Sunday, January 4, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की चुनावी राजनीति में मनोज फडनिस की विरासत सँभालने की तैयारी में असीम त्रिवेदी की सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत होने वाली उम्मीदवारी की आहट ने विकास जैन को तगड़ा झटका दिया है; हालाँकि विकास जैन को विश्वास है कि मनोज फडनिस उनके साथ धोखा नहीं करेंगे

इंदौर । मनोज फडनिस द्धारा इंस्टीट्यूट की अपनी राजनीतिक विरासत असीम त्रिवेदी को सौंपे जाने की आहट ने विकास जैन के समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच खलबली मचा दी है और सेंट्रल काउंसिल का चुनाव लड़ने की विकास जैन की तैयारी के सामने संकट खड़ा कर दिया है । यह खलबली मचना स्वाभाविक भी है । क्योंकि अभी तक विकास जैन को इंस्टीट्यूट की राजनीति में मनोज फडनिस के उत्तराधिकारी के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था । मजे की बात यह है कि मनोज फडनिस ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं कहा है, जिससे ऐसा लगे कि वह विकास जैन को अपनी विरासत सौंपने की तैयारी कर रहे हैं । हुआ सिर्फ यह है कि पिछले कुछेक वर्षों में मनोज फडनिस कई मौकों पर विकास जैन को तवज्जो देते हुए तथा उन्हें आगे बढ़ाते हुए देखे गए हैं, जिससे इंदौर में लोगों के बीच इस चर्चा को बल मिला कि मनोज फडनिस इंस्टीट्यूट की राजनीति में अपनी विरासत विकास जैन को सौंपने की तैयारी कर रहे हैं । इंदौर के लोगों के बीच यह हवा बनाने में विकास जैन और उनके समर्थकों व शुभचिंतकों ने सुनियोजित तरीके से प्रयास भी किया ।
इंदौर में कई लोगों का हालाँकि यह भी मानना और कहना रहा है कि मनोज फडनिस और विकास जैन ने वास्तव में एक दूसरे को अपने अपने हित में इस्तेमाल किया है और एक-दूसरे से फायदे उठाए हैं । कई लोगों को लगता है कि इंस्टीट्यूट की राजनीति में विकास जैन ने जो सफलता प्राप्त की है, वह मनोज फडनिस के सहयोग व समर्थन के भरोसे पाई है; लेकिन कई अन्य लोगों का मानना और कहना है कि विकास जैन ने जो कुछ भी पाया है वह अपनी मेहनत और सक्रियता के बल पर पाया है - मनोज फडनिस से उन्हें जो सहयोग व समर्थन मिला है, उसे उन्होंने अपने कौशल से ही हासिल किया है, मनोज फडनिस ने उन पर कोई अहसान नहीं किया है । इन्हीं लोगों का कहना है कि पिछले चुनाव से पहले अपनी हालत को पतली पाते हुए मनोज फडनिस ने विकास जैन को अपने साथ करने का जो काम किया था, उसमें विकास जैन की सक्रियता से फायदा उठाने का उनका उद्देश्य था । मनोज फडनिस ने तो इंदौर में खिसकती अपनी चुनावी जमीन को बचाने के लिए विकास जैन का हाथ पकड़ा; तो विकास जैन को अपनी चुनावी जमीन को फैलाने के लिए मनोज फडनिस का हाथ पकड़ना लाभ का सौदा लगा ।
इसी से हवा बनी कि इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में मनोज फडनिस ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में विकास जैन को चुन लिया है । इस हवा को और सघन बनाने तथा फैलाने में विकास जैन तथा उनके समर्थकों ने भी हाथ बँटाया और एक बड़ा सा गुब्बारा फुला लिया ।
किंतु असीम त्रिवेदी के नाम की चर्चा ने इस गुब्बारे में पिन चुभोने का काम किया है । असीम त्रिवेदी इंदौर में सीए कोचिंग के धंधे में एक बड़ा नाम है और इस नाम के चलते पिछले दस-बारह वर्षों में चार्टर्ड एकाउंटेंट बने लोगों के बीच उनके लिए अच्छा सम्मान है, जो उनके उम्मीदवार होने पर समर्थन व वोट में बदल सकता है । असीम त्रिवेदी की पिछले दिनों की गतिविधियों से लोगों को यह आभास भी मिला है कि वह अपने लिए अब एक बड़ी भूमिका की तलाश में हैं । सीए कोचिंग के धंधे में उनको जो मिल सकता था, वह लगता है कि उन्होंने पा लिया है; और अब वह बड़े फलक पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना चाहते हैं । इसी उद्देश्य से पिछले दिनों रीजन की ब्रांचेज से उन्होंने स्पीकर के निमंत्रणों को जुटाया और वहाँ उन्होंने अपनी विद्धता के साथ साथ एक प्रभावी स्पीकर होने की छाप भी छोड़ी । असीम त्रिवेदी की इन गतिविधियों से लोगों को यह आभास तो मिला कि असीम त्रिवेदी कुछ ऊँचा उड़ने की फिराक में है, लेकिन यह ऊँचा उड़ना सेंट्रल काउंसिल का चुनाव लड़ने के रूप में सामने आएगा - यह किसी ने नहीं सोचा था ।
मनोज फडनिस की विरासत सँभालने की तैयारी में असीम त्रिवेदी की सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत होने वाली उम्मीदवारी की आहट ने विकास जैन को तगड़ा झटका दिया है । विकास जैन के समर्थक हालाँकि अभी भी यह मानने से इंकार कर रहे हैं कि असीम त्रिवेदी सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार बनेंगे । उनका तर्क है कि असीम त्रिवेदी को चुनावी राजनीति का कोई अनुभव नहीं है और इसलिए सीधे सेंट्रल काउंसिल का चुनाव लड़ना उनके बस की बात नहीं होगी । विकास जैन के समर्थकों को यह भी विश्वास है कि सेंट्रल काउंसिल के लिए असीम त्रिवेदी को ला कर मनोज फडनिस, विकास जैन के साथ धोखा नहीं करेंगे । विकास जैन के कुछेक शुभचिंतक मनोज फडनिस और असीम त्रिवेदी पर दबाव बना कर उनकी संभावित उम्मीदवारी को टलवाने के अभियान में भी जुट गए हैं । उन्हें दरअसल पता है कि असीम त्रिवेदी की उम्मीदवारी यदि सचमुच में प्रस्तुत हो गई तो विकास जैन का तो सारा खेल ही बिगड़ जायेगा । असीम त्रिवेदी की संभावित उम्मीदवारी की आहट ने राजेश सेलोट और केमिशा सोनी के समर्थकों को खासा उत्साहित किया है । उल्लेखनीय है कि सेंट्रल काउंसिल के लिए इन दोनों की उम्मीदवारी भी प्रस्तुत होने की संभावना व्यक्त की जा रही है । इनके समर्थकों को लगता है कि असीम त्रिवेदी की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने से चुनावी मुकाबला चौकोणीय हो जायेगा और चौकोणीय मुकाबले में इनके लिए अपनी अपनी दाल गलाना आसान हो जायेगा ।
असीम त्रिवेदी की उम्मीदवारी की आहट ने इंदौर में इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में अभी जो गर्मी पैदा कर दी है, यह देखना दिलचस्प होगा कि वह आगे भी बनी रहती है या विकास जैन के समर्थकों का यह दावा सच साबित होगा कि असीम त्रिवेदी इंदौर में लोकप्रिय चाहें जितने भी हों, किंतु अनुभव की कमी के चलते सेंट्रल काउंसिल का चुनाव लड़ना उनके बस की बात नहीं होगी ।