ।
नरेश अग्रवाल ने सेकेंड इंटरनेशनल वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव की आड़ में लोगों से पैसे ऐंठने की तरकीब निकाली, तो उनसे प्रेरणा लेकर फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का साथ लेकर वीके हंस और सुनील निगम ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए वोट 'बेच' कर लायनिज्म की सेवा करने का फार्मूला निकाल लिया है । उनके इस फार्मूले ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनावी परिदृश्य को खासा रोचक बना दिया है ।