Tuesday, December 27, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल पर - इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की चेतावनी के बावजूद - पेम टू डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार दीपक गुप्ता को 'बेचने' का आरोप

नोएडा । प्रेसीडेंट इलेक्ट फैलोशिप में दीपक गुप्ता की उपस्थिति के रहस्य पर फैला कोहरा अब धीरे-धीरे छँट रहा है, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के नजदीकियों के हवाले से ही सूचनाएँ मिल रही हैं कि इसके लिए सतीश सिंघल ने दीपक गुप्ता से मोटी रकम ऐंठी है । दरअसल सतीश सिंघल ने घोषणा की हुई थी कि प्रेसीडेंट इलेक्ट फैलोशिप (पेम टू) में वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के किसी भी उम्मीदवार को आमंत्रित नहीं कर रहे हैं । उन्होंने खुद ही लोगों को बताया था कि प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट (पेम वन) में इन उम्मीदवारों की सक्रियता के चलते उन्हें आलोचना का शिकार होना पड़ा था, और इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई तक ने उन्हें सुझाव दिया था कि अपने कार्यक्रमों को उन्हें चुनावी राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देना चाहिए । इन्हीं बातों का वास्ता देते हुए, पेम टू के आयोजित होने से पहले सतीश सिंघल ने कई लोगों से कहा था कि इसमें वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के किसी भी उम्मीदवार को आमंत्रित नहीं कर रहे हैं । लोगों से उन्होंने जो कहा सो कहा ही, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों - अशोक जैन तथा ललित खन्ना से भी उन्होंने यही बात कही । असल में, पेम टू के आयोजन से दो दिन पहले तक भी जब इन्हें निमंत्रण नहीं मिला - तो इन्होंने अपनी अपनी तरफ से पहल करके सतीश सिंघल को फोन करके अपने निमंत्रण के बारे में पूछा । सतीश सिंघल ने इन दोनों को ही बताया/दोहराया कि रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों से मिले सुझावों के चलते उन्होंने पेम टू में किसी भी उम्मीदवार को आमंत्रित नहीं करने का फैसला किया है ।
सतीश सिंघल की इतनी स्पष्ट घोषणा के बावजूद, पेम टू के आयोजन में शामिल हुए लोगों ने जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के तीसरे उम्मीदवार दीपक गुप्ता को कार्यक्रम में देखा - तो वह हैरान रह गए । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल हुआ कि सतीश सिंघल जब बार-बार लगातार यह कहते जा रहे थे कि पेम टू में वह किसी भी उम्मीदवार को नहीं आमंत्रित कर रहे हैं, तब फिर दीपक गुप्ता के मामले में वह अपनी ही घोषणा से आखिर क्यों पलट गए ? सतीश सिंघल के साथ खराब अनुभव रखने वाले कुछेक लोगों ने वहाँ लोगों के बीच कहा/बताया भी कि 'सतीश सिंघल वास्तव में एक दोगला व्यक्ति है', 'वह कहता कुछ है लेकिन करता कुछ है', और 'इस तरह वह कई लोगों के साथ धोखाधड़ी कर चुका है' - इसलिए उसके दोगलेपन पर हैरान होने की जरूरत नहीं है; लेकिन यह सवाल फिर भी अनुत्तरित ही रहा कि दीपक गुप्ता के मामले में सतीश सिंघल ने अपने ही दावे को आखिर क्यों झूठा साबित कर दिया ?
पेम वन में उम्मीदवारों की सक्रियता को लेकर हुई आलोचना के बारे में भी सतीश सिंघल ने आधी-अधूरी बात ही बताई । उस समय शिकायत और आपत्तियाँ उम्मीदवारों की सक्रियता को लेकर नहीं हुईं थीं, बल्कि सतीश सिंघल के उस रवैये की हुई थी - जिसके तहत उन्होंने दीपक गुप्ता को मंच से लोगों को संबोधित करने का मौका दिया था । सतीश सिंघल के इस रवैये की शिकायत रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों तथा नेताओं तक भी पहुँची थी, और इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई ने सतीश सिंघल को आगाह किया था कि साऊथ एशिया के डिस्ट्रिक्ट्स में होने वाली राजनीति पर निगाह रखने की जिम्मेदारी निवर्तमान इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की है और जो अपनी जिम्मेदारी निभाने के मामले में बहुत सख्त हैं - इसलिए कोई ऐसा काम मत करो, जिसके कारण मुसीबत में पड़ो ।
मनोज देसाई के आगाह करने का वास्ता देकर सतीश सिंघल ने पेम टू के आयोजन में अशोक जैन और ललित खन्ना को तो निमंत्रित करने से इंकार कर दिया, लेकिन दीपक गुप्ता को आगे बढ़ कर सक्रिय होने का मौका दिया । सतीश सिंघल के इस दोगले रवैये पर हैरान होने वाले लोगों को लेकिन अब सतीश सिंघल के नजदीकियों से इसके पीछे का कारण सुनने/जानने का मौका मिल रहा है । प्रेसीडेंट इलेक्ट फैलोशिप के आयोजन से जुड़े लोगों से सुनने/जानने को मिल रहा है कि सतीश सिंघल ने इसके लिए दीपक गुप्ता से मोटी रकम बसूल की है - इन्फेक्ट, सतीश सिंघल ने पेम टू दीपक गुप्ता को 'बेचने' का काम किया है । सतीश सिंघल के नजदीकियों का कहना है कि सतीश सिंघल ने दरअसल रोटरी को पैसा कमाने का जरिया बना लिया है; और उन्होंने यह भी समझ लिया है कि यह मौका उन्हें सिर्फ एक वर्ष ही मिलेगा - इसलिए वह हर मौके का फायदा उठा लेने के लिए तत्पर हैं ।  
रोटरी के नाम पर पैसा बनाने/कमाने की सतीश सिंघल की तड़प ऐसी है कि उन्हें न मनोज देसाई का आगाह करना ध्यान रहा, न केआर रवींद्रन के सख्त रवैये की चिंता रही, और न इस बात का ध्यान रहा कि एक दिन पहले तक वह उम्मीदवारों को आमंत्रित न किए जाने की घोषणा करते रहे हैं । सतीश सिंघल के नजदीकियों के अनुसार, दीपक गुप्ता से पैसा मिलने का सौदा तय हुआ कि सतीश सिंघल सब भूल गए । मजे की बात यह है कि पेम टू के आयोजन का खर्चा पूरा करने के लिए सतीश सिंघल ने आयोजन से जुड़े लोगों को पैसा जुटने के जो सोर्स बताए, उनमें दीपक गुप्ता से मिले पैसों का कोई जिक्र नहीं है - जिस आधार पर आयोजन से जुड़े लोगों का ही कहना/बताना है कि दीपक गुप्ता से मिले पैसे तो गुप्त दान ही रहे, जो सीधे सतीश सिंघल की जेब में गए हैं ।