Monday, January 2, 2012

गुरनाम सिंह हर तरह की चालबाजियों के बावजूद, एमएस भटनागर के मुकाबले छोटे ही साबित होते जा रहे हैं

लखनऊ | गुरनाम सिंह ने पहले तो पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना को पटा-पटू कर मल्टीपल काउंसिल में फैसला करवाया और फिर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रमोद चंद्र सेठ को दबाव में लेकर उस फैसले पर अमल करवाया और इस तरह एमएस भटनागर को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में किनारे लगाने का षड्यंत्र सफल बनाया | उल्लेखनीय है कि लायंस क्लब्स इंटरनेशनल की तर्ज़ पर गठित एलियंस क्लब्स इंटरनेशनल में पिछले कुछेक वर्षों में कई लायंस सदस्य सक्रिय हुए हैं | उनकी सक्रियता से दोहरी सदस्यता का विवाद भी खड़ा हुआ, लेकिन लायंस इंटरनेशनल की तरफ से इस विवाद पर यह घोषणा करके रोक लगा दी गई कि कोई भी लायंस किसी दूसरे स्वयंसेवी संगठन का सदस्य हो सकता है |
लायंस इंटरनेशनल की इस घोषणा के बाद उक्त विवाद स्वतः ही थम गया | लेकिन डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन के कुछेक लायंस सदस्यों के एलियंस क्लब्स इंटरनेशनल में सक्रिय होते ही यह विवाद फिर उठ खड़ा हुआ | उठ खड़ा नहीं हुआ, यह कहना ज्यादा सही होगा कि उसे जबर्दस्ती और मनमाने तरीके से खड़ा कर दिया गया | दरअसल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एमएस भटनागर को एलियंस क्लब्स इंटरनेशनल में सक्रिय होता देख दूसरे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर गुरनाम सिंह को एमएस भटनागर से निपटने के लिए षड्यंत्र रचने का मौका नज़र आया |
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गुरनाम सिंह की चौधराहट को चुनौती देने का काम एक अकेले एमएस भटनागर ही करते रहे हैं | मजे की बात यह रही है कि एमएस भटनागर के पास या उनके साथ कोई बड़ा राजनीतिक आधार नहीं है, लेकिन फिर भी वह लगातार गुरनाम सिंह के लिए चुनौती बने रहे हैं | महत्वपूर्ण बात यह भी है कि एमएस भटनागर कभी भी गुरनाम सिंह को राजनीतिक पटखनी नहीं दे सके हैं, लेकिन फिर भी गुरनाम सिंह के लिए वह लगातार मुसीबत बने रहे हैं | गुरनाम सिंह और उनके लोगों के बीच एमएस भटनागर का ऐसा खौफ़ रहा है कि डिस्ट्रिक्ट में गुरनाम सिंह को अपनी इच्छा के खिलाफ जब कभी एक पत्ता भी हिलता हुआ दिखा है, तो उन्होंने उसके पीछे एमएस भटनागर का हाथ होने का ही ऐलान किया है |
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में जिस किसी ने भी गुरनाम सिंह के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दिखाई - गुरनाम सिंह से मात खाने के बाद वह चुप बैठ गया; लेकिन एमएस भटनागर एक अकेले ऐसे निकले जो गुरनाम सिंह से मात खाने के बावजूद चुप नहीं बैठे और निरंतर गुरनाम सिंह की नाक में दम किए रहे हैं | एमएस भटनागर ने दरअसल गुरनाम सिंह के साथ किसी तरह की कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं की - उन्होंने तो लगातार बस यही कोशिश की कि गुरनाम सिंह लायनिज्म को और डिस्ट्रिक्ट को अपनी निजी मिल्कियत न समझें और लायन सदस्यों व पदाधिकारियों पर धौंस न जमायें | गुरनाम सिंह ने तो एमएस भटनागर के साथ कई बार गाली-गलौचपूर्ण बदतमीजी की, लेकिन एमएस भटनागर ने कभी उनकी पीठ पीछे भी उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं किया |
एमएस भटनागर हमेशा यही कहते रहे हैं कि गुरनाम सिंह के साथ उनका कोई व्यक्तिगत झगड़ा थोड़े ही है, वह तो चूँकि लायनिज्म को लायनिज्म की भावना और उसके मानदंडों के साथ चलाने की बात कहते हैं जो गुरनाम सिंह को बुरी लगती है | एमएस भटनागर का लगातार यह कहना रहा है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में किसी को भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर या किसी दूसरे पदाधिकारी के काम में दखल नहीं देना चाहिए और उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक काम करने देना चाहिए | एमएस भटनागर का स्पष्ट मत रहा है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में कोई पक्ष नहीं बनना चाहिए और किसी उम्मीदवार का सक्रिय समर्थन या सक्रिय विरोध नहीं करना चाहिए और डिस्ट्रिक्ट के लोगों को अपने विवेक व अपनी समझ के भरोसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का चुनाव करने देना चाहिए | लायनिज्म में और डिस्ट्रिक्ट में एमएस भटनागर की जो भी सक्रियता रही है, वह चूँकि वास्तव में लायनिज्म को लेकर रही है; और एमएस भटनागर ने लायनिज्म में अपनी सक्रियता को किन्हीं टुच्ची महत्वाकांक्षा(ओं) को प्राप्त करने का साधन नहीं बनाया - इसलिए लोगों की नज़र में उनका नैतिक कद गुरनाम सिंह से हमेशा ऊँचा ही रहा |
गुरनाम सिंह चुनावी तिकड़मबाजी में हमेशा एमएस भटनागर पर भारी साबित हुए, लेकिन बात जब लायनिज्म की होती या लोगों को मान-सम्मान देने की होती तो गुरनाम सिंह के मुकाबले पलड़ा हमेशा एमएस भटनागर का भारी निकलता/दिखता | गुरनाम सिंह के लिए इस बात को - इस सच्चाई को - हज़म कर पाना लगातार मुसीबत बना रहा |
गुरनाम सिंह को यह स्वीकार करने - और बार-बार स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि डिस्ट्रिक्ट में चौधराहट उनकी चलती है, नेतागिरी उनकी है, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के लिए लोग खुशामद उनकी करते हैं, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उनके यहाँ 'पानी भरता' है - लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट में और मल्टीपल में और लायन सदस्यों में कद एमएस भटनागर का ऊँचा है |
लोग यह फर्क खूब समझते हैं कि गुरनाम सिंह लायनिज्म की आड़ में दादागिरी करते हैं, लोगों के साथ गाली-गलौच करते हुए उन्हें अपमानित करते हैं, और यह सब अपनी मनमानी चलाने/थोपने के लिए करते हैं - लेकिन एमएस भटनागर सचमुच लायनिज्म करते हैं, दूसरों के मान-सम्मान का ख्याल रखते हैं, और सभी को बराबर का दर्ज़ा देते हुए सभी के लिए समान अवसर की वकालत करते हैं | यही कारण है कि एमएस भटनागर के मुकाबले लगातार 'जीतते' हुए भी गुरनाम सिंह 'हारे' हुए दिखते हैं | दूसरों की तो छोड़िये, अपनी खुद की नज़रों में गुरनाम सिंह अपने आप को एमएस भटनागर से पिछड़ता हुआ पाते हैं |
एमएस भटनागर की 'कामयाबी' गुरनाम सिंह को किस कदर 'डराती' रही है - इसे समझने के लिए इस बात पर गौर करना काफी होगा कि इस वर्ष मधु कुमार की उम्मीदवारी को समर्थन देने से गुरनाम सिंह के साफ इंकार कर देने के बाद भी मधु कुमार जब अपनी उम्मीदवारी को लेकर डटी रहीं तो गुरनाम सिंह के गुस्से का शिकार एमएस भटनागर को होना पड़ा | गुरनाम सिंह ने यही माना और प्रचारित किया कि मधु कुमार की उम्मीदवारी को एमएस भटनागर की शह है | एक तरफ तो गुरनाम सिंह यह दावा करते हैं कि जिस उम्मीदवार को उनका समर्थन होगा, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वही चुना जायेगा - उनका यह दावा सही भी साबित होता रहा है - लेकिन दूसरी तरफ उनकी रातों की नींद और दिन का चैन इस बात से उड़ता रहा है कि एमएस भटनागर क्या कर रहे हैं ?
गुरनाम सिंह और उनकी 'कंपनी' के लोग जब-तब यह भी उड़ाते रहते हैं कि एमएस भटनागर इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की दौड़ में हैं और लायनिज्म में उनकी सारी सक्रियता वास्तव में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए तैयारी करने के संदर्भ में है | अब अगर यह सच भी है, तो इसमें आरोप वाली भला क्या बात है और इसके चलते गुरनाम सिंह और उनकी कंपनी के लोगों को नाराज़ क्यों होना चाहिए ? हो सकता है कि एमएस भटनागर की लायनिज्म में कोई महत्वाकांक्षा हो; हो सकता है कि वह सचमुच इंटरनेशनल डायरेक्टर बनना चाहते हों और अपने तरीके से उसकी तैयारी कर रहे हों - तो यह बहुत स्वाभाविक ही है; लेकिन उन्होंने इसे अभी तक किसी के सामने जाहिर नहीं किया है |
एमएस भटनागर के नजदीकियों का कहना है कि उनका काम करने का तरीका दूसरे लायन नेताओं से बिल्कुल ही अलग है - एमएस भटनागर काम करने में विश्वास रखते हैं और अपनी महत्वाकांक्षाओं को हर समय ही प्रकट नहीं करते रहते हैं; वह उचित समय का इंतजार करते हैं और उचित समय पर ही अपनी महत्वाकांक्षा को जाहिर करते हैं |
गुरनाम सिंह को इसमें भी अपने लिए चुनौती नज़र आती है | उन्हें यह बात बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती कि उनके डिस्ट्रिक्ट में कोई कुछ होना चाहता है, लेकिन उनसे मदद ही नहीं मांग रहा है |
मौजूदा लायन वर्ष शुरू होने से पहले, गुरनाम सिंह ने षड्यंत्रपूर्ण तरीके से एमएस भटनागर को उनके पद से हटवा कर उनका पद लज्जा कौल को दिलवा दिया था | गुरनाम सिंह की इच्छा थी और कोशिश थी कि पद बचाने के लिए एमएस भटनागर उनकी खुशामद में जुटेंगे; एमएस भटनागर ने गुरनाम सिंह की इस हरकत का प्रचार तो खूब किया लेकिन अपना पद बचाने के लिए उन्होंने गुरनाम सिंह से कोई गुहार नहीं लगे | एमएस भटनागर के इस रवैये पर गुरनाम सिंह के लिए फड़फड़ाना स्वाभाविक ही था | उन्होंने अपने आप को एमएस भटनागर के सामने बहुत 'छोटा' पाया |
इस तरह, एमएस भटनागर को तरह-तरह से अपमानित करने और अलग-थलग करने के लिए गुरनाम सिंह जो भी हथकंडा आजमाते, उससे एमएस भटनागर का कद और ऊँचा ही होता जाता तथा गुरनाम सिंह अपने आप को एमएस भटनागर के मुकाबले और छोटा होता हुआ पाते/देखते |
एमएस भटनागर से लगातार मिल रही इस चुनौती ने गुरनाम सिंह को परेशान करके रखा हुआ था | इसीलिए जैसे ही उन्हें खबर मिली कि एमएस भटनागर ने एलियंस क्लब्स इंटरनेशनल ज्वाइन कर लिया है, उन्हें एमएस भटनागर को किनारे लगा देने का मौका नज़र आया | गुरनाम सिंह ने फर्जी तरीकों का इस्तेमाल करके ऐलान करवा दिया है कि डिस्ट्रिक्ट का कोई क्लब एमएस भटनागर को अपने कार्यक्रमों में आमंत्रित न करे और प्रोटोकॉल के चलते एमएस भटनागर किसी भी कार्यक्रम में जिस सम्मान के हक़दार हैं, उन्हें वह सम्मान न दें |
गुरनाम सिंह को लगता है कि इस तरह की तिकड़मों से वह एमएस भटनागर के मुकाबले अपने आप को ऊँचा दिखा सकेंगे; पर हो यह रहा है कि इस तरह की चालबाजियों से वह एमएस भटनागर के मुकाबले अपने आप को और छोटा करते-बनाते-दिखाते तथा साबित करते जा रहे हैं |