नई दिल्ली । सुशील गुप्ता - पूर्व
इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता भी
गजब तमाशा करते हैं : अपना 'घर' सँभालने की वह कोई कोशिश करते नहीं दिख
रहे, लेकिन दूसरों का 'घर' सँभालने की वह बड़ी फिक्र कर रहे हैं ।
सुशील गुप्ता 9 जनवरी को डिस्ट्रिक्ट 3100 की काउंसिल
(ऑफ गवर्नर्स) के साथ मीटिंग करने जा रहे हैं, जिसमें वह डिस्ट्रिक्ट 3100
के झगड़ों-टंटों से बचने के उपाय बतायेंगे । रोटरी में यह एक आम समझ है कि क्लब्स में और डिस्ट्रिक्ट्स में लोग बहुत झगड़े-टंटे करते हैं, जिससे रोटरी की बहुत बदनामी होती है । डिस्ट्रिक्ट 3100 का मामला लेकिन यह बताता है कि रोटरी में झगड़े रोटरी के बड़े नेताओं द्धारा समय पर फैसला न लेने, उनकी पक्षपाती भूमिका और कई बार तो विरोधाभासी व मूर्खतापूर्ण तरीके से फैसले करने के कारण होते और बढ़ते हैं ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 में पिछले वर्ष 'हुए' डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के कारण डिस्ट्रिक्ट में बड़ा फजीता हुआ; प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवारों ने दूसरे की शिकायतें कीं और इसके कारण डिस्ट्रिक्ट की बड़ी किरकिरी हुई । यह फजीता हुआ क्यों - इसे जानने/समझने के लिए घटनाक्रम को सिलसिलेबार देखना उपयोगी होगा : डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए दो उम्मीदवार सामने आये - दीपक बाबू और दिवाकर अग्रवाल । इनके नामांकन आधिकारिक रूप से स्वीकार होते, उससे पहले दीपक बाबू ने दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को लेकर शिकायत दर्ज की । उनकी शिकायत थी कि दिवाकर अग्रवाल ने चूँकि डिस्ट्रिक्ट टीम में पद लिया है और डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में उनका नाम-पता-फोटो छपा है, इसलिए उनकी उम्मीदवारी स्वीकार नहीं करना चाहिए । दिल्ली स्थित रोटरी इंटरनेशनल के साउथ एशिया ऑफिस ने इस शिकायत पर लेकिन कई हफ्तों तक फैसला ही नहीं लिया । इसका नतीजा यह हुआ कि डिस्ट्रिक्ट में आरोपों-प्रत्यारोपों का सिलसिला शुरू हुआ और तत्कालीन गवर्नर राकेश सिंघल की भारी फजीहत हुई । फैसला लेने में अनावश्यक देर न लगती तो यह सब न हुआ होता । देर से हुए फैसले में दीपक बाबू की शिकायत को खारिज कर दिया गया - लेकिन तब तक दोनों तरफ के लोगों में इस हद तक तलवारें तन चुकी थीं कि दीपक बाबू ने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी ।