Thursday, December 8, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर सुब्रमणियम डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार अजीत जालान के सामने इतने मजबूर आखिर क्यों हैं कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता की भी फजीहत कराने को तैयार हैं

नई दिल्ली । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के हस्तक्षेप के बाद रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट की वित्तीय धांधलियों के मामलों का जो जिन्न बोतल के अंदर बंद हुआ नजर आ रहा था, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर सुब्रमणियम के अकर्मणता और या पक्षपाती रवैये के चलते वह एक बार फिर बोतल से बाहर आता दिख रहा है । डॉक्टर सुब्रमणियम के रवैये पर कुछेक लोगों का कहना है कि वह फैसला लेने की क्षमता ही नहीं रखते हैं; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वह बन जरूर गए हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी निभा सकने की काबिलियत उनमें नहीं है और इसीलिए हल होने की तरफ बढ़ रहे एक मामले को उन्होंने फिर से भड़का दिया है । अन्य कुछ लोगों को आशंका लेकिन यह भी है कि डॉक्टर सुब्रमणियम के गवर्नर-काल के अभी तक के खर्चों को लेकर डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार पद पर बैठे अजीत जालान उन्हें 'ब्लैकमेल' कर रहे हैं, जिस कारण वह 'हो चुके' फैसले को क्रियान्वित करने से बच रहे हैं । अजीत जालान आरोपी क्लब के प्रमुख सदस्य तो हैं ही, आरोपों में मुख्य 'अभियुक्त' भी हैं । इसी कारण से इस आशंका को बल मिल रहा है कि अजीत जालान ने कार्रवाई न करने के लिए डॉक्टर सुब्रमनियम पर दबाव बनाया हुआ है; और डॉक्टर सुब्रमणियम उनके दबाव के सामने इतने असहाय बन गए हैं कि सुशील गुप्ता के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट की भी फजीहत करवाने के लिए तैयार हैं ।
मजे कि बात है कि डॉक्टर सुब्रमणियम को कोई फैसला नहीं करना है - फैसला तो हो चुका है; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्हें तो फैसले को सिर्फ क्रियान्वित करना है, लेकिन पता नहीं किस 'भय' के कारण वह फैसले को क्रियान्वित करने को लेकर टालमटोल वाला रवैया अपनाए हुए हैं । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट में चल रही धांधलियों में दो मामले खासे गंभीरता के साथ सामने आए - एक, वर्ष 2014-15 की बैलेंसशीट का मामला और दूसरा एक ट्रस्ट के गठन का मामला है । इन दोनों मामलों का शोर पिछले रोटरी वर्ष से है । पिछले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला ने अपनी जाँच पड़ताल में आरोपों को सही पाया, और माना कि रोटरी के नाम पर जिस तरह की घपलेबाजी क्लब में हो रही है - उसे देखते हुए क्लब को निलंबित कर दिया जाना चाहिए । इस नतीजे पर पहुँचते पहुँचते सुधीर मंगला का कार्यकाल चूँकि पूरा हो गया और क्लब को निलंबित करने की कार्रवाई करने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए उनके पास उचित समय नहीं बचा, लिहाजा उन्होंने मामले से जुड़े सारे तथ्य डॉक्टर सुब्रमणियम को सौंप कर उनसे उचित कार्रवाई करने की - क्लब को निलंबित करने की सिफारिश की । क्लब के प्रमुख सदस्य तथा आरोपों में मुख्य 'अभियुक्त' के रूप में चिन्हित अजीत जालान को डॉक्टर सुब्रमणियम ने चूँकि डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार बनाया - अपने क्लब में कई चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के होते हुए तथा डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार पद पर उनकी दावेदारी की अनदेखी करते हुए अजीत जालान को डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार बनाया; तो उससे यही 'पता' चला कि अजीत जालान के साथ डॉक्टर सुब्रमणियम के साथ बहुत ही विश्वास के संबंध हैं । विश्वास के इसी संबंध के भरोसे अजीत जालान तथा रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के अन्य प्रमुख लोगों ने सुधीर मंगला की जाँच-पड़ताल पर ही सवाल उठा दिए और सुधीर मंगला को बुरा-भला साबित करने के प्रयासों में जुट गए ।
रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के 'घपलेबाजों' को लगा कि डॉक्टर सुब्रमनियम के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने से डिस्ट्रिक्ट पर वास्तव में उनका ही राज हो गया है, और इसलिए अब उनका कोई क्या बिगाड़ लेगा । इस जोश में सुधीर मंगला के खिलाफ की गई उनकी बकवास/बयान बाजी से मामला लेकिन और गंभीर हो गया । कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में यह मामला उठा, तो मामले में संज्ञान लेते हुए पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता ने निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रवि चौधरी की एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे आरोपों की फिर से जाँच-पड़ताल करने की जिम्मेदारी सौंपी जाए । कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में उनका प्रस्ताव स्वीकार हो गया, और रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट पर आरोपों की जाँच-पड़ताल के लिए दो सदस्यीय कमेटी बन गई । रवि चौधरी का रवैया पहले तो 'आरोपियों' के साथ सहानुभूति दिखाने वाला था, लेकिन कमेटी सदस्य के रूप में उनके सामने जब तथ्य प्रस्तुत हुए तो उन्होंने भी आरोपों को सही पाया/माना । यानि आरोपियों ने रवि चौधरी के रूप में अपना एक समर्थक और खो दिया । अपने आप को घिरा पाकर आरोपियों ने समर्पण करने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । इस मामले से संबंधित जो भी रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, उनसे जाहिर है कि क्लब के पदाधिकारी तथा प्रमुख लोग वर्ष 2014-15 की बैलेंसशीट अधिकृत करवाने के लिए तथा आरोपों के घेरे में आए ट्रस्ट को बंद कर देने के लिए राजी हो गए हैं । इस राजीनामे के चलते मामले के खत्म होने के आसार बने ।
रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के पदाधिकारी और प्रमुख लोग लेकिन अपनी बेईमानी-भरी सोच को नहीं छोड़ पाए । सहमति व्यक्त करने और राजी होने के बावजूद उन्होंने न तो दो सदस्यीय कमेटी के सदस्यों को और न डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय को न तो वर्ष 2014-15 की अधिकृत बैलेंसशीट उपलब्ध करवाई और न आरोपी ट्रस्ट के बंद होने का प्रमाण-पत्र उपलब्ध करवाया । उनसे भी ज्यादा गजब कमाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर सुब्रमणियम ने किया - पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता की सिफारिश पर काउंसिल ऑफ गवर्नर्स द्धारा गठित की गई दो सदस्यीय कमेटी के साथ किए गए वायदे से मुकरने की रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के पदाधिकारियों की चालबाजी पर कार्रवाई करने की बजाए, वह खुद उन चालबाजियों में भागीदार बन गए और उन्होंने इस बात की कोई जरूरत नहीं समझी कि क्लब के पदाधिकारी अपने वायदे को पूरा करें । रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट में घपलेबाजियों का आरोप लगाने वाले पूर्व प्रेसीडेंट अनूप मित्तल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर सुब्रमणियम को यह लिख दिया कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के पदाधिकारियों ने अधिकृत बैलेंसशीट और ट्रस्ट की क्लोजर रिपोर्ट यदि उपलब्ध नहीं करवाई, तो उन्हें रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा - तो डॉक्टर सुब्रमणियम उलटे उनसे ही नाराज हो गए । यानि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर सुब्रमणियम एक तो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं - जिसके तहत उन्हें सिर्फ यह करना है कि उन्हें रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के पदाधिकारियों से आरोपी मामलों में किये गए अपने वायदों को पूरा करने के लिए कहना है; और दूसरे मामले में न्याय पाने की कोशिश करने वालों पर वह भड़क और रहे हैं । रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के मामले में डॉक्टर सुब्रमणियम इतने असहाय और मजबूर आखिर क्यों दिख रहे हैं कि वह अपनी, पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता तथा काउंसिल ऑफ गवर्नर्स और डिस्ट्रिक्ट की इकट्ठी फजीहत कराने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं - यह उनके नजदीकियों के लिए भी समझना मुश्किल हो रहा है ।