Saturday, January 17, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में शॉपिंग वेबसाइट बाबुमोशाय के लॉन्चिंग समारोह की सफलता और उस समारोह के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के चुनाव के संदर्भ में दीपक गुप्ता के प्रति समर्थन व्यक्त करने के अभियान का रूप ले लेने से शरत जैन के समर्थक नेताओं के बीच बौखलाहट पैदा हुई

गाजियाबाद । बाबुमोशाय के लॉन्चिंग कार्यक्रम के दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन अभियान में तब्दील हो जाने की चर्चा ने डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के दूसरे उम्मीदवार शरत जैन के समर्थकों के बीच खासा हड़कंप मचा दिया है । इसी हड़कंप का नतीजा है कि शरत जैन के समर्थक नेताओं ने बाबुमोशाय के लॉन्चिंग समारोह में मौजूद रहे 'अपने' लोगों को फोन कर कर के पूछना शुरू किया है कि वह चुनाव में उन्हें धोखा देने के बारे में तो नहीं सोच रहे हैं । शरत जैन के समर्थक नेता दरअसल इस बात से ज्यादा डरे हुए हैं कि उक्त समारोह में बहुत से ऐसे लोग मौजूद दिखे, जिन्हें वह अपने पक्के समर्थक के रूप में देखते/पहचानते हैं और जिन्हें उक्त समारोह से दूर रहने के संकेत दिए गए थे । शरत जैन के समर्थक नेताओं के लिए चिंता की बात यह रही है कि उन्होंने उक्त समारोह को फेल करने के लिए जो जाल बिछाया था, वह अपने ही जाल में उलझ गया - उन्होंने हालाँकि खुल कर तो इस समारोह के खिलाफ कोई अभियान नहीं चलाया था, लेकिन अपने समर्थकों को हर संभव तरीके से इस समारोह से दूर रहने के संकेत स्पष्ट रूप से दिए थे । इस समारोह के मुख्य कर्ताधर्ता चूँकि रमणीक तलवार और संजीव रस्तोगी थे, इसलिए इन दोनों के संबंध में नकारात्मक किस्म की बातें करके शरत जैन के समर्थक नेताओं ने लोगों को - खासकर 'अपने' लोगों को इस समारोह में न पहुँचने के लिए राजी करने का काम किया था । लेकिन उनके तमाम प्रयासों के बावजूद इस समारोह में जिस तरह से रोटेरियंस जुटे और यहाँ जुटे रोटेरियंस को जिस तरह से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक गुप्ता के पक्ष में बातें करते हुए सुना गया, उसकी खबरें सुनने के बाद से शरत जैन के समर्थक नेताओं के तोते उड़े हुए हैं ।
शरत जैन के समर्थक नेताओं के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि रमणीक तलवार और संजीव रस्तोगी के लिए उन्होंने डिस्ट्रिक्ट में तमाम तरह की बाधाएँ खड़ी कीं, लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट के लोगों के साथ इनका इतना जुड़ाव कैसे बना हुआ है ? उल्लेखनीय है कि बाबुमोशाय एक ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट है, जिसके प्रमुख प्रवर्तकों में रमणीक तलवार और संजीव रस्तोगी हैं । यह दोनों चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के उम्मीदवार दीपक गुप्ता के अत्यंत सक्रिय समर्थकों के रूप में भी पहचाने जाते हैं, इसलिए इनकी नई कंपनी के लॉन्चिंग कार्यक्रम में दीपक गुप्ता के संभावित समर्थकों की उपस्थिति का तो शरत जैन के समर्थक नेताओं को आभास था; लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह कार्यक्रम इतना सफल होगा और इसमें डिस्ट्रिक्ट के तमाम लोग जुटेंगे । उनका अनुमान था कि उन्होंने चूँकि रमणीक तलवार और संजीव रस्तोगी की डिस्ट्रिक्ट में खासी बुरी गत बना दी है, इसलिए उनके निमंत्रण को लोग खुद ही गंभीरता से नहीं लेंगे और कार्यक्रम से दूर रहेंगे । इस अनुमान के भरोसे रहते हुए उन्होंने बस इतना करने की जरूरत समझी कि अपने लोगों को उक्त लॉन्चिंग समारोह से दूर रहने के संकेत दिए ।
शरत जैन के समर्थक नेताओं के लिए यह समझना भी मुश्किल बना हुआ है कि उनके लोगों ने उनके संकेतों को समझा नहीं और/या उनके संकेतों की अवहेलना करते हुए वह उक्त समारोह में गए । 'अपने' लोगों की इस हरकत पर रमेश अग्रवाल तो बुरी तरह भड़के हुए हैं । दरअसल पीछे हुए सीओएल के चुनाव में रमेश अग्रवाल इस बात का अनुभव कर चुके हैं कि कैसे उनके 'अपने' समझे जा रहे लोग उनके प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार आशीष घोष के साथ जा मिले थे और उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था । हार से बुरी तरह बौखलाए रमेश अग्रवाल ने उस समय अपने लोगों को फोन कर कर के कोसा था और अपने कई लोगों को उन्होंने धोखेबाज कहा था । उसी अनुभव को याद करते हुए रमेश अग्रवाल ने बाबुमोशाय के लॉन्चिंग समारोह में उपस्थित हुए अपने लोगों से पूछा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के चुनाव में धोखा तो नहीं दोगे ?
बाबुमोशाय के लॉन्चिंग समारोह के सफल होने और इसमें रोटेरियंस के जुटने को चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन व्यक्त किए जाने/होने के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, इसलिए शरत जैन के समर्थक नेताओं को इस समारोह की सफलता खतरे की घंटी के रूप में सुनाई दी है । एक ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट 'बाबुमोशाय' के लॉन्चिंग समारोह को यूँ तो एक कारोबारी आयोजन के रूप में देखा जाना चाहिए था; किंतु इस समारोह में डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस की उपस्थिति को ज्यादा से ज्यादा संभव बनाने के लिए रमणीक तलवार और संजीव रस्तोगी तथा खुद दीपक गुप्ता ने जो मेहनत की - और इससे भी बड़ी बात यह कि उन्हें अपनी मेहनत का जो फल मिला, उसके कारण ही एक सामान्य कारोबारी आयोजन डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के संदर्भ में एक बड़ी राजनीतिक परिघटना में बदल गया । यह आयोजन एक बड़ी राजनीतिक परिघटना में इसलिए भी बदल गया क्योंकि इस आयोजन में उपस्थित रोटेरियंस के बीच चुनाव की चर्चा ही गर्म रही । छोटे छोटे समूहों में होने वाली इन चर्चाओं में कहीं वक्ता तो कहीं श्रोता के रूप में मौजूद रहे एक वरिष्ठ रोटेरियन ने बताया कि यहाँ हुई चर्चाओं में अधिकतर लोगों ने इस बात को रेखांकित किया कि एक उम्मीदवार के रूप में दीपक गुप्ता ने अपना जो भी प्रभाव बनाया है, वह अपने दम पर बनाया है जबकि उनके प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार शरत जैन कुछेक नेताओं की बैशाखी के सहारे उम्मीदवार बने हुए हैं ।
दीपक गुप्ता और शरत जैन की सक्रियताओं का आकलन करते हुए लोगों ने इस तथ्य को भी पहचाना कि शरत जैन यदि गवर्नर बने तो वह रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा की कठपुतली बन कर ही रहेंगे, और जो लोग रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा की राजनीतिक गुलामी करने के लिए तैयार नहीं होंगे उन्हें शरत जैन का सहयोग व समर्थन करने के बावजूद शरत जैन के गवर्नर-काल में उपेक्षित व अपमानित ही होना पड़ेगा - जैसे जेके गौड़ के 'हाथों' होना पड़ रहा है । उल्लेखनीय है कि जेके गौड़ की उम्मीदवारी में सहयोग/समर्थन करने वाले कई लोगों को जेके गौड़ अब सिर्फ इस कारण से पहचानने से भी बच रहे हैं, क्योंकि वह लोग इस वर्ष हो रहे चुनाव में रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा का कहना मानने को तैयार नहीं दिख रहे हैं । जेके गौड़ की गर्दन चूँकि पूरी तरह रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के हाथ में है, इसलिए जेके गौड़ किसी 'अपने' को उससे मिले सहयोग/समर्थन के बदले में उपकृत करना चाहते भी हैं तो नहीं कर सकते हैं । शरत जैन की हालत भी जेके गौड़ जैसी ही होनी है, इसलिए सहयोग/समर्थन करने वाले उन लोगों को शरत जैन पहचानेंगे भी नहीं जिनसे रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा खुश नहीं होंगे । लोगों ने रेखांकित किया है और समझा है कि दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर होंगे तो वह किसी की कठपुतली नहीं होंगे और इसलिए दीपक गुप्ता तक पहुँचने के लिए उन्हें किसी और की नाखुशी या नाराजगी का रोड़ा नहीं पार करना होगा ।
बाबुमोशाय के लॉन्चिंग समारोह में एक तो अनुमान/उम्मीद के विपरीत रोटेरियंस की भीड़ जुटी; और दूसरे वहाँ जुटे लोगों ने उम्मीदवार के रूप में दीपक गुप्ता व शरत जैन की सक्रियता के स्तर का आकलन किया और उस आकलन में शरत जैन को सिर्फ कमजोर ही नहीं पाया, बल्कि उन्हें बैशाखी पर टिकी एक कठपुतली के रूप में देखा/पहचाना - उसकी खबर मिलने के बाद से शरत जैन के समर्थकों के तोते उड़े हुए हैं और उन्होंने टोह लेना ही शुरू नहीं किया है, बल्कि लोगों से बाकायदा पूछना भी शुरू किया है कि चुनाव में वह उन्हें धोखा तो नहीं देंगे । रमेश अग्रवाल ने खासतौर पर उन लोगों की खबर ली है, जिनका समर्थन पाने के लिए उन्होंने जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पद 'बेचे' हैं । रमेश अग्रवाल को डर है कि उनसे पद लेने वाले रोटेरियंस कहीं दीपक गुप्ता से तो नहीं जा मिले हैं ? बाबुमोशाय के लॉन्चिंग समारोह की सफलता और उस समारोह के दीपक गुप्ता के प्रति समर्थन व्यक्त करने के अभियान का रूप ले लेने से शरत जैन के समर्थक नेताओं के बीच जो बौखलाहट पैदा हुई है, उससे उन्होंने अपनी कमजोरी को ही जाहिर किया है ।