Thursday, January 29, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में विनय भाटिया की अगले रोटरी वर्ष की उम्मीदवारी को ध्यान में रखते हुए फरीदाबाद के लोगों ने रवि चौधरी के चैलेंज को समर्थन देने से किनारा करना शुरू किया तो रवि चौधरी के लिए अधिकृत उम्मीदवार सरोज जोशी के खिलाफ कॉन्करेंस जुटाना चुनौतीपूर्ण हुआ

नई दिल्ली । सरोज जोशी की अधिकृत उम्मीदवारी को चैलेंज करने के लिए रवि चौधरी को फरीदाबाद और गुड़गाँव से समर्थन मिलने की जो उम्मीद थी, उसे विनय भाटिया की अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत होने वाली उम्मीदवारी के चलते झटका लग रहा है । अगले रोटरी वर्ष में प्रस्तुत होने वाली विनय भाटिया की उम्मीदवारी के रूप में फरीदाबाद के लोग चूँकि अपने आप को संगठित रखना और 'दिखाना' चाहते हैं, इसलिए उन्हें यह बात समझ में आ रही है कि इसके लिए उन्हें इस वर्ष की चुनावी लड़ाई में किसी एक पक्ष के साथ 'खुल कर' नहीं दिखना चाहिए और नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को चैलेंज करने की कार्रवाई का हिस्सा नहीं बनना चाहिए । फरीदाबाद के लोगों की यह समझ रवि चौधरी के लिए मुसीबत बन गई है । सरोज जोशी की अधिकृत उम्मीदवारी को चैलेंज करने के लिए आवश्यक कॉन्करेंस जुटाने के लिए रवि चौधरी फरीदाबाद से मिलने वाले सहयोग/समर्थन पर ही निर्भर कर रहे थे । फरीदाबाद के लोग लेकिन अब उन्हें ठेंगा दिखाते दिख रहे हैं । कई लोगों ने रेखांकित किया है कि नोमीनेटिंग कमेटी का फैसला आने वाले दिन रवि चौधरी द्धारा चैलेंज करने की बात में जितना दम और शोर नजर आ रहा था, वह बाद के दिनों में घटता गया है । हो सकता है कि यह फरीदाबाद से अपेक्षित सहयोग/समर्थन न मिल सकने का असर हो !
फरीदाबाद के रोटेरियंस की समस्या स्वाभाविक ही है । उनके लिए अगले रोटरी वर्ष में प्रस्तुत होने वाली विनय भाटिया की उम्मीदवारी का खास महत्व है, जिसे वह रवि चौधरी के लिए खतरे में नहीं डाल सकते हैं । दरअसल यह साफ देखा गया है कि रवि चौधरी की उम्मीदवारी का विरोध डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर प्रमुख नेताओं ने किया है । ऐसे में, फरीदाबाद के रोटेरियंस को लगता है कि रवि चौधरी को कॉन्करेंस देकर वह नाहक ही डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर नेताओं को अभी से विनय भाटिया की उम्मीदवारी के खिलाफ कर लेंगे । मजे की बात यह है कि फरीदाबाद में रवि चौधरी की उम्मीदवारी के लिए अच्छे समर्थन का दावा किया जाता रहा है; और विनय भाटिया के कई नजदीकी व समर्थक रवि चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थन की बातें करते रहे हैं । उनमें से कई लोग लेकिन अब रवि चौधरी को कॉन्करेंस देने का विरोध कर रहे हैं । उनका कहना है कि उन्होंने रवि चौधरी की उम्मीदवारी का समर्थन किया था और यदि चुनाव हुआ तो हो सकता है कि वह फिर से रवि चौधरी का समर्थन करें - किंतु रवि चौधरी को कॉन्करेंस देना विनय भाटिया की उम्मीदवारी के लिए आत्मघाती होगा । उनका कहना है कि विनय भाटिया की उम्मीदवारी को लेकर फरीदाबाद में ही नहीं, बल्कि डिस्ट्रिक्ट में भी जो उत्साह है उसे रवि चौधरी के लिए खतरे में डालने की कोई जरूरत नहीं है । 
विनय भाटिया की उम्मीदवारी के समर्थक रवि चौधरी की उम्मीदवारी का दरअसल इसलिए भी समर्थन कर रहे थे क्योंकि उन्हें डर था कि रवि चौधरी यदि हार गए तो अगले वर्ष फिर उम्मीदवार बनेंगे और तब विनय भाटिया के लिए समस्या बनेंगे । इसलिए वह चाहते थे कि रवि चौधरी इस बार जीत जाएँ और अगले वर्ष के लिए विनय भाटिया का रास्ता साफ करें । रवि चौधरी ने लेकिन अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवार न बनने की घोषणा करके विनय भाटिया के शुभचिंतकों के इस डर को दूर कर दिया है और इसीलिए अब विनय भाटिया के शुभचिंतकों को रवि चौधरी को चुनाव जितवाने की 'जरूरत' महसूस नहीं हो रही है । फरीदाबाद में जो लोग विनय भाटिया के बहुत समर्थक या शुभचिंतक नहीं भी हैं उन्हें भी लगता है कि रवि चौधरी को कॉन्करेंस देकर वह खुद को फरीदाबाद के हितों के खिलाफ 'दिखायेंगे' और इसलिए वह भी रवि चौधरी को कॉन्करेंस देने से बचने की कोशिश कर रहे हैं । 
रवि चौधरी के चैलेंज को सबसे बड़ा झटका गुड़गाँव से लगा है । दिलचस्प बात यह है कि गुड़गाँव से ही उन्हें सबसे ज्यादा समर्थन मिला है । दीपक तलवार और डॉक्टर सुशील खुराना उनकी उम्मीदवारी के घोषित और सक्रिय समर्थक रहे हैं । इन दोनों के रवि चौधरी की उम्मीदवारी के पक्ष में बैटिंग करने के बावजूद नोमीनेटिंग कमेटी में गुड़गाँव का वोट रवि चौधरी को न मिलने की शिकायत तो खुद रवि चौधरी और उनके समर्थकों ने की है । इससे सबक लेकर रवि चौधरी ने इनके भरोसे रहने की बजाये खुद ही गुड़गाँव में अपने लिए समर्थन जुटाने का प्रयास किया है, लेकिन उन्हें कोई समर्थन मिलता अभी तक तो दिखा नहीं है । डॉक्टर सुशील खुराना ने हालाँकि रवि चौधरी के जले पर मलहम लगाते हुए उन्हें आश्वस्त किया है कि नोमीनेटिंग कमेटी में वह रवि चौधरी को गुड़गाँव से समर्थन नहीं दिलवा सके हों, किंतु कॉन्करेंस जरूर दिलवायेंगे । 
रवि चौधरी और उनके समर्थक असमंजस में हैं कि वह डॉक्टर सुशील खुराना के इस मलहम पर कितना विश्वास करें ? उनके सामने समस्या यह भी है कि विश्वास न भी करें तो क्या करें ? इसी तरह के असमंजसपूर्ण विश्वास के भरोसे रवि चौधरी और उनके समर्थक पर्याप्त कॉन्करेंस मिल सकने का दावा कर रहे हैं । उनका दावा है कि भले ही उन्हें अपने ही लोगों से धोखा मिला हो और उनके अपने ही लोग अब अपने स्वार्थ के चलते उनसे नजरें चुरा रहे हों, किंतु वह पर्याप्त कॉन्करेंस जुटा लेंगे । फरीदाबाद और गुड़गाँव में रवि चौधरी को समर्थन देने के मामले में जिस तरह की प्रतिकूल खबरें मिल रही हैं, उन्हें देखते/सुनते हुए अपने चैलेंज के लिए पर्याप्त कॉन्करेंस मिल सकना उनके लिए बड़ी चुनौती तो लेकिन है ही ।