नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना अधिकृत
उम्मीदवा(रों) का चयन गुप्त मतदान से कराने की माँग को लेकर खासे असमंजस
में हैं । उनका असमंजस चुनाव कमेटी के सदस्य मुकेश अरनेजा के कारण है । संजय
खन्ना के नजदीकियों का कहना है कि चुनाव कमेटी के सदस्य के रूप में मुकेश
अरनेजा का जो रवैया रहा है, उसे देखते हुए संजय खन्ना को डर है कि गुप्त
मतदान की बात पर मुकेश अरनेजा बखेड़ा खड़ा कर सकते हैं और फिर नाहक ही फजीता
होगा । मजे की बात यह है कि अधिकृत उम्मीदवारों का चयन करने के लिए
गुप्त मतदान की जो माँग उठी है, उसके लिए भी मुकेश अरनेजा एण्ड कंपनी को ही
जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । स्वाभाविक है कि जो समस्या मुकेश अरनेजा ने
ही पैदा की है, उस समस्या को हल करने का प्रयास मुकेश अरनेजा भला क्यों सफल
होने देंगे ? संजय खन्ना के लिए चुनौती की बात यह है कि वह अधिकृत उम्मीदवा(रों) का चयन निष्पक्ष तरीके से कैसे
करवाएँ ? अधिकृत उम्मीदवा(रों) का चयन निष्पक्ष तरीके से करवाने के लिए ही
गुप्त मतदान की माँग की जा रही है । यह माँग चूँकि नोमीनेटिंग कमेटी के लिए
आने वाले वरिष्ठ रोटेरियंस की तरफ से आई है, इसलिए इस माँग का महत्व खासा
बढ़ जाता है ।
नोमीनेटिंग कमेटी के लिए जिन रोटेरियंस के नाम गए
हैं, वह शरत जैन और दीपक गुप्ता के बीच होने वाले चुनाव के संदर्भ में
अरनेजा गिरोह के रवैये के चलते अपने आप को खासा फँसा हुआ पा रहे हैं । अरनेजा
गिरोह के नेताओं - खासकर मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की तरफ से
नोमीनेटिंग कमेटी के लिए चुने गए सदस्यों पर दबाव बनाया गया है कि उन्होंने
यदि शरत जैन को नहीं चुना तो फिर उनसे 'बदला' लिया जायेगा ।
डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए शरत जैन को
चुनवाना/जितवाना इन दोनों को अपनी चौधराहट को बनाये रखने के लिए जरूरी लगता
है; और इसके लिए यह कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं ।
इस संबंध में दिलचस्प उदाहरण रोटरी क्लब दिल्ली रिवरसाइड का है । रोटरी क्लब दिल्ली रिवरसाइड ने पिछले दिनों पेम थर्ड का आयोजन किया था, जिसमें रमेश अग्रवाल ने कई तरह की बेहूदगियाँ कीं और क्लब के लोगों को तरह तरह से परेशान और बेइज्जत किया । इस कारण से क्लब के लोगों में रमेश अग्रवाल के प्रति बेहद नाराजगी है और वह जान/समझ रहे हैं कि शरत जैन की उम्मीदवारी का समर्थन करने का मतलब रमेश अग्रवाल के हाथों और परेशान व बेइज्जत होने का अवसर बनाना होगा - लेकिन रमेश अग्रवाल की धमकी के चलते खुलेआम शरत जैन की उम्मीदवारी की खिलाफत करने का वह साहस नहीं कर पा रहे हैं । क्लब के वरिष्ठ सदस्य सतीश गुप्ता के सुपुत्र मोहित गुप्ता, रमेश अग्रवाल के क्लब में सेक्रेटरी हैं और अध्यक्ष बनने की लाइन में हैं । रमेश अग्रवाल ने धमकी दी हुई है कि रिवरसाइड ने यदि कोई गड़बड़ की, तो वह मोहित गुप्ता को अध्यक्ष नहीं बनने देंगे । मोहित गुप्ता के अध्यक्ष बनने की प्रक्रिया में रमेश अग्रवाल पहले भी एक बार टाँग अड़ा चुके हैं, जिसके कारण अध्यक्ष बनने की लाइन में लगने के लिए मोहित गुप्ता को इस वर्ष दोबारा सेक्रेटरी बनना पड़ा है । इसके आलावा, दिल्ली रिवरसाइड के मनोज लांबा अगले से अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार बनने की तैयारी में हैं, इसलिए भी क्लब के लोग अरनेजा गिरोह के साथ खुलेआम पंगा लेने से बचना चाहते हैं और रमेश अग्रवाल के हाथों बुरी तरह बेइज्जत होने के बाद भी शरत जैन से दूर नहीं 'दिखना' चाहते हैं ।
इस संबंध में दिलचस्प उदाहरण रोटरी क्लब दिल्ली रिवरसाइड का है । रोटरी क्लब दिल्ली रिवरसाइड ने पिछले दिनों पेम थर्ड का आयोजन किया था, जिसमें रमेश अग्रवाल ने कई तरह की बेहूदगियाँ कीं और क्लब के लोगों को तरह तरह से परेशान और बेइज्जत किया । इस कारण से क्लब के लोगों में रमेश अग्रवाल के प्रति बेहद नाराजगी है और वह जान/समझ रहे हैं कि शरत जैन की उम्मीदवारी का समर्थन करने का मतलब रमेश अग्रवाल के हाथों और परेशान व बेइज्जत होने का अवसर बनाना होगा - लेकिन रमेश अग्रवाल की धमकी के चलते खुलेआम शरत जैन की उम्मीदवारी की खिलाफत करने का वह साहस नहीं कर पा रहे हैं । क्लब के वरिष्ठ सदस्य सतीश गुप्ता के सुपुत्र मोहित गुप्ता, रमेश अग्रवाल के क्लब में सेक्रेटरी हैं और अध्यक्ष बनने की लाइन में हैं । रमेश अग्रवाल ने धमकी दी हुई है कि रिवरसाइड ने यदि कोई गड़बड़ की, तो वह मोहित गुप्ता को अध्यक्ष नहीं बनने देंगे । मोहित गुप्ता के अध्यक्ष बनने की प्रक्रिया में रमेश अग्रवाल पहले भी एक बार टाँग अड़ा चुके हैं, जिसके कारण अध्यक्ष बनने की लाइन में लगने के लिए मोहित गुप्ता को इस वर्ष दोबारा सेक्रेटरी बनना पड़ा है । इसके आलावा, दिल्ली रिवरसाइड के मनोज लांबा अगले से अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार बनने की तैयारी में हैं, इसलिए भी क्लब के लोग अरनेजा गिरोह के साथ खुलेआम पंगा लेने से बचना चाहते हैं और रमेश अग्रवाल के हाथों बुरी तरह बेइज्जत होने के बाद भी शरत जैन से दूर नहीं 'दिखना' चाहते हैं ।
शरत जैन को समर्थन दिलवाने के लिए अरनेजा गिरोह के नेताओं ने इसी तरह के हथकंडे अपनाए हुए हैं - जिसके
चलते नोमीनेटिंग कमेटी के लिए चुने गए सदस्य अपने आप को फँसा हुआ पा रहे
हैं और माँग कर रहे हैं कि अधिकृत उम्मीदवा(रों) को चुनने के लिए गुप्त
मतदान कराया जाये, जिससे कि यह पता न चल सके कि किसने किस का समर्थन किया
है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए शरत जैन और
दीपक गुप्ता के बीच होने वाले चुनाव का एक दिलचस्प पहलू यह बना है कि शरत
जैन जहाँ पूरी तरह मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की तिकड़मों के भरोसे हैं,
वहाँ दीपक गुप्ता ने अपनी मेहनत और अपने व्यवहार से लोगों के बीच अपनी पैठ बनाई है । शरत जैन की जीत में लोगों को मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की चौधराहट के बने रहने तथा उस चौधराहट का शिकार बने रहने का भय है, जबकि दीपक गुप्ता की जीत लोगों को अपनी जीत की तरह दिख रही है ।
यहाँ संजय खन्ना और रवि चौधरी के बीच हुए चुनाव को याद करना प्रासंगिक
होगा, जिसमें संजय खन्ना की जीत को लोगों ने अपनी जीत के रूप में देखा था;
और संजय खन्ना की जीत को संभव बनाने में लगे लोगों ने यह महसूस नहीं किया था कि उन्होंने
रवि चौधरी को हराया है - उन्होंने बल्कि महसूस यह किया था कि उन्होंने
डिस्ट्रिक्ट को अरनेजा गिरोह के हाथों बदहाल होने से बचाया है । ठीक वैसा
ही माहौल इस बार भी दिख रहा है - जो लोग दीपक गुप्ता के पक्ष में नजर आ रहे
हैं, उनका साफ कहना है कि शरत जैन की खिलाफत वह सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह जान/समझ रहे हैं कि शरत जैन के जीतने का मतलब मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की हरकतों को बढ़ावा देना ही होगा; क्योंकि शरत जैन तो रमेश अग्रवाल के पीछे ही खड़े दिखेंगे और एक कठपुतली गवर्नर ही होंगे और डिस्ट्रिक्ट पर असली शासन रमेश अग्रवाल व मुकेश अरनेजा का ही होगा । एक नए
बने डिस्ट्रिक्ट में अच्छा माहौल बने और किसी को भी रमेश अग्रवाल व मुकेश
अरनेजा के हाथों बेइज्जत न होना पड़े - इसके लिए लोगों को दीपक गुप्ता को
जिताना जरूरी लग रहा है । किंतु इस जरूरत को पूरा करने के लिए आवश्यक है कि
चुनाव निष्पक्ष तरीके से हों - और इसीलिए नोमीनेटिंग कमेटी में गुप्त
मतदान की माँग की जा रही है ।