लुधियाना । आनंद साहनी के बदले बदले
तेवरों ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए योगेश सोनी की तैयारी और
उम्मीदों को गड़बड़ाने वाला जो काम किया है, उसके कारण मल्टीपल काउंसिल
चेयरमैन पद के लिए विनय गर्ग का रास्ता आसान होता हुआ नजर आ रहा है । मल्टीपल
काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में अभी हालाँकि काफी दिन हैं, इसलिए अभी से
निर्णायक रूप में नतीजे की घोषणा करना तो फिजूल की कसरत होगी - लेकिन जिस
तरह से मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के दूसरे संभावित उम्मीदवारों के सामने
मुश्किलें खड़ी होती गईं हैं और मुश्किलों के कारण वह पीछे हटते गए हैं,
उसके कारण विनय गर्ग के लिए रास्ता स्वतः आसान होता जा रहा है । मजे की बात यह है कि शुरू में लेकिन सबसे ज्यादा मुसीबत विनय गर्ग के सिर पर ही देखी जा रही थी ।
उल्लेखनीय है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के किसी भी उम्मीदवार के लिए
पहली जरूरत अपने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के समर्थन की होती है - इस
मामले में सबसे ज्यादा पतली हालत विनय गर्ग की थी, क्योंकि उनके फर्स्ट
वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंदरजीत सिंह की भूमिका संदेह के घेरे में थी । इंदरजीत
सिंह की अति-सक्रियता और असावधानीवश कही उनकी बातों के कारण उन्हें विनय
गर्ग की उम्मीदवारी के विरोध में देखा/पहचाना गया । इससे उनके विरोधियों को
भी उन्हें एक-दूसरे के विरोध में खड़ा 'दिखाने' का मौका मिला, जिससे विनय
गर्ग के लिए हालात खासे चुनौतीपूर्ण हो गए थे । किंतु हालात ने तेजी
के साथ पलटा खाया है, और इंदरजीत सिंह आज विनय गर्ग के सबसे घनघोर समर्थक
के रूप में देखे/पहचाने जा रहे हैं । इंदरजीत सिंह के मौजूदा तेवर देख कर मल्टीपल के कुछेक नेताओं को तो यहाँ तक कहते हुए सुना गया है कि विनय गर्ग के लिए
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन की कुर्सी पक्की करने/करवाने के काम में खुद विनय
गर्ग से ज्यादा तो उनके फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंदरजीत सिंह लगे हुए हैं ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए फिलवक्त विनय गर्ग का मुकाबला योगेश सोनी से होने की स्थितियाँ नजर आ रही हैं । चेयरमैन पद की दौड़ में अनिल तुलस्यान और विशाल सिन्हा ने भी शामिल होने की कोशिश तो की थी, किंतु अपनी अपनी हरकतों के कारण होने वाली बदनामी तथा अपने अपने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के विरोध के तेवरों के चलते उनके लिए ज्यादा समय तक दौड़ में बने रह पाना संभव नहीं हो सका । हालाँकि अनिल तुलस्यान पैसे से होने वाली वोटों की खरीद-फरौख्त के भरोसे तथा विशाल सिन्हा, विनोद खन्ना व जगदीश गुलाटी के सहारे नरेश अग्रवाल को साध लेने के जरिए मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की चुनावी दौड़ में अपनी वापसी करने के दावे तो कर रहे हैं - लेकिन मल्टीपल के नेताओं का मानना/कहना है कि इन दोनों की पोलपट्टी इतनी खुल गई है कि अब उसे लपेटना/समेटना संभव नहीं है । इसी कारण से मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए विनय गर्ग और योगेश सोनी को ही मुकाबले में देखा/पहचाना जा रहा है । इन दोनों में भी यूँ तो विनय गर्ग की तरफ से सक्रियता ज्यादा देखी गई है : उनके फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंदरजीत सिंह ने उनकी उम्मीदवारी का झंडा जिस तरह से उठाया/लहराया हुआ है, उसके कारण भी विनय गर्ग की उम्मीदवारी को मल्टीपल के नेताओं ने खासी गंभीरता से लिया है । योगेश सोनी की तरफ से अपनी उम्मीदवारी को लेकर कोई बहुत सक्रियता तो नहीं है, किंतु एक वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में अपनी उपस्थिति को बनाए रखने के कारण उन्हें उन लोगों का समर्थन मिलता दिख रहा है, जो किन्हीं किन्हीं कारणों से विनय गर्ग की उम्मीदवारी के खिलाफ हैं ।
किंतु फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में आनंद साहनी की बातों से मिल रहे संकेतों ने योगेश सोनी के सामने मुश्किलें खड़ी करना शुरू कर दिया है । योगेश सोनी हालाँकि अभी तक आनंद साहनी को अपने 'साथ' दिखाए रखने में सफल हैं, और आनंद साहनी ने भी अभी तक ऐसा कोई 'ठोस' काम नहीं किया है - जिससे उन्हें योगेश सोनी की उम्मीदवारी के खिलाफ मान लिया जाए । लेकिन उनके डिस्ट्रिक्ट के ही कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का कहना है कि आनंद साहनी अंततः योगेश सोनी के समर्थन में नहीं रहेंगे; उनका दावा तो यहाँ तक है कि आनंद साहनी इस बात के संकेत जब-तब देते भी रहते हैं, लेकिन योगेश सोनी किसी भी तरह से उन्हें मना लेते हैं और अपने से ज्यादा दूर नहीं होने देते हैं । योगेश सोनी तथा आनंद साहनी के बीच चलने वाली 'कभी पास कभी दूर' वाली स्थिति को पहचानने/देखने वाले डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि यह स्थिति ज्यादा देर तक नहीं चल सकेगी और अंततः दोनों की राहें जुदा होंगी ही । इसका कारण यह बताया जा रहा है कि आनंद साहनी अगले लायन वर्ष में खुद मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन चुने जाने की तैयारी में हैं, और इस तैयारी में पहला काम उन्हें यह करना जरूरी लगा है कि वह किसी भी तरह से अपने डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर योगेश सोनी को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन की कुर्सी तक पहुँचने से रोकें ।
आनंद साहनी मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनकर दरअसल लायनिज्म के इतिहास में एक अनोखा रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं । उल्लेखनीय है कि उनके पिता कृष्ण साहनी करीब 24 वर्ष पहले, वर्ष 1992-93 में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन थे । अब यदि आनंद साहनी भी मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बन जाते हैं, तो यह पिता-पुत्र के एक ही मल्टीपल में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने का दिलचस्प उदाहरण और रिकॉर्ड होगा । डिस्ट्रिक्ट 321 एफ में कृष्ण साहनी के बाद, वर्ष 2001-02 में एनके ग्रोवर मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बने थे; और उसके बाद के पंद्रह वर्षों में डिस्ट्रिक्ट 321 एफ से किसी को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने का मौका नहीं मिला - प्रयास हालाँकि कई लोगों ने किया था । इस नाते से आनंद साहनी को उम्मीद है कि अगले लायन वर्ष में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए वह अपनी जमीन तैयार और मजबूत कर सकेंगे । मजे की बात है कि इसी नाते से योगेश सोनी भी अपनी दाल के गलने की उम्मीद कर रहे हैं । ऐसे में, आनंद साहनी को यह और भी जरूरी लग रहा है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए योगेश सोनी की दावेदारी को मजबूत होने से पहले ही वह कमजोर कर दें । अभी हाल ही में श्रीलंका में संपन्न हुई इसामे फोरम की मीटिंग में जेपी सिंह ने जिस तरह से योगेश सोनी की उम्मीदवारी में अपना समर्थन 'दिखा' कर हवा भरने का काम किया, उसके बाद आनंद साहनी को योगेश सोनी की उम्मीदवारी के खिलाफ सक्रिय 'दिखने' की और जल्दी लगी है । इसीलिए श्रीलंका से लौटने के तुरंत बाद से आनंद साहनी ने ऐसे तेवर दिखाने शुरू किए हैं, जिनसे मल्टीपल के नेताओं को संकेत मिले हैं कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए योगेश सोनी की उम्मीदवारी को उनका समर्थन पक्का न समझा जाए ।
आनंद साहनी के इन तेवरों ने विनय गर्ग की उम्मीदवारी के समर्थकों को बड़ी राहत पहुँचाई है । उन्हें लग रहा है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के मुकाबले में विनय गर्ग के संभावित प्रतिद्धंद्धी जिस तरह से खुद ही ढेर होते जा रहे हैं, उसमें शायद कुदरत का ही कोई अनुकूल संदेश छिपा है । हालाँकि मल्टीपल काउंसिल की चुनावी राजनीति के अनुभवी खिलाड़ियों का मानना और कहना है कि अभी स्थितियाँ विनय गर्ग की उम्मीदवारी के अनुकूल भले ही दिख रही हों, लेकिन इसी स्थिति के चुनाव तक बने रहने का भरोसा करना आत्मघाती हो सकता है । आगे स्थितियाँ क्या मोड़ लेंगी, यह तो आगे पता चलेगा - अभी लेकिन डिस्ट्रिक्ट 321 एफ के आनंद साहनी के तेवरों ने डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव के संदर्भ में बढ़त बनाने का अच्छा मौका जरूर दिया है ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए फिलवक्त विनय गर्ग का मुकाबला योगेश सोनी से होने की स्थितियाँ नजर आ रही हैं । चेयरमैन पद की दौड़ में अनिल तुलस्यान और विशाल सिन्हा ने भी शामिल होने की कोशिश तो की थी, किंतु अपनी अपनी हरकतों के कारण होने वाली बदनामी तथा अपने अपने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के विरोध के तेवरों के चलते उनके लिए ज्यादा समय तक दौड़ में बने रह पाना संभव नहीं हो सका । हालाँकि अनिल तुलस्यान पैसे से होने वाली वोटों की खरीद-फरौख्त के भरोसे तथा विशाल सिन्हा, विनोद खन्ना व जगदीश गुलाटी के सहारे नरेश अग्रवाल को साध लेने के जरिए मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की चुनावी दौड़ में अपनी वापसी करने के दावे तो कर रहे हैं - लेकिन मल्टीपल के नेताओं का मानना/कहना है कि इन दोनों की पोलपट्टी इतनी खुल गई है कि अब उसे लपेटना/समेटना संभव नहीं है । इसी कारण से मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए विनय गर्ग और योगेश सोनी को ही मुकाबले में देखा/पहचाना जा रहा है । इन दोनों में भी यूँ तो विनय गर्ग की तरफ से सक्रियता ज्यादा देखी गई है : उनके फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंदरजीत सिंह ने उनकी उम्मीदवारी का झंडा जिस तरह से उठाया/लहराया हुआ है, उसके कारण भी विनय गर्ग की उम्मीदवारी को मल्टीपल के नेताओं ने खासी गंभीरता से लिया है । योगेश सोनी की तरफ से अपनी उम्मीदवारी को लेकर कोई बहुत सक्रियता तो नहीं है, किंतु एक वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में अपनी उपस्थिति को बनाए रखने के कारण उन्हें उन लोगों का समर्थन मिलता दिख रहा है, जो किन्हीं किन्हीं कारणों से विनय गर्ग की उम्मीदवारी के खिलाफ हैं ।
किंतु फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में आनंद साहनी की बातों से मिल रहे संकेतों ने योगेश सोनी के सामने मुश्किलें खड़ी करना शुरू कर दिया है । योगेश सोनी हालाँकि अभी तक आनंद साहनी को अपने 'साथ' दिखाए रखने में सफल हैं, और आनंद साहनी ने भी अभी तक ऐसा कोई 'ठोस' काम नहीं किया है - जिससे उन्हें योगेश सोनी की उम्मीदवारी के खिलाफ मान लिया जाए । लेकिन उनके डिस्ट्रिक्ट के ही कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का कहना है कि आनंद साहनी अंततः योगेश सोनी के समर्थन में नहीं रहेंगे; उनका दावा तो यहाँ तक है कि आनंद साहनी इस बात के संकेत जब-तब देते भी रहते हैं, लेकिन योगेश सोनी किसी भी तरह से उन्हें मना लेते हैं और अपने से ज्यादा दूर नहीं होने देते हैं । योगेश सोनी तथा आनंद साहनी के बीच चलने वाली 'कभी पास कभी दूर' वाली स्थिति को पहचानने/देखने वाले डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि यह स्थिति ज्यादा देर तक नहीं चल सकेगी और अंततः दोनों की राहें जुदा होंगी ही । इसका कारण यह बताया जा रहा है कि आनंद साहनी अगले लायन वर्ष में खुद मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन चुने जाने की तैयारी में हैं, और इस तैयारी में पहला काम उन्हें यह करना जरूरी लगा है कि वह किसी भी तरह से अपने डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर योगेश सोनी को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन की कुर्सी तक पहुँचने से रोकें ।
आनंद साहनी मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनकर दरअसल लायनिज्म के इतिहास में एक अनोखा रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं । उल्लेखनीय है कि उनके पिता कृष्ण साहनी करीब 24 वर्ष पहले, वर्ष 1992-93 में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन थे । अब यदि आनंद साहनी भी मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बन जाते हैं, तो यह पिता-पुत्र के एक ही मल्टीपल में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने का दिलचस्प उदाहरण और रिकॉर्ड होगा । डिस्ट्रिक्ट 321 एफ में कृष्ण साहनी के बाद, वर्ष 2001-02 में एनके ग्रोवर मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बने थे; और उसके बाद के पंद्रह वर्षों में डिस्ट्रिक्ट 321 एफ से किसी को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने का मौका नहीं मिला - प्रयास हालाँकि कई लोगों ने किया था । इस नाते से आनंद साहनी को उम्मीद है कि अगले लायन वर्ष में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए वह अपनी जमीन तैयार और मजबूत कर सकेंगे । मजे की बात है कि इसी नाते से योगेश सोनी भी अपनी दाल के गलने की उम्मीद कर रहे हैं । ऐसे में, आनंद साहनी को यह और भी जरूरी लग रहा है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए योगेश सोनी की दावेदारी को मजबूत होने से पहले ही वह कमजोर कर दें । अभी हाल ही में श्रीलंका में संपन्न हुई इसामे फोरम की मीटिंग में जेपी सिंह ने जिस तरह से योगेश सोनी की उम्मीदवारी में अपना समर्थन 'दिखा' कर हवा भरने का काम किया, उसके बाद आनंद साहनी को योगेश सोनी की उम्मीदवारी के खिलाफ सक्रिय 'दिखने' की और जल्दी लगी है । इसीलिए श्रीलंका से लौटने के तुरंत बाद से आनंद साहनी ने ऐसे तेवर दिखाने शुरू किए हैं, जिनसे मल्टीपल के नेताओं को संकेत मिले हैं कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए योगेश सोनी की उम्मीदवारी को उनका समर्थन पक्का न समझा जाए ।
आनंद साहनी के इन तेवरों ने विनय गर्ग की उम्मीदवारी के समर्थकों को बड़ी राहत पहुँचाई है । उन्हें लग रहा है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के मुकाबले में विनय गर्ग के संभावित प्रतिद्धंद्धी जिस तरह से खुद ही ढेर होते जा रहे हैं, उसमें शायद कुदरत का ही कोई अनुकूल संदेश छिपा है । हालाँकि मल्टीपल काउंसिल की चुनावी राजनीति के अनुभवी खिलाड़ियों का मानना और कहना है कि अभी स्थितियाँ विनय गर्ग की उम्मीदवारी के अनुकूल भले ही दिख रही हों, लेकिन इसी स्थिति के चुनाव तक बने रहने का भरोसा करना आत्मघाती हो सकता है । आगे स्थितियाँ क्या मोड़ लेंगी, यह तो आगे पता चलेगा - अभी लेकिन डिस्ट्रिक्ट 321 एफ के आनंद साहनी के तेवरों ने डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव के संदर्भ में बढ़त बनाने का अच्छा मौका जरूर दिया है ।