Wednesday, December 28, 2016

अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल में पैसों के खर्चे के मामले में अपनी मनमानी को मान्यता और स्वीकृति दिलाने के लिए अनूप मित्तल ने आपात बैठक का नाटक रचा है क्या ?

नई दिल्ली । अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल में अचानक से इंटरनेशनल बोर्ड तथा जनरल बॉडी की आपात बैठक बुलाने की कार्रवाई ने संगठन के सदस्यों व पदाधिकारियों के बीच खासी हलचल मचा दी है । मजे की बात यह है कि इंटरनेशनल सेक्रेटरी एमपीएस भारज की तरफ से आपात बैठक का जो नोटिस/निमंत्रण बोर्ड सदस्यों तथा क्लब्स व डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारियों को मिला है, उसमें आपात बैठक के एजेंडे की तो कोई सूचना या जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन यह जरूर कहा/बताया गया है कि आपात बैठक में वोटिंग की जरूरत पड़ सकती है और वोटिंग अधिकार उचित पात्रता रखने वाले पदाधिकारी को ही मिलेगा । आपात बैठक के इस संदेशे को पढ़/देख कर संगठन के लोगों के बीच हलचल इस कारण से है कि आपात बैठक का निमंत्रण देते हुए बैठक का एजेंडा आखिर क्यों नहीं बताया गया है ? लोगों का कहना/पूछना है कि उच्च पदाधिकारियों ने यदि आपात बैठक बुलाने की जरूरत समझी है, और यह भी समझा है कि बैठक में वोटिंग की जरूरत पड़ सकती है - तो इसका बहुत स्पष्ट मतलब है कि एजेंडा पूरी तरह से तैयार हैं; तब फिर उसे लोगों से छिपाया क्यों जा रहा है ?
अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल के विभिन्न स्तर के पदाधिकारियों तथा सदस्यों का कहना है कि आपात बैठक का एजेंडा सिर्फ इंटरनेशनल प्रेसीडेंट अनूप मित्तल तथा इंटरनेशनल सेक्रेटरी एमपीएस भारज को ही पता है, और वह जानबूझ कर लोगों से एजेंडा छिपा रहे हैं । इससे  लग रहा है कि प्रस्तावित आपात बैठक में यह दोनों अपना कोई ऐसा स्वार्थ पूरा करने की कोशिश में हैं, जिसके लिए खुद इन्हें तगड़े विरोध का डर है । अलायंस सदस्यों का मानना और कहना है कि यह आपात बैठक का एजेंडा इसी डर से नहीं बता रहे हैं, क्योंकि इन्हें खतरा है कि इनके स्वार्थ को लोग अभी से पहचान लेंगे और फिर इनके खिलाफ एकजुट हो जायेंगे । एजेंडा को अभी छिपा कर रखेंगे, तो लोग असमंजस में रहेंगे; इस बीच यह 'प्रयास' करेंगे कि आपात बैठक में ऐसे लोग आएँ/पहुँचे - जिनसे यह अपनी मनमानियों पर 'अँगूठा' लगवा सकें । अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल के सदस्यों को लगता है कि अनूप मित्तल और एमपीएस भारज की जोड़ी ने इस वर्ष के अपने कार्य-काल में संगठन के पैसों की जैसी जो लूट मचाई हुई है, उसे मान्यता और स्वीकृति दिलाने के लिए ही इन्होंने आपात बैठक का तमाशा रचा है ।
आपात बैठक की अधिकृत सूचना देते हुए इंटरनेशनल सेक्रेटरी एमपीएस भारज एजेंडे की बात को गोल भले ही कर गए हों, लेकिन लोगों का अंदाजा है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट अनूप मित्तल ने जिस तरह मनमाने और गुपचुप तरीके से संगठन के पैसों को खर्च करने - तथा खर्च करने के नाम पर अपनी जेब भरने का 'कार्यक्रम' चलाया हुआ है, उसे व्यवस्थित रूप देना तथा कानूनी मान्यता दिलाना ही आपात बैठक का मुख्य उद्देश्य होगा । उल्लेखनीय है कि एक तरफ तो कोलकाता में संगठन के मुख्य कार्यालय के लिए भवन के नाम पर फ्लैट खरीदने की अनूप मित्तल की तैयारी संदेह के घेरे में हैं, तो दूसरी तरफ दिल्ली के नजदीक बुलंदशहर में कैंसर अस्पताल के निर्माण के नाम पर पैसा इकट्ठा करने की उनकी योजना गंभीर आरोपों के घेरे में है । यह संदेह और आरोप इसलिए और गंभीर हैं क्योंकि इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के कई सदस्यों तक को नहीं पता है कि इन दोनों मामलों में वास्तव में हो क्या रहा है ।  
अनूप मित्तल को संभवतः पता है कि इंटरनेशनल बोर्ड में तो वह अपनी पैसा खर्चु/बटोरू योजनाओं के लिए समर्थन नहीं जुटा पायेंगे, इसलिए उन्होंने उसी दिन शाम को जनरल बॉडी की आपात बैठक भी बुला ली है - जिसमें अपने 'समर्थकों' के भरोसे वह अपनी मनमानी थोपने का प्रयास करेंगे । अनूप मित्तल की निगाह एसएलएफ के पैसे पर भी है, और इसके लिए वह लगातार एसएलएफ के अकाउंट में एक हस्ताक्षरकर्ता बनाए जाने की माँग कर रहे हैं । अनूप मित्तल की बदकिस्मती लेकिन यह है कि संगठन के तमाम लोग इंटरनेशनल बोर्ड के सदस्यों को आगाह कर चुके हैं तथा करते रहते हैं कि अनूप मित्तल को एसएलएफ अकाउंट में हस्ताक्षरकर्ता न बनाया जाए; क्योंकि उन्हें अगर उक्त अकाउंट में हस्ताक्षरकर्ता बना दिया गया तो यह उसमें जमा पैसे को भी ठिकाने लगा देंगे, और एसएलएफ का मुख्य उद्देश्य पृष्ठभूमि में चला जायेगा । इस पृष्ठभूमि में, अप्रत्याशित तथा असमंजसपूर्ण तरीके से 15 जनवरी को बुलाई गईं आपात बैठकों में अनूप मित्तल और एमपीएस भारज अपनी मनमानी कार्रवाइयों पर संगठन के लोगों का ठप्पा लगवा पायेंगे क्या - यह देखना/जानना सचमुच दिलचस्प होगा ।