Wednesday, December 21, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में संजय खन्ना के बाद रवि चौधरी को अपनी तरफ करके सुशील खुराना ने विनोद बंसल के लिए सीओएल के चुनाव को वास्तव में खासा मुश्किल और चुनौतीपूर्ण बना दिया है

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रवि चौधरी ने पेम थर्ड की जिम्मेदारी सुशील खुराना के क्लब को सौंप कर विनोद बंसल को जोर का झटका खासे जोर से दिया है । डिस्ट्रिक्ट की राजनीति के समीकरणों को देखते/समझते रहने वाले लोगों का कहना है कि रवि चौधरी ने सुशील खुराना के क्लब को पेम थर्ड की जिम्मेदारी सौंप कर सिर्फ अपने एक कार्यक्रम की 'व्यवस्था' करने का ही काम नहीं किया है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में बनते नए समीकरणों में अपना रुझान और अपनी पक्षधरता 'दिखाने' का भी काम किया है । लोगों का मानना और कहना है कि पेम थर्ड के आयोजन की जिम्मेदारी निभाने के लिए रवि चौधरी को कोई न कोई अन्य क्लब मिल ही जाता, लेकिन उनके द्धारा सुशील खुराना के क्लब को प्राथमिकता देने से डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच साफ संदेश गया है कि डिस्ट्रिक्ट की राजनीति के बनते नए समीकरणों में वह सुशील खुराना के साथ हैं । विनोद बंसल अभी सुशील खुराना और संजय खन्ना के बीच पकती खिचड़ी से मिले झटके से ही उबरने का प्रयास कर रहे थे, कि रवि चौधरी ने उनकी मुश्किलों को और बढ़ाने वाला काम कर दिया है । बात सिर्फ इतनी नहीं है कि सुशील खुराना को रवि चौधरी के रूप में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट का समर्थन भी मिल गया है, बात इसलिए बड़ी है क्योंकि रवि चौधरी को विनोद बंसल के सबसे नजदीकी समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था - इसलिए माना जा रहा है कि रवि चौधरी से मिले इस खुल्लमखुल्ला और अप्रत्याशित रूप से मिले धोखे से विनोद बंसल को जोर का झटका लगा है ।
मजे की बात यह है कि सुशील खुराना और विनोद बंसल डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में अभी कल तक एक साथ थे - लेकिन सीओएल की सदस्यता के चक्कर में दोनों अब आमने-सामने हो गए हैं । सीओएल के लिए सुशील खुराना की उम्मीदवारी का पत्ता साफ करने के उद्देश्य से डिस्ट्रिक्ट में यह बात चली कि सुशील खुराना को तो प्रत्येक पद चाहिए । सुशील खुराना को निशाने पर लेते हुए डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच बातें कही/सुनी गईं कि डिस्ट्रिक्ट में जिस किसी पद के लिए भी चयन या चुनाव होने की बात आती है, सुशील खुराना झट से अपना दावा पेश कर देते हैं । इस तरह की बातों को हवा देने के पीछे सुशील खुराना ने विनोद बंसल को 'पहचाना' - उन्होंने समझा/माना कि सीओएल के लिए उनकी उम्मीदवारी को कमजोर करने के लिए विनोद बंसल ही उनके बारे में इस तरह की बातें फैला रहे हैं । ऐसा समझने/मानने के कारण ही सुशील खुराना ने सीओएल के लिए अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का अभियान शुरू किया - और पहला बड़ा काम यह किया कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अपने 'दुश्मन' रहे संजय खन्ना से हाथ मिला लिया । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि संजय खन्ना को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव हरवाने के लिए सुशील खुराना ने ऐड़ी-चोटी का जोर तो लगाया ही था; बाद के वर्षों में भी दोनों आमने-सामने ही रहे हैं । यहाँ यह याद करना भी दिलचस्प होगा कि संजय खन्ना के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का उम्मीदवार बनने से पहले दोनों के बीच अच्छे संबंध थे, और सुशील खुराना के गवर्नर-काल में संजय खन्ना ने उनकी बहुत मदद की थी । यानि, जब संजय खन्ना को मदद की जरूरत पड़ी थी - तब सुशील खुराना ने उनसे मुँह मोड़ लिया था ।
सुशील खुराना से मिले धोखे के अनुभव के बावजूद संजय खन्ना ने उनसे 'दोस्ती' करने में जो तत्परता दिखाई है, उसने लोगों को हैरान किया है । पर, इसके पीछे की राजनीति जानने/समझने वालों का मानना और कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल के बड़े नेताओं के बीच अपनी पैठ/पहुँच को सुरक्षित बनाए रखने के लिए संजय खन्ना को सुशील खुराना से मिले धोखे के अनुभव को भूल जाना उचित लगा है । उल्लेखनीय है कि संजय खन्ना ने रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों व नेताओं के बीच अपनी अच्छी पैठ/पहुँच बना ली है, और वह पिछले/अगले इंटरनेशनल प्रेसीडेंट्स तक के 'चहेते' के रूप में देखे जा रहे हैं । संजय खन्ना को अपनी इस पैठ/पहुँच को विनोद बंसल से चुनौती मिलने का खतरा है - क्योंकि रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों व नेताओं के बीच विनोद बंसल की भी प्रभावी पहुँच है । विनोद बंसल से मिल सकने वाली चुनौती को खत्म करने के लिए संजय खन्ना को विनोद बंसल को पीछे खींचना जरूरी लगता है, और इसके लिए उन्हें सुशील खुराना से अपनी 'दुश्मनी' को दोस्ती में बदलना फायदेमंद लगा है । दुबई में आयोजित रोटरी जोन इंस्टीट्यूट से लौटे लोगों ने बताया है कि सुशील खुराना और संजय खन्ना के बीच नए सिरे से पनपती दोस्ती के जो बीज दिल्ली में पड़ गए थे, वह दुबई में रोटरी इंटरनेशनल के बड़े नेताओं के बीच तेजी से फसल बनते दिखे ।
संजय खन्ना को अपनी तरफ करके सुशील खुराना ने विनोद बंसल को जो झटका दिया, उसकी रेंज को और बढ़ाते हुए उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रवि चौधरी को भी अपनी तरफ मिला लिया है । उल्लेखनीय है कि रवि चौधरी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने में सुशील खुराना और विनोद बंसल ने यूँ तो बराबर की मदद की थी, किंतु यदि तथ्यों का बारीकी से आकलन किया जाए तो विनोद बंसल की मदद निर्णायक थी । सुशील खुराना तो नोमीनेटिंग कमेटी में अपने लोगों के वोट रवि चौधरी को नहीं दिला पाए थे, जिसके चलते नोमीनेटिंग कमेटी में रवि चौधरी को हार का सामना करना पड़ा था । चेलैंजिंग उम्मीदवार के रूप में रवि चौधरी को दिल्ली और फरीदाबाद के क्लब्स के वोट दिलवाने में विनोद बंसल की सक्रियता और भूमिका तुलनात्मक रूप से ज्यादा थी । उसके बाद भी, रवि चौधरी जब जब मुश्किल में पड़े/फँसे - विनोद बंसल ही उनकी मदद के लिए आगे आए । इसके बावजूद, रवि चौधरी के सामने जब सुशील खुराना और विनोद बंसल में से किसी एक को चुनने का मौका आया - तो रवि चौधरी ने सुशील खुराना को वरीयता दी । रवि चौधरी का यह रवैया कई लोगों को हैरान कर गया है । उन्हें लगता है कि रवि चौधरी यदि चाहते, तो किसी एक तरफ 'दिखने' से बच सकते थे । अंदरखाने वह किसके साथ होते, यह फिर अटकलों की बात होती - खुल्लमखुल्ला सुशील खुराना के साथ आने और 'दिखने' के पीछे आखिर उनकी क्या मजबूरी रही, यह किसी के लिए भी समझना मुश्किल हो रहा है । कुछेक लोगों को लगता है कि अपनी मूर्खता के चलते वह सुशील खुराना के साथ खड़े 'पकड़े' गए हैं; तो अन्य कुछेक लोगों का कहना है कि रवि चौधरी गवर्नर तो बन गए हैं, लेकिन गवर्नरी करने की काबिलियत उनमें नहीं है - ऐसे में उन्हें एक विश्वसनीय मददगार की जरूरत होगी ही; सुशील खुराना उन्हें 'वह' विश्वसनीय मददगार हो सकने का भरोसा देने में सफल रहे - और तब रवि चौधरी सहज रूप से विनोद बंसल को धोखा देने के लिए तैयार हो गए ।
इस तरह, संजय खन्ना के बाद रवि चौधरी को अपनी तरफ करके सुशील खुराना ने विनोद बंसल के लिए सीओएल के चुनाव को वास्तव में खासा मुश्किल और चुनौतीपूर्ण बना दिया है ।