नई दिल्ली । ज्ञानचंद गुप्ता ने सतीश
सिंघल की मीटिंग का 'जिम्मा' लेकर रोटरी क्लब दिल्ली विकास में खासा बबाल
पैदा कर दिया है, और क्लब के अध्यक्ष जवाहर गुप्ता के लिए फजीहत खड़ी कर दी
है । दरअसल जो बबाल पैदा हुआ, उसके लिए जवाहर गुप्ता को जिम्मेदार
ठहराया गया; और फिर सतीश सिंघल के समर्थकों ने जवाहर गुप्ता पर दीवाली मेले
का हिसाब न देने का आरोप लगाते हुए हमला बोल दिया है । इस तरह,
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई के चलते डिस्ट्रिक्ट का एक
प्रमुख क्लब न सिर्फ खासे विवाद में फँस गया है, बल्कि क्लब के लोग एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के काम में भी लग गए हैं ।
रोटरी
क्लब दिल्ली विकास में इस कीचड़-कीचड़ खेल की शुरुआत कराने का 'श्रेय'
ज्ञानचंद गुप्ता को दिया जा रहा है । ज्ञानचंद गुप्ता क्लब के एक वरिष्ठ
सदस्य हैं और क्लब में उनके लिए अच्छा सम्मान है । यह सम्मान उन्होंने
अपनी सक्रियता और निष्पक्षता के चलते कमाया है । उन्हें जानने वाले लोगों
का कहना है कि क्लब में अपनी अच्छी सक्रियता और धाक रखने के बावजूद
उन्होंने कभी भी अपनी चलाने और अपने फैसले थोपने का प्रयास नहीं किया, तथा
हमेशा ही क्लब में सर्वानुमति बनाने/बनवाने का काम किया । 'ऐसी' पहचान
रखने वाले ज्ञानचंद गुप्ता को जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के एक
उम्मीदवार सतीश सिंघल की पार्टी करने/करवाने का जिम्मा लेते हुए देखा गया
तो क्लब के लोगों के कान खड़े हुए । क्लब के कई वरिष्ठ सदस्यों को तो इस बात
की हैरानी हुई कि ज्ञानचंद गुप्ता तो 'इस तरह' के काम में पड़ते नहीं हैं,
अब ऐसा क्या हुआ कि उन्हें 'इस तरह' का काम करने के लिए आगे आना पड़ा; क्लब
के कई दूसरे सदस्यों का कहना रहा कि ज्ञानचंद गुप्ता के इस कदम से क्लब का
नाम खराब हुआ है । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब दिल्ली विकास में हमेशा
ही इस बात का ध्यान रखा गया है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में क्लब
'खुलेआम' किसी एक पक्ष के साथ नहीं 'दिखेगा' । ज्ञानचंद गुप्ता ने लेकिन
क्लब की इस नीति के खिलाफ काम किया और अपने इस काम से क्लब को बदनाम
किया/करवाया है ।
क्लब में यह समझने की कोशिश हुई कि ज्ञानचंद गुप्ता ने क्लब को बदनाम करने/करवाने वाला यह
काम आखिर क्यों किया ? क्लब में सभी ने समझा/माना कि इस मामले में ज्ञानचंद
गुप्ता दरअसल इस्तेमाल हो गए हैं, और दूसरे लोगों ने उन्हें आगे करके अपना
उल्लू सीधा कर लिया है । जाना/समझा यह गया कि उक्त मीटिंग के पीछे हैं
तो दूसरे लोग, लेकिन वह खुद तो सामने आये नहीं, और उन्होंने ज्ञानचंद
गुप्ता को मोहरा बना लिया । इस तरह क्लब में ज्ञानचंद गुप्ता को क्लब की
बदनामी करने/करवाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाने लगा, तो ज्ञानचंद गुप्ता
के नजदीकियों ने क्लब के अध्यक्ष जवाहर गुप्ता को निशाने पर ले लिया ।
ज्ञानचंद गुप्ता के नजदीकियों को लगता है कि सतीश सिंघल की मीटिंग कराने का
जो काम ज्ञानचंद गुप्ता ने किया है, वह जवाहर गुप्ता को पसंद नहीं आया है;
और इसीलिए वह ज्ञानचंद गुप्ता को बदनाम तथा उक्त मीटिंग को खराब करने/करवाने में लगे हुए हैं । जवाहर
गुप्ता को निशाने पर लेने वाले लोगों का कहना है कि लगता है कि जवाहर
गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रसून चौधरी की उम्मीदवारी
का समर्थन करने का मन बनाया है और इसीलिए उन्हें यह बात पसंद नहीं आई है कि ज्ञानचंद गुप्ता ने सतीश सिंघल की मीटिंग कराई है । ज्ञानचंद गुप्ता के नजदीकियों का आरोप है कि दीवाली मेले के आयोजन में तो जवाहर गुप्ता ने सतीश सिंघल के क्लब के लोगों से स्पॉन्सरशिप ले ली और अब सतीश सिंघल की उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने में लगे हुए हैं ।
ज्ञानचंद गुप्ता के नजदीकियों ने जवाहर गुप्ता पर गंभीर हमला बोलते हुए
आरोप यह लगाया है कि जवाहर गुप्ता ने दीवाली मेले के हिसाब-किताब में गड़बड़ी
की है, और इसीलिए उन्होंने दीवाली मेले का हिसाब-किताब अभी तक भी नहीं
दिया है । आरोप लगाने वाले लोगों का कहना है कि जवाहर गुप्ता यह तो
कहते/बताते रहते हैं कि दीवाली मेले में उन्हें नुकसान हुआ है और उनके अपने
बहुत से पैसे लग गए हैं, किंतु जब भी उनसे हिसाब देने/बताने को कहो तो वह कन्नी काटने लगते हैं ।
दीवाली मेले में कुछेक काम जिन लोगों ने यह सोच कर किए थे कि 'इस' काम में
होने वाला खर्चा उन्हें दीवाली मेले के एकाउंट से मिलेगा, वह भी खर्चा
मिलने का अभी तक इंतजार ही कर रहे हैं - क्योंकि जवाहर गुप्ता ने 'उस' काम का खर्चा चुकाने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई । इसी
से लोगों को कहने का मौका मिला है कि जवाहर गुप्ता ने पैसे इकट्ठे करने
में तो दिलचस्पी दिखाई, लेकिन भुगतान करने में बचने की कोशिश की - और इसी
से यह आरोप आया कि उन्होंने हिसाब-किताब में गड़बड़ी की है । जो लोग दीवाली मेले के हिसाब-किताब में जवाहर गुप्ता द्धारा
गड़बड़ी किए जाने की बात को नहीं भी मानते हैं, उनका भी कहना लेकिन यह है कि
जवाहर गुप्ता को हिसाब-किताब तो देना/बताना ही चाहिए । क्लब के लोगों के
बीच आरोपों-प्रत्यारोपों का यह जो सिलसिला चला है, उसमें यह बात भी आई कि सतीश
सिंघल ने दीवाली मेले के लिए जितनी स्पॉन्सरशिप दिलाने का वादा जवाहर
गुप्ता से किया था, उतनी स्पॉन्सरशिप चूँकि सतीश सिंघल ने नहीं दिलाई - इसीलिए जवाहर गुप्ता उनसे खफा हैं; और इसीलिए वह ज्ञानचंद गुप्ता द्धारा सतीश सिंघल की मीटिंग कराने की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं और ज्ञानचंद गुप्ता की कार्रवाई को क्लब को बदनाम करने/करवाने वाले काम के रूप में प्रचारित करने की कानाफूसियाँ कर रहे हैं ।
ज्ञानचंद गुप्ता द्धारा सतीश सिंघल की मीटिंग का जिम्मा लेने के कारण रोटरी क्लब दिल्ली विकास में मचे घमासान ने क्लब के अध्यक्ष जवाहर गुप्ता के लिए तो फजीहत खड़ी की ही है, साथ ही मीटिंग के मूल उद्देश्य को भी पृष्ठभूमि में धकेल दिया है ।