नई
दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में जेपी सिंह एंड
कंपनी ने जो किया, उसके चलते गुरचरण सिंह की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत उम्मीदवारी के अभियान को न सिर्फ तगड़ा झटका लगा
है, बल्कि उनकी उम्मीदवारी के पीछे छिपे वास्तविक उद्देश्य की पोल भी खुल
गई है । उल्लेखनीय है कि सुधीर सिंगला की चेयरमैनी तथा अजय गोयल की
कंवेनरी वाली डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की पानीपत में आयोजित हुई
मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय गर्ग और फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर इंद्रजीत सिंह ने इस वर्ष सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के
होने वाले चुनाव को लेकर आम सहमति बनाने की बात की । उनका कहना रहा कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव के चक्कर में लायन सदस्यों का बहुत सा समय, उनकी एनर्जी और बहुत सा पैसा व्यर्थ ही नष्ट हो जाता है तथा उससे लायनिज्म के काम पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है - इसलिए
जरूरी है कि ऑनरेरी कमेटी के सदस्य सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के
लिए उचित प्रतिनिधि पर आम राय बनाने के लिए कोशिश करें, जिससे डिस्ट्रिक्ट
का और लायनिज्म का भी भला होगा । यह सुनकर जेपी सिंह और उनके समर्थक
विनोद खन्ना बुरी तरह भड़क गए और बोले कि यदि इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी
के मामले में उनका समर्थन नहीं किया जायेगा, तो फिर वह भी सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के अपने उम्मीदवार गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी को
वापस नहीं लेंगे । विनय गर्ग और इंद्रजीत सिंह की तरफ से स्पष्ट किया गया
कि इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी का मामला आप पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स
के बीच का मामला है, उसमें आप लोगों को हम भला क्या निर्देश दे सकते -
उसमें तो जो भी कुछ करना/होना है, वह आप लोगों को ही करना है; आप लोग उसमें
आम सहमति बना लीजिए । विनय गर्ग और इंद्रजीत सिंह की तरफ से कहा गया कि
हम तो आप लोगों से सिर्फ यह अनुरोध कर रहे हैं कि आप लोग अपने अपने
प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डिस्ट्रिक्ट को चुनावी झगड़े में फँसने से
बचाएँ । उन दोनों की चुनावी झगड़ों से बचने की कोशिश करने की अपील के बावजूद
जेपी सिंह और विनोद खन्ना का भड़कना जारी रहा, और इन दोनों ने साफ कर दिया
कि इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी पद के लिए जेपी सिंह के नाम को यदि क्लियर
नहीं किया गया, तो सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत
गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी को वापस नहीं लिया/कराया जायेगा ।
इस तरह जेपी सिंह और विनोद खन्ना ने औपचारिक रूप से पहली बार यह जता/दिखा दिया कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी में जरा सी भी गंभीरता नहीं है, और गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी तो इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी पद के लिए विरोधी पक्ष के लोगों को ब्लैकमेल करने का हथकंडा भर है । गौरतलब है कि गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी को लेकर ऐसी ही समझ व धारणा लोगों के बीच पहले से ही थी, और पक्ष-विपक्ष के लोगों के बीच शुरू से ही चर्चा थी कि गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी को जेपी सिंह अपने स्वार्थ में इस्तेमाल कर रहे हैं । समझा जाता है कि जेपी सिंह की इसी सोच और रणनीति को भाँप कर रमेश अग्रवाल ने उम्मीदवारी पर अपने दावे को छोड़ दिया था । उल्लेखनीय है कि जेपी सिंह की तरफ से पहले रमेश अग्रवाल ही सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार थे, लेकिन जैसे ही उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि जेपी सिंह अपनी गोटी फिट करने की कोशिश में कभी भी उनकी उम्मीदवारी की बलि चढ़ा देंगे - वैसे ही रमेश अग्रवाल को अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने में ही अपनी भलाई नजर आई और वह तुरंत से पीछे हट गए । जेपी सिंह ने तब अपने ही क्लब के गुरचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया । गुरचरण सिंह ने हालाँकि लोगों को विश्वास दिलाने का हर संभव प्रयास किया है कि वह अपनी उम्मीदवारी को लेकर बहुत ही गंभीर हैं, और उनकी उम्मीदवारी किसी भी तरह की सौदेबाजी का वाहक नहीं बनेगी । लेकिन जेपी सिंह और विनोद खन्ना ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में अंततः इस सच्चाई को खोल ही दिया कि गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी उनके लिए सिर्फ अपने को कामयाब बनाने का एक हथकंडा भर है, और अपने स्वार्थ में वह कभी भी सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी की बलि चढ़ा सकते हैं ।
जेपी सिंह और विनोद खन्ना के द्धारा ही असलियत खोल देने के बाद गुरचरण सिंह के लिए लोगों के बीच अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में अभियान चलाना मुश्किल हो गया है, और उनके लिए अपनी उम्मीदवारी को विश्वसनीय बनाने की गंभीर चुनौती पैदा हो गई है । मजे की बात यह है कि जेपी सिंह के समर्थकों व शुभचिंतकों का ही कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में विनोद खन्ना के साथ मिलकर जेपी सिंह ने जो किया, उससे गुरचरण सिंह का ही नहीं - बल्कि खुद जेपी सिंह का भी नुकसान हुआ है । लोगों को लगता है कि विनय गर्ग और इंद्रजीत सिंह के सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए आम सहमति बनाने के प्रस्ताव पर जेपी सिंह यदि सकारात्मक रवैया दिखाते, तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों को ज्यादा प्रभावित व आकर्षित करते । जेपी सिंह का यह डर स्वाभाविक और सच हो सकता है कि आम सहमति बनाने के नाम पर विनय गर्ग और इंद्रजीत सिंह राजनीति खेल रहे हों, तो भी उनकी राजनीति का जबाव जेपी सिंह को अपनी ऐसी राजनीति से देना चाहिए था - जिससे डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उनकी सकारात्मक पहचान बनती । आम सहमति बनती या नहीं बनती - जेपी सिंह को 'दिखाना' यह चाहिए था कि वह तो आम सहमति के पक्ष में हैं, लेकिन सारी चीजें उनके हाथ में नहीं हैं : इससे होता यह कि साँप भी मर जाता और लाठी भी नहीं टूटती; यानि आम सहमति की बात भी पिट जाती, और इसकी जिम्मेदारी का दोष जेपी सिंह पर भी नहीं लगता । जेपी सिंह ने लेकिन जो किया, उसका उल्टा ही असर हुआ - साँप भी बच गया, और लाठी भी टूट गई । कुछेक लोगों को लगता है कि विनय गर्ग व इंद्रजीत सिंह का वास्तविक उद्देश्य सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए आम सहमति बनाना था ही नहीं, उन्होंने तो जेपी सिंह और उनके समर्थकों को भड़का कर उनकी असलियत सामने लाने के लिए जाल बिछाया था - जेपी सिंह और उनके समर्थक उसमें फँस कर अपने आपको 'नंगा' कर बैठे ।
इससे लगता है कि जेपी सिंह ने पिछले लायन वर्ष में हुई अपनी फजीहत से कोई सबक नहीं सीखा है - दरअसल वह अभी तक भी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि पिछले लायन वर्ष में उनके साथ वास्तव में हुआ क्या ? पिछले लायन वर्ष में उनके साथ जो हुआ वह वास्तव में एक असाधारण घटना है - लायंस इंटरनेशनल के सौ वर्षों के इतिहास में कभी किसी के साथ ऐसा नहीं हुआ; लायंस इंटरनेशनल को तो छोड़िए, दुनिया के किसी भी चुनाव में, किसी भी प्रतियोगिता में ऐसा होने की जानकारी नहीं है - कि एक ही उम्मीदवार/भागीदार हो, और वह भी हार जाए । किसी दूसरे को नहीं, खुद जेपी सिंह को यह बात ईमानदारी से समझने की जरूरत है कि पिछले लायन वर्ष के चुनाव में जेपी सिंह को आखिर हराया किसने ? इस सवाल का जबाव यदि ईमानदारी से खोजने की कोशिश की जाएगी, तो जबाव मिलने में कोई ज्यादा समस्या नहीं आएगी कि जेपी सिंह को खुद जेपी सिंह ने ही हराया था । उम्मीदवार जेपी सिंह पर लायन सदस्य व लायन लीडर के रूप में की गईं जेपी सिंह की हरकतें और कारस्तानियाँ भारी पड़ीं - जो उम्मीदवार जेपी सिंह को ले डूबीं । उनके विरोधियों तक का मानना और कहना है कि जेपी सिंह उतने बुरे आदमी नहीं हैं, जितने बुरे वह 'प्रोजेक्ट' हो गए हैं; बदकिस्मती की बात यह हुई कि उन्हें खुद इस बात का भान नहीं है कि उनका प्रोजेक्शन, उनकी छवि कितनी बुरी है, और इस बुरे प्रोजेक्शन को वह कैसे काबू में करें ? कुछ संगत का भी असर है । कई लोगों का मानना और कहना है कि विनोद खन्ना जैसे लोगों की संगत तथा विनोद खन्ना जैसे लोगों के सहारे रहने ने जेपी सिंह का बेड़ा गर्क करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में जेपी सिंह को विनय सागर जैन का जो अप्रत्याशित समर्थन मिला, उसे देख कर जेपी सिंह के समर्थकों व शुभचिंतकों को डर हुआ है कि अभी तक विनोद खन्ना ही उनका दिमाग खराब किए थे - अब विनय सागर जैन भी आ मिले हैं, तो अंजाम न जाने क्या होगा ? विनय सागर जैन वह व्यक्ति हैं जो अभी कल तक जेपी सिंह के सिर्फ विरोधी ही नहीं थे, बल्कि जिनके कारण ब्लड बैंक में जेपी सिंह के फर्जीवाड़े के आरोपों को विश्वसनीयता मिली थी । विनय सागर जैन ब्लड बैंक में जेपी सिंह के कब्जे वाले दौर में ट्रेजरार के पद पर थे, और उन्होंने ही जब खुल कर आरोप लगाए थे कि जेपी सिंह ने किस तरह से ब्लड बैंक को अपनी लूट का और कमाई का जरिया बनाया हुआ है - तब जेपी सिंह पर लगने वाले आरोपों पर लोगों ने विश्वास करना शुरू किया था । यानि जेपी सिंह की बर्बादी में विनय सागर जैन की निर्णायक भूमिका रही है । अब वही विनय सागर जैन अचानक से जेपी सिंह के समर्थक हो गए हैं । चर्चा है कि दूसरे खेमे में विनय सागर जैन को चूँकि कोई खास तवज्जो नहीं मिली, इसलिए वह जेपी सिंह के नजदीक होने/दिखने का प्रयास करने लगे हैं । पक्ष-विपक्ष के दोनों तरफ के लोगों को लगता है कि जेपी सिंह विरोधी खेमे में उन्हें तवज्जो मिलने का आश्वासन यदि मिल जाए, तो वह फिर से जेपी सिंह के विरोध का झंडा उठा लेंगे । समझा जाता है कि दूसरे खेमे के नेताओं से डील करने के लिए माहौल बनाने के उद्देश्य से ही विनय सागर जैन ने ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में जेपी सिंह का बढ़चढ़ कर समर्थन किया । विनोद खन्ना और विनय सागर जैन के बबाल से उत्साहित होकर जेपी सिंह ने भी फिर ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में ऐसे तेवर दिखाए कि अपनी ही पोल खोल बैठे । ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में अपनी हरकत के जरिए, सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा करते हुए जेपी सिंह ने जैसे एक बार फिर अपने आप को हराने की तैयारी शुरू कर दी है ।
इस तरह जेपी सिंह और विनोद खन्ना ने औपचारिक रूप से पहली बार यह जता/दिखा दिया कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी में जरा सी भी गंभीरता नहीं है, और गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी तो इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी पद के लिए विरोधी पक्ष के लोगों को ब्लैकमेल करने का हथकंडा भर है । गौरतलब है कि गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी को लेकर ऐसी ही समझ व धारणा लोगों के बीच पहले से ही थी, और पक्ष-विपक्ष के लोगों के बीच शुरू से ही चर्चा थी कि गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी को जेपी सिंह अपने स्वार्थ में इस्तेमाल कर रहे हैं । समझा जाता है कि जेपी सिंह की इसी सोच और रणनीति को भाँप कर रमेश अग्रवाल ने उम्मीदवारी पर अपने दावे को छोड़ दिया था । उल्लेखनीय है कि जेपी सिंह की तरफ से पहले रमेश अग्रवाल ही सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार थे, लेकिन जैसे ही उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि जेपी सिंह अपनी गोटी फिट करने की कोशिश में कभी भी उनकी उम्मीदवारी की बलि चढ़ा देंगे - वैसे ही रमेश अग्रवाल को अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने में ही अपनी भलाई नजर आई और वह तुरंत से पीछे हट गए । जेपी सिंह ने तब अपने ही क्लब के गुरचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया । गुरचरण सिंह ने हालाँकि लोगों को विश्वास दिलाने का हर संभव प्रयास किया है कि वह अपनी उम्मीदवारी को लेकर बहुत ही गंभीर हैं, और उनकी उम्मीदवारी किसी भी तरह की सौदेबाजी का वाहक नहीं बनेगी । लेकिन जेपी सिंह और विनोद खन्ना ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में अंततः इस सच्चाई को खोल ही दिया कि गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी उनके लिए सिर्फ अपने को कामयाब बनाने का एक हथकंडा भर है, और अपने स्वार्थ में वह कभी भी सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी की बलि चढ़ा सकते हैं ।
जेपी सिंह और विनोद खन्ना के द्धारा ही असलियत खोल देने के बाद गुरचरण सिंह के लिए लोगों के बीच अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में अभियान चलाना मुश्किल हो गया है, और उनके लिए अपनी उम्मीदवारी को विश्वसनीय बनाने की गंभीर चुनौती पैदा हो गई है । मजे की बात यह है कि जेपी सिंह के समर्थकों व शुभचिंतकों का ही कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में विनोद खन्ना के साथ मिलकर जेपी सिंह ने जो किया, उससे गुरचरण सिंह का ही नहीं - बल्कि खुद जेपी सिंह का भी नुकसान हुआ है । लोगों को लगता है कि विनय गर्ग और इंद्रजीत सिंह के सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए आम सहमति बनाने के प्रस्ताव पर जेपी सिंह यदि सकारात्मक रवैया दिखाते, तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों को ज्यादा प्रभावित व आकर्षित करते । जेपी सिंह का यह डर स्वाभाविक और सच हो सकता है कि आम सहमति बनाने के नाम पर विनय गर्ग और इंद्रजीत सिंह राजनीति खेल रहे हों, तो भी उनकी राजनीति का जबाव जेपी सिंह को अपनी ऐसी राजनीति से देना चाहिए था - जिससे डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उनकी सकारात्मक पहचान बनती । आम सहमति बनती या नहीं बनती - जेपी सिंह को 'दिखाना' यह चाहिए था कि वह तो आम सहमति के पक्ष में हैं, लेकिन सारी चीजें उनके हाथ में नहीं हैं : इससे होता यह कि साँप भी मर जाता और लाठी भी नहीं टूटती; यानि आम सहमति की बात भी पिट जाती, और इसकी जिम्मेदारी का दोष जेपी सिंह पर भी नहीं लगता । जेपी सिंह ने लेकिन जो किया, उसका उल्टा ही असर हुआ - साँप भी बच गया, और लाठी भी टूट गई । कुछेक लोगों को लगता है कि विनय गर्ग व इंद्रजीत सिंह का वास्तविक उद्देश्य सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए आम सहमति बनाना था ही नहीं, उन्होंने तो जेपी सिंह और उनके समर्थकों को भड़का कर उनकी असलियत सामने लाने के लिए जाल बिछाया था - जेपी सिंह और उनके समर्थक उसमें फँस कर अपने आपको 'नंगा' कर बैठे ।
इससे लगता है कि जेपी सिंह ने पिछले लायन वर्ष में हुई अपनी फजीहत से कोई सबक नहीं सीखा है - दरअसल वह अभी तक भी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि पिछले लायन वर्ष में उनके साथ वास्तव में हुआ क्या ? पिछले लायन वर्ष में उनके साथ जो हुआ वह वास्तव में एक असाधारण घटना है - लायंस इंटरनेशनल के सौ वर्षों के इतिहास में कभी किसी के साथ ऐसा नहीं हुआ; लायंस इंटरनेशनल को तो छोड़िए, दुनिया के किसी भी चुनाव में, किसी भी प्रतियोगिता में ऐसा होने की जानकारी नहीं है - कि एक ही उम्मीदवार/भागीदार हो, और वह भी हार जाए । किसी दूसरे को नहीं, खुद जेपी सिंह को यह बात ईमानदारी से समझने की जरूरत है कि पिछले लायन वर्ष के चुनाव में जेपी सिंह को आखिर हराया किसने ? इस सवाल का जबाव यदि ईमानदारी से खोजने की कोशिश की जाएगी, तो जबाव मिलने में कोई ज्यादा समस्या नहीं आएगी कि जेपी सिंह को खुद जेपी सिंह ने ही हराया था । उम्मीदवार जेपी सिंह पर लायन सदस्य व लायन लीडर के रूप में की गईं जेपी सिंह की हरकतें और कारस्तानियाँ भारी पड़ीं - जो उम्मीदवार जेपी सिंह को ले डूबीं । उनके विरोधियों तक का मानना और कहना है कि जेपी सिंह उतने बुरे आदमी नहीं हैं, जितने बुरे वह 'प्रोजेक्ट' हो गए हैं; बदकिस्मती की बात यह हुई कि उन्हें खुद इस बात का भान नहीं है कि उनका प्रोजेक्शन, उनकी छवि कितनी बुरी है, और इस बुरे प्रोजेक्शन को वह कैसे काबू में करें ? कुछ संगत का भी असर है । कई लोगों का मानना और कहना है कि विनोद खन्ना जैसे लोगों की संगत तथा विनोद खन्ना जैसे लोगों के सहारे रहने ने जेपी सिंह का बेड़ा गर्क करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में जेपी सिंह को विनय सागर जैन का जो अप्रत्याशित समर्थन मिला, उसे देख कर जेपी सिंह के समर्थकों व शुभचिंतकों को डर हुआ है कि अभी तक विनोद खन्ना ही उनका दिमाग खराब किए थे - अब विनय सागर जैन भी आ मिले हैं, तो अंजाम न जाने क्या होगा ? विनय सागर जैन वह व्यक्ति हैं जो अभी कल तक जेपी सिंह के सिर्फ विरोधी ही नहीं थे, बल्कि जिनके कारण ब्लड बैंक में जेपी सिंह के फर्जीवाड़े के आरोपों को विश्वसनीयता मिली थी । विनय सागर जैन ब्लड बैंक में जेपी सिंह के कब्जे वाले दौर में ट्रेजरार के पद पर थे, और उन्होंने ही जब खुल कर आरोप लगाए थे कि जेपी सिंह ने किस तरह से ब्लड बैंक को अपनी लूट का और कमाई का जरिया बनाया हुआ है - तब जेपी सिंह पर लगने वाले आरोपों पर लोगों ने विश्वास करना शुरू किया था । यानि जेपी सिंह की बर्बादी में विनय सागर जैन की निर्णायक भूमिका रही है । अब वही विनय सागर जैन अचानक से जेपी सिंह के समर्थक हो गए हैं । चर्चा है कि दूसरे खेमे में विनय सागर जैन को चूँकि कोई खास तवज्जो नहीं मिली, इसलिए वह जेपी सिंह के नजदीक होने/दिखने का प्रयास करने लगे हैं । पक्ष-विपक्ष के दोनों तरफ के लोगों को लगता है कि जेपी सिंह विरोधी खेमे में उन्हें तवज्जो मिलने का आश्वासन यदि मिल जाए, तो वह फिर से जेपी सिंह के विरोध का झंडा उठा लेंगे । समझा जाता है कि दूसरे खेमे के नेताओं से डील करने के लिए माहौल बनाने के उद्देश्य से ही विनय सागर जैन ने ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में जेपी सिंह का बढ़चढ़ कर समर्थन किया । विनोद खन्ना और विनय सागर जैन के बबाल से उत्साहित होकर जेपी सिंह ने भी फिर ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में ऐसे तेवर दिखाए कि अपनी ही पोल खोल बैठे । ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में अपनी हरकत के जरिए, सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की गुरचरण सिंह की उम्मीदवारी के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा करते हुए जेपी सिंह ने जैसे एक बार फिर अपने आप को हराने की तैयारी शुरू कर दी है ।